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The Holy Bible - मीका (Micah)

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मीका (Micah)

Chapter 1

1. यहोवा का वचन, जो यहूदा के राजा योताम, आहाज और हिजकिय्याह के दिनोंमें मीका मोरेशेती को पहुंचा, जिस को उस ने शोमरोन और यरूशलेम के विषय में पाया।। 
2. हे जाति-जाति के सब लोगों, सुनो! हे पृय्वी तू उस सब समेत जो तुझ में है, ध्यान दे! और प्रभु यहोवा तुम्हारे विरूद्ध, वरन परमेश्वर अपके पवित्र मन्दिर में से तुम पर साझी दे। 
3. कयोंकि देख, यहोवा अपके पवित्रस्यान से बाहर निकल रहा है, और वह उतरकर पृय्वी के ऊंचे स्यानोंपर चलेगा। 
4. और पहाड़ उसके नीचे गल जाएंगे, और तराई ऐसे फटेंगी, जैसे मोम आग की आंच से, और पानी जो घाट से नीचे बहता है। 
5. यह सब याकूब के अपराध, और इस्राएल के घराने के पाप के कारण से होता है। याकूब का अपराध क्या है? क्या सामरिया नहीं? और यहूदा के ऊंचे स्यान क्या हैं? क्या यरूशलेम नहीं? 
6. इस कारण मैं सामारिया को मैदान के खेत का ढेर कर दूंगा, और दाख का बगीचा बनाऊंगा; और मैं उसके पत्यरोंको खड्ड में लुढ़का दूंगा, और उसकी नेव उखाड़ दूंगा। 
7. उसकी सब खुदी हुई मूरतें टुकड़े टुकड़े की जाएंगी; और जो कुछ उस ने छिनाला करके कमाया है वह आग से भस्म किया जाएगा, और उसकी सब प्रतिमाओं को मैं चकनाचूर करूंगा; क्योंकि छिनाले ही की कमाई से उसने उसको संचय किया है, और वह फिर छिनाले की सी कमाई हो जाएगी।। 
8. इस कारण मैं छाती पीटकर हाथ, हाथ, करूंगा; मैं लुटा हुआ सा और नंगा चला फिरा करूंगा; मैं गीदड़ोंकी नाई चिल्लाऊंगा, और शतुर्मुगोंकी नाईं रोऊंगा। 
9. क्योंकि उसका घाव असाध्य है; और विपत्ति यहूदा पर भी आ पक्की, वरन वह मेरे जातिभाइयोंपर पड़कर यरूशलेम के फाटक तक पहुंच गई है।। 
10. गात नगर में इसकी चर्चा मत करो, और मत रोओ; बेतआप्रा में धूति में लोटपोट करो। 
11. हे शापीर की रहनेवाली नंगी होकर निर्लज चक्की जा; सानान की रहनेवाली नहीं निकल सकती; बेतसेल के रोने पीटने के कारण उसका शरणस्यान तुम से ले लिया जाएगा। 
12. क्योंकि मारोत की रहनेवाली तो कुशल की बाट जोहते-जोहते तड़प गई है, क्योंकि यहोवा की ओर से यरूशलेम के फाटक तक विपत्ति आ पहुंची है। 
13. हे लाकीश की रहनेवाली अपके रयोंमें वेग चलनेवाले घोड़े जोत; तुझी से सिय्योन की प्रजा के पाप का आरम्भ हुआ, क्योंकि इस्राएल के अपराध तुझी में पाए गए। 
14. इस कारण तू गात के मोरेशेत को दान देकर दूर कर देगा; अकजीब के घर से इस्राएल के राजा धोशा ही खाएंगे। 
15. हे मारेशा की रहनेवाली मैं फिर तुझ पर एक अधिक्कारनेी ठहराऊंगा, और इस्राएल के प्रतिष्ठित लोगोंको अदुल्लाम में आना पकेगा। 
16. अपके दुलारे लड़कोंके लिथे अपना केश कटवाकर सिर मुंड़ा, वरन अपना पूरा सिर गिद्ध के समान गंजा कर दे, क्योंकि वे बंधुए होकर तेरे पास से चले गए हैं।

Chapter 2

1. हाथ उन पर, जो बिछौनोंपर पके हुए बुराइयोंकी कल्पना करते और दुष्ट कर्म की इच्छा करते हैं, और बलवन्त होने के कारण भोर को दिन निकलते ही वे उसको पूरा करते हैं। 
2. वे खेतोंका लालच करके उन्हें छली लेते हैं, और घरोंका लालच करके उन्हें भी ले लेते हैं; और उसके घराने समेत पुरूष पर, और उसके निज भाग समेत किसी पुरूष पर अन्धेर और अत्याचार कहते हैं। 
3. इस कारण, यहोवा योंकहता है, मैं इस कुल पर ऐसी विपत्ति डालने पर हूं, जिस के नीचे से तुम अपक्की गर्दन हटा न सकोगे; क्योंकि वह विपत्ति का समय होगा। 
4. उस समय यह अत्यन्त शोक का गीत दृष्टान्त की रीति पर गाया जाएगा: हम तो सर्वनाश हो गए; वह मेरे लोगोंके भाग को बिगाड़ता है; हाथ, वह उसे मुझ से कितनी दूर कर देता है! वह हमारे खेत बलवा करनेवाले को दे देता है। 
5. इस कारण तेरा ऐसा कोई न हो, जो यहोवा की मण्डली में चिट्ठी डालकर नापके की डोरी डाले।। 
6. बकवासी कहा करते हैं, कि बकवास न करो। इन बातें के लिथे न कहा करो; ऐसे लोगोंमें से अपमान न मिटेगा। 
7. हे याकूब के घराने, क्या यह कहा जाए कि यहोवा का आत्मा अधीर हो गया है? क्या थे काम उसी के किए हुए हैं? क्या मेरे वचनोंसे उसका भला नहीं होता जो सीधाई से चलता है? 
8. परन्तु कल की बात है कि मेरी प्रजा शत्रु बनकर मेरे विरूद्ध उठी है; तुम शान्त और भोले-भाले राहियोंके तन पर से चादर छीन लेते हो जो लड़ाई का विचार न करके निधड़क चले जाते हैं। 
9. मेरी प्रजा की स्त्रियोंको तुम उनके सुखधामोंसे निकाल देते हो; और उनके नन्हें बच्चोंसे तुम मेरी दी हुई उत्तम वस्तुएं सर्वदा के लिथे छीन लेते हो। 
10. उठो, चले जाओ! क्योंकि यह तुम्हारा विश्रमस्यान नहीं है; इसका कारण वह अशुद्धता है जो कठिन दु:ख के साय तुम्हारा नाश करेगी। 
11. यदि कोई फूठी आत्मा में चलता हुए फूठी और व्यर्य बातें कहे और कहे कि मैं तुम्हें नित्य दाखमधु और मदिरा के लिथे प्रचार सुनाता रहूंगा, तो वही इन लोगोंका भविष्यद्वक्ता ठहरेगा।। 
12. हे याकूब, मैं निश्चय तुम सभोंको इकट्ठा करूंगा; मैं इस्राएल के बचे हुओं को निश्चय इकट्ठा करूंगा; और बोस्रा की भेड़बकरियोंकी नाईं एक संग रखूंगा। उस फुण्ड की नाईं जो अच्छी चराई में हो, वे मनुष्योंकी बहुतायत के मारे कोलाहल मचाएंगे। 
13. उनके आगे आगे बाड़े का तोड़नेवाला गया है, इसलिथे वे भी उसे तोड़ रहे हैं, और फाटक से होकर निकल जा रहे हैं; उनका राजा उनके आगे आगे गया अर्यात्‌ यहोवा उनका सरदार और अगुवा है।।

Chapter 3

1. और मैं ने कहा, हे याकूब के प्रधानों, हे इस्राएल के घराने के न्याइयों, सुनो! क्या न्याय का भेद जानना तुम्हारा काम नहीं? 
2. तुम तो भलाई से बैर, और बुराई से प्रीति रखते हो, मानो, तुम, लोगोंपर से उनकी खाल, और उनकी हड्डियोंपर से उनका मांस उधेड़ लेते हो; 
3. वरन तुम मेरे लोगोंका मांस खा भी लेते, और उनकी खाल उधेड़ते हो; तुम उनकी हड्डियोंको हांड़ी में पकाने के लिथे टुकड़े टुकड़े करते हो। 
4. वे उस समय यहोवा की दोहाई देंगे, परन्तु वह उनकी न सुनेगा, वरन उस समय वह उनके बुरे कामोंके कारण उन से मुंह फेल लेगा।। 
5. यहोवा का यह वचन है कि जो भविष्यद्वक्ता मेरी प्रजा को भटका देते हैं, और जब उन्हें खाने को मिलता है तब शान्ति, शान्ति, पुकारते हैं, और यदि कोई उनके मुंह में कुछ न दे, तो उसके विरूद्ध युद्ध करते को तैयार हो जाते हैं। 
6. इस कारण तुम पर ऐसी रात आएगी, कि तुम को दर्शन न मिलेगा, और तुम ऐसे अन्धकार में पड़ोगे कि भावी न कह सकोगे। भविष्यद्वक्ताओं के लिथे सूर्य अस्त होगा, और दिन रहते उन पर अन्धिक्कारनेा छा जाएगा। 
7. दर्शी लज्जित होंगे, और भावी कहनेवालोंके मुंह काले होंगे; और वे सब के सब अपके ओठोंको इसलिथे ढांपेंगे कि परमेश्वर की ओर से उत्तर नहीं मिलता। 
8. परन्तु मैं तो यहोवा की आत्मा से शक्ति, न्याय और पराक्रम पाकर परिपूर्ण हूं कि मैं याकूब को उसका अपराध और इस्राएल को उसका पाप जता सकूं। 
9. हे याकूब के घराने के प्रधानों, हे इस्राएल के घराने के न्यायियो, हे न्याय से धृणा करनेवालो और सब सीधी बातोंकी टेढ़ी-मेढ़ी करनेवालो, यह बात सुनो। 
10. तुम सिय्योन को हत्या करके और यरूशलेम को कुटिलता करके दृढ़ करते हो। 
11. उसके प्रधान घूस ले लेकर विचार करते, और याजक दाम ले लेकर व्यवस्या देते हैं, और भविष्यद्वक्ता रूपके के लिथे भावी कहते हैं; तौभी वे यह कहकर यहोवा पर भरोसा रखते हैं, यहोवा हमारे बीच में है, इसलिथे कोई विपत्ति हम पर न आएगी। 
12. इसलिथे तुम्हारे कारण सिय्योन जोतकर खेत बनाया जाएगा, और यरूशलेम डींह ही डींह हो जाएगा, और जिस पर्वत पर भवन बना है, वह वन के ऊंचे स्यान सा हो जाएगा।।

Chapter 4

1. अन्त के दिनोंमें ऐसा होगा कि यहोवा के भवन के भवन का पर्वत सब पहाड़ोंपर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाडिय़ोंसे अधिक ऊंचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा की नाईं उसकी ओर चलेंगे। 
2. और बहुत जातियोंके लाग जाएंगे, और आपस में कहेंगे, आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएं; तब वह हम को अपके मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पयोंपर चलेंगे। क्योंकि यहोवा की व्यवस्या सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा। 
3. वह बहुत देखोंके लोगोंका न्याय करेगा, और दूर दूर तक की सामर्यी जातयोंके फगड़ोंको मिटाएगा; सो वे अपक्की तलवारें पीटकर हल के फाल, और अपके भालोंसे हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरूद्ध तलवार फिर न चलाएगी; 
4. और लोग आगे को युद्ध विद्या न सीखेंगे। परन्तु वे अपक्की अपक्की दाखलता और अंजीर के वृझ तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है।। 
5. सब राज्योंके लोग तो अपके अपके देवता का नाम लेकर चलते हैं, परन्तु हम लोग अपके परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।। 
6. यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं प्रजा के लंगड़ोंको, और बरबस निकाले हुओं को, और जिन को मैं ने दु:ख दिया है उन सब को इकट्ठे करूंगा। 
7. और लंगड़ोंको मैं बचा रचाूंगा, और दूर किए हुओं को एक सामर्यी जाति कर दूंगा; और यहोवा उन पर सिय्योन पर्वत के ऊपर से सदा राज्य करता रहेगा।। 
8. और हे एदेर के गुम्मट, हे सिय्योन की पहाड़ी, पहिली प्रभुता अर्यात्‌ यरूशलेम का राज्य तुझे मिलेगा।। 
9. अब तू क्योंचिल्लाती है? क्या तुझ में कोई राजा नहीं रहा? क्या तेरा युक्ति करनेवाला नाश हो गया, जिस से जच्चा स्त्री की नाईं तुझे पीड़ा उठती है? 
10. हे सिय्योन की बेटी, जच्चा स्त्री की नाईं पीड़ा उठाकर उत्पन्न कर; क्योंकि अब तू गढ़ी में से निकलकर मैदान में बसेगी, वरन बाबुल तक जाएगी; वहीं तू छुड़ाई जाएगी, अर्यात्‌ वहीं यहोवा तुझे तेरे शत्रुओं के वश में से छुड़ा लेगा।। 
11. और अब बहुत सी जातियां तेरे विरूद्ध इकट्ठी होकर तेरे विषय में कहेंगी सिय्योन अपवित्र की जाए, और हम अपक्की आंखोंसे उसको निहारें। 
12. परन्तु वे यहोवा की कल्पनाएं नहीं जानते, न उसकी युक्ति समझते हैं, कि वह उन्हें ऐसा बटोर लेगा जैसे खलिहान में पूले बटोरे जाते हैं। 
13. हे सिय्योन, उठ और दांव कर, मैं तेरे सींगोंको लोहे के, और तेरे खुओं कोंपीतल के बना दूंगा; ओर तू बहुत सी जातियोंको चूरचूर करेगी, ओर उनकी कमाई यहोवा को और उनकी धन-सम्पित्ति पृय्वी के प्रभु के लिथे अर्पण करेगी।।

Chapter 5

1. अब हे बहुत दलोंकी स्वामिनी, दल बान्ध-बान्धकर इकट्ठी हो, क्योंकि उस ने हम लोगोंको घेर लिया है; वे इस्राएल के न्यायी के गाल पर सोंटा मारेंगे। 
2. हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारोंमें गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिथे एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियोंमें प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन अनादि काल से होता आया है। 
3. इस कारण वह उनको उस समय तक त्यागे रहेगा, जब तक जच्चा उत्पन्न न करे; तब इस्राएलियोंके पास उसके बचे हुए भाई लौटकर उन से मिल जाएंगे। 
4. और वह खड़ा होकर यहोवा की दी हुई शक्ति से, और अपके परमेश्वर यहोवा के नाम के प्रताप से, उनकी चरवाही करेगा। और वे सुरझित रहेंगे, क्योंकि अब वह पृय्वी की छोर तक महान्‌ ठहरेगा।। 
5. और वह शान्ति का मूल होगा, जब अश्शूरी हमारे देश पर चढ़ाई करें, और हमारे राजभवनोंमें पांव धरें, तब हम उनके विरूद्ध सात चरवाहे वरन आठ प्रधान मनुष्य खड़ें करेंगे। 
6. और वे अश्शूर के देश को वरन पैठाव के स्यानोंतक निम्रोद के देश को तलवार चलाकर मार लेंगे; और जब अश्शूरी लोग हमारे देश में आएं, और उसके सिवाने के भीतर पांव धरें, तब वही पुरूष हम को उन से बचाएगा। 
7. और याकूब के बचे हुए लोग बहुत राज्योंके बीच ऐसा काम देंगे, जैसा यहोवा की ओर से पड़नेवाली ओस, और घास पर की वर्षा, जो किसी के लिथे नहीं ठहरती और मनुष्योंकी बाट नहीं जोहती। 
8. और याकूब के बचे हुए लोग जातियोंमें और देश देश के लोगोंके बीच ऐसे होंगे जैसे वनपशुओं में सिंह, वा भेड़-बकरियोंके फुण्डोंमें जवान सिंह होता है, क्योंकि जब वह उनके बीच में से जाए, तो लताड़ता और फाड़ता जाएगा, और कोई बचा न सकेगा। 
9. तेरा हाथ तेरे द्रोहियोंपर पके, और तेरे सब शत्रु नाश हो जाएं।। 
10. यहोवा की यही वाणी है, उस समय मैं तेरे घोड़ोंको तेरे बीच में से नाश करूंगा; और तेरे रयोंका विनाश करूंगा। 
11. ओर मैं तेरे देश के नगरोंको भी नाश करूंगा, और तेरे किलोंको ढा दूंगा। 
12. और मैं तेरे तन्त्र-मन्त्र नाश करूंगा, और तुझ में टोन्हे आगे को न रहेंगे। 
13. ओर मैं तेरी खुदी हुई मूरतें, और तेरी लाठें, तेरे बीच में से नाश करूंगा; और तू आगे को अपके हाथ की बनाई हुई वस्तुओं को दण्डवत्‌ न करेगा। 
14. और मैं तेरी अशेरा नाम मूरतोंको तेरी भूमि में से उखाड़ डालूंगा, और तेरे नगरोंका विनाश करूंगा। 
15. और मैं अन्यजातियोंसे जो मेरा कहा नहीं मानतीं, क्रोध और जल जलाहट के साय पलटा लूंगा।।

Chapter 6

1. जो बात यहोवा कहता है, उसे सुनो: उठकर, पहाड़ोंके साम्हने वादविवाद कर, और टीले भी तेरी सुनने पाएं। 
2. हे पहाड़ों, और हे पृय्वी की अटल नेव, यहोवा का वादविवाद सुनो, क्योंकि यहोवा का अपक्की प्रजा के साय मुकद्दमा है, और वह इस्राएल से वादविवाद करता है।। 
3. हे मेरी प्रजा, मैं ने तेरा क्या किया, और क्या करके मैं ने तुझे उकता दिया है? 
4. मेरे विरूद्ध साझी दे! मैं तो तुझे मिस्र देश से निकाल ले आया, और दासत्व के घर में से तुझे छुड़ा लाया; और तेरी अगुवाई करने को मूसा, हारून और मरियम को भेज दिया। 
5. हे मेरी प्रजा, स्मरण कर, कि मोआब के राजा बालक ने तेरे विरूद्ध कौन सी युक्ति की? और बोर के पुत्र बिलाम ने उसको क्या सम्मत्ति दी? और शित्तिम से गिल्गाल तक की बातोंका स्मरण कर, जिस से तू यहोवा के धर्म के काम समझ सके।। 
6. मैं क्या लेकर यहोवा के सम्मुख आऊं, और ऊपर रहनेवाले परमेश्वर के साम्हने फुकूं? क्या मैं होमबलि के लिथे एक एक वर्ष के बछड़े लेकर उसके सम्मुख आऊं? 
7. क्या यहोवा हजारोंमेढ़ोंसे, वा तेल की लाखोंनदियोंसे प्रसन्न होगा? क्या मैं अपके अपराध के प्रायश्चित्त में अपके पहिलौठे को वा अपके पाप के बदले में अपके जन्माए हुए किसी को दूं? 
8. हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपके परमेश्वर के साय नम्रता से चले? 
9. यहोवा इस नगर को पुकार रहा है, और सम्पूर्ण ज्ञान, तेरे नाम का भय मानना है: राजदण्ड की, और जो उसे देनेवाला है उसकी बात सुनो! 
10. क्या अब तक दुष्ट के घर में दुष्टता से पाया हुआ धन और छोटा एपा घृणित नहीं है? 
11. क्या मैं कपट का तराजू और घटबढ़ के बटखरोंकी यैली लेकर पवित्र ठहर सकता हूं? 
12. यहां के धनवान्‌ लोग उपद्रव का काम देखा करते हैं; और यहां के सब रहनेवाले फूठ बोलते हैं और उनके मुंह से छल की बातें निकलती हैं। 
13. इस कारण मैं तुझे मारते मारते बहुत ही घायल करता हूं, और तेरे पापोंके कारण तुझ को उजाड़ डालता हूं। 
14. तू खाएगा, परन्तु तृप्त न होगा, तेरा पट जलता ही रहेगा; और तू अपक्की सम्पत्ति लेकर चलेगा, परन्तु न बचा सकेगा, और जो कुछ तू बचा भी ले, उसको मैं तलवार चलाकर लुटवा दूंगा। 
15. तू बोएगा, परन्तु लवेगा नहीं; तू जलपाई का तेल निकालेगा, परन्तु लगाने न पाएगा; और दाख रौंदेगा, परन्तु दाखमधु पीने न पाएगा। 
16. क्योंकि वे ओम्री की विधियोंपर, और अहाब के घराने के सब कामोंपर चलते हैं; और तुम उनकी युक्तियोंके अनुसार चलते हो; इसलिथे मैं तुझे उजाड़ दूंगा, और इस नगर के रहनेवालोंपर ताली बजवाऊंगा, और तुम मेरी प्रजा की नामधराई सहोगे।।

Chapter 7

1. हाथ मुझ पर ! क्योंकि मैं उस जल के समान हो गया हूं जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, वा रही हुठ दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरोंकी लालसा यी, परन्तु खाने के लिथे कोई गुच्छा नही रहा। 
2. भक्त लोग पृय्वी पर से नाश हो गए हैं, और मनुष्योंमें एक भी सीधा नहीं जन नहीं रहा; वे सब के सब हत्या के लिथे घात लगाते, और जाल लगाकर अपके अपके भाई का आहेर करते हैं। 
3. वे अपके दोनोंहाथोंसे मन लगाकर बुराई करते हैं; हाकिम घूस मांगता, और न्यायी घूस लेने को तैयार रहता है, और रईस अपके मन की दुष्टता वर्णन करता है; इसी प्रकार से वे सब मिलकर जालसाजी करते हैं। 
4. उन में से जो सब से उत्तम है, जो सब से सीधा है, वह कांटेवाले बाड़े से भी बुरा है। तेरे पहरूओं का कहा हुआ दिन, अर्यात्‌ तेरे दण्ड का दिन आ गया है। अब वे शीघ्र चौंधिया जाएंगे। 
5. मित्र पर विश्वास मत करो, परममित्र पर भी भरोसा मत रखो; वरन अपक्की अर्द्धागिन से भी संभलकर बोलना। 
6. क्योंकि पुत्र पिता का अपमान करता, और बेटी माता के, और पतोह सास के विरूद्ध उठती है; मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं। 
7. परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूंगा, मैं अपके उद्धारकर्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।। 
8. हे मेरी बैरिन, मुझ पर आनन्द मत कर; क्योंकि ज्योंही मैं गिरूंगा त्योंही उठूंगा; और ज्योंही मैं अन्धकार में पडूंगा त्योंहि यहोवा मेरे लिथे ज्योति का काम देगा। 
9. मैं ने यहोवा के विरूद्ध पाप किया है, इस कारण मैं उस समय तक उसके क्रोध को सहता रहूंगा जब तक कि वह मेरा मुकद्दमा लड़कर मेरा न्याय न चुकाएगा। उस समय वह मुझे उजियाले में निकाल ले आएगा, और मैं उसका धर्म देखूंगा। 
10. तब मेरी बैरिन जो मुझ से यह कहती है कि तेरा परमेश्वर यहोवा कहां रहा, वह भी उसे देखेगी और लज्जा से मुंह ढांपेगी। मैं अपक्की आंखोंसे उसे देखूंगा; तब वह सड़कोंकी कीच की नाईं लताड़ी जाएगी।। 
11. तेरे बाड़ोंके बान्धने के दिन उसकी सीमा बढ़ाई जाएगी। 
12. उस दिन अश्शूर से, और मिस्र और महानद के बीच के, और समुद्र-समुद्र और पहाड़-पहाड़ के बीच में देशोंसे लोग तेरे पास आंएगे। 
13. तौभी यह देश अपके रहनेवालोंके कामोंके कारण उजाड़ ही रहेगा।। 
14. तू लाठी लिथे हुए अपक्की प्रजा की चरवाही कर, अर्यात्‌ अपके निज भाग की भेड़-बकरियोंकी, जो कर्म्मेल के वन में अलग बैठती है; वे पूर्वकाल की नाईं बाशान और गिलाद में चरा करें।। 
15. जैसे कि मिस्र देश से तेरे निकल आने के दिनोंमें, वैसी ही अब मैं उसको अद्‌भुत काम दिखाऊंगा। 
16. अन्यजातियां देखकर अपके सारे पराक्रम के विषय में लजाएंगी; वे अपके मुंह को हाथ से छिपाएंगी, और उनके कान बहिरे हो जाएंगे। 
17. वे सर्प की नाईं मिट्टी चाटेंगी, और भूमि पर रेंगनेवाले जन्तुओं की भांति अपके बिलोंमें से कांपक्की हुई निकलेंगी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा के पास यरयराती हुई आएंगी, और वे तुझ से डरेंगी।। 
18. तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहां है जो अधर्म को झमा करे और अपके निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढांप दे? वह अपके क्रोध को सदा बनाए नहीं रहता, क्योंकि वह करूणा से प्रीति रखता है। 
19. वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामोंको लताड़ डालेगा। तू उनके सब पापोंको गहिरे समुद्र में डाल देगा। 

20. तू याकूब के विषय में वह सच्चई, और इब्राहीम के विषय में वह करूणा पूरी करेगा, जिस की शपय तू प्राचक्कीनकाल के दिनोंसे लेकर अब तक हमारे पितरोंसे खाता आया है।।
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