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The Holy bible - 1 इतिहास(1 Chronicles)

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1 इतिहास(1 Chronicles)

Chapter 1

1. आदम,शेत, एनोश; 
2. केनान, महललेल, थेरेद; 
3. हनोक, मतूशेलह, लेमेक; 
4. नूह, शेम, हाम और थेपेत । 
5. थेपेत के पुत्र : गोमेर, मागोग, मादै, सावान, तूबल, मेशेक और तीरास हैं। 
6. और गोमेर के पुत्र : अशकनज, दीपत और तोगर्मा हैं। 
7. और यावान के पुत्र : एलीशा, तशींश, और कित्ती और रोदानी लोग हैं। 
8. हाम के पुत्र : कुश, मिस्र, पूत और कनान हैं। 
9. और कूश के पुत्र : सबा, हबीला, सबाता, रामा और सब्तका हैं; और रामा के पुत्र : शबा और ददान हैं। 
10. और कूश से निम्रोद उत्पन्न हुआ; मृय्वी पर पहिला वीर वही हुआ। 
11. और मिस्र से लूदी, अनामी, लहावी, नप्तही। 
12. पत्रूसी, कसलूही ( वहां से पलिश्ती निकले ) और कप्तोरी उत्पन्न हुए। 
13. कनान से उसका जेठा सीदोन और हित्त। 
14. और यबूसी, एमोरी, गिर्गाशी। 
15. हिय्वी, अकीं,सीनी। 
16. अर्वदी, समारी और हमाती उत्पन्न हुए। 
17. शेम के पुत्र : एलाम, अश्शूर, अर्पझद, लूद, अराम, ऊस, हूल, गेतेर और मेशेक हैं। 
18. और अर्पझद से शेलह और शेलह से एबेर उत्पन्न हुआ। 
19. और एबेर के दो पुत्र उत्पन्न हुए : एक का नाम पेलेग इस कारण रखा गया कि उसके दिनोंमें पृय्वी बांटी गई; और उसके भाई का नाम योक्तान या। 
20. और योक्तान से अल्मोदाद, शुलेप, हसर्मावेत, थेरह। 
21. हदोराम, ऊजाल, दिक्ला। 
22. एबाल, अबीमाएल, शबा, 
23. ओपीर, हवीला और सोबाब उत्पन्न हुए; थे ही सब योक्तान के पुत्र हैं। 
24. शेम, अर्पझद, शेलह। 
25. एबेर, पेलेग, रू। 
26. सरूग, नाहोर, तेरह, 
27. अब्राम, वही इब्राहीम भी कहलाता है। 
28. इब्राहीम के पुत्र इसहाक और इश्माएल हैं। 
29. इनकी वंशावलियां थे हैं। इश्माएल का जेठा नवायोत, फिर केदार, अदवेल, मिबसाम। 
30. मिश्मा, दूमा, मस्सा, हदद, तेमा। 
31. यतूर, नापीश, केदमा। थे इश्माएल के पुत्र हुए। 
32. फिर कतूरा जो इब्राहीम की रखेली यी, उसके थे पुत्र उत्पन्न हुए, अर्यात्‌ उस से जिम्रान, योझान, मदान, मिद्यान, यिशबाक और शूह उत्पन्न हुए। योझान के पुत्र : शबा और ददात। 
33. और मिद्यान के पुत्र : एपा, एपेर, हनोक, अबीदा और एलदा, थे सब कतूरा के पुत्र हैं। 
34. इब्राहीम से इसहाक उत्पन्न हुआ। इसहाक के पुत्र : एसाव और इस्राएल। 
35. एसाव के पुत्र : एलीपज, रूएल, यूश, यालाम और कोरह हैं। 
36. एलीपज के थे पुत्र हैं : तेमान, ओमार, सपी, गाताम, कनज, तिम्ना और अपालेक। 
37. रूएल के पुत्र : नहत, जेरह, शम्मा और मिज्जा। 
38. फिर सेईर के पुत्र : लोतान, शोबाल, सिबोन, अना, दीशोन, एसेर और दीशान हैं। 
39. और लोतान के पुत्र : होरी और होमाम, और लोतान की बहिन तिम्ना यीं। 
40. शोबाल के पुत्र : अल्यान, मानहत, एबाल, शषी और ओनाम। 
41. और सिबोन के पुत्र : अय्या, और अना। अना का पुत्र : दीशोन। और दीशोन के पुत्र : हम्रान, एशबान, यित्रान और करान। 
42. एसेर के पुत्र बिल्हान, जाचान और याकान। और दीशान के पुत्र : ऊस और अरान हैं। 
43. जब किसी राजा ने इस्राएलियोंपर राज्य न किया या, तब एदोम के देश में थे राजा हुए : अर्यात्‌ बोर का पुत्र बेला और उसकी राजधानी का नाम दिन्हाबा या। 
44. बेला के मरने पर, बोस्राई जेरह का पुत्र योबाब, उसके स्यान पर राजा हुआ। 
45. और योबाब के मरने पर, तेमानियोंके देश का हूशाम उसके स्यान पर राजा हुआ। 
46. फिर हूशाम के मरने पर, बदद का पुत्र हदद, उसके स्यान पर राजा हुआ : यह वही है, जिस ने मिद्यानियोंको मोआब के देश में मार लिया; और उसकी राजधानी का नाम अबीत या। 
47. और हदद के मरने पर, मस्रेकाई सम्ला उसके स्यान पर राजा हुआ। 
48. फिर सम्ला के मरने पर शाऊल, जो महानद के तट पर के रहोबोत नगर का या, वह उसके स्यान पर राजा हुआ। 
49. और शाऊल के मरने पर अकबोर का पुत्र बाल्हानान उसके स्यान पर राजा हुआ। 
50. और बल्हानान के मरने पर, हदद उसके स्यान पर राजा हुआ; और उसकी राजधानी का नाम पाई या। और उसकी पत्नी का नाम महेतबेल या जो मेज़ाहाब की नातिनी और मत्रेद की बेटी यी। और हदद मर गया। 
51. फिर एदोम के अधिपति थे थे : अर्यात्‌ अधिपति तिम्ना, अधिपति अल्या, अधिपति यतेत, अधिपति ओहोलीवामा, 
52. अधिपति एला, अधिपति पीनोन, अधिपति कनज, 
53. अधिपति तेमान, अधिपति मिबसार, अधिपति मग्दीएल, अधिपति ईराम। 
54. एदोम के थे अधिपति हुए।

Chapter 2

1. इस्राएल के थे पुत्र हुए; रूबेन, शिमोन, लेवी, सहूदा, इस्साकार, जबूलून, दान। 
2. यूसुफ, बिन्यामीन, नन्ताली, गाद और आशेर। 
3. यहूदा के थे पुत्र हुए : एर, ओनान और शेला, उसके थे तीनोंपुत्र, बतशू नाम एक कनानी स्त्री से उत्पन्न हुए। और यहूदा का जेठा एर, यहोवा की दृष्टि में बुरा या, इस कारण उस ने उसको मार डाला। 
4. यहूदा की बहू तामार से पेरेस और जेरह उत्पन्न हुए। यहूदा के सब पुत्र पांच हुए। 
5. मेरेस के पुत्र : हेस्रोन और हामूल। 
6. और जेरेह के पुत्र : जिम्री, एतान, हेमान, कलकोल और दारा सब मिलकर पांच। 
7. फिर कमीं का पुत्र : आकार जो अर्पण की हुई पस्तु के विषय में विश्वासघात करके इस्राएलियोंका कष्ट देनेवाला हुआ। 
8. और एतान का पुत्र : अजर्याह। 
9. हेस्रोन के जो पुत्र उत्पन्न हुए : यरह्मेल, राम और कलूबै। 
10. और राम से अम्मीनादाब और अम्मीनादाब से नहशोन उत्पन्न हुआ जो यहूदियोंका प्रधान बना। 
11. और नहशोन से सल्मा और सल्मा से बोअज, 
12. और बोअज से ओबेद और ओबेद से यिशै उत्पन्न हुआ। 
13. और यिशै से उसका जेठा एलीआब और दूसरा अबीनादाब तीसरा शिमा। 
14. चौया नतनेल और पांचवां रद्दैं। छठा ओसेम और सातवां दाऊद उत्पन्न हुआ। 
15. इनकी बहिनें सरूयाह ओर अबीगैल यीं। 
16. और सरूयाह के पुत्र अबीशै, योआब और असाहेल थे तीन थे। 
17. और अबीगैल से अमासा उत्पन्न हुआ, और अमासा का पिता इश्माएली थेतेर या। 
18. हेस्रोन के पुत्र कालेब के अजूबा नाम एक स्त्री से, और यरीओत से, बेटे उत्पन्न हुए; और इसके पुत्र थे हूए अर्यात्‌ थेशेर, शेबाब और अदॉन। 
19. जब अजूबा मर गई, सब कालेब ने एप्रात को ब्याह लिया; और जिससे हूर उत्पन्न हुआ। 
20. और हूर से ऊरी और ऊरी से बसलेल उत्पन्न हुआ। 
21. इसके बाद हेस्रोन गिलाद के पिता माकीर की बेटी के पास गया, जिसे उस ने तब ब्याह लिया, जब वह साठ वर्ष का या; और उस से सगूब उत्पन्न हुआ। 
22. और सगूब से याईर जन्मा, जिसके गिलाद देश में तेईस नगर थे। 
23. और गशूर और अराम ने याईर की बस्तियोंको और गांवोंसमेत कनत को, उन से ले लिया; थे सब नगर मिलकर साठ थे। थे सब गिलाद के पिता माकीर के पुत्र हुए। 
24. और जब हेस्रोन कालेबेप्राता में मर गया, तब उसकी अबिय्याह नाम स्त्री से अशहूर उत्पन्न हुआ जो तको का पिता हुआ। 
25. और हेस्रोन के जेठे यरह्मेल के थे पुत्र हुए : अर्यात्‌ राम जो उसका जेठा या; और बूना, ओरेन, ओसेम और यहिय्याह। 
26. और यरह्मेल की एक और पत्नी यी, जिसका नाम अतारा या; वह ओनाम की माता यी। 
27. और यरह्मेल के जेठे राम के थे पुत्र हुए, अर्यात्‌ मास, यामीन और एकेर। 
28. और ओनाम के पुत्र शम्मै और यादा हुए। और शम्मै के पुत्र नादाब और अबीशूर हुए। 
29. और अबीशूर की पत्नी का नाम अबीहैल या, और उस से अहबान और मोलीद उत्पन्न हुए। 
30. और नादाब के पुत्र सेलेद और अत्पैम हुए; सेलेद तो नि:सन्तान मर गया। और अत्तैम का पुत्र यिशी। 
31. और यिशी का पुत्र शेशान और शेशान का पुत्र : अहलै। 
32. फिर शम्मै के भाई यादा के पुत्र : थेतेर और योनातान हुए; थेतेर तो नि:सन्तान मर गया। 
33. यानातान के पुत्र पेलेत और जाजा; यरह्मेल के पुत्र थे हुए। 
34. शेशान के तो बेटा न हुआ, केवल बेटियां हुई। शेशान के पास यर्हा नाम एक मिस्री दास या। 
35. और शेशान ने उसको अपक्की बेटी ब्याह दी, और उस से अत्तै उत्पन्न हुआ। 
36. और अत्तै से नातान, नातान से जाबाद। 
37. जाबाद से एपलाल, एपलाल से ओबेद। 
38. ओबेद से थेहू, थेहू से अजर्याह। 
39. अजर्याह से हेलैस, हेलैस से एलासा। 
40. एलासा से सिस्मै, सिस्मै से शल्लूम। 
41. शल्लूम से यकम्याह और यकम्याह से एलीशामा उत्पन्न हुए। 
42. फिर यरह्मेल के भाई कालेब के थे पुत्र हुए : अर्यात्‌ उसका जेठा मेशा जो जीप का पिता हुआ। और मारेशा का पुत्र हेब्रोन भी उसी के वंश में हुआ। 
43. और हेब्रोन के पुत्र कोरह, तप्पूह, रेकेम और शेमा। 
44. और शेमा से योर्काम का पिता रहम और रेकेम से शम्मै उत्पन्न हुआ या। 
45. और शम्मै का पुत्र माओन हुआ; और माओन बेत्सूर का पिता हुआ। 
46. फिर एपा जो कालेब की रखेली यी, उस से हारान, मोसा और गाजेज उत्पन्न हुए; और हारान से गाजेज उत्पन्न हुआ। 
47. फिर याहदै के पुत्र रेगेम, योताम, गेशान, पेलेत, एपा और शाप। 
48. और माका जो कालेब की रखेली यी, उस से शेबेर और तिर्हाना उत्पन्न हुए। 
49. फिर उस से मदमन्ना का पिता शाप और मकबेना और गिबा का पिता शबा उत्पन्न हुए। और कालेब की बेटी अकसा यी। कालेब के पुत्र थें हुए। 
50. एप्राता के जेठे हूर का पुत्र किर्यत्यारीम का पिता शोबाल। 
51. बेतलेहेम का पिता सल्मा और बेतगादेर का पिता हारेप। 
52. और किर्यत्यारीम के पिता शोबाल के वंश में हारोए आधे मनुहोतवासी, 
53. और किर्यत्यारीम के कुल अर्यात्‌ यित्री, पूती, शूमाती और मिश्रई और इन से सोराई और एश्ताओली निकले। 
54. फिर सल्मा के वंश में बेतलेहेम और नतोपाई, अत्रोतबेत्योआब और आधे मानहती, सोरी। 
55. फिर याबेस में रहनेवाले लेखकोंके कुल अर्यात्‌ तिराती, शिमाती और सूकाती हुए। थे रेकाब के घराने के मूलपुरुष हम्मन के वंशवाले केनी हैं।

Chapter 3

1. दाऊद के पुत्र जो हेब्रोन में उस से उत्पन्न हुए वे थे हैं : जेठा अम्नोन जो यिज्रेली अहीनोआम से, दूसरा दानिय्थेल जो कर्मेली अबीगैल से उत्पन्न हुआ। 
2. तीसरा अबशालोम जो गशूर के राजा तल्मै की बेटी माका का मुत्र या, चौया ओदानिय्याह जो हरगीत का पुत्र या। 
3. पांचवां शपत्याह जो अबीतल से, और छठवां यित्राम जो उसकी स्त्री एग्ला से उत्पन्न हुआ। 
4. दाऊद से हेब्रोन में छ: पुत्र उत्पन्न हुए, और वहां उस ने साढ़े सात वर्ष राज्य किया; और यरूशलेम में तैंतीस वर्ष राज्य किया। 
5. और यरूशलेम में उसके थे पुत्र उत्पन्न हुए अर्यात्‌ शिमा, शोबाब, तातान और सुलैमान, थे चारो अम्मीएल की बेटी बतशू से उत्पन्न हुए। 
6. और यिभार, एलीशामा एलीपेलेत। 
7. नेगाह, नेपेग, यापी। 
8. एलीशामा, एल्यादा और एलीमेलेत, थे नौ पुत्र थे, थे सब दाऊद के पुत्र थे। 
9. और इनको छोड़ रखेलियोंके भी पुत्र थे, और इनकी बहिन तामार यी। 
10. फिर सुलैमान का पुत्र रहबाम उत्पन्न हुआ; रहबाम का अबिय्याह का आसा, आसा का यहोशापात। 
11. यहोशपात का योराम, योराम का अहज्याह, अहज्याह का योआश। 
12. योआश का अमस्याह, अमस्याह का अजर्याह, अजर्याह का योताम। 
13. योताम का आहाज, आहाज का हिजकिय्याह, हिजकिय्याह का मनश्शे। 
14. मनश्शे का आमोन, और आमोन का योशिय्याह पुत्र हुआ। 
15. और योशिय्याह के पुत्र उसका जेइा योहानान, दूसरा यहोयाकीम; तीसरा सिदकिय्याह, चौैया शल्लूम। 
16. और यहोयाकीम का पुत्र यकोन्याह, इसका पुत्र सिदकिय्याह। 
17. ओर यकोन्याह का पुत्र अस्सीर, उसका पुत्र शालतीएल। 
18. और मल्कीराम, पदायाह, शेनस्सर, यकम्याह, होशामा और नदब्याह। 
19. और पदायाह के पुत्र जरुब्बाबेल और शिमी हुए; और जरुब्बाबेल के पुत्र मशुल्लाम और हनन्याह, जिनकी बहीन शलोमीत यी। 
20. और हशूबा, ओहेल, बेरेक्याह, हसद्याह और यूशमेसेद, पांच। 
21. और हनन्याह के पुत्र पलत्याह और यशायाह। और रपायाह के पुत्र अर्नान के पुत्र ओबद्याह के पुत्र और शकन्याह के पुत्र। 
22. और तकन्याह का पुत्र शमायाह। और शमायाह के पुत्र हत्तूश और यिगाल, बारीह, नार्याह और शपात, छ: । 
23. और नार्याह के पुत्र एल्योएनै, हिजकिय्याह और अज्रीकाम, तीन। 
24. और एल्योएनै के पुत्र होदब्याह, एल्याशीब, पलायाह, अककूब, योहानान, दलायाह और अनानी, सात।

Chapter 4

1. यहूदा के पुत्र : पेरेस, हेस्रोन, कमीं, हूर और शोबाल। 
2. और शोबाल के पुत्र : रायाह से यहत और यहत से अहूमै और लहद उत्पन्न हुए, थे सोराई कुल हैं। 
3. और एताम के पिता के थे पुत्र हुए : अर्यात्‌ यिज्रेल, यिश्मा और यिद्वाश, जिनकी बहिन का नाम हस्सलेलपोनी या। 
4. और गदोर का पिता पनूएल, और रूशा का पिता एजेर। थे एप्राता के जेठे हूर के सन्तान हैं, जो बेतलेहेम का पिता हुआ। 
5. और तको के पिता अशहूर के हेबा और नारा नाम दो स्त्रियां यीं। 
6. और नारा से अहुज्जाम, हेपेर, तेमनी और हाहशतारी उत्पन्न हुए, नारा के थे ही पुत्र, हुए। 
7. और हेला के पुत्र, सेरेत, यिसहर और एम्नान। 
8. फिर कोस से आनूब और सोबेवा उत्पन्न हुए और उसेक वंश में हारून के पुत्र अहर्हेल के कुल भी उत्पन्न हुए। 
9. और याबेस अपके भइयोंसे अधिक प्रतिष्ठित हुआ, और उसकी माता ने यह कहकर उसका नाम याबेस रखा, कि मैं ने इसे पीड़ित होकर उत्पन्न किया। 
10. और याबेस ने इस्राएल के परमेश्वर को यह कहकर पुकारा, कि भला होता, कि तू मुझे सचमुच आशीष देता, और मेरा देश बढाता, और तेरा हाथ मेरे साय रहता, और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता कि मैं उस से पीड़ित त होता ! और जो कुछ उस ने मांगा, वह परमेश्वर ने उसे दिया। 
11. फिर शूहा के भाई कलूब से एशतोन का पिता महीर उत्पन्न हुआ। 
12. और एशतोन के वंश में रामा का घराना, और पासेह और ईर्नाहाश का पिता तहिन्ना उत्पन्न हुए, रेका के लोग थे ही हैं। 
13. और कनज के पुत्र, ओत्नीएल और सरायाह, और ओत्नीएल का पुत्र हतत। 
14. मोनोतै से ओप्रा और सरायाह से योआब जो गेहराशीम का पिता हुआ; वे कारीगर थे। 
15. और यपुन्ने के पुत्र कालेब के पुत्र एला और नाम, और एला के पुत्र कनज। 
16. और यहल्लेल के पुत्र, जीप, जीपा, तीरया और असरेल। 
17. और एज्रा के पुत्र थेतेर, मेरेद, एपेर और यालोन, और उसकी स्त्री से मिर्य्याम, शम्मै और एशतमो का पिता यिशबह उत्पन्न हुए। 
18. और उसकी यहूदिन स्त्री से गदोर का पिता थेरेद, सोको के पिता हेबेर और जानोह के पिता यकूतीएल उत्पन्न हुए, थे फ़िरौन की बेटी बित्या के पुत्र थे जिसे मेरेद ने ब्याह लिया या। 
19. और होदिय्याह की स्त्री जो नहम की बहिन यी, उसके पुत्र कीला का पिता एक गेरेमी और एशतमो का पिता एक माकाई। 
20. और शीमोन के पुत्र अम्नोन, रिन्ना, बेन्हानान और तोलोन और यिशी के पुत्र जोहेत और बेनजोहेत। 
21. यहूदा के पुत्र शेला के पुत्र लेका का पिता एर, मारेशा का पिता लादा और अशबे के घराने के कुल जिस में सन के कपके का काम होता या। 
22. और योकीम और कोजेबा के मनुष्य और योआश और साराप जो मोआब में प्रभुता करते थे और याशूब, लेहेम इनका वृत्तान्त प्राचीन है। 
23. थे कुम्हार थे, और नताईम और गदेरा में रहते थे जहां वे राजा का कामकाज करते हुए उसके पास रहते थे। 
24. शिमोन के पुत्र नमूएल, यामीन, यारीब, जेरह और शाऊल। 
25. और शाऊल का पुत्र शल्लूम, शल्लूम का पुत्र मिबसाम और मिबसाम का मिश्मा हुआ। 
26. और मिश्मा का पुत्र हम्मूएल, उसका पुत्र जक्कूर, और उसका पुत्र शिमी। 
27. शिमी के सोलह बेटे और छ: बेटियां हुई परन्तु उसके भाइयोंके बहुत बेटे न हुए; और उनका सारा कुल यहूदियोंके बराबर न बढ़ा। 
28. वे बेर्शबा, मोलादा, हसर्शूआल। 
29. बिल्हा, एसेम, तोलाद। 
30. बतूएल, होर्मा, सिल्कग, 
31. बेतमर्काबोत, हसर्सूसीम, बेतबिरी और शारैम में बस गए; दाऊद के राजय के समय तक उनके थे ही नगर रहे। 
32. और उनके गांव एताम, ऐन, रिम्मोन, तोकेन और आशान नाम पांच नगर। 
33. और बाल तक जितने गांव इन नगरोंके आसपास थे, उनके बसने के स्यान थे ही थे, और यह उनकी वंशावली हैं। 
34. फिर मशोबाब और यम्लेक और अपस्याह का पुत्र योशा। 
35. और योएल और योशिब्याह का पुत्र थेहू, जो सरायाह का पोता, और असीएल का परमोता या। 
36. और एल्योएनै और याकोबा, यशोहाथाह और असायाह और अदीएल और यसीमीएल और बनायाह। 
37. और शिपी का पुत्र जीजा जो अल्लोन का पुत्र, यह यदायाह का पुत्र, यह शिम्री का पुत्र, यह शमायाह का पुत्र या। 
38. थे जिनके नाम लिखें हुए हैं, अपके अपके कुल में प्रधान थे; और उनके पितरोंके घराने बहुत बढ़ गए। 
39. थे अपक्की भेड़-बकरियोंके लिथे चराई ढूंढ़ने को गदोर की घाटी की तराई की पूर्व ओर तक गए। 
40. और उनको उत्तम से उत्तम चराई मिली, और देश लम्बा-चौड़ा, चैत और शांति का या; क्योंकि वहां के पहिले रहनेवाले हाम के वंश के थे। 
41. और जिनके नाम ऊपर लिखे हैं, उन्होंने यहूदा के राजा हिजकिय्याह के दिनोंमें वहां आकर जो मूनी वहां मिले, उनको डेरोंसमेत मारकर ऐसा सत्यानाश कर डाला कि आह तक उनका पता नहीं है, और वे उनके स्यान में रहने लगे, क्योंकि वहां उनकी भेड़-बकरियोंके लिथे चराई यीं। 
42. और उन में से अर्यात्‌ शिमोनियोंमें से पाच सौ पुरुष अपके ऊपर पलत्याह, नार्याह, रपायाह और उज्जीएल नाम यिशी के पुत्रोंको अपके प्रधान ठहराया; 
43. तब वे सेईद पहाड़ को गए, और जो अमेलेकी बचकर रह गए थे उनको मारा, और आज के दिन तब वहां रहते हैं।

Chapter 5

1. इस्राएल का जेठा तो रूबेन या, परन्तु उस ने जो अपके पिता के बिछौने को अशुद्व किया, इस कारण जेठे का अधिक्कारने इस्राएल के पुत्र यूसुफ के पुत्रोंको दिया गया। वंशावली जेठे के अधिक्कारने के अनुसार नहीं ठहरी। 
2. क्योकि यहूदा अपके भइयोंपर प्रबल हो गया, और प्रधान उसके वंश से हुआ परन्तु जेठे का अधिक्कारने यूसुफ का या। 
3. इस्राएल के जेठे पुत्र रूबेन के पुत्र थे हुए, अर्यात्‌ हनोक, पल्लू, हेस्रोन और कमीं। 
4. और योएल के पुत्र शमायाह, शमायाह का गोग, गोग का शिमी। 
5. शिमी का मीका, मीका का रायाह, रायाह का बाल। 
6. और बाल का पुत्र बेरा, इसको अश्शूर का राजा तिलगतपिलनेसेर बन्धुआई में ले गया; और वह रूबेनियो का प्रधान या। 
7. और उसके भाइयोंकी चंशवली के लिखते यमय वे अपके अपके कुल के अनुसार थे ठहरे, अर्यात्‌ मुख्य तो यीएल, फिर जकर्याह। 
8. और अजाज का पुत्र बेला जो शेमा का पोता और योएल का परपोता या, वह अरोएर में और नबो और बाल्मोन तक रहता या। 
9. और पूर्व ओर वह उस जंगल के सिवाने तक रहा जो परात महानद तक महुंचाता है, क्योंकि उनके पशु गिलाद देश में बढ़ गए थे। 
10. और शऊल के दिनोंमें उन्होंने हग्रियोंसे युद्ध किया, और हग्री उनके हाथ से मारे गए; तब वे गिलाद की सारी पूरबी अलंग में अपके डेरोंमें रहने लगे। 
11. गादी उनके साम्हने सल्का तक बाशान देश में रहते थे। 
12. अर्यात्‌ मुख्य तो योएल और दूसरा शापाम फिर यानै और शापात, थे बाशान में रहते थे। 
13. और उनके भाई अपके अपके पितरोंके घरानोंके अनुसार मीकाएल, मशुल्लाम, शेबा, योरै, याकान, जी और एबेर, सात थे। 
14. थे अबीहैल के पुत्र थे, जो हूरी का पुत्र या, यह योराह का पुत्र, यह गिलाद का पुत्र, यह मिकाएल का पुत्र, यह यशीशै का पुत्र, यह यहदो का पुत्र, यह बूज का पुत्र या। 
15. इनके पितरोंके घरानोंका मुख्य पूरुष अब्दीएल का पुत्र, और गूनी का पोता अही या। 
16. थे लोग बाशान में, गिलाद और उसके गांवोंमें, और शारोन की सब चराइयोंमें उसकी परली ओर तक रहते थे। 
17. इन सभोंकी वंशावली यहूदा के राजा योनातन के दिनोंऔर इस्राएल के राजा यारोबाम के दिनोंमें लिखी गई। 
18. रूबेनियों, गादियोंऔर मनश्शें के आधे गोत्र के योद्धा जो ढाल बान्धने, तलवार चलाने, और धनुष के तीर छोड़ने के योग्य और युद्ध करना सीखे हुए थे, वे चौवालीस हजार सात सौ साठ थे, जो युद्ध में जाने के योग्य थे। 
19. इन्होंने हग्रियोंऔर यतूर नापीश और नोदाब से युद्ध किया या। 
20. उनके विरुद्ध इनको सहाथता मिली, और अग्री उन सब समेत जो उनके साय थे उनके हाथ में कर दिए गए, क्योंकि युद्ध में इन्होंने परमेश्वर की दोहाई दी यी और उस ने उनकी बिनती इस कारण सुनी, कि इन्होंने उस पर भरोसा रखा या। 
21. और इन्होंने उनके पशु हर लिए, अर्याात्‌ ऊंट तो पचास हजार, भेड़-बकरी अढ़ाई लाख, गदहे दो हजार, और मनुष्य एक लाख बन्धुए करके ले गए। 
22. और बहुत से मरे पके थे क्योंकि वह लड़ाई परमेश्वर की ओर से हुई। और थे उनके स्यान में बन्शुआई के समय तक बसे रहे। 
23. फिर मनश्शे के आधे गोत्र की सन्तान उस देश में बसे, और वे बाशान से ले बाल्हेमॉन, और सनीर और हेमॉन पर्वत तक फैल गए। 
24. और उनके पितरोंके घरानोंके मुख्य पुरुष थे थे, अर्यात्‌ एपेर, यिशी, एलीएल, अज्रीएल, यिर्मयाह, होदय्याह और यहदीएल, थे बड़े वीर और नामी और अपके पितरोंके घरानोंके मुख्य पुरुष थे। 
25. और उन्होंने अपके पितरोंके परमेश्वर से विश्वासघात किया, और उस देश के लोग जिनको परमेश्वर ने उनके साम्हने से विनाश किया या, उनके देवताओं के पीछे य्यभिचारिन की नाई हो लिए। 
26. इसलिथे इस्राएल के परमेश्वर ने अश्शूर के राजा पूल और अश्शूर के राजा तिलगत्पिलनेसेर का मन उभारा, और इन्होंने उन्हें अर्यात्‌ रूबेनियों, गादियोंऔर मनश्शे के आधे गोत्र के लोगोंको बन्धुआ करके हलह, हाबोर और हारा और गोजान नदी के पास पहुंचा दिया; और वे आज के दिन तक वहीं रहते हैं।

Chapter 6

1. लेवी के पुत्र गेशॉन, कहात और मरारी। 
2. और कहात के पुत्र, अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल। 
3. और अम्राम की सन्तान हारून, मूसा और मरियंम, और हारून के पुत्र, नादाब, अबीहू, एलीआज़र और ईतामार। 
4. एलीआज़र से पीनहास, पीनहास से अबीशू। 
5. अबीशू से बुक्की, बुक्की से उज्जी। 
6. उज्जी से जरह्याह, जरह्याह से मरायोत। 
7. मरायोत से अमर्याह, अमर्याह से अहीतूब। 
8. अहीतूब से सादोक, सादोक से अहीमास। 
9. अहीमास से अजर्याह, अजर्याह से योहानान। 
10. और योहानान से अजर्याह, उत्पन्न हुआ ( जो सुलैमान के यरूशलेम में बनाए हुए भवन में याजक का काम करता या ) 
11. फिर अजर्याह से अमर्याह, अमर्याह से यहीतूब। 
12. यहीतूब से सादोक, सादोक से शल्लूम। 
13. शल्लूम से हिलकिय्याह, हिलकिय्याह से अजर्याह। 
14. अजर्याह से सरायाह, और सरायाह से यहोसादाक उत्पन्न हुआ। 
15. और जब यहोवा, यहूदा और यरूशलेम को नबूकदनेस्सर के द्वारा बन्धुआ करके ले गया, तब यहोसादाक भी बन्धुआ होकर गया। 
16. लेवी के पुत्र गेशॉम, कहात और मरारी। 
17. और गेशॉम के पुत्रोंके नाम थे थे, अर्यात्‌ लिब्नी और शिमी। 
18. और कहात के पुत्र अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल। 
19. और मरारी के पुत्र महली और मूशी और अपके अपके पितरोंके घरानोंके अनुसार लेवियोंके कुल थे हुए। 
20. अर्यात्‌, गेशॉन का पुत्र लिब्नी हुआ, लिब्नी का यहत, यहत का जिम्मा। 
21. जिम्मा का योआह, योआह का इद्दो, इद्दो का जेरह, और जेरह का पुत्र यातरै हुआ। 
22. फिर कहात का पुत्र अम्मीनादाब हुआ, अम्मीनादाब का कोरह, कोरह का अस्सीर। 
23. अस्सीर का एल्काना, एल्काना का एब्यासाप, एब्यासाप का अस्सीर। 
24. अस्सीर का तहत, तहत का ऊरीएल, ऊरीएल का उज्जिय्याह और उज्जिय्याह का पुत्र शाऊल हुआ। 
25. फिर एल्काना के पुत्र अमासै और अहीमोत। 
26. एल्काना का पुत्र सोपै, सोपै का नहत। 
27. नहत का एलीआब, एलीआब का यरोहाम, और यरोहाम का पुत्र एल्काना हुआ। 
28. और शमूएल के पुत्र, उसका जेठा योएल और दूसरा अबिय्याह हुआ। 
29. फिर मरारी का पुत्र महली, महली का लिब्नी, लिब्नी का शिमी, शिमी का उज्जा। 
30. उज्जा का शिमा; शिमा का हग्गिय्याह और हग्गिय्याह का पुत्र असायाह हुआ। 
31. फिर जिनको दाऊद ने सन्दूक के ठिकाना पाने के बाद यहोवा के भवन में गाने के अधिक्कारनेी ठहरा दियया वे थे हैं। 
32. जब तब सुलैमान यरूशलेम में यहोवा के भवन को बनवा न चुका, तब तक वे मिलापवाले तम्बू के निवास के साम्हने गाने के द्वारा सेवा करते थे; और इस सेवा में नियम के अनुसार उपस्यित हुआ करते थे। 
33. जो अपके अपके पुत्रोंसमेत उपस्यित हुआ करते थे वे थे हैं, अर्यात्‌ कहातियोंमें से हेमान गवैया जो योएल का पुत्र या, और योएल शमुएल का। 
34. शमूएल एल्काना का, एल्काना यरोहाम का, यरोहाम एलीएल का, एलीएल तोह का। 
35. तोह सूप का, सूप एल्काना का, एल्काना महत का, महत अमासै का। 
36. अमासै एल्काना का, एल्काना योएल का, योएल अजर्याह का, अजर्याह सपन्याह का। 
37. समन्याह तहत का, तहत अस्सीर का, अस्सीर एब्यासाप का, एटयासाप कोरह का। 
38. कोरह यिसहार का, यिसहार कहात का, कहात लेवी का और लेवी इस्राएल का पुत्र या। 
39. और उसका भाई असाप जो उसके दाहिने खड़ा हुआ करता या वह बेरेक्याह का पुत्र या, और बेरेक्याह शिमा का। 
40. शिमा मीकाएल का, मीकाएल बासेयाह का, बासेयाह मल्मिय्याह का। 
41. मल्किय्याह एत्नी का, एत्नी जेरह का, जेरह अदायाह का। 
42. अदायाह एतान का, एतान जिम्मा का, जिम्मा शिमी का। 
43. शिमी यहत का, यहत गेशॉम का, गेशॉम लेवी का पुत्र या। 
44. और बाई ओर उनके भाई मरारी खड़े होते थे, अर्यात्‌ एताव जो कीशी का पुत्र या, और कीशी अब्दी का, अब्दी मल्लूक का। 
45. मल्लूक हशब्याह का, हशब्याह अमस्यााह का, अमस्याह हिलकिय्याह का। 
46. हिलकिय्याह अमसी का, अमसी बानी का, बानी शेमेर का। 
47. शेमेर महली का, महली मूशी का, मूशी मरारी का, और मरारी लेवी का पुत्र या। 
48. और इनके भाई जो लेवीय थे वह परमेश्वर के भवन के निवास की सब प्रकार की सेवा के लिथे अर्पण किए हुए थे। 
49. परन्तु हारून और उसके पुत्र होपबलि की वेदी, और धूप की वेदी दोनोंपर बलिदान चढ़ाते, और परम पवित्रस्यान का सब काम करते, और इस्राएलियोंके लिथे प्रायश्चित करते थे, जैसे कि परमेश्वर के दास मूसा ने आज्ञााएं दी यीं। 
50. और हारून के वंश में थे हुए, अर्यात्‌ उसका पुत्र एलीआजर हुआ, और एलीआजर का पीनहास, पीनहास का अबीशू। 
51. अबीशू का बुक्की, बुक्की का उज्जी, उज्जी का जरह्याह। 
52. जरह्याह का मरायोत, मरायोत का अमर्याह, अमर्याह का अहीतूब। 
53. अहीतूब का सादोक और सादोक का अहीमास पुत्र हुआ। 
54. और उनके भागोंमें उनकी छावनियोंके अनुसार उनकी बस्तियां थे हैं, अर्यात्‌ कहात के कुलोंमें से पहिली चिट्ठी जो हारून की सन्तान के नाम पर निकली। 
55. अर्यात्‌ चारोंओर की चराइयोंसमेत यहूदा देश का हेब्रोन उन्हें मिला। 
56. परन्तु उस नगर के खेत और गांव यपुन्ने के पुत्र कालेब को दिए गए। 
57. और हारून की सन्तान को शरणनगर हेब्रोन, और चराइयोंसमेत लिब्ना, 
58. और यत्तीर और अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत एशतमो। हीलेन, दबीर। 
59. आशान और बेतशेमेश। 
60. और बिन्यामीन के गोत्र में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत गेबा, अल्लेमेत और अनातोत दिए गए। उनके घरानोंके सब नगर तेरह थे। 
61. और शेष कहातियोंके गोत्र के कुल, अर्यात्‌ मनश्शे के आधे गोत्र में से चिट्ठी डालकर दस नगर दिए गए। 
62. और गेशॉमियोंके कुलोंके अनुसार उन्हें इस्साकार, आशेर और नप्ताली के गोत्र, और बाशान में रहनेवाले मनश्शे के गोत्र में से तेरह नगर मिले। 
63. मरारियोंके कुलोंके अनुसार उन्हें रूबेन, गाद और जबूलून के गोत्रें में से चिट्ठी डालकर बारह नगर दिए गए। 
64. और इस्राएलियोंने लेवियोंको थे नगर चराइयोंसमेत दिए। 
65. और उन्होंने यहूदियों, शिमोनियोंऔर बिन्यामीनियोंके गोत्रोंमें से वे नगर दिए, जिनके नाम ऊपर दिए गए हैं। 
66. और कहातियोंके कई कुलोंको उनके भाग के नगर एप्रैम के गोत्र में से मिले। 
67. सो उनको अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत एप्रैम के पहाड़ी देश का शकेम जो शरण नगर या, फिर गेजेर। 
68. योकमाम, बेथेरोन। 
69. अय्यालोन और गत्रिम्मोन। 
70. और मनश्शे के आधे गोत्र में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत आनेर और बिलाम शेष कहातियोंके कुल को मिले। 
71. फिर गेशॉमियोंको मनश्शे के आधे गोत्र के कुल में से तो अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत बाशान का गोलान और अशतारोत। 
72. और इस्साकार के गोत्र में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत केदेश, दाबरात। 
73. रामोत और आनेम, 
74. और आशेर के गोत्र में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत माशाल, अब्दोन। 
75. हूकोक और रहोब। 
76. और नप्ताली के गोत्र में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत गालील का केदेश हम्मोन और किर्यातैम मिले। 
77. फिर शेष लेवियोंअर्यात्‌ मरारियोंको जबूलून के गोत्र में से तो अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत शिम्मोन और ताबोर। 
78. और यरीहो के पास की यरदन नदी की पूर्व और रूबेन के गोत्र में से तो अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत जंगल का बेसेर, यहसा। 
79. कदेमोत और मेपाता। 
80. और गाद के गोत्र में से अपक्की अपक्की चराइयोंसमेत गिलाद का रामोत महनैम, 
81. हेशोबोन और याजेर दिए गए।

Chapter 7

1. इस्साकार के पुत्र तोला, पूआ, याशूब और शिम्रोन, चार थे। 
2. और तोला के पुत्र उज्जी, रपायाह, यरीएल, यहमै, यिबसाम और शमूएल, थे अपके अपके पितरोंके घरानोंअर्यात्‌ तोला की सन्तान के मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, और दाऊद के दिनोंमें उनके वंश की गिनती बाईस हजार छ: सौ यी। 
3. और उज्जी का पुत्र यिज्रह्याह, और यिज्रह्याह के पुत्र मीकाएल, ओबद्याह, योएल और यिश्शिय्यह पांच थे; थे सब मुख्य पुरुष थे। 
4. और उनके साय उनकी वंशावलियोंऔर पितरोंके घरानोंके अनुसार सेना के दलोंके छत्तीस हजार योद्धा थे; क्योंकि उनके बहुत स्त्रियां और पुत्र थे। 
5. और उनके भाई जो इस्साकार के सब कुलोंमें से थे, वे सत्तासी हजार बड़े वीर थे, जो अपक्की अपक्की वंशावली के अनुसार गिने गए। 
6. बिन्यामीन के पुत्र बेला, बेकेर और यदीएल थे तीन थे। 
7. बेला के पुत्र : एसबोन, उज्जी, उज्जीएल, यरीमोत और ईरी थे पांच थे। थे अपके अपके पितरोंके घरातोंके मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, और अपक्की अपक्की वंशाबली के अनुसार उनकी गिनती बाईस हजार चौंतीस यी। 
8. और बेकेर के पुत्र : जमीरा, योआश, बलीएजेर, एल्योएनै, ओम्री, यरेमोत, अबिय्याह, अनातोत और आलेमेत थे सब बेकेर के पुत्र थे। 
9. थे जो अपके अपके पितरोंके घरानोंके मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, इनके वंश की गिनती अपक्की अपक्की वंशावली के अनुसार बीस हजार दो सौ यी। 
10. और यदीएल का पुत्र बिल्हान, और बिल्हान के पुत्र, यूश, बिन्यामीन, एहूद, कनाना, जेतान, तशींश और अहीशहर थे। 
11. थे सब जो यदीएल की सन्तान और अपके अपके पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, इनके वंश से सेना में युद्ध करने के याग्य सत्रह हजार दो सौ पुरुष थे। 
12. और ईर के पुत्र शुप्पीम और हुप्पीम और अहेर के पुत्र हूशी थे। 
13. नप्ताली के पुत्र, एहसीएल, गूनी, थेसेर और शल्लूम थे, थे बिल्हा के पोते थे। 
14. मनश्शे के पुत्र, अस्रीएल जो उसकी अरामी रखेली स्त्री से उत्पन्न हुआ या; और उस अरामी स्त्री ने गिलाद के पिता माकीर को भी जन्म दिया। 
15. और माकीर ( जसकी बहिन का नाम माका या ) उस ने हुप्पीम और शुप्पीम के लिथे स्त्रियां ब्याह लीं, और दूसरे का नाम सलोफाद या, और सलोफाद के बेटियां हुई। 
16. फिर माकीर की स्त्री माका के एक पुत्र उत्पन्न हुआ और उसका नाम पेरेश रखा; और उसके भाई का नाम शेरेश या; और इसके पुत्र ऊलाम और राकेम थे। 
17. और ऊलाम का पुत्र बदान। थे गिलाद की सन्तान थे जो माकीर का पुत्र और मनश्शे का पोता या। 
18. फिर उसकी बहिन हम्मोलेकेत ने ईशहोद, अबीएजेर और महला को जन्म दिया। 
19. और शमीदा के पुत्र अह्यान, शेकेम, लिखी और अनीआम थे। 
20. और एप्रैम के पुत्र शूतेलह और शूतेलह का बेरेद, बेरेद का तहत, तहत का एलादा, एलादा का तहत। 
21. तहत का जाबाद और जाबाद का पुत्र शूतेलह हुआ, और थेजेर और एलाद भी जिन्हें गत के मनुष्योंने जो उस देश में उत्पन्न हुए थे इसलिथे घात किया, कि वे उनके पशु हर लेने को उतर आए थे। 
22. सो उनका पिता एप्रैम उनके लिथे बहुत दिन शोक करता रहा, और उसके भाई उसे शांति देने को आए। 
23. और वह अपक्की पत्नी के पास गया, और उस ने गर्भवती होकर एक पुत्र को जन्म दिया और बप्रैम ने उसका नाम इस कारण बरीआ रखा, कि उसके घराने में विपत्ति पक्की यी। 
24. (और उसकी पुत्री शेरा यी, जिस ने निचले और ऊपरवाले दोनोंबेयोरान नाम नगरोंको और उज्जेनशेरा को दृढ कराया। ) 
25. उौर उसका पुत्र रेपा या, और रेशेप भी, और उसका पुत्र तेलह, तेलह का तहन, तहन का लादान, 
26. लादान का अम्मीहूद, अम्मीहूद का एलीशामा। 
27. एलीशमा का नून, और नून का पुत्र यहोशू या। 
28. और उनकी निज भूमि और बस्तियां गांवोंसमेत बेतेल और पूर्व की ओर नारान और पश्चिम की ओर गांवोंसमेत गेजेर, फिर गांवोंसमेत शकेम, और गांवोंसमेत अज्जा यीं। 
29. और मनश्शेइयोंके सिवाने के पास अपके अपके गांवोंसमेत बेतशान, तानाक, मगिद्दो और दोर। इन में इस्राएल के पुत्र युसुफ की सन्तान के लोग रहते थे। 
30. आशेर के पुत्र, यिम्ना, यिश्वा, यिश्वी और बरुीआ, और उनकी बहिन सेरह हुई। 
31. और बरीआ के पुत्र, हेबेर और मल्कीएल और यह बिजॉत का पिता हुआ। 
32. और हेबेर ने यपकेत, शोमेर, होताम और उनकी बहिन शूआ को जन्म दिया। 
33. और यपकेत के पुत्र पासक बिम्हाल और अश्वात। यपकेत के थे ही पुत्र थे। 
34. और शेमेर के पुत्र, अही, रोहगा, यहुब्बा और अराम थे। 
35. और उसके भाई हेलेम के पुत्र सोपह, यिम्ना, शेलेश और आमाल थे। 
36. और सोपह के पुत्र, सूह, हर्नेपेर, शूआल, वेरी, इम्रा। 
37. बेसेर, होद, शम्मा, शिलसा, यित्रान और बेरा थे।। 
38. और थेतेर के पुत्र, यपुन्ने, पिस्पा और अरा। 
39. और उल्ला के पुत्र, आरह, हन्नीएल और रिस्या। 
40. थे सब आशेर के वुश में हुए, और अपके अपके पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष और बड़े से बड़े वीर थे और प्रधानोंमें मुख्य थे। और थे जो अपक्की अपक्की वंशावली के अनुसार सेना में युद्ध करने के लिथे गिने गए, इनकी गिनती छब्बीस हजार यी।

Chapter 8

1. बिन्यामीन से उसका जेठा बेला, दूसरा अशबेल, तीसरा अह्रृह, 
2. चौया नोहा और पांचवां रापा उत्पन्न हुआ। 
3. और बेला के पुत्र, अद्दार, गेरा, अबीहूद। 
4. अबीशू, नामान, अहोह, 
5. गेरा, शपूपान और हूराम थे। 
6. और एहूद के पुत्र थे हुए ( गेबा के निवासियोंके पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष थे थे, जिन्हें बन्धुआई में मानहत को ले गए थे ) । 
7. और नामान, अहिय्याह और गेरा ( इन्हें भी बन्धुआ करके मानहत को ले गए थे ), और उस ने उज्जा और अहिलूद को जन्म दिया। 
8. और शहरैम से हशीम और बारा नाम अपक्की स्त्रियोंको छोड़ देने के बाद मोआब देश में लड़के उत्पन्न हुए। 
9. और उसकी अपक्की स्त्राी होदेश से योआब, सिब्या, मेशा, मल्काम, यूस, सोक्या, 
10. और मिर्मा उत्पन्न हुए उसके थे पुत्र अपके अपके पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष थे। 
11. और हूशीम से अबीतूब और एल्पाल का जन्म हुआ। 
12. एल्पाल के पुत्र एबेर, मिशाम और शेमेर, इसी ने ओनो और गांवोंसमेत लोद को बसाया। 
13. फिर वरीआ और शेमा जो अय्यालोन के निवासियोंके पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष थे, और जिन्होंने गत के निवासिक्कों भगा दिया। 
14. और अह्यो, हाासक, यरमोत। 
15. जबद्याह, अराद, एदेर। 
16. मीकाएल, यिस्पा, योहा, जो बीिआ के पुत्र थे। 
17. जबद्याह, मशुल्लाम, हिजकी, हेबर। 
18. यिशमरै, यिजलीआ, योबाब, जो एल्पाल के पुत्र थे। 
19. और याकीम, जिक्री, जब्दी। 
20. एलीएनै, सिल्लतै, एलीएल। 
21. अदायाह, बरायाह और शिम्रात जो शिमी के पुत्र थे। 
22. और यिशपान, यबेर, एलीएल। 
23. अब्दोन, जिक्री,हानान। 
24. हनन्याह, एलाम, अन्तोतिय्याह। 
25. यिपदयाह और पनूएल जो शाशक के पुत्र थे। 
26. और शमशरै, शहर्याह, अतल्याह। 
27. योरेश्याह, एलिय्याह और जिक्र जो यरोहाम के पुत्र थे। 
28. थे अपक्की अपक्की पीढ़ी में अपके अपके पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष और प्रधान थे, थे यरूशलेम में रहते थे। 
29. और गिबोन में गिबोन का पिता रहता या, जिसकी पत्नी का ताम माका या। 
30. और उसका जेठा पुत्र अब्दोन या, फिर शूर, कीश, बाल, नादाब। 
31. गदोर; अह्यो और जेकेर हुए। 
32. और मिकोत से शिमा उत्पन्न हुआ। और थे भी अपके भइयोंके साम्हने यरूशलेम में रहते थे, अपके भाइयोंही के साय। 
33. और नेर से कीश उत्पन्न हुआ, कीश से शाऊल, और शाऊल से योनातान, मलकीश, अबीनादाब, और एशबाल उत्पन्न हुआ। 
34. और योनातन का पुत्र मरीब्बाल हुआ, और मरीब्बाल से मीका उत्पन्न हुआ। 
35. और मीका के पुत्र पीतोन, मेलेक, तारे और आहाज। 
36. और आहाज से यहोअद्दा उत्पन्न हुआ। और यहोअद्दा से आलेमेत, अजमावेत और जिम्री; और जिम्री से मोसा। 
37. मोसा से बिना उत्पन्न हुआ। और इसका पुत्र रापा हुआ, रापा का एलासा और एलासा का पुत्र आसेल हुआ। 
38. और आसेल के छ: पुत्र हुए जिनके थे नाम थे, अर्यात्‌ अज्रीकाम, बोकरू, यिश्माएल, शार्याह, ओबद्याह, और हानान। थे ही सब आसेल के पुत्र थे। 
39. ओर उसके भाई एशेक के थे पुत्र हुए, अर्यात्‌ उसका जेठा ऊलाम, दूसरा यूशा, तीसरा एलीपेलेत। 
40. और ऊलाम के पुत्र शूरवीर और धनुर्धारी हुए, और उनके बहुत बेटे-पोते अर्यात्‌ डेढ़ सौ हुए। थे ही सब बिन्यामीन के वंश के थे।

Chapter 9

1. इस प्रकार सब इस्राएली अपक्की अपक्की वंशावली के अनुसार, जो इस्राएल के राजाओं के वृत्तान्त की पुस्तक में लिखी हैं, गिने गए। और यहूदी अपके विश्वासघात के कारण बन्धुआई में बाबुल को पहुंचाए गए। 
2. जो लोग अपक्की अपक्की निज भूमि अर्यात्‌ अपके नगरोंमें रहते थे, वह इस्राएली, याजक, लेवीय और नतीन थे। 
3. और यरूशलेम में कुछ यहूदी; कुछ बिन्यामीन, और कुछ एप्रैमी, और मनश्शेई, रहते थे : 
4. अर्यात्‌ यहूदा के पुत्र पेरेस के वंश में से अम्मीहूद का पुत्र ऊतै, जो ओम्री का पुत्र, और इम्री का पोता, और बानी का परपोता या। 
5. और शीलोइयोंमें से उसका जेठा पुत्र असायाह और उसके पुत्र। 
6. और जेरह के वंश में से यूएल, और इनके भई, थे छ: सौ नब्बे हुए। 
7. फिर बिन्यामीन के वंश में से सल्लू जो मशुल्लाम का पुत्र, होदय्याह का पोता, और हस्सनूआ का परपोता या। 
8. और यिब्रिय्याह जो यरोहाम का पुत्र या, एला जो उज्जी का पुत्र, और मिक्री का पोता या, और मशुल्लाम जो शपत्याह का पुत्र, रूएल का पोता, और यिब्निय्याह का परपोता या; 
9. और इनके भाई जो अपक्की अपक्की वंशावली के अनुसार मिलकर नौ सौ छप्पन। थे सब पुरुष अपके अपके पितरोंके घरानोंके अनुसार पितरोंके घरानोंमें मुख्य थे। 
10. और याजकोंमें से यदायाह, यहोयारीब और याकीन, 
11. और अजर्याह जो परमेश्वर के भवन का प्रधान और हिलकिय्याह का पुत्र या, यह पशुल्लाम का पुत्र, यह सादोक का पुत्र, यह मरायोत का पुत्र, यह अहीतूब का पुत्र या। 
12. और अदायाह जो यरोहाम का पुत्र या, यह पशहूर का पुत्र, यह मल्कियाह का पुत्र, यह मासै का पुत्र, यह अदोएल का पुत्र, यह जेरा का पुत्र, यह पशुल्लाम का पुत्र, यह मशिल्लीत का पुत्र, यह इम्मेर का पुत्र या। 
13. और उनके भाई थे, जो अपके अपके पितरोंके घरानोंमें सत्रह सौ साठ मुख्य पुरुष थे, वे परमेश्वर के भवन की सेवा के काम में बहुत निपुण पुरुष थे। 
14. फिर लेवियोंमें से मरारी के वंश में से शमायाह जो हश्शूव का पुत्र, अज्रीकाम का पोता, और हशय्याह का परपोता या। 
15. और बकबक्कर, हेरेश और गालाल और आसाप के वंश में से मत्तन्याह जो मीका का पुत्र, और जिक्री का पोता या। 
16. और ओबद्याह जो शमायाह का पुत्र, गालाल का पोता और यदूतून का परपोता या, और बेरेक्याह जो आसा का पुत्र, और एल्काना का पोता या, जो नतोपाइयोंके गांवोंमें रहता या। 
17. ओर द्वारपालोंमें से अपके अपके भइयोंसहित शल्लूम, अक्कूब, तल्मोन और अहीमान, उन में से मुख्य तो शल्लूम या। 
18. और वह अब तक पूर्व ओर राजा के फाटक के पास द्वारपाली करता या। लेवियोंकी छावनी के द्वारपाल थे ही थे। 
19. और शल्लूम जो कोरे का पुत्र, एब्यासाप का पोता, और कोरह का परपोता या, और उसके भाई जो उसके मूलपुरुष के घराने के अर्यात्‌ कोरही थे, वह इस काम के अधिक्कारनेी थे, कि वे तम्बू के द्वारपाल हों। उनके पुरखा तो यहोवा की छावनी के अधिक्कारनेी, और पैठाव के रवावाले थे। 
20. और अगले समय में एलीआज़र का पुत्र पीनहास जिसके संग यहोवा रहता या वह उनका प्रधान या। 
21. मेशेलेम्याह का पुत्र जकर्याह मिलापवाले तम्बू का द्वारपाल या। 
22. थे सब जो द्वारपाल होने को चुने गए, वह दो सौ बारह थे। थे जिनके पुरखाओं को दाऊद और शमूएल दशीं ने विश्वासयोग्य जानकर ठहराया या, वह अपके अपके गांव में अपक्की अपक्की वंशावली के अनुसार गिने गए। 
23. सो वे और उनकी सन्तान यहोवा के भवन अर्यात्‌ तम्बू के भवन के फाटकोंका अधिक्कारने बारी बारी रखते थे। 
24. द्वारपाल पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्खिन, चारोंदिशा की ओर चौकी देते थे। 
25. ओर उनके भाई जो गांवोंमें रहते थे, उनको सात सात दिन के बाद बारी बारी से उनके संग रहने के लिथे आना पड़ता या। 
26. क्योंकि चारोंप्रधान द्वारपाल जो लेवीय थे, वे विश्वासयोग्य जानकर परमेश्वर के भवन की कोठरियोंऔर भण्डारोंके अधिक्कारनेी ठहराए गए थे। 
27. और वे परमेश्वर के भवन के आसपास इसलिथे रात बिताते थे, कि उसकी रझा उन्हें सौंपी गई यी, और भोर-भोर को उसे खोलना उन्हीं का काम या। 
28. और उन में से कुछ उपासना के पात्रोंके अधिक्कारनेी थे, क्योंकि थे गिनकर भीतर पहुंचाए, और गिनकर बाहर तिकाले भी जाते थे। 
29. और उन में से कुछ सामान के, और पवित्रस्यान के पात्रोंके, और मैदे, दाखमधु, तेल, लोबान और सुगन्धद्रय्योंके अधिक्कारनेी ठहराए गए थे। 
30. और याजकोंके पुत्रोंमें से कुछ सुगन्धद्रय्योंमें गंधी का काम करते थे। 
31. और मतित्याह नाम एक लेवीय जो कोरही शल्लूम का जेठा या उसे बिश्वासयोग्य जानकर तवोंपर बनाई हुई वस्तुओं का अधिक्कारनेी नियुक्त किया या। 
32. और उसके भइयोंअर्यात कहातियोंमें से कुछ तो भंटवाली रोटी के अधिक्कारनेी थे, कि हर एक विश्रमदिन को उसे तैयार किया करें। 
33. और थे गवैथे थे जो लेवीय पितरोंके घरानोंमें मुख्य थे, और कोठरियोंमें रहते, और उाौर काम से छूटे थे; क्योंकि वे रात-दिन अपके काम में लगे रहते थे। 
34. थे ही अपक्की अपक्की पीढ़ी में लेवियोंके पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष थे, थे यरूशलेम में रहते थे। 
35. और गिबोन में गिबोन का पिता यीएल रहता या, जिसकी पत्नी का नाम माका य। 
36. उसका जेठा पुत्र अब्दोन हुआ, फिर सुर, कीश, बाल, नेर, नादाब। 
37. गदोर, अह्यो, जकर्याह और मिल्कोत। 
38. और मिल्कोत से शिमाम उत्पन्न हुआ और थे भी अपके भइयोंके साम्हने अपके भइयोंके संग यरूशलेम में रहते थे। 
39. और नेर से कीश, कीश से शाऊल, और शाऊल से योनातान, मल्कीश, अबीनादाब और एशबाल उत्पन्न हुए। 
40. और योनातान का पुत्र मरीब्बाल हुआ, और मरीब्बाल से मीका उत्पन्न हुआ। 
41. और मीका के पुत्र पीतोन, मेलेक, तह्रे और अहाज थे। 
42. और अहाज से यारा और यारा से आलेमेत, अजमावेत और जिम्री, और जिम्री से मोसा। 
43. और मोसा से बिना उत्पन्न हुआ और बिना का पुत्र रपायाह हुआ, रपायाह का एलासा, और एलासा का पुत्र आसेल हुआ। 
44. और आसेल के छ: पुत्र हुए जिनके थे नाम थे, अर्यात्‌ अज्रीकाम, बोकरू, यिश्माएल, शार्याह, ओबद्याह और हतान; आसेल के थे ही पुत्र हुए।

Chapter 10

1. पलिश्ती इस्राएलियोंसे लड़े; और इस्राएली पलिश्तियोंके साम्हने से भागे, और गिलबो नाम पहाड़ पर मारे गए। 
2. और पलिश्ती शाऊल और उसके पुत्रोंके पीछे लगे रहे, और पलिश्तियोंने शाऊल के पुत्र योनातान, अबीनादाब और मल्कीशू को मार डाला। 
3. और शाऊल के साय धमासान युद्ध होता रहा और धनुर्धारियोंने उसे जा लिया, और वह उनके कारण य्याकुल हो गया। 
4. तब शाऊल ने अपके हयियार ढोनेवाले से कहा, अपक्की तलवार खींचकर मुझे फोंक दे, कहीं ऐसा न हो कि वे खतनारहित लोग आकर मेरी ठट्ठा करें, परन्तु उसके हय्यािर ढोनेवाले ने भयभीत होकर ऐसा करने से इनकार किया, तब शाऊल अपक्की तलवार खड़ी करके उस पर गिर पड़ा। 
5. यह देखकर कि शाऊल मर गया है उसका हयियार ढोनेपसल भी अपक्की तलवार पर आप गिरकर मर गया। 
6. योंशाऊल और उसके तीनोंपुत्र, और उसके घराने के सब लोग एक संग मर गए। 
7. यह देखकर कि वे भाग गए, और शाऊल और उसके पुत्र मर गए, उस तराई में रहनेवाले सब इस्राएली मनुष्य अपके अपके नगर को छोड़कर भाग गए; और पलिश्ती आकर उन में रहने लगे। 
8. दूसरे दिन जब पलिश्ती मारे हुओं के माल को लूटने आए, तब उनको शाऊल और उसके पुत्र गिलबो पहाड़ पर पके हुए मिले। 
9. तब उन्होंने उसके वस्त्रें को उतार उसका सिर और हयियार ले लिया और पलिश्तियोंके देश के सब स्यानोंमें दूतोंको इसलिथे भेजा कि उनके देवताओं और साधारण लोगोंमें यह शुभ समाचार देते जाएं। 
10. तब उन्होंने उसके हयियार अपके देवालय में रखे, और उसकी खोपक्की को दागोन के मन्दिर में लटका दिया। 
11. जब गिलाद के याबेश के सब लोगोंने सुना कि पलिश्तियोंने शाऊल से क्या क्या किया है। 
12. तब सब शूरवीर चले और शाऊल और उसके पुत्रोंकी लोथें उठाकर याबेश में ले आए, और उनकी हड्डियोंको याबेश में एक बांज वृझ के तले गाड़ दिया और सात दिन तक अनशन किया। 
13. योंशाऊल उस विश्वासघात के कारण मर गया, जो उस ने यहोवा से किया या; क्योंकि उस ने यहोवा का वचन टाल दिया या, फिर उस ने भूतसिद्धि करनेवाली से पूछकर सम्मति ली यी। 
14. उस ने यहोवा से न पूछा या, इसलिथे यहोवा ने उसे मारकर राज्य को यिशै के पुत्र दाऊद को दे दिया।

Chapter 11

1. तब सब इस्राएली दाऊद के पास हेब्रोन में इकट्ठे होकर कहने लगे, सुन, हम लोग और तू एक ही हड्डी और मांस हैं। 
2. अगले दिनोंमें जब शाऊल राजा या, तब भी इस्राएलियोंका अगुआ तू ही या, और तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझ से कहा, कि मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा, और मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान, तू ही होगा। 
3. इसलिथे सब इस्राएली पुरनिथे हेब्रोन में राजा के पास उाए, और दाऊद ने उनके साय हेब्रोन में यहोवा के साम्हने वाचा बान्धी; और उन्होंने यहोवा के वचन के अनुसार, जो उस ने शमूएल से कहा या, इस्राएल का राजा होने के लिथे दाऊद का अभिषेक किया। 
4. तब सब इस्राएलियोंसमेत दाऊद यरूशलेम गया, जो यबूस भी कहलाता या, और वहां यबूसी नाम उस देश के निवासी रहते थे। 
5. तब यबूस के निवासियोंने दाऊद से कहा, तू यहां आने नहीं पाएगा। तौभी दाऊद ने सिय्योन नाम गढ़ को ले लिया, वही दाऊदपुर भी कहलाता है। 
6. और दाऊद ने कहा, जो कोई यबूसिक्कों सब से पहिले मारेगा, वह मुख्य सेनापति होगा, तब सरूयाह का पुत्र योआब सब से पहिले चढ़ गया, और सेनापति बन गया। 
7. और दाऊद उस गढ़ में रहने लगा, इसलिथे उसका नाम दाऊदपुर पड़ा। 
8. और उस ने नगर के चारोंओर, अर्यात्‌ मिल्लो से लेकर चारोंओर शहरपनाश् बनवाई, और योआब ने शेष नगर के खष्डहरोंको फिर बसाया। 
9. और दाऊद की प्रतिष्ठा अधिक बढ़ती गई और सेनाओं का यहोवा उसके संग या। 
10. यहोवा ने इस्राएल के विष्य जो वचन कहा या, उसके अनुसार दाऊद के जिन शूरवीरोंने सब इस्राएलियोंसमेत उसके राज्य में उसके पझ में होकर, उसे राजा बनाने को ज़ोर दिया, उन में से मुख्य पुरुष थे हैं। 
11. दाऊद के शूरवीरोंकी नामावली यह है, अर्यात्‌ किसी हक्मोनी का पुत्र याशोबाम जो तीसोंमें मुखय य, उस ने तीन सै पुरुषोंपर भाला चला कर, उन्हें एक ही समय में मार डाला। 
12. उसके बाद अहोही दोदो का पुत्र एलीआज़र जो तीनोंमहान वीरोंमें से एक या। 
13. वह पसदम्मीम में जहां जव का एक खेत या, दाऊद के संग रहा जब पलिश्ती वहां युद्ध करने को इाट्ठे हुए थे, और लोग पलिश्तियोंके साम्हने से भाग गए। 
14. तब उन्होंने उस खेत के बीच में खड़े होकर उसकी रझा की, और पलिश्तियोंको मारा, और यहोवा ने उनका बड़ा उद्धार किया। 
15. और तीसोंमुख्य पुरुषोंमें से तीन दाऊद के पास चट्टान को, अर्यात्‌ अदुल्लाम नाम गुफा में गए, और पलिश्तियोंकी छावनॉं रपाईम नाम तराई में पक्की इुई यी। 
16. उस समय दाऊद गढ़ में या, और उस समय पलिश्तियोंकी एक चौकी बेतलेहेम में यी। 
17. तब दाऊद ने बड़ी अभिलाषा के साय कहा, कौन मुझे बेतलेहेम के फाटक के पास के कुएं का पानी पिलाएगा। 
18. तब वे तीनोंजन पलिश्तियोंकी छावनी में टूट पके और बेतलेहेम के फाटक के कुएं से पानी भरकर दाऊद के पास ले आए; परन्तु दाऊद ने पीने से इनकार किया और यहोवा के साम्हने अर्ध करके उण्डेला। 
19. और उस ने कहा, मेरा परमेश्वर मुझ से ऐसा करना दूर रखे; क्या मैं इन मनुष्योंका लोहू पीऊं जिन्होंने अपके प्राणोंपर खेला है? थे तो अपके प्राण पर खेलकर उसे ले आए हैं। इसलिथे उस ने वह पानी पीने से इनकार किया। इन तीन वीरोंने थे ही काम किए। 
20. और अबीशै जो योआब का भाई या, वह तीनोंमें मुख्य या। और उस ने अपना भाला चलाकर तीन सौ को मार डाला और तीनोंमें नामी हो गया। 
21. दूसरी श्र्ेणी के तीनोंमें वह अधिक प्रतिष्ठित या, और उनका प्रधान हो गया, परन्तु मुख्य तीनोंका पद को न पहुंचा। 
22. यहोयादा का पुत्र बनायाह या, जो कबजेल के एक वीर का पुत्र या, जिस ने बड़े बड़े काम किए थे, उस ने सिंह समान दो मोआबियोंको मार डाला, और हिमऋतु में उस ने एक गड़हे में उतर के एक सिंह को मार डाला। 
23. फिर उस ने एक डीलवाले अर्यात्‌ पांच हाथ लम्बे मिस्री पुरुष को मार डाला, वह मिस्री हाथ में जुलाहोंका ढेका का एक भाला लिए हुए या, परन्तु बनायाह एक लाठी ही लिए हुए उसके पास गया, और मिस्री के हाथ से भाले को छीनकर उसी के भाले से उसे घात किया। 
24. ऐसे ऐसे काम करके यहोयादा का पुत्र बनायाह उन तीनोंवीरोंमें नामी हो गया। 
25. वह तो तीसोंसे अधिक प्रतिष्ठित या, परन्तु मुख्य तीनोंके पद को न पहुंचा। उसको दाऊद ने अपक्की निज सभा में सभासद किया। 
26. फिर दलोंके वीर थे थे, अर्यात्‌ योआब का भाई असाहेल, बेतलेहेमी दोदो का पुत्र एल्हानान। 
27. हरोरी शम्मोत, पलोनी हेलेस। 
28. तकोई इक्केश का पुत्र ईरा, अनातोती अबीएजेर। 
29. सिब्बके होसाती, अहोही ईलै। 
30. महरै नतोपाई, एक और नतोपाई बाना का पुत्र हेलेद। 
31. बिन्यामीनियोंके गिबा नगरवासी रीबै का पुत्र इतै, पिरातोनी बनायाह। 
32. गाशके नालोंके पास रहनेवाला हूरै, अराबावासी अबीएल। 
33. बहूरीमी अजमावेत, शल्बोनी एल्यहबा। 
34. गीजोई हाशेम के पुत्र, फिर हरारी शागे का पुत्र योनातान। 
35. हरारी सकार का पुत्र अहीआम, ऊर का पुत्र एलीपाल। 
36. मकेराई हेपेर, पलोनी अहिय्याह। 
37. कर्मेली हेस्रो, एज्बै का पुत्र नारै। 
38. नातान का भाई योएल, हग्री का पुत्र मिभार। 
39. मम्मोनी सेलेक, बेरोती नहरै जो सरूयाह के पुत्र योआब का हयियार ढोनेवाला या। 
40. थेतेरी ईरा और गारेब। 
41. हित्ती ऊरिय्याह, अहलै का पुत्र जाबाद। 
42. तीस पुरुषोंसमेत रूबेनी शीजा का पुत्र अदीना जो रूबेनियोंका मुखिया या। 
43. माका का पुत्र हानान, मेतेनी योशापात। 
44. अशतारोती उज्जिय्याह, अरोएरी होताम के पुत्र शामा और यीएल। 
45. शिम्री का पुत्र यदीएल और उसका भाई तीसी, योहा। 
46. महवीमी एलीएल, एलनाम के पुत्र यरीबै और योशय्याह, 
47. मोआबी यित्मा, एलीएल, ओबेद और मसोबाई यासीएल।

Chapter 12

1. जब दाऊद सिकलग में कीश के पुत्र शाऊल के डर के मारे छिपा रहता या, तब थे उसके पास वहां आए, और थे उन वीरोंमें से थे जो युद्ध में उसके सहाथक थे। 
2. थे धनुर्धारी थे, जो दाहिने-बाथें, दोनोंहाथोंसे गोफन के पत्यर और धनुष के तीर चला सकते थे; और थे शाऊल के भाइयोंमें से बिन्यामीनी थे। 
3. मुख्य तो अहीएजेर और दूसरा योआश या जो गिबावासी शमाआ का पुत्र या; फिर अजमावेत के पुत्र यजीएल और पेलेत, फिर बराका और अनातोती थेहू। 
4. और गिबोनी यिशमायाह जो तीसोंमें से एक वीर और उनके ऊपर भी या; फिर यिर्मयाह, यहजीएल, योहानान, गदेरावासी योजाबाद। 
5. एलूजै, यरीमोत, बाल्याह, शमर्याह, हारूपी शपत्याह। 
6. एल्काना, यिशिय्याह, अजरेल, योएजेर, याशोबाम, जो सब कोरहवंशी थे। 
7. और गदोरवासी यरोहाम के पुत्र योएला और जबद्याह। 
8. फिर जब दाऊद जंबल के गढ़ में रहता या, तब थे गादी जो शूरवीर थे, और युद्ध विद्या सीखे हुए और ढाल और भाला काम में लानेवाले थे, और उनके मुह सिंह के से और वे पहाड़ी मृग के समान वेग से दौड़नेवाले थे, थे और गादियोंसे अलग होकर उसके पास आए। 
9. अर्यात्‌ मुख्य तो एजेर, दूसरा ओबद्याह, तीसरा एलीआब। 
10. चौया मिश्मन्ना, पांचपां यिर्मयाह। 
11. छठा अत्तै, सातवां एलीएल। 
12. आठवां योहानान, नौवां एलजाबाद। 
13. दसवां यिर्मयाह और ग्यारहवां मकबन्नै या। 
14. थे गादी मुख्य योद्धा थे, उन में से जो सब से छोटा या वह तो एक सौ के ऊपर, और जो सब से बड़ा या, वह हजार के ऊपर या। 
15. थे ही वे हैं, जो पहिले महीने में जब यरदन नदी सब कड़ाड़ोंके ऊपर ऊपर बहती यी, तब उसके पार उतरे; और पूर्व और पश्चिम दानोंओर के सब तराई के रहनेवालोंको भगा दिया। 
16. और कई एक बिन्यामीनी और यहूदी भी दाऊद के पास गढ़ में आए। 
17. उन से मिलने को दाऊद निकला और उन से कहा, यदि तुम मेरे पास मित्रभाव से मेरी सहाथता करने को आए हो, तब तो मेरा मन तुम से लगा रहेगा; परन्तु जो तुम मुझे धोखा देकर मेरे शत्रुओं के हाथ पकड़वाने आए हो, तो हमारे पितरोंका परमेश्वर इस पर दृष्टि करके डांटे, क्योंकि मेरे हाथ से कोई उपद्रव नहीं हुआ। 
18. अब आत्मा अमासै में समाया, जो तीसोंवीरोंमें मुख्य या, और उस ने कहा, हे दाऊद ! हम तेरे हैं; हे यिशै के पुत्र ! हम तेरी ओर के हैं, तेरा कुशल ही कुशल हो और तेरे सहाथकोंका कुशल हो, क्योंकि तेरा परमेश्वर तेरी सहाथता किया करता है। इसलिथे दाऊद ने उनको रख लिया, और अपके दल के मुखिथे ठहरा दिए। 
19. फिर कुछ मनश्शेई भी उस समय दाऊद के पास भाग गए, जब वह पलिश्तियोंके साय होकर शाऊल से लड़ने को गया, परन्तु उसकी कुछ सहाथता न की, क्योंकि पलिश्तियोंके सरदारोंने सम्मति लेने पर वह कहकर उसे बिदा किया, कि वह हमारे सिर कटवाकर अपके स्वामी शाऊल से फिर मिल जाएगा। 
20. जब वह सिक्लग को जा रहा या, तब थे मनश्शेई उसके पास भाग गए; अर्यात्‌ अदना, योजाबाद, यदीएल, मीकाएल, योजाबाद, एलीहू और सिल्लतै जो मनश्शे के हजारोंके मुखिथे थे। 
21. इन्होंने लुटेरोंके दल के विरुद्ध दाऊद की सहाथता की, क्योंकि थे सब शूरवीर थे, और सेना के प्रधान भी बन गए। 
22. वरन प्रतिदिन लोग दाऊद की सहाथता करने को उसके पास आते रहे, यहां तक कि परमेश्वर की सेना के समान एक बड़ी सेना बन गई। 
23. फिर लोग लड़ने के लिथे हयियार बान्धे हुए होब्रोन में दाऊद के पास इसलिथे आए कि यहोवा के वचन के अनुसार शाऊल का राज्य उसके हाथ में कर दें : उनके मुखियोंकी गिनती यह है। 
24. यहूदा के ढाल और भाला लिए हुए छ: हजार आठ सौ हयियारबन्ध लड़ने को बाए। 
25. शिमोनी सात हजार एक सौ तैयार शूरवीर लड़ने को आए। 
26. लेवीय चार हजार छ: सौ आए। 
27. और हारून के घराने का प्रधान यहोयादा या, और उसके साय तीन हजार सात सौ आए। 
28. और सादोक नाम एक जवान वीर भी आया, और उसके पिता के घराने के बाईस प्रधान आए। 
29. और शाऊल के भाई बिन्यामीनियोंमें से तीन हजार आए, क्योंकि उस समय तक आधे बिन्यामीनियोंसे अधिक शाऊल के घराने का पझ करते रहे। 
30. फिर एप्रैमियोंमें से बड़े वीर और अपके अपके पितरोंके घरानोंमें नामी पुरुष बीस हजार आठ सौ आए। 
31. और मनश्शे के आधे गोत्र में से दाऊद को राजा बनाने के लिथे अठारह हजार आए, जिनके नाम बताए गए थे। 
32. और इस्साकारियोंमें से जो समय को पहचानते थे, कि इस्राएल को क्या करना उचित है, उनके प्रधान दो सौ थे; और उनके सब भाई उनकी आज्ञा में रहते थे। 
33. फिर जबूलून में से युद्ध के सब प्रकार के हयियार लिए हुए लड़ने को पांति बान्धनेवाले योद्धा पचास हजार आए, वे पांति बान्ध्नेवाले थे : और चंचल न थे। 
34. फिर नप्ताली में से प्रधान तो एक हजार, और उनके संग ढाल और भाला लिए सैंतीस हजार आए। 
35. और दानियोंमें से लड़ने के लिथे पांति बान्धनेवाले अठाईस हजार छ: सौ आए। 
36. और आशेर में से लड़ने को पांति बान्धनेवाले चालीस हजार योद्धा आए। 
37. और यरदन पार रहनेवाले रूबेनी, गादी और मनश्शे के आधे गोत्रियोंमें से युद्ध के सब प्रकार के हयियार लिए हुए एक लाख बीस हजार आए। 
38. थे सब युद्ध के लिथे पांति बान्धनेवाले दाऊद को सारे इस्राएल का राजा बनाने के लिथे हेब्रोन में सच्चे मन से आए, और और सब इस्राएली भी दाऊद को राजा बनाने के लिथे सहमत थे। 
39. और वे वहां तीन दिन दाऊद के संग खाते पीते रहे, क्योंकि उनक भाइयोंने उनके लिथे तैयारी की यी। 
40. और जो उनके निकट वरन इस्साकार, जबूलून और नप्ताली तक रहते थे, वे भी गदहों, ऊंटों, खच्चरोंऔर बैलोंपर मैदा, अंजीरोंऔर किशमिश की टिकियां, दाखमधु और तेल आदि भोजनवस्तु लादकर लाए, और बैल और भेड़-बकरियां बहुतायत से लाए; क्योंकि इस्राएल में आनन्द मनाया जारहा या।

Chapter 13

1. और दाऊद ने सहस्त्रपतियों, शतपतियोंऔर सब प्रधानोंसे सम्मति ली। 
2. तब दाऊद ने इस्राएल की सारी मण्डली से कहा, यदि यह तुम को अच्छा लगे और हमारे परमेश्वर की इच्छा हो, तो इस्राएल के सब देशोंमें जो हमारे भाई रह गए हैं और उनके साय जो याजक और लेवीय अपके अपके चराईवाले नगरोंमें रहते हैं, उनके पास भी यह कहला भेजें कि हमारे पास इकट्ठे हो जाओ। 
3. और हम अपके परमेश्वर के सन्दमक को अपके यहां ले आएं; क्योंकि शाऊल के दिनोंमें हम उसके समीप नहीं जाते थे। 
4. और समस्त मण्डली ने कहा, हम ऐसा ही करेंगे, क्योंकि यह बात उन सब लोगोंकी दृष्टि में उचित मालूम हुई। 
5. तब दाऊद ने मिस्र के शीहोर से ले हमात की घाटी तब के सब इस्राएलियोंको इसलिथे इकट्ठा किया, कि परमेश्वर के सन्दूक को किर्यत्यारीम से ले आए। 
6. तब दाऊद सब इस्राएलियोंको संग लेकर बाला को गया, जो किर्यत्यारीम भी कहलाता और यहूदा के भाग में या, कि परमेश्वर यहोवा का सन्दूक वहां से ले आए; वह तो करूबोंपर विराजनेवाला है, और उसका नाम भी यही लिया जाता है। 
7. तब उन्होंने परमेश्वर का सन्दूक एक नई गाड़ी पर चढ़ाकर, अबीनादाब के घर से निकाला, और उज्जा और अह्यो उस गाड़ी को हांकने लगे। 
8. और दाऊद और सारे इस्राएली परमेश्वर के साम्हने तन मन से गीत गाते और बीणा, सारंगी, डफ, फांफ और तुरहियां बजाते थे। 
9. जब वे कीदोन के खलिहान तक आए, तब उज्जा ने अपना हाथ सन्दूक यामने को बढ़ाया, क्योंकि बैलोंने ठोकर खाई यी। 
10. तब यहोवा का कोप उज्जा पर भड़क उठा; और उस ने उस को मारा क्योंकि उस ने सन्दूक पर हाथ लगाया या; वह वहीं परमेश्वर के साम्हने मर गया। 
11. तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिथे कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा या; और उस ने उस स्यान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज तक बना है। 
12. और उस दिन दाऊद परमेश्वर से डरकर कहने लगा, मैं परमेश्वर के सन्दूक को अपके यहां कैसे ले आऊं? 
13. तब दाऊद ने सन्दूक को अपके यहां दाऊदपुर में न लाया, परन्तु ओबेदेदोम नाम गती के यहां ले गया। 
14. और परमेश्वर का सन्दूक ओबेदेदोम के यहां उसके घराने के पास तीन महीने तक रहा, और यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर और जो कुछ उसका या उस पर भी आशीष दी।

Chapter 14

1. और सोर के राजा हीराम ने दाऊद के पास दूत भेजे, और उसका भवन बनाने को देवदारु की लकड़ी और राज और बढ़ई भेजे। 
2. और दाऊद को निश्चय हो गया कि यहोवा ने मुझे इस्राएल का राजा करके स्यिर किया, क्योंकि उसकी प्रजा इस्राएल के निमित्त उसका राज्य अत्यन्त बढ़ गया या। 
3. और यरूशलेम में दाऊद ने और स्त्रियां ब्याह लीं, और उन से और बेटे-बेटियां उत्पन्न हुई। 
4. उसके जो सन्तान यरूशलेम में उत्पन्न हुए, उनके नाम थे हैं : अर्यात्‌ शम्मू,शोबाब, नातान, सुलैमान; 
5. यिभार, एलीशू, एलपेलेत; 
6. नोगह, नेपेग, यापी, एलीशामा, 
7. बेल्यादा और एलीपेलेद। 
8. जब पलिश्तियोंने सुना कि पूरे इस्राएल का राजा होने के लिथे दाऊद का अभिषेक हुआ, तब सब पलिश्तियोंने दाऊद की खोज में चढ़ाई की; यह सुनकर दाऊद उनका साम्हना करने को निकल गया। 
9. और पलिश्ती आए और रपाईम नाम तराई में धावा मारा। 
10. तब दाऊद ने परमेश्वर से पूछा, क्या मैं पलिश्तियोंपर चढ़ाई करूं? और कया तू उन्हें मेरे हाथ में कर देगा? यहोवा ने उस से कहा, चढ़ाई कर, क्योंकि मैं उन्हें तेरे हाथ में कर दूंगा। 
11. इसलिथे जब वे बालपरासीम को आए, तब दाऊद ने उन को वहीं मार लिया; तब दाऊद ने कहा, परमेश्वर मेरे द्वारा मेरे शत्रुओं पर जल की धारा की नाई टूट पड़ा है। इस कारण उस स्यान का नाम बालपरासीम रखा गया। 
12. वहां वे अपके देवताओं को छोड़ गए, और दाऊद को आज्ञा से वे आग लगाकर फूंक दिए गए। 
13. फिर दूसरी बार पलिश्तियोंने उसी तािई में धावा मारा। 
14. तब दाऊद ने परमेश्वर से फिर पूछा, और परमेश्वर ने उस से कहा, उनका पीछा मत कर; उन से मुड़कर तूत के वृझोंके साम्हने से उन पर छापा मार। 
15. और जब तूत के वृझोंकी फुनगियोंमें से सेना के चलने की सी आहट तुझे सुन पके, तब यह जानकर युद्ध करने को निकल जाना कि परमेश्वर पलिश्तियोंकी सेना को मारने के लिथे तेरे आगे जा रहा है। 
16. परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार दाऊद ने किया, और इस्राएलियोंने पलिश्तियोंकी सेना को गिबोन से लेकर गेजेर तक मार लिया। 
17. तब दाऊद की कीत्तिर् सब देशोंमें फैल गई, और यहोवा ने सब जातियोंके मन में उसका भय भर दिया।

Chapter 15

1. तब दाऊद ने दाऊदपुर में भवन बनवाए, और परमेश्वर के सन्दूक के लिथे एक स्यान तैयार करके एक तम्बू खड़ा किया। 
2. तब दाऊद ने कहा, लेवियोंको छोड़ और किसी को परमेश्वर का सन्दूक उठाना नहीं चाहिथे, क्योंकि यहोवा ने उनको इसी लिथे चुना है कि वे परमेश्वर का सन्दूक उठाएं और उसकी सेवा टहल सदा किया करें। 
3. तब दाऊद ने सब इस्राएलियोंको यरूशलेम में इसलिथे इाट्ठा किया कि यहोवा का सन्दूक उस स्यान पर पहुंचाएं, जिसे उस ने उसके लिथे तैयार किया या। 
4. इसलिथे दाऊद ने हारून के सन्तानोंऔर लेवियोंको इकट्ठा किया : 
5. अर्यात्‌ कहातियोंमें से ऊरीएल नाम प्रधान को और उसके एक सौ बीस भाइयोंको; 
6. मरारियोंमें से असायाह नाम प्रधान को और उसके दो सौ बीस भाइयोंको; 
7. गेशॉमियोंमें से योएल नाम प्रधान को और उसके एक सौ तीस भाइयोंको; 
8. एलीसापानियोंमें से शमायाह नाम प्रधान को और उसके दो सौ भाइयोंको; 
9. हेब्रोनियोंमें से एलीएल नाम प्रधान को और उसके अस्सी भाइयोंको; 
10. और उज्जीएलियोंमें से अम्मीनादाब नाम प्रधान को और उसके एक सौ बारह भाइयोंको। 
11. तब दाऊद ने सादोक और एब्यातार नाम याजकोंको, और ऊरीएल, असायाह, योएल, शमायाह, एलीएल और अम्मीनादाब नाम लेवियोंको बुलवाकर उन से कहा, 
12. तुम तो लेवीय पितरोंके घरानोंमें मुख्य पुरुष हो; इसलिथे अपके भाइयोंसमेत अपके अपके को पवित्र करो, कि तुम इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का सन्दूक उस स्यान पर पहुंचा सको जिसको मैं ने उसके लिथे तैयार किया है। 
13. क्योंकि पहिली बार तुम ने उसको न उठाया इस कारण हमारा परमेश्वर यहोवा हम पर टूट पड़ा, क्योंकि हम उसकी खोज में नियम के अनुसार न लगे थे। 
14. तब याजकोंऔर लेवियोंने अपके अपके को पवित्र किया, कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का सन्दूक ले जा सकें। 
15. तब उस आज्ञा के अनुसार जो मूसा ने यहोवा का वचन सुनकर दी यी, लेवियोंने सन्दूक को डंडोंके बल अपके कंधोंपर उठा लिया। 
16. और दाऊद ने प्रधान लेवियोंको आज्ञा दी, कि अपके भाई गवैयोंको बाजे अर्यात्‌ सारंगी, वीणा और फांफ देकर बजाने और आनन्द के साय ऊंचे स्वर से गाने के लिथे नियुक्त करें। 
17. तब लेवियोंने योएल के पुत्र हेमान को, और उसके भाइयोंमें से बेरेक्याह के पुत्र आसाप को, और अपके भाई मरारियोंमें से कूशायाह के पुत्र एतान को ठहराया। 
18. और उनके साय उन्होंने दूसरे पद के अपके भाइयोंको अर्यात्‌ जकर्याह, बेन, याजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, बनायाह, मासेयाह, मत्तित्याह, एलीपकेह, मिकनेयाह, और ओबेदेदोम और पीएल को जो द्वारपाल थे ठहराया। 
19. योंहेमान, आसाप और एतान नाम के गवैथे तो पीतल की फांफ बजा बजाकर राग चलाने को; 
20. और जकर्याह, अजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, मासेयाह, और बनायाह, अलामोत, नाम राग में सारंगी बजाने को; 
21. और मत्तित्याह, एलीपकेह, मिकनेयाह ओबेदेदोम, यीएल और अजज्याह वीणा खर्ज में छेड़ने को ठहराए गए। 
22. और राग उठाने का अधिक्कारनेी कनन्याह नाम लेवियोंका प्रधान या, वह राग उठाने के विषय शिझा देता या, क्योंकि वह निपुण या। 
23. और बेरेक्याह और एलकाना सन्दूक के द्वारपाल थे। 
24. और शबन्याह, योशापात, नतनेल, अमासै, जकर्याह, बनायाह और एलीएजेर नाम याजक परमेश्वर के सन्दूक के आगे आगे तुरहियां बजाते हुए चले, और ओबेदेदोम और यहिय्याह उसके द्वारपाल थे। 
25. और दाऊद और इस्राएलियोंके पुरनिथे और सहस्त्रपति सब मिलकर यहोवा की वाचा का सन्दूक ओबेदेदोम के घर से आनन्द के साय ले आने के लिए गए। 
26. जब परमेश्वर ने लेवियोंकी सहाथता की जो यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले थे, तब उन्होंने सात बैल और सात मेढ़े बलि किए। 
27. दाऊद, और यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले सब लेवीय और गानेवाले और गानेवालोंके साय राग उठानेवाले का प्रधान कनन्याह, थे सब तो सन के कपके के बागे पहिने थे, और दाऊद सन के कपके का एपोद पहिने या। 
28. इस प्रकार सब इस्राएली यहोवा की वाचा के सन्दूक को जयजयकार करते, और नरसिंगे, तुरहियां और फांफ बजाते और सारंगियां और वीणा बजाते हुए ले चले। 
29. जब यहोवा की वाचा का सन्दूक दाऊदपुर में पहुंचा तब शाऊल की बेटी मीकल ने खिड़की में से फांककर दाऊद राजा को कूदते और खेलते हुए देखा, और उसे मन ही मन तूच्छ जाना।

Chapter 16

1. तब परमेश्वर का सन्दूक ले आकर उस तम्हू में रखा गया जो दाऊद ने उसके लिथे खड़ा कराया या; और परमेश्वर के साम्हने होमबलि और मेलबलि चढ़ाए गए। 
2. जब दाऊद होमबलि और मेलबलि चढ़ा जूका, तब उस ने यहोवा के नाम से प्रजा को आशीर्वाद दिया। 
3. और उस ने क्या पुरुष, क्या स्त्री, सब इस्राएलियोंको एक एक रोटी और एक एक टुकड़ा मांस और किशमिश की एक एक टिकिया बंटवा दी। 
4. तब उस ने कई लेवियोंको इसलिथे ठहरा दिया, कि यहोवा के सत्दूक के साम्हने सेवा टहल किया करें, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की चर्चा और उसका धन्यवाद और स्तुति किया करें। 
5. उनका मुखिया तो आसाप या, और उसके नीचे जकर्याह या, फिर यीएल, शमीरामोत, यहीएल, मत्तित्याह, एलीआब बनायाह, ओबेदेदोम और यीएल थे; थे तो सारंगियां और वीणाएं लिथे हुए थे, और आसाप फांफ पर राग बजाता या। 
6. और बनायाह और यहजीएल नाम याजक परमेश्वर की वाचा के सन्दूक के साम्हने नित्य तुरहियां बजाने के लिए नियुक्त किए गए। 
7. तब उसी दिन दाऊद ने यहोवा का धन्यवाद करने का काम आसाम और उसके भाइयोंको सौंप दिया। 
8. यहोवा का धन्यवाद करो, उस से प्रार्यना करो; देश देश में उसके कामोंका प्रचार करो। 
9. उसका गीत गाओ, उसका भजन करो, उसके सब आश्चर्य-कमॉं का ध्यान करो। 
10. उसके पवित्र नाम पर घपंड करो; यहोवा के खोजियोंका ह्रृदय आनन्दित हो। 
11. यहोवा और उसकी सामर्य की खोज करो; उसके दर्शन के लिए लगातार खोज करो। 
12. उसेक किए हुए आश्र्ख्यकर्म, उसके चमत्कार और न्यायवचन स्मरण करो। 
13. हे उसके दास इस्राएल के वंश, हे याकूब की सन्तान तुम जो उसके चुने हुए हो ! 
14. वही हमारा परमेश्वर यहोवा है, उसके न्याय के काम पृय्वी भर में होते हैं। 
15. उसकी वाचा को सदा स्मरण रखो, यह वही वचन है जो उस ने हजार पीढिय़ोंके लिथे ठहरा दिया। 
16. वह वाचा उस ने इब्राहीम के साय बान्धी, उौर उसी के विषय उस ने इसहाक से शपय खाई, 
17. और उसी को उस ने याकूब के लिथे विधि करके और इस्राएल के लिथे सदा की वाचा बान्धकर यह कहकर दृढ़ किया, कि 
18. मैं कनान देश तुझी को दूंगा, वह बांट में तुम्हारा निज भाग होगा। 
19. उस समय तो तुम गिनती में योड़े थे, वरन बहुत ही योड़े और उस देश में परदेशी थे। 
20. और वे एक जाति से दूसरी जाति में, और एक जाज्य से दूसरे में फिरते तो रहे, 
21. परन्तु उस ने किसी पनुष्य को उन पर अन्धेर करने न दिया; और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता या, कि 
22. मेरे अभिषिक्तोंको मत छुओ, और न मेरे नबियोंकी हानि करो। 
23. हे समस्त पृय्वी के लोगो यहोवा का गीत गाओ। प्रतिदिन उसके किए हुए उद्धार का शुभ समाचार सुनाते रहो। 
24. अन्यजातियोंमें उसकी महिमा का, और देश देश के लोगोंमें उसके आश्चर्य-कमॉं का वर्णन करो। 
25. क्योंकि यहोवा महान और स्तुति के अति योग्य है, वह तो सब देवताओं से अधिक भययोग्य है। 
26. क्योंकि देश देश के सब देवता मूतिर्यां ही हैं; परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है। 
27. उसके चारोंओर विभव और ऐश्वर्य है; उसके स्यान में सामर्य और आनन्द है। 
28. हे देश देश के कुलो, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्य को मानो। 
29. यहोवा के नाम की महिमा ऐसी मानो जो उसके नाम के योग्य है। भेंट लेकर उसके सम्मुख आाओ, पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दणडवत करो। 
30. हे सारी पृय्वी के लोगो उसके साम्हने यरयराओ ! जगत ऐसा स्यिर है, कि वह टलने का नहीं। 
31. आकाश आनन्द करे और पृय्वी मगन हो, और जाति जाति में लोग कहें, कि यहोवा राजा 
32. हुआ है। समुद्र और उस में की सब वस्तुएं गरज उठें, मैदान और जो कुछ उस में है सो प्रफुल्लित हों। 
33. उसी समय वन के वृझ यहोवा के साम्हने जयजयकार करें, क्योंकि वह पृय्वी का न्याय करने को आनेवाला है। 
34. यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; उसकी करुणा सदा की है। 
35. और यह कहो, कि हे हमारे उद्धार करनेवाले परमेश्वर हमारा उद्धार कर, और हम को इकट्ठा करके अन्यजातियोंसे छुड़ा, कि हम तेरे पवित्र नाम का धन्यवाद करें, और तेरी स्तुति करते हुए तेरे विषय बड़ाई करें। 
36. अनादिकाल से अनन्तकाल तक इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है। तब सब प्रजा ने आमीन कहा : और यहोवा की स्तुति की। 
37. तब उस ने वहां अर्यात्‌ यहोवा की वाचा के सन्दूक के साम्हने आसाप और उसके भाइयोंको छोड़ दिया, कि प्रतिदिन के प्रयोजन के अनुसार वे सन्दूक के साम्हने नित्य सेवा टहल किया करें ! 
38. और अड़सठ भाइयोंसमेत ओबेदेदोम को, और द्वारपालोंके लिथे यदूतून के पुत्र ओबेदेदोम और होसा को छोड़ दिया। 
39. फिर उस ने सादोक याजक और उसके भाई याजकोंको यहोवा के निवास के साम्हने, जो गिबोन के ऊंचे स्यान में या, ठहरा दिया, 
40. कि वे नित्य सवेरे और सांफ को होमबलि की वेदी पर यहोवा को होमबलि चढ़ाया करें, और उन सब के अनुसार किया करें, जो यहोवा की य्यवस्या में लिखा है, जिसे उस ने इस्राएल को दिया या। 
41. और उनके संग उस ने हेमान और यदूतून और दूसरोंको भी जो नाम लेकर चुने गए थे ठहरा दिया, कि यहोवा की सदा की करुणा के कारण उसका धन्यवाद करें। 
42. और उनके संग उस ने हेमान और यदूतून को बजानेवालोंके लिथे तुरहियां और फांफें और परमेश्वर के गीत गाने के लिथे बाजे दिए, और यदूतून के बेटोंको फाटक की रखवाली करने को ठहरा दिया। 
43. निदान प्रजा के सब लोग अपके अपके घर चले गए, और दाऊद अपके घराने को आशीर्वाद देने लौट गया।

Chapter 17

1. जब दाऊद अपके भवन में रहने लगा, तब दाऊद ने नातान नबी से कहा, देख, मैं तो देवदारु के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु यहोवा की वाचा का सन्दूक तम्बू में रहता है। 
2. नातान ने दाऊद से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर, क्योंकि परमेश्वर तेरे संग है। 
3. उसी दिन रात को परमेश्वर का यह वचन नातान के पास पहुंचा, जाकर मेरे दास दाऊद से कह, 
4. यहोवा योंकहता है, कि मेरे निवास के लिथे तू घर बनवाने न पाएगा। 
5. क्योंकि जिस दिन से मैं इस्राएलियोंको मिस्र से ले आया, आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा; परन्तु एक तम्बू से दूसरे तम्बू को ओर एक निवास से दूसरे निवास को आया जाया करता हूँ। 
6. जहां जहां मैं ने सब इस्राएलियोंके बीच आना जाना किया, क्या मैं ने इस्राएल के न्यायियोंमें से जिनको मैं ने अपक्की प्रजा की चरवाही करने को ठहराया या, किसी से ऐसी बात कभी कहीं, कि तुम लोगोंने मेरे लिथे देवदारु का घर क्योंनहीं बनवाया? 
7. सो अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, कि मैं ने तो तुझ को भेड़शाला से और भेड़-बारियोंके पीछे पीछे फिरने से इस मनसा से बुला लिया, कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए; 
8. और जहां कहीं तू आया और गया, वहां मैं तेरे संग रहा, और तेरे सब शत्रुओं को तेरे साम्हने से नष्ट किया है। अब मैं तेरे नाम को पृय्वी के बड़े बड़े लोगोंके नामो के समान बड़ा कर दूंगा। 
9. और मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के लिथे एक स्यान ठहराऊंगा, और उसको स्यिर करूंगा कि वह अपके ही स्यान में बसी रहे और कभी चलायमान न हो; और कुटिल लोग उनको नाश न करने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनोंमें करते थे; 
10. उस समय भी जब मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता या; सो मैं तेरे सब शत्रुओं को दबा दूंगा। फिर मैं तुझे यह भी बताता हूँ, कि यहोवा तेरा घर बनाथे रखेगा। 
11. जब तेरी आयु पूरी हो जाथेगी और तुझे अपके पितरोंके संग जाना पकेगा, तब मैं तेरे बाद तेरे वंश को जो तेरे पुत्रोंमें से होगा, खड़ा करके उसके राज्य को स्यिर करूंगा। 
12. मेरे लिए एक घर वही बनाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्यिर रखूंगा। 
13. मैं उसका पिता ठहरूंगा और वह मेरा पुत्र ठहरेगा; और जैसे मैं ने अपक्की करुणा उस पर से जो तुझ से पहिले या हटाई, वैसे मैं उस पर से न हटाऊंगा, 
14. वरन मैं उसको अपके घर और अपके राज्य में सदैव स्यिर यखूंगा और उसकी राजगद्दी सदैव अटल रहेगी। 
15. इन सब बातोंऔर इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया। 
16. तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, हे यहोवा परमेश्वर ! मैं क्या हूँ? और मेरा घराना क्या है? कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचाया है? 
17. और हे परमेश्वर ! यह तेरी दृष्टि में छोटी सी बात हुई, क्योंकि तू ने अपके दास के घराने के विषय भविष्य के बहुत दिनोंतक की चर्चा की है, और हे यहोवा परमेश्वर ! तू ने मुझे ऊंचे पद का मतुष्य सा जाना है। 
18. जो महिमा तेरे दास पर दिखाई गई है, उसके विषय दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? तू तो अपके दास को जानता है। 
19. हे यहोवा ! तू ने अपके दास के निमित्त और अपके मन के अनुसार यह बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले। 
20. हे यहोवा ! जो कुछ हम ने अपके कानोंसे सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ और कोई परमेश्वर है। 
21. फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? वह तो पृय्वी भर में एक ही जाति है, उसे परमेश्वर ने जाकर अपक्की निज प्रजा करने को छुड़ाया, इसलिथे कि तू बड़े और डरावने काम करके अपना नाम करे, और अपक्की प्रजा के साम्हने से जो तू ने मिस्र से छुड़ा ली यी, जाति जाति के लोगोंको निकाल दे। 
22. क्योंकि तू ने अपक्की प्रजा इस्राएल को अपक्की सदा की प्रजा होने के लिथे ठहराया, और हे यहोवा ! तू आप उसका परमेश्वर ठहरा। 
23. इसलिथे, अब हे यहोवा, तू ने जो वचन अपके दास के और उसके घराने के विषय दिया है, वह सदैव अटल रहे, और अपके वचन के अनुसार ही कर। 
24. और तेरा नाम सदैव अटल रहे, और यह कहकर तेरी बड़ाई सदा की जाए, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल का परमेश्वर है, वरन वह इस्राएल ही के लिथे परमेश्वर है, और तेरा दास दाऊद का घराना तेरे साम्हने स्यिर रहे। 
25. क्योंकि हे मेरे परमेश्वर, तू ने यह कहकर अपके दास पर प्रगट किया है कि मैं तेरा घर बनाए रखूंगा, इस कारण तेरे दास को तेरे सम्मुख प्रार्यना करने का हियाब हुआ है। 
26. और अब हे यहोवा तू ही परमेश्वर है, और तू ने अपके दास को यह भलाई करने का वचन दिया है। 
27. और अब तू ने प्रसन्न होकर, अपके दास के घराने पर ऐसी आशीष दी है, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे, क्योंकि हे यहोवा, तू आशीष दे चुका है, इसलिथे वह सदैव आशीषित बना रहे।

Chapter 18

1. इसके बाद दाऊद ने पलिश्तियोंको जीतकर अपके अधीन कर लिया, और गांवोंसमेत गत नगर को पलिश्तियोंके हाथ से छीन लिया। 
2. फिर उस ने मोआबियोंका भी जीत लिया, और मोआबी दाऊद के अधीन होकर भेंट लाने लगे। 
3. फिर जब सोबा का राजा हदरेजेर परात महानद के पास अपके राज्य स्यिर करने को जा रहा या, तब दाऊद ने उसको हमात के पास जीत लिया। 
4. और दाऊद ने उससे एक हजार रय, सात हजार सवार, और बीस हजार पियादे हर लिए, और दाऊद ने सब रयवाले घेड़ोंके सुम की नस कटवाई, परन्तु एक सौ रयवाले धेड़े बचा रखे। 
5. और जब दमिश्क के अरामी, सोबा के राजा हदरेजेर की सहाथता करने को आए, तब दाऊद ने अरामियोंमें से बाईस हजार पुरुष मारे। 
6. तब दाऊद ने दमिष्क के अराम में सिपाहियोंकी चौकियां बैठाई; सो अरामी दाऊद के अधीन होकर भेंट ले आने लगे। और जहां जहां दाऊद जाता, वहां वहां यहोवा उसको जय दिलाता या। 
7. और हदरेजेर के कर्मचारियोंके पास सोने की जो ढालें यीं, उन्हें दाऊद लेकर यरूशलेम को आया। 
8. और हदरेजेर के तिभत और कून नाम नगरोंसे दाऊद बहुत सा पीतल ले आया; और उसी से सुलेमान ने पीतल के हौद और खम्भोंऔर पीतल के पात्रोंको बनवाया। 
9. जब हमात के राजा तोऊ ने सुना, कि दाऊद ने सोबा के राजा हदरेजेर की समस्त सेना को जीत लिया है, 
10. तब उस ने हदोराम नाम अपके पुत्र को दाऊद राजा के पास उसका कुशल झेम पूछने और उसे बधाई देने को भेजा, इसलिथे कि उस ने हदरेजेर से लड़कर उसे जीत लिया या; ( क्योंकि हदरेजेर तोऊ से लड़ा करता या ) और हदोराम सोने चांदी और पीतल के सब प्रकार के पात्र लिथे हुए आया। 
11. इनको दाऊद राजा ने यहोवा के लिथे पवित्र करके रखा, और वैसा ही उस सोने-चांदी से भी किया जिसे सब जातियो से, अर्यात्‌ एदोमियोंमोआबियों, अम्मोनियों, पलिश्तियों, और अमालेकियोंसे प्राप्त किया या। 
12. फिर यरूयाह के पुत्र अबीशै ने लान की तराई में अठारह हजार एदोमियोंको मार लिया। 
13. तब उस ने एदोम में सिपाहियोंकी चौकियां बैठाई; और सब एदोमी दाऊद के अधीन हो गए। और दाऊद जहां जहां जाता या वहां वहां यहोवा उसको जय दिलाता या।
14. दाऊद तो सारे इस्राएल पर राज्य करता या, और वह अपक्की सब प्रजा के साय न्याय और धर्म के काम करता या। 
15. और प्रधान सेनापति सरूयाह का पुत्र योआब या; इतिहास का लिखनेवाला अहीलूद का पुत्र यहोशापात या। 
16. प्रधान याजक, अहीतूब का पुत्र सादोक और एब्यातार का पुत्र अबीमेलेक थे; मंत्री शबशा या। 
17. करेतियोंऔर पकेतियोंका प्रधान यहोयादा का पुत्र बनायाह या; और दाऊद के पुत्र राजा के पास मुखिथे होकर रहते थे।

Chapter 19

1. इसके बाद अम्मोनियोंका राजा नाहाश मर गया, और उसका पुत्र उसके स्यान पर राजा हुआ। 
2. तब दाऊद ने यह सोचा, कि हानून के पिता नाहाश ने जो मुझ पर प्रीति दिखाई यी, इसलिथे मैं भी उस पर प्रीति दिखाऊंगा। तब दाऊद ने उसके पिता के विषय शांति देने के लिथे दूत भेजे। और दाऊद के कर्पचारी अम्मोनियोंके देश में हानून के पास उसे शांति देने को आए। 
3. परन्तु अम्मोनियोंके हाकिम हानून से कहने लगे, दाऊद ने जो तेरे पास शांति देनेवाले भेजे हैं, वह क्या तेरी समझ में तेरे पिता का आदर करने की मनसा से भेजे हैं? क्या उसके कर्मचारी इसी मनसा से तेरे पास नहीं आए, कि ढूंढ़-ढांढ़ करें और नष्ट करें, और देश का भेद लें? 
4. तब हानून ने दाऊद के कर्मचारियोंको पकड़ा, और उनके बाल मुड़वाए, और आधे वस्त्र अर्यात्‌ नितम्ब तक कटवाकर उनको जाने दिया। 
5. तब कितनोंने जाकर दाऊद को बता दिया, कि उन पुरुषोंके साय कैसा बर्ताव किया गया, सो उस ने लोगोंको उन से मिलने के लिथे भेजा क्योंकि वे पुरुष बहुत लजाते थे। और राजा ने कहा, जब तक तुम्हारी दाढिय़ां बढ़ न जाएं, तब तक यरीहो में ठहरे रहो, और बाद को लौट आना। 
6. जब अम्मोनियोंने देखा, कि हम दाऊद को घिनौने लगते हैं, तब हानून और अम्मोनियोंने एक हजार किक्कार चांदी, अरम्नहरैम और अरम्माका और सोबा को भेजी, कि रय और सवार किराथे पर बुलाएं। 
7. सो उन्होंने बत्तीस हजार रय, और माका के राजा और उसकी सेना को किराथे पर बुलाया, और इन्होंने आकर मेदबा के साम्हने, अपके डेरे खड़े किए। और अम्मोनी अपके अपके नगर में से इकट्ठे होकर लड़ने को आए। 
8. यह सुनकर दाऊद ने योआब और शूरवीरोंकी पूरी सेना को भेजा। 
9. तब अम्मोनी निकले और नगर के फाटक के पास पांति बान्धी, और जो राजा आए थे, वे उन से अलग मैदान में थे। 
10. यह देखकर कि आगे पीछे दोनोंओर हमारे विरुद्ध पांति बन्धी हैं, योआब ने सब बड़े बड़े इस्राएली वीरोंमें से किततोंको छांटकर अरामियोंके साम्हने उनकी पांति बन्धाई; 
11. और शेष लोगोंको अपके भाई अबीशै के हाथ सौंप दिया, और उन्होंने अम्मोनियोंके साम्हने पांति बान्धी। 
12. और उस ने कहा, यदि अरामी मुझ पर प्रबल होने लगें, तो तू मेरी सहाथता करना; और यदि अम्मोनी तुझ पर प्रबल होने लगें, तो मैं तेरी सहाथता करूंगा। 
13. तू हियाब बान्ध और हम सब अपके लोगोंऔर अपके परमेश्वर के नगरोंके निमित्त पुरुषार्य करें; और यहोवा जैसा उसको अच्छा लगे, वैसा ही करेगा। 
14. तब योआब और जो लोग उसके साय थे, अरामियोंसे युद्ध करने को उनके साम्हने गए, और वे उसके साम्हने से भागे। 
15. यह देखकर कि अरामी भाग गए हैं, अम्मोनी भी उसके भाई अबीशै के साम्हने से भागकर नगर के भीतर घुसे। तब योआब यरूशलेम को लौट आया। 
16. फिर यह देखकर कि वे इस्राएलियोंसे हार गए हैं अरामियोंने दूत भेजकर महानद के पार के अरामियोंको बुलवाया, और हदरेजेर के सेनापति शोपक को अपना प्रधान बनाया। 
17. इसका समाचार पाकर दाऊद ने सब इस्राएलियोंको इकट्ठा किया, और यरदन पार होकर उन पर चढ़ाई की और उनके विरुद्ध पांति बन्धाई, तब वे उस से लड़ने लगे। 
18. परन्तु अरामी इस्राएलियोंसे भागे, और दाऊद ने उन में से सात हजार रयियोंऔर चालीस हजार प्यादोंको मार डाला, और शोपक सेनापति को भी मार डाला। 
19. यह देखकर कि वे इस्राएलियोंसे हार गए हैं, हदरेजेर के कर्मचारियोंने दाऊद से संधि की और उसके अधीन हो गए; और अरामियोंने अम्मोनियोंकी सहाथता फिर करनी न चाही।

Chapter 20

1. फिर नथे वर्ष के आरम्भ में जब राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं, तब योआब ने भारी सेना संग ले जाकर अम्मोनियोंका देश उजाड़ दिया और आकर रब्बा को घेर लिया; परन्तु दाऊद यरूशलेम में रह गया; और योआब ने रब्बा को जीतकर ढा दिया। 
2. तब दाऊद ने उनके राजा का मुकुट उसके सिर से उतारकर क्या देखा, कि उसका तौल किक्कार भर सोने का है, और उस में मणि भी जड़े थे; और वह दाऊद के सिर पर रखा गया। फिर उस ने उस नगर से बहुत सामान लूट में पाया। 
3. और उस ने उसके रहनेवालोंको निकालकर आरोंऔर लोहे के हेंगोंऔर कुल्हाडिय़ोंसे कटवाया; और अम्मोनियोंके सब नगरोंके साय भी दाऊद ने वैसा ही किया। तब दाऊद सब लोगोंसमेत यरूशलेम को लौट गया। 
4. इसके बाद गेजेर में पलिश्तियोंके साय युद्ध हुआ; उस समय हूशाई सिब्बकै ने सिप्पै को, जो रापा की सन्तान या, मार डाला; और वे दब गए। 
5. और पलिश्तियोंके साय फिर युद्ध हुआ; उस में याईर के पुत्र एल्हानान ने गती गोल्यत के भाई लहमी को मार डाला, जिसके बर्छे की छड़, जुलाहे की डोंगी के समान यी। 
6. फिर गत में भी युद्ध हुआ, और वहां एक बड़े डील का पुरुष या, जो रापा की सन्तान या, और उसके एक एक हाथ पांव में छ: छ: उंगलियां अर्यात्‌ सब मिलाकर चौबीस उंगलियां यीं। 
7. जब उस ने इस्राएलियोंको ललकारा, तब दाऊद के भाई शिमा के पुत्र योनातान ने उसको मारा। 
8. थे ही गत में रापा से उत्पन्न हुए थे, और वे दाऊद और उसके सेवकोंके हाथ से मार डाले गए।

Chapter 21

1. और शैतान ने इस्राएल के विरुद्ध उठकर, दाऊद को उसकाया कि इस्राएलियोंकी गिनती ले। 
2. तब दाऊद ने योआब और प्रजा के हाकिमोंसे कहा, तुम जाकर बर्शेबा से ले दान तक के इस्राएल की गिनती लेकर मुझे बताओ, कि मैं जान लूं कि वे कितने हैं। 
3. योआब ने कहा, यहोवा की प्रजा के कितने ही क्योंन हों, वह उनको सौ गुना बढ़ा दे; परन्तु हे मेरे प्रभु ! हे राजा ! क्या वे सब राजा के अधीन नहीं हैं? मेरा प्रभु ऐसी बात क्योंचाहता है? वह इस्राएल पर दोष लगने का कारण क्योंबने? 
4. तौभी राजा की आज्ञा योआब पर प्रबल हुई। तब योआब विदा होकर सारे इस्राएल में धूमकर यरूशलेम को लौट आया। 
5. तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़, दाऊद को सुनाया और सब तलवारिथे पुरुष इस्राएल के तो ग्यारह लाख, और यहूदा के चार लाख सत्तर हजार ठहरे। 
6. परन्तु उन में योआब ने लेवी और बिन्यामीन को न गिना, क्योंकि वह राजा की आज्ञा से घुणा करता या 
7. और यह बात परमेश्वर को बुरी लगी, इसलिथे उस ने इस्राएल को मारा। 
8. और दाऊद ने परमेश्वर से कहा, यह काम जो मैं ने किया, वह महापाप है। परन्तु अब अपके दास का अधर्म दूर कर; मुझ से तो बड़ी मूर्खता हुई है। 
9. तब यहोवा ने दाऊद के दशीं गाद से कहा, 
10. जाकर दाऊद से कह, कि यहोवा योंकहता है, कि मैं तुझ को तीन विपत्तियां दिखाता हूँ, उन में से एक को चुन ले, कि मैं उसे तुझ पर डालूं। 
11. तब गाद ने दाऊद के पास जाकर उस से कहा, यहोवा योंकहता है, कि जिसको तू चाहे उसे चुन ले : 
12. या तो तीन वर्ष का काल पके; वा तीन महीने तक तेरे विरोधी तुझे नाश करते रहें, और तेरे शत्रुऔं की तलवार तुझ पर चलती रहे; वा तीन दिन तक यहोवा की तलवार चले, अर्यात्‌ मरी देश में फैले और यहोवा का दूत इस्राएली देश में चारोंओर विनाश करता रहे। अब सोच, कि मैं अपके भेजनेवाले को क्या उत्तर दूं। 
13. दाऊद ने गाद से कहा, मैं बड़े संकट में पड़ा हूँ; मैं यहोवा के हाथ में पड़ूं, क्योंकि उसकी दया बहुत बड़ी है; परन्तु मनुष्य के हाथ में मुझे पड़ना न पके। 
14. तब यहोवा ने इस्राएल में मरी फैलाई, और इस्राएल में सत्तर हजार पुरुष मर मिटे। 
15. फिर परमेश्वर ने एक दूत यरूशलेम को भी उसे नाश करने को भेजा; और वह नाश करने ही पर या, कि यहोवा दु:ख देने से खेदित हुआ, और नाश करनेवाले दूत से कहा, बस कर; अब अपना हाथ खींच ले। और यहोवा का दूत यबूसी ओर्नान के खलिहान के पास खड़ा या। 
16. और दाऊद ने आंखें उठाकर देखा, कि यहोवा का दूत हाथ में खींची हुई और यरूशलेम के ऊपर बढ़ाई हुई एक तलवार लिथे हुए आकाश के बीच खड़ा है, तब दाऊद और पुरनिथे टाट पहिने हुए मुंह के बल गिरे। 
17. तब दाऊद ने परमेश्वर से कहा, जिस ने प्रजा की गिनती लेने की आज्ञा दी यी, वह क्या मैं नहीं हूँ? हां, जिस ने पाप किया और बहुत बुराई की है, वह तो मैं ही हूँ। परन्तु इन भेड़-बकरियोंने क्या किया है? इसलिथे हे मेरे परमेश्वर यहोवा ! तेरा हाथ मेरे पिता के घराने के विरुद्ध हो, परन्तु तेरी प्रजा के विरुद्ध न हो, कि वे मारे जाएं। 
18. तब यहोवा के दूत ने गाद को दाऊद से यह कहने की आज्ञा दी, कि दाऊद चढ़कर यबूसी ओर्नान के खलिहान में यहोवा की एक वेदी बनाए। 
19. गाद के इस वचन के अनुसार जो उस ने यहोवा के नाम से कहा या, दाऊद चढ़ गया। 
20. तब ओर्नान ने पीछे फिर के दूत को देखा, और उसके चारोंबेटे जो उसके संग थे छिप गए, ओर्नान तो गेहूं दांवता या। 
21. जब दाऊद ओर्नान के पास आया, तब ओर्नान ने दृष्टि करके दाऊद को देखा और खलिहान से बाहर जाकर भूमि तक फुककर दाऊद को दणडवत किया। 
22. तब दाऊद ने ओर्नान से कहा, उस खलिहान का स्यान मुझे दे दे, कि मैं उस पर यहोवा को एक वेदी बनाऊं, उसका पूरा दाम लेकर उसे पुफ को दे, कि यह विपित्त प्रजा पर से दूर की जाए। 
23. ओर्नान ने दाऊद से कहा, इसे ले ले, और मेरे प्रभु राजा को जो कुछ भाए वह वही करे; सुन, मैं तुझे होमबलि के लिथे बैल और ईधन के लिथे दांबने के हयियार और अन्नबलि के लिथे गेहूं, यह सब मैं देता हूँ। 
24. राजा दाऊद ने ओर्नान से कहा, सो नहीं, मैं अवश्य इसका पूरा दाम ही देकर इसे मोल लूंगा; जो तेरा है, उसे मैं यहोवा के लिथे नहीं लूंगा, और न सेंतमेंत का होमबलि चढ़ाऊंगा। 
25. तब दाऊद ने उस स्यान के लिथे ओर्नान को छ: सौ शेकेल सोना तौलकर दिया। 
26. तब दाऊद ने वहां यहोवा की एक वेदी बनाई और होमबलि और मेलबलि चढ़ाकर यहोवा से प्रार्यना की, और उस ने होपबलि की वेदी पर स्वर्ग से आग गिराकर उसकी सुन ली। 
27. तब यहोवा ने दूत को आज्ञा दी; और उस ने अपक्की तलवार फिर म्यान में कर ली। 
28. यह देखकर कि यहोवा ने यबूसी ओर्नान के खलिहान में मेरी सुन ली है, दाऊद ने उसी समय वहां बलिदान किया। 
29. यहोवा का निवास जो मूसा ने जंगल में बनाया या, और होमबलि की वेदी, थे दोनोंउस समय गिबोन के ऊंचे स्यान पर थे। 
30. परन्तु दाऊद परमेश्वर के पास उसके साम्हने न जा सका, क्योंकि वह यहोवा के दूत की तलवार से डर गया या।

Chapter 22

1. तब दाऊद कहने लगा, यहोवा परमेश्वर का भवन यही है, और इस्राएल के लिथे होमबलि की वेदी यही है। 
2. तब दाऊद ने इस्राएल के देश में जो परदेशी थे उनको इकट्ठा करने की आज्ञा दी, और परमेश्वर का भवन बनाने को पत्यर गढ़ने के लिथे राज ठहरा दिए। 
3. फिर दाऊद ने फाटकोंके किवाड़ोंकी कीलोंऔर जोड़ोंके लिथे बहुत सा लोहा, और तौल से बाहर बहुत पीतल, 
4. और गिनती से बाहर देवदार के पेड़ इकट्ठे किए; क्योंकि सीदोन और सोर के लोग दाऊद के पास बहुत से देवदार के पेड़ लाए थे। 
5. और दाऊद ने कहा, मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार और लड़का है, और जो भवन यहोवा के लिथे बनाना है, उसे अत्यन्त तेजोमय और सब देशोंमें प्रसिद्ध और शोभायमान होना चाहिथे; इसलिथे मैं उसके लिथे तैयारी करूंगा। सो दाऊद ने मरने से पहिले बहुत तैयारी की। 
6. फिर उस ने अपके पुत्र सुलैमान को बुलाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिथे भवन बनाने की आज्ञा दी। 
7. दाऊद ने अपके पुत्र सुलैमान से कहा, मेरी मनसा तो यी, कि अपके परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाऊं। 
8. परन्तु यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, कि तू ने लोहू बहुत बहाथा और बढ़े बड़े युद्ध किए हैं, सो तू मेरे नाम का भवन न बनाने पाएगा, क्योंकि तू ने भूमि पर मेरी दृष्टि में बहुत लोहू बहाथा है। 
9. देख, तुझ से एक पुत्र उत्पन्न होगा, जो शान्त पुरुष होगा; और मैं उसको चारोंओर के शत्रुऔं से शान्ति दूंगा; उसका नाम तो सुलैमान होगा, और उसके दिनोंमें मैं इस्राएल को शान्ति और चैन दूंगा। 
10. वही मेरे नाम का भवन बनाएगा। और वही मेरा पुत्र ठहरेगा और मैं उसका पिता ठहरूंगा, और उसकी राजगद्दी को मैं इस्राएल के ऊपर सदा के लिथे स्यिर रखूंगा। 
11. अब हे मेरे पुत्र, यहोवा तेरे संग रहे, और तू कृतार्य होकर उस वचन के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरे विषय कहा है, उसका भवन बनाना। 
12. अब यहोवा तुझे बुद्धि और समझ दे और इस्राएल का अधिक्कारनेी ठहरा दे, और तू अपके परमेश्वर यहोवा की य्यवस्या को मानता रहे। 
13. तू तब ही कृतार्य होगा जब उन विधियोंऔर नियमोंपर चलने की चौकसी करेगा, जिनकी आज्ञा यहोवा ने इस्राएल के लिथे मूसा को दी यी। हियाब बान्ध और दृढ़ हो। मत डर; और तेरा मन कच्चा न हो। 
14. सुन, मैं ने अपके क्लेश के समय यहोवा के भवन के लिथे एक लाख किक्कार सोना, और दस लाख किक्कार चान्दी, और पीतल और लोहा इतना इकट्ठा किया है, कि बहुतायत के कारण तौल से बाहर है; और लकड़ी और पत्यर मैं ने इकट्ठे किए हैं, और तू उनको बढ़ा सकेगा। 
15. और तेरे पास बहुत कारीगर हैं, अर्यात्‌ पत्यर और लकड़ी के काटने और गढ़नेवाले वरन सब भांति के काम के लिथे सब प्रकार के प्रवीण पुरुष हैं। 
16. सोना, चान्दी, पीतल और लोहे की तो कुछ गिनती नहीं है, सो तू उस काम में लग जा ! यहोवा तेरे संग नित रहे। 
17. फिर दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमोंको अपके पुत्र सुलैमान की सहाथता करने की आज्ञाा यह कहकर दी, 
18. कि क्या तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग नहीं है? क्या उस ने नुम्हें चारोंओर से विश्रम नहीं दिया? उस ने तो देश के निवासिक्कों मेरे वश में कर दिया है; और देश यहोवा और उसकी प्रजा के साम्हने दबा हुआ है। 
19. सब तन मन से अपके परमेश्वर यहोवा के पास जाया करो, और जी लगाकर यहोवा परमेश्वर का पवित्रस्यान बनाना, कि तुम यहोवा की वाचा का सन्दूक और परमेश्वर के पवित्र पात्र उस भवन में लाओ जो यहोवा के नाम का बननेवाला है।

Chapter 23

1. दाऊद तो बूढ़ा वरन बहुत बूढा हो गया या, इसलिथे उस ने अपके पुत्र सुलैमान को इसगाएल पर राजा नियुक्त कर दिया। 
2. तब उस ने इस्राएल के सब हाकिमोंऔर याजकोंऔर लेमियोंको इकट्ठा किया। 
3. और जितने लेवीय तीस वर्ष के और उस से अधिक अवस्या के थे, वे गिने एए, और एक एक पुरुष के गिनने से उनकी गिनती अड़तीस हजार हुई। 
4. इन में से चौबीस हजार तो यहोवा के भवन का काम चलाने के लिथे नियुक्त हुए, और छ: हजार सरदार और न्यायी। 
5. और चार हजार द्वारपाल नियुक्त हुए, और चार हजार उन बाजोंसे यहोवा की स्तुति करने के लिथे ठहराए गए जो दाऊद ने स्तुति करने के लिथे बनाए थे। 
6. फिर दाऊद ने उनको गेशॉन, कहात और मरारी नाम लेवी के पुत्रोंके अनुसार दलोंमें अलग अलग कर दिया। 
7. गेशॉनियोंमें से तो लादान और शिमी थे। 
8. और लादान के पुत्र : सरदार यहीएल, फिर जेताम और योएल थे तीन थे। 
9. और शिमी के पुत्र : शलेमीत, हजीएल और हारान से तीन थे। लादान के कुल के पूर्वजोंके घरानोंके मुख्य पुरुष थे ही थे। 
10. फिर शिमी के पुत्र : यहत, जीना, यूश, और वरीआ के पुत्र शिमी यही चार थे। 
11. यहत मुख्य या, और जीजा दूसरा; यूश और बरीआ के वहुत बेटे न हुए, इस कारण वे सब मिलकर पितरोंका एक ही घराना ठहरे। 
12. कहात के पुत्र : अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल चार। अम्राम के पुत्र : हारून और मूसा। 
13. हारून तो इसलिथे अलग किया गया, कि वह और उसके सन्तान सदा परमपवित्र वस्तुओं को पवित्र ठहराएं, और सदा यहोवा के सम्मुख धूप जलाया करें और उसकी सेवा टहल करें, और उसके नाम से आशीर्वाद दिया करें। 
14. परन्तु परमेश्वर के भक्त मूसा के पुत्रोंके नाम लेवी के गोत्र के बीच गिने गए। 
15. मूसा के पुत्र, गेशॉम और एलीएजेर। 
16. और गेशॉम का पुत्र शबूएल मुख्य या। 
17. और एलीएजेर के पुत्र : रहब्याह मुख्य; और एलीएजेर के और कोई पुत्र न हुआ, परन्तु रहब्याह के बहुत से बेटे हुए। 
18. यिसहार के पुत्रें में से शलोमीत मुख्य ठहरा। 
19. हेब्रोन के पुत्र : यरीय्याह मुख्य, दूसरा अमर्याह, तीसरा यहजीएल, और चौया यकमाम या। 
20. उज्जीएल के पुत्रें में से मुख्य तो मीका और दूसरा यिश्शिय्याह या। 
21. मरारी के पुत्र : महली और मूशी। महली के पुत्र : एलीआजर और कीश थे। 
22. एलीआजर पुत्रहीन मर गया, उसके केवल बेटियां हुई; सो कीश के पुत्रोंने जो उनके भाई थे उन्हें ब्याह लिया। 
23. मूशी के पुत्र : महली; एदोर और यरेमोत यह तीन थे। 
24. लेवीय पितरोंके घरानोंके मुख्य पुरुष थे ही थे, थे नाम ले लेकर, एक एक पुरुष करके गिने गए, और बीस वर्ष की वा उस से अधिक अवस्या के थे और यहोवा के भवन में सेवा टहल करते थे। 
25. क्योंकि दाऊद ने कहा, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अपक्की प्रजा को विश्रम दिया है, और वह तो यरूशलेम में सदा के लिथे बस गया है। 
26. और लेवियोंको निवास और उस की उपासना का सामान फिर उठाना न पकेगा । 
27. क्योंकि दाऊद की पिछली आज्ञाओं के अनुसार बीस वर्ष वा उस से अधिक अवस्या के लेवीय गिने गए। 
28. क्योंकि उनका काम तो हारून की सन्तान की सेवा टहल करना या, अर्यात यह कि वे आंगनोंऔर कोठरियोंमें, और सब पवित्र वस्तुओं के शुद्ध करने में और परमेश्वर के भवन की उपासना के सब कामोंमें सेवा टहल करें। 
29. और भेंट की रोटी का, अन्नबलियोंके मैदे का, और अखमीरी पपडिय़ोंका, और तवे पर बनाए हुए और सने हुए का, और मापके और तौलने के सब प्रकार का काम करें। 
30. और प्रति भोर और प्रति सांफ को यहोवा का धन्यवाद और उसकी स्तुति करने के लिथे खड़े रहा करें। 
31. और विश्रमदिनोंऔर नथे चान्द के दिनों, और नियत पय्वॉं में गिनती के नियम के अनुसार नित्य यहोवा के सब होपबलियोंको बढ़ाएं। 
32. और यहोवा के भवन की उपासना के विषय मिलापवाले नम्बू और पवित्रस्यान की रझा करें, और अपके भाई हारूनियोंके सौंपे हुए काम को चौकसी से करें।

Chapter 24

1. फिर हारून की सन्तान के दल थे थे। हारून के पुत्र तो नादाब, अबीहू, एलीआजर और ईतामार थे। 
2. परन्तु नादाब और अबीहू अपके पिता के साम्हने पुत्रहीन मर गए, इस लिथे याजक का काम एलीआजर और ईतामार करते थे। 
3. और दाऊद ने एलीआजर के वंश के सादोक और ईतामार के वंश के अहांमेलेक की सहाथता से उनको अपक्की अपक्की सेवा के अनुसार दल दल करके बांट दिया। 
4. और एलीआजर के वंश के मुख्य पुरुष, ईतामार के वंश के मुख्य पुरुषोंसे अधिक थे, और वे योंबांटे गए अर्यात्‌ एलीआजर के वंश के पितरोंके घरानोंके सोलह, और ईतामार के वंश के पितरोंके घरानोंके आठ मुख्य पुरुष थे। 
5. तब वे चिट्ठी डालकर बराबर बराबर बांटे गए, क्योंकि एलीआजर और ईतामार दोनोंके वंशोंमें पवित्रस्यान के हाकिम और परमेश्वर के हाकिम नियुक्त हुए थे। 
6. और नतनेल के पुत्र शमायाह ने जो लेवीय या, उनके नाम राजा और हाकिमोंऔर सादोक याजक, और एब्यातार के पुत्र अहीमेलेक और याजकोंऔर लेवियोंके पितरोंके घरानोंके मुख्य पुरुषोंके साम्हने लिखे; अर्यात्‌ पितरोंका एक घराना तो एलीआजर के वंश में से और एक ईतामार के वंश में से लिया गया। 
7. पहिली चिट्ठी तो यहोयारीब के, और दूसरी यदायाह, 
8. तीसरी हारीम के, चौयी सोरीम के, 
9. पांचक्कीं मल्किय्याह के, छठवीं मिय्यामीन के, 
10. सातवीं हक्कोस के, आठवीं अबिय्याह के, 
11. नौवीं थेशू के, दसवीं शकन्याह के, 
12. ग्यारहवीं एल्याशीब के, बारहवीं याकीम के, 
13. तेरहवीं हुप्पा के, चौदहवीं थेसेबाब के, 
14. पन्द्रहवीं बिल्गा के, लोलहवीं इम्मेर के, 
15. सतरहवीं हेजीर के, अठारहवीं हप्पित्सेस के, 
16. उन्नीसवीं पतह्याह के, बीसवीं यहेजकेल के, 
17. इक्कीसवीं याकीन के, बाईसवीं गामूल के, 
18. तेईसवीं दलायाह के, और चौबीसवीं साज्याह के नाम पर निकलीं। 
19. उनकी सेवकाई के लिथे उनका यही नियम ठहराया गया कि वे अपके उस नियम के अनुसार जो इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनके मूलपुरुष हारून ने चलाया या, यहोवा के भवन में जाया करें। 
20. बचे हुए लेवियोंमें से अम्राम के वंश में से शूबाएल, शूबाएल के वंश में से थेहदयाह। 
21. बचा रहब्याह, सोरहब्याह, के वंश में से यिश्शिय्याह मुख्य या। 
22. इसहारियोंमें से शलोमोत और हालोमोत के वंश में से यहत। 
23. और हेब्रोन के वंश में से मुख्य तो यरिय्याह, दूसरा अमर्याह, तीसरा यहजीएल, और चौया यकमाम। 
24. उज्जीएल के वंश में से मीका और मीका के वंश में से शामीर। 
25. मीका का भाई यिश्शिय्याह, यिश्शिय्याह के वंश में से जकर्याह। 
26. मरारी के पुत्र महली और मूशी और याजिय्याह का पुत्र बिनो या। 
27. मरारी के पुत्र : याजिय्याह से बिनो और शोहम, जक्कू और इब्री थे। 
28. महली से, एलीआजर जिसके कोई पुत्र न या। 
29. कीश से कीश के वंश में यरह्योल। 
30. और मूशी के पुत्र, महली, एदेर और यरीमोत। अपके अपके पितरो के घरानोंके अनुसार थे ही लेवीय सन्तान के थे। 
31. इन्होंने भी अपके भाई हारून की सन्तानोंकी नाई दाऊद राजा और सादोक और अहीमेलेक और याजकोंऔर लेवियोंके पितरोंके घरानोंके मुख्य पुरुषोंके साम्हने चिट्ठियां डालीं, अर्यात्‌ मुख्य पुरुष के पितरोंका घराना उसके छोटे भाई के पितरोंके घराने के बराबर ठहरा।

Chapter 25

1. फिर दाऊद और सेनापतियोंने आसाप, हेमान और यदूतून के कितने पुत्रोंको सेवकाई के लिथे अलग किया कि वे वीणा, सारंगी और फांफ बजा बजाकर नबूवत करें। और इस सेवकाई के काम करनेवाले मनुष्योंकी गिनती यह यी : 
2. अर्यात्‌ आसाप के पुत्रोंमें से तो जक्कूर, योसेप, नतन्याह और अशरेला, आसाप के थे पुत्र आसाप ही की आज्ञा में थे, जो राजा की आज्ञा के अनुसार नबूवत करता या। 
3. फिर यदूतून के पुत्रोंमें से गदल्याह, सरीयशायाह, हसब्याह, मत्तित्याह, थे ही छ: अपके पिता यदूतून की आज्ञा में होकर जो यहोवा का धन्यवाद और स्तुति कर करके नबूवत करता या, वीणा बजाते थे। 
4. और हेमान के पुत्रोंमें से, मुक्किय्याह, मत्तन्याह, लज्जीएल, शबूएल, यरीमोत, हनन्याह, हनानी, एलीआता, गिद्दलती, रोममतीएजेर, योशबकाशा, मल्लोती, होतीर और महजीओत। 
5. परमेश्वर की प्रतिज्ञानुकूल जो उसका नाम बढ़ाने की यी, थे सब हेमान के पुत्र थे जो राजा का दशीं या; क्योंकि परमेश्वर ने हेमान को चौदह बेटे और तीन बेटियां दीं यीं। 
6. थे सब यहोवा के भवन में गाने के लिथे अपके अपके पिता के अधीन रहकर, परमेश्वर के भवन, की सेवकाई में फांफ, सारंगी और वीणा बजाते थे। और आसाप, यदूतून और हेमान राजा के अधीन रहते थे। 
7. इन सभोंकी गिनती भाइयोंसमेत जो यहोवा के गीत सीखे हुए और सब प्रकार से निपुण थे, दो सौ अठासी यी। 
8. और उन्होंने क्या बड़ा, क्या छोटा, क्या गुरू, क्या चेला, अपक्की अपक्की बारी के लिथे चिट्ठी डाली। 
9. और पहिली चिट्ठी आसाप के बेटोंमें से योसेप के नाम पर निकली, दूसरी गदल्याह के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
10. तीसरी जक्कूर के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
11. चौयी यिस्री के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
12. पांचक्कीं नतन्याह के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
13. छठीं बुक्किय्याह के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
14. सातवीं यसरेला के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
15. आठवीं यशायाह के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
16. नौवीं मतन्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई समेत बारह थे। 
17. दसवीं शिमी के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
18. ग्यारहवीं अजरेल के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
19. बारहवीं हशब्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
20. तेरहवी शूबाएल के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
21. चौदहवीं मत्तिय्याह के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
22. पन्द्रहवीं यरेमोत के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
23. सोलहवीं हनन्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
24. सत्रहवीं योशबकाशा के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
25. अठारहवीं हरानी के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
26. उन्नीसवीं मल्लोती के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
27. बीसवीं इलिय्याता के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
28. इक्कीसवीं होतीर के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
29. बाईसवीं गिद्दलती के नाम पर तिकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
30. तेईसवीं महजीओत के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे। 
31. और चौबीसवीं चिट्ठी रोममतीएजेर के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

Chapter 26

1. फिर द्वारपालोंके दल थे थे : कोरहियोंमें से तो मशेलेम्याह, जो कोरे का पुत्र और आसाप के सन्तानोंमेंसे या। 
2. और मशेलेम्याह के पुत्र हुए, अर्यात्‌ उसका जेठा जकर्याह दूसरा यदीएल, तीसरा जवद्याह, 
3. चौया यतीएल, पांचवां एलाम, छठवां यहोहानान और सातवां एल्यहोएनै। 
4. फिर ओबेदेदोम के भी पुत्र हुए, उसका जेठा शमायाह, दूसरा यहोजाबाद, तीसरा योआह, चौया साकार, पांचवां नतनेल, 
5. छठवां अम्मीएल, सातवां इस्साकार और आठवां पुल्लतै, क्योंकि परमेश्वर ने उसे आशीष दी यी। 
6. और उसके पुत्र शमायाह के भी पुत्र उत्पन्न हुए, जो शूरवीर होने के कारण अपके पिता के घराने पर प्रभुता करते थे। 
7. शमायाह के पुत्र थे थे, अर्यात्‌ ओती, रपाएल, ओबेद, एलजाबाद और उनके भाई एलीहू और समक्याह बलवान पुरुष थे। 
8. थे सब आबेदेदोम की सन्तान में से थे, वे और उनके पुत्र और भाई इस सेवकाई के लिथे बलवान और शक्तिमान थे; थे ओबेदेदोमी बासठ थे। 
9. और मशेलेम्याह के पुत्र और भाई अठारह थे, जो बलवान थे। 
10. फिर मरारी के वंश में से होसा के भी पुत्र थे, अर्यात्‌ मुख्य तो शिम्री ( जिसको जेठा न होने पर भी उसके पिता ने मुख्य ठहराया ), 
11. दूसरा हिल्किय्याह, तीसरा तबल्याह और चौया जकर्याह या; होसा के सब पुत्र और भाई मिलकर तेरह थे। 
12. द्वारपालोंके दल इन मुख्य पुरुषोंके थे, थे अपके भाइयोंके बराबर ही यहोवा के भवन में सेवा टहल करते थे। 
13. इन्होंने क्या छोटे, क्या बड़े, अपके अपके पितरोंके घरानोंके अनुसार एक एक फाटक के लिथे चिट्ठी डाली। 
14. पूर्व की ओर की चिट्ठी शेलेम्याह के नाम पर निकली। तब उन्होंने उसके पुत्र जकर्याह के नाम की चिट्ठी डाली ( वह बुद्धिमान मंत्री या ) और चिट्ठी उत्तर की ओर के लिथे निकली। 
15. दक्खिन की ओर के लिथे ओबोदेदोम के नाम पर चिट्ठी निकली, और उसके बेटोंके नाम पर खजाने की कोठरी के लिथे। 
16. फिर शुप्पीम और होसा के नामोंकी चिट्ठी पश्चिम की ओर के लिथे निकली, कि वे शल्लेकेत नाम फाटक के पास चढ़ाई की सड़क पर आम्हने साम्हने चौकीदारी किया करें। 
17. पूर्व ओर जो छ: लेवीय थे, उत्तर की ओर प्रतिदिन चार, दक्खिन की ओर प्रतिदिन चार, और खजाने की कोठरी के पास दो ठहरे। 
18. पश्चिम ओर के पर्बार नाम स्यान पर ऊंची सड़क के पास तो चार और पर्बार के पास दो रहे। 
19. थे द्वारपालोंके दल थे, जिन में से कितने तो कोरह के थे और कितने मरारी के वंश के थे। 
20. फिर लेवियोंमें से अहिय्याह परमेश्वर के भवन और पवित्र की हुई वस्तुओं, दोनोंके भण्डारोंका अधिक्कारनेी नियुक्त हुआ। 
21. थे लादान की सन्तान के थे, अर्यात्‌ गेर्शेनियोंकी सन्तान जो लादान के कुल के थे, अर्यात्‌ लादान और गेर्शेनी के पितरोंके घरानोंके मुख्य पुरुष थे, अर्यात्‌ यहोएली । 
22. यहोएली के पुत्र थे थे, अर्यात्‌ जेताम और उसका भाई योएल जो यहोवा के भवन के खजाने के अधिक्कारनेी थे। 
23. अम्रामियों, यिसहारियों, हेब्रोनियोंऔर उज्जीएलियोंमें से। 
24. और शबूएल जो मूसा के पुत्र गेर्शेम के वंश का या, वह खजानोंका मुख्य अधिक्कारनेी या। 
25. और उसके भाइयोंका वृत्तान्त यह है : एलीआजर के कुल में उसका पुत्र रहब्याह, रहब्याह का पुत्र यशायाह, यशायाह का पुत्र योराम, योराम का पुत्र जिक्री, और जिक्री का पुत्र शलोमोत या। 
26. यही शलोमोत अपके भाइयोंसमेत उन सब पवित्र की हुई पस्तुओं के भण्डारोंका अधिक्कारनेी या, जो राजा दाऊद और पितरोंके घरानोंके मुख्य मुख्य पुरुषोंऔर सहस्रपतियोंऔर शतपतियोंऔर मुख्य सेनापतियोंने पवित्र की यीं। 
27. जो लूट लड़ाइयोंमें मिलती यी, उस में से उन्होंने यहोवा का भवन दृढ़ करने के लिथे कुछ पवित्र किया। 
28. वरन जितना शमूएल दशीं, कीश के पुत्र शाऊल, नेर के पुत्र अब्नेर, और सरूयाह के पुत्र योआब ने पवित्र किया या, और जो कुछ जिस किसी ने पवित्र कर रखा या, वह सब शलोमोत और उसके भाइयोंके अधिक्कारने में या। 
29. यिसहारियोंमें से कनन्याह और उसके पुत्र, इस्राएल के देश का काम अर्यात्‌ सरदार और न्यायी का काम करने के लिथे नियुक्त हुए। 
30. और हेब्रोनियोंमें से हशय्याह और उसके भाई जो सत्रह सौ बलवान पुरुष थे, वे यहोवा के सब काम और राजा की सेवा के विषय यरदन की पश्चिम ओर रहनेवाले इस्राएलियोंके अणिकारी ठहरे। 
31. हेब्रोनियोंमें से यरिय्याह मुख्य या, अर्यात्‌ हेब्रोनियोंकी पीढ़ी पीढ़ी के पितरोंके घरानोंके अनुसार दाऊद के राज्य के चालीसवें वर्ष में वे ढूंढ़े गए, और उन में से कई शूरवीर गिलाद के याजेर में मिले। 
32. और उसके भाई जो वीर थे, पितरोंके घरानोंके दो हाजार सात सौ मुख्य पुरुष थे, इनको दाऊद राजा ने परमेश्वर के सब विषयोंऔर राजा के विषय में रूबेनियों, गादियोंऔर मनश्शेके आधे गोत्र का अधिक्कारनेी ठहराया।

Chapter 27

1. इस्राएलियो की गिनती, अर्यात्‌ मितरोंके घरानोंके मुख्य मुख्य पुरुषोंऔर यहस्रपतियोंऔर शतपतियोंऔर उनके सरदारोंकी गिनती जो वर्ष भर के महीने महीने उपस्यित होने और छुट्टी पानेवाले दलोंके सब विषयोंमें राजा की सेवा टहल करते थे, एक एक दल में चौबीस हजार थे। 
2. पहिले महीने के लिथे पहिले दल का अधिक्कारनेी जब्दीएल का पुत्र याशोबाम नियुक्त हुआ; और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
3. वह पेरेस के वंश का या और पहिले महीने में सब सेनापतियोंका अधिक्कारनेी या। 
4. और दूसरे महीने के दल का अधिक्कारनेी दोदै नाम एक अहोही या, और उसके दल का प्रधान मिक्लोत या, और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
5. तीसरे महीने के लिथे तीसरा सेनापति यहोयादा याजक का पुत्र बनायाह या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
6. यह वही बनायाह है, जो तीसोंशूरोंमें वीर, और तीसोंमें श्रेष्ट भी या; और उसके दल में उसका पुत्र अम्मीजाबाद या। 
7. चौथे महीने के लिथे चौया सेनापति योआब का भाई असाहेल या, और उसके बाद उसका पुत्र जबद्याह या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
8. पांचवें महीने के लिथे पांचवां सेनापति यिज्राही शम्हूत या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
9. छठवें महीने के लिथे छठवां सेनापति तकोई इक्केश का पुत्र ईरा या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
10. सातवें महीने के लिथे सातवां सेनापति एप्रैम के वंश का हेलेस पलोनी या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
11. आठवें महीने के लिथे आठवां सेनापति जेरह के वंश में से हूशाई सिब्बकै या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
12. नौवें महीने के लिथे नौवां सेनापति बिन्यामीनी अबीएजेर अनातोतवासी या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
13. दसवें महीने के लिथे दसवां सेनापति जेरही महरै नतोपावासी या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
14. ग्यारहवें महीने के लिथे ग्यारहवां सेनापति एप्रैम के वंश का बनायाह पिरातोनवासी या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
15. बारहवें महीने के लिथे बारहवां सेनापति ओत्नीएल के वंश का हेल्दै नतोपावासी या और उसके दल में चौबीस हजार थे। 
16. फिर इस्राएली गोत्रें के थे अधिक्कारनेी थे : अर्यात्‌ रूबेनियोंका प्रधान जिक्री का पुत्र एलीआज़र; शिमोनियोंसे माका का पुत्र शपत्याह। 
17. लेवी से कमूएल का पुत्र हशब्याह; हारून की सन्तान का सादोक। 
18. यहूदा का एलीहू नाम दाऊद का एक भाई, इस्साकार से मीकाएल का पुत्र ओम्नी। 
19. जबूलून से ओबद्याह का पुत्र यिशमायाह, नप्ताली से अज्रीएल का पुत्र यरीमोत। 
20. एप्रैम से अजज्याह का पुत्र होशे, मनश्शे से आधे गोत्र का, फ़दायाह का पुत्र योएल। 
21. गिलाद में आधे गोत्र मनश्शे से जकर्याह का पुत्र इद्दो, बिन्यामीन से अब्नेर का पुत्र यासीएल, 
22. और दान से यारोहाम का पुत्र अजरेल, ठहरा। थे ही इस्राएल के गोत्रोंके हाकिम थे। 
23. परन्तु दाऊद ने उनकी गिनती बीस वर्ष की अवस्या के तीचे न की, क्योंकि यहोवा ने इस्राएल की गिनती आकाश के तारोंके बराबर बढ़ाने के लिथे कहा या। 
24. सरूयाह का पुत्र योआब गिनती लेने लगा, पर निपटा न सका क्योंकि ईश्वर का क्रोध इस्राएल पर भड़का, और यह गिनती राजा दाऊद के इतिहास में नहीं लिखी गई। 
25. फिर अदीएल का पुत्र अजमावेत राज भण्डारोंका अधिक्कारनेी या, और देहात और नगरोंऔर गांवोंऔर गढ़ोंके भण्डारोंका अणिकारी उज्जिय्याह का पुत्र यहोनातान या। 
26. और जो भूमि को जोतकर बोकर खेती करते थे, उनका अधिक्कारनेी कलूब का पुत्र एज्री या। 
27. और दाख की बारियोंका अधिक्कारनेी रामाई शिमी और दाख की बारियोंकी उपज जो दाखमधु के भण्डारोंमें रखने के लिथे यी, उसका अधिक्कारनेी शापामी जब्दी या। 
28. ओर नीचे के देश के जलपाई और गूलर के वृझोंका अधिक्कारनेी गदेरी बाल्हानान या और तेल के भण्डारोंका अधिक्कारनेी योआश या। 
29. और शारोन में चरनेवाले गाय-बैलोंका अधिक्कारनेी शारोनी शित्रै या और तराइयोंके गाय-बैलोंका अधिक्कारनेी अदलै का पुत्र शापात या। 
30. और ऊंटोंका अधिक्कारनेी इश्माएली ओबील और गदहियोंका अधिक्कारनेी मेरोनोतवासी थेहदयाह। 
31. और भैड़-बकरियोंका अधिक्कारनेी हग्री याजीज या। थे ही सब राजा दाऊद के धन सम्मत्ति के अधिक्कारनेी थे। 
32. और दाऊद का भतीजा योनातान एक समझदार मंत्री और शास्त्री या, और किसी हक्मोनी का पुत्र एहीएल राजपुत्रोंके संग रहा करता या। 
33. और अहीतोपेल राजा का मंत्री या, और एरेकी हूशै राजा का मित्र या। 
34. और यहीतोपेल के बाद बनायाह का पुत्र यहोयादा और एय्यातार मंत्री ठहराए गए। और राजा का प्रधान सेनापति योआब या।

Chapter 28

1. और दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमोंको अर्यात्‌ गोत्रोंके हाकिमोंऔर राजा की सेवा टहल करनेवाले दलोंके हाकिमोंको और सहस्रपतियोंऔर शतपतियोंऔर राजा और उसके पुत्रोंके पशु आदि सब धन सम्पत्ति के अधिक्कारनेियों, सरदारोंऔर वीरोंऔर सब शूरवीरोंको यरूशलेम में बुलवाया। 
2. तब दाऊद राजा खड़ा होकर कहने लगा, हे मेरे भाइयों! और हे मेरी प्रजा के लोगो ! मेरी सुनो, मेरी मनसा तो यी कि यहोवा की वाचा के सन्दूक के लिथे और हम लोगोंके परमेश्वर के चरणोंकी पीढ़ी के लिथे विश्रम का एक भवन बनाऊं, और मैं ने उसके बनाने की तैयारी की यी। 
3. परन्तु परमेश्वर ने मुझ से कहा, तू मेरे नाम का भवन बनाने न पाएगा, क्योंकि तू युद्ध करनेवाला है और तू ने लोहू बहाथा है। 
4. तौभी इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मेरे पिता के सारे घराने में से मुझी को चुन लिया, कि इस्राएल का राजा सदा बना रहूं : अर्यात्‌ उस ने यहूदा को प्रधान होने के लिथे और यहूदा के घराने में से मेरे पिता के घराने को चुन लिया और मेरे पिता के पुत्रोंमें से वह मुझी को सारे इस्राएल का राजा बनाने के लिथे प्रसन्न हुआ। 
5. और मेरे सब पुत्रोंमें से ( यहोवा ने तो मुझे बहुत पुत्र दिए हैं ) उस ने मेरे पुत्र सुलैमान को चुन लिया है, कि वह इस्राएल के ऊपर यहोवा के राज्य की गद्दी पर विराजे। 
6. और उस ने मुझ से कहा, कि तेरा पुत्र सुलैमान ही मेरे भवन और आंगनोंको बनाएगा, क्योंकि मैं ने उसको चुन लिया है कि मेरा पुत्र ठहरे, और मैं उसका पिता ठहरूंगा। 
7. और सदि वह मेरी आज्ञाओं और नियमोंके मानने में आज कल की नाई दृढ़ रहे, तो मैं उसका राज्य सदा स्यिर रखूंगा। 
8. इसलिथे अब इस्राएल के देखते अर्यात्‌यहोवा की मण्डली के देखते, और अपके परमेश्वर के साम्हने, अपके परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाओं को मानो और उन पर ध्यान करते रहो; ताकि तुम इस अच्छे देश के अधिक्कारनेी बने रहो, और इसे अपके बाद अपके वंश का सदा का भाग होने के लिथे छोड़ जाओ। 
9. और हे मेरे पुत्र सुलैमान ! तू अपके पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिथे तुझ को छोड़ देगा। 
10. अब चौकस रह, यहोवा ने तुझे एक ऐसा भवन बनाने को चुन लिया है, जो पवित्रस्यान ठहरेगा, हियाव बान्धकर इस काम में लग जा। 
11. तब दाऊद ने अपके पुत्र सुलैमान को मन्दिर के ओसारे, कोठरियों, भण्डारोंअटारियों, भीतरी कोठरियों, और प्रायश्चित के ढकने से स्यान का नमूना, 
12. और यहोवा के भवन के आंगनोंऔर चारोंओर की कोठरियों, और परमेश्वर के भवन के भण्डारोंऔर ववित्र की हुई वस्तुओं के भण्डारोंके, जो जो नमूने ईश्वर के आत्मा की प्रेरणा से उसको मिले थे, वे सब दे दिए। 
13. फिर याजकोंऔर लेबियोंके दलों, और यहोवा के भवन की सेवा के सब कामों, और यहोवा के भवन की सेवा के सब सामान, 
14. अर्यात्‌सब प्रकार की सेवा के लिथे सोने के पात्रोंके निमित्त सोना तौलकर, और सब प्रकार की सेवा के लिथे चान्दी के पात्रें के निमित्त चान्दी तौलकर, 
15. और सोने की दीवटोंके लिथे, और उनके दीपकोंके लिथे प्रति एक एक दीवट, और उसके दीपकोंका सोना तौलकर और चान्दी के दीवटोंके लिथे एक एक दीवट, और उसके दीपक की चान्दी, प्रति एक एक दीवट के काम के अनुसार तौलकर, 
16. ओर भेंट की रोटी की मेजोंके लिथे एक एक मेज का सोना तौलकर, और जान्दी की मेजोंके लिथे चान्दी, 
17. और चोखे सोने के कांटों, कटोरोंऔर प्यालोंऔर सोने की कटोरियोंके लिथे एक एक कटोरी का सोना तौलकर, और चान्दी की कटोरियोंके लिथे एक एक कटोरी की चान्दी तौलकर, 
18. और धूप की वेदी के लिथे तपाया हुआ सोना तौलकर, और रय अर्यत्‌ यहोवा की वाचा का सन्दूक ढांकनेवाले और पंख फैलाए हुए करूबोंके नमूने के लिथे सोना दे दिया। 
19. मैं ने यहोवा की शक्ति से जो मुझ को मिली, यह सब कुछ बफकर लिख दिया है। 
20. फिर दाऊद ने अपके पुत्र सुलैमान से कहा, हियाव बान्ध और दृढ़ होकर इस काम में लग जा। मत डर, और तेरा मन कच्चा न हो, क्योंकि यहोवा परमेश्वर जो मेरा परमेश्वर है, वह तेरे संग है; और जब तक यहोवा के भवन में जितना काम करना हो वह न हो चुके, तब तक वह न तो तुझे धोखा देगा और न तुझे त्यागेगा। 
21. और देख परमेश्वर के भवन के सब काम के लिथे जाजकोंऔर लेवियोंके दल ठहराए गए हैं, और सब प्रकार की सेवा के लिथे सब प्रकार के काम प्रसन्नता से करनेवाले बुद्धिमान पुरुष भी तेरा साय देंगे; और हाकिम और सारी प्रजा के लोग भी जो कुछ तू कहेगा वही करेंगे।

Chapter 29

1. फिर राजा दाऊद ने सारी सभा से कहा, मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार लड़का है, और केवल उसी को परमेश्वर ने चुना है; काम तो भारी है, क्योंकि यह भवन मनुष्य के लिथे नहीं, यहोवा परमेश्वर के लिथे बनेगा। 
2. मैं ने तो अपक्की शक्ति भर, अपके परमेश्वर के भवन के निमित्त सोने की वस्तुओं के लिथे सोना, चान्दी की वस्तुओं के लिथे चान्ी, पीतल की वस्तुओं के लिथे पीतल, लोहे की वस्तुओं के लिथे लोहा, और लकड़ी की वस्तुओं के लिथे लकड़ी, और सुलैमानी पत्यर, और जड़ने के योग्य मणि, और पच्ची के काम के लिथे रड़ग रड़ग के नग, और सब भांति के मणि और बहुत संगमर्मर इकट्ठा किया है। 
3. फिर मेरा मन अपके परमेश्वर के भवन में लगा है, इस कारण जो कुछ मैं ने पवित्र भवन के लिथे इकट्ठा किया है, उस सब से अधिक मैं अपना निज धन भी जो सोना चान्दी के रूप में मेरे पास है, अपके परमेश्वर के भवन के लिथे दे देता हूँ। 
4. अर्यात्‌ तीन हजार किक्कार ओपीर का सोना, और सात हजार किक्कार तपाई हुई चान्दी, जिस से कोठरियोंकी भीतें मढ़ी जाएं। 
5. और सोने की वस्तुओं के लिथे सोना, और चान्दी की वस्तुओं के लिथे चान्दी, और कारीगरोंसे बनानेवाले सब प्रकार के काम के लिथे मैं उसे देता हूँ। और कौन अपक्की इच्छा से यहोवा के लिथे अपके को अर्पण कर देता है? 
6. तब पितरोंके घरानोंके प्रधानोंऔर इस्राएल के गोत्रोंके हाकिमोंऔर सहस्रपतियोंऔर शतपतियोंऔर राजा के काम के अधिक्कारनेियोंने अपक्की अपक्की इच्छा से, 
7. परमेश्वर के भवन के काम के लिथे पांच हजार किक्कार और दस हजार दर्कनोन सोना, दस हजार किक्कार चान्दी, अठारह हजार किक्कार पीतल, और एक लाख किक्कार लोहा दे दिया। 
8. और जिनके पास मणि थे, उन्होंने उन्हें यहोवा के भवन के खजाने के लिथे गेशॉनी यहीएल के हाथा में दे दिया। 
9. तब प्रजा के लोग आनन्दित हुए, क्योंकि हाकिमोंने प्रसन्न होकर खरे मन और अपक्की अपक्की इच्छा से यहोवा के लिथे भेंट दी यी; और दाऊद राजा बहुत ही आनन्दित हुआ। 
10. तब दाऊद ने सारी सभा के सम्मुख यहोवा का धन्यवाद किया, और दाऊद ने कहा, हे यहोवा ! हे हमारे मूल पुरुष इस्राएल के परमेश्वर ! अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू धन्य है। 
11. हे यहोवा ! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्य्य और विभव, तेरा ही है; क्योंकि अकाश और पृय्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा ! राज्य तेरा है, और तू सभोंके ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। 
12. धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभोंके ऊपर प्रभुता करता है। सामर्य्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगोंको बढ़ाना इौर बल देना तेरे हाथ में है। 
13. इसलिथे अब हे हमारे परमेश्वर ! हम तेरा ध्न्यवाद और तेरे महिमायुक्त नाम की स्तुति करते हैं। 
14. मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपक्की इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है। 
15. तेरी दृष्टि में हम तो अपके सब पुरखाओं की नाई पराए और परदेशी हैं; पृय्वी पर हमारे दिन छाया की नाई बीते जाते हैं, और हमारा कुछ ठिकाना नहीं। 
16. हे हमारे परमेश्वर यहोवा ! वह जो बड़ा संचय हम ने तेरे पवित्र नाम का एक भवन बनाने के लिथे किया है, वह तेरे ही हाथ से हमे मिला या, और सब तेरा ही है। 
17. और हे मेरे परमेश्वर ! मैं जानता हूँ कि तू मन को जांचता है और सिधाई से प्रसन्न रहता है; मैं ने तो यह सब कुछ मन की सिधाई और अपक्की इच्छा से दिया है; और अब मैं ने आनन्द से देखा है, कि तेरी प्रजा के लोग जो यहां उपस्यित हैं, वह अपक्की इच्छा से तेरे लिथे भेंट देते हैं। 
18. हे यहोवा ! हे हमारे पुरखा इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर ! अपक्की प्रजा के मन के विचारोंमें यह बात बनाए रख और उनके मन अपक्की ओर लगाए रख। 
19. और मेरे पुत्र सुलैमान का मन ऐसा खरा कर दे कि वह तेरी आज्ञाओं चितौनियोंऔर विधियोंको मानता रहे और यह सब कुछ करे, और उस भवन को बनाए, जिसकी तैयारी मैं ने की है। 
20. तब दाऊद ने सारी सभा से कहा, तुम अपके परमेश्वर यहोवा का धन्यवाद करो। तब सभा के सब लोगोंने अपके पितरोंके परमेश्वर यहोवा का धन्यवाद किया, और अपना अपना सिर फुकाकर यहोवा को और राजा को दण्डवत किया। 
21. और दूसरे दिन उन्होंने यहोवा के लिथे बलिदान किए, अर्यात्‌ अधॉं समेत एक हजार बैल, एक हजार मेढ़े और एक हजार भेड़ के बच्चे होमबलि करके चढ़ाए, और सब इस्राएल के लिथे बहुत से मेलबलि चढ़ाए। उसी दिन यहोवा के साम्हने उन्होंने बड़े आनन्द से खाया और पिया। 
22. फिर उन्होंने दाऊद के पुत्र सुलैमान को दूसरी बार राजा ठहराकर यहोवा की ओर से प्रधान होने के लिथे उसका और याजक होने के लिथे सादोक का अभिषेक किया। 
23. तब सुलैमान अपके पिता दाऊद के स्यान पर राजा होकर यहोवा के सिंहासन पर विराजने लगा और भाग्यवान हुआ, और इस्राएल उसके अधीन हुआ। 
24. और सब हाकिमोंऔर शूरवीरोंऔर राजा दाऊद के सब पुत्रोंने सुलैमान राजा की अधीनता अंगीकार की। 
25. और यहोवा ने सुलैमान को सब इस्राएल के देखते बहुत बढ़ाया, और उसे ऐसा राजकीय ऐश्वर्य दिया, जैसा उस से पहिले इस्राएल के किसी राजा का न हुआ या। 
26. इस प्रकार यिहौ के पुत्र दाऊद ने सारे इस्राएल के ऊपर राज्य किया। 
27. और उसके इस्राएल पर राज्य करने का समय चालीस वर्ष का या; उस ने सात वर्ष तो हेब्रोन में और तैंतीस वर्ष यरूशलेम में राज्य किया। 
28. और वह पूरे बूढ़ापे की अवस्या में दीर्घायु होकर और धन और विभव, मनमाना भोगकर मर गया; और उसका पुत्र सुलैमान उसके स्यान पर राजा हुआ। 
29. आादि से अन्त तक राजा दाऊद के सब कामोंका वृत्तान्त, 

30. और उसके सब राज्य और पराक्रम का, और उस पर और इस्राएल पर, वरन देश देश के सब राज्योंपर जो कुछ बीता, इसका भी वृत्तान्त शमूएल दशीं और नातान नबी और गाद दशीं की पुस्तकोंमें लिखा हुआ है।
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