{[['']]}
2 तीमुथियुस (2 Timothy)
Chapter 1
1. पौलुस की ओर से जो उस जीवन की प्रतिज्ञा के अनुसार जो मसीह यीशु में है, परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित है।
2. प्रिय पुत्र तीमुयियुस के नाम।। परमेश्वर पिता और हमारे प्रभु मसीह यीशु की ओर से तुझे अनुग्रह और दया और शान्ति मिलती रहे।।
3. जिस परमेश्वर की सेवा मैं अपके बापदादोंकी रीति पर शुद्ध विवेक से करता हूं, उसका धन्यवाद हो कि अपक्की प्रार्यनाओं में तुझे लगातार स्क़रण करता हूं।
4. और तेरे आंसुओं की सुधि कर करके रात दिन तुझ से भेंट करने की लालसा रखता हूं कि आनन्द से भर जाऊं।
5. और मुझे तेरे उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है, जो पहिले तेरी नानी लोइस, और तेरी माता यूनीके में यी, और मुझे निश्चय हुआ है, कि तुम में भी है।
6. इसी कारण मैं तुझे सुधि दिलाता हूं, कि तू परमेश्वर के उस वरदान को जो मेरे हाथ रखने के द्वारा तुझे मिला है चमका दे।
7. क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्य, और प्रेम, और संयम की आत्क़ा दी है।
8. इसलिथे हमारे प्रभु की गवाही से, और मुझ से जो उसका कैदी हूं, लज्ज़ित न हो, पर उस परमेश्वर की सामर्य के अनुसार सुसमाचार के लिथे मेरे साय दुख उठा।
9. जिस ने हमारा उद्धार किया, और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामोंके अनुसार नहीं; पर अपक्की मनसा और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है।
10. पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के द्वारा प्रकाश हुआ, जिस ने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया।
11. जिस के लिथे मैं प्रचारक, और प्रेरित, और उपकेशक भी ठहरा।
12. इस कारण मैं इन दुखोंको भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्चय है, कि वह मेरी याती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है।
13. जो खरी बातें तू ने मुझ से सुनी हैं उन को उस विश्वास और प्रेम के साय जो मसीह यीशु में है, अपना आदर्श बनाकर रख।
14. और पवित्र आत्क़ा के द्वारा जो हम में बसा हुआ है, इस अच्छी याती की रखवाली कर।।
15. तू जानता है, कि आसियावाले सब मुझ से फिर गए हैं, जिन में फूगिलुस और हिरमुगिनेस हैं।
16. उनेसिफुरूस के घराने पर प्रभु दया करे, क्योंकि उस ने बहुत बार मेरे जी को ठंडा किया, और मेरी जंजीरोंसे लज्ज़ित न हुआ।
17. पर जब वह रोमा में आया, तो बड़े यत्न से ढूंढकर मुझ से भेंट की।
18. (प्रभु करे, कि उस दिन उस पर प्रभु की दया हो)। और जो जो सेवा उस ने इफिसुस में की है उन्हें भी तू भली भांति जानता है।।
Chapter 2
1. इसलिथे हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्त हो जा।
2. और जो बातें तू ने बहुत गवाहोंके साम्हने मुझ से सुनी है, उन्हें विश्वासी मनुष्योंको सौंप दे; जो औरोंको भी सिखाने के योग्य हों।
3. मसीह यीशु के अच्छे योद्धा की नाई मेरे साय दुख उठा।
4. जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिथे कि अपके भरती करनेवाले को प्रसन्न करे, अपके आप को संसार के कामोंमें नहीं फंसाता
5. फिर अखाड़े में लडनेवाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता।
6. जो गृहस्य परिश्र्म करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए।
7. जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातोंकी समझ देगा।
8. यीशु मसीह को स्क़रण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मरे सुसमाचार के अनुसार है।
9. जिस के लिथे मैं कुकर्मी की नाई दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं।
10. इस कारण मैं चुने हुए लोगोंके लिथे सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साय पाएं।
11. यह बात सच है, कि यदि हम उसके साय मर गए हैं तो उसके साय जीएंगे भी।
12. यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साय राज्य भी करेंगे : यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा।
13. यदि हम अविश्वासी भी होंतौभी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता।।
14. इन बातोंकी सुधि उन्हें दिला, और प्रभु के साम्हने चिता दे, कि शब्दोंपर तर्क-वितर्क न किया करें, जिन से कुछ लाभ नहीं होता; बरन सुननेवाले बिगड़ जाते हैं।
15. अपके आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।
16. पर अशुद्ध बकवाद से बचा रह; क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएंगे।
17. और उन का वचन सड़े-घाव की नाईं फैलता जाएगा: हुमिनयुस और फिलेतुस उन्हीं में से हैं।
18. जो यह कहकर कि पुनरूत्यान हो चुका है सत्य से भटक गए हैं, और कितनोंके विश्वास को उलट पुलट कर देते हैं।
19. तौभी परमेश्वर की पक्की नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनोंको पहिचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।
20. बड़े घर में न केवल सोने-चान्दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिथे।
21. यदि कोई अपके आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिथे तैयार होगा।
22. जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साय धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
23. पर मूर्खता, और अविद्या के विवादोंसे अलग रह; क्योंकि तू जानता है, कि उन से फगड़े होते हैं।
24. और प्रभु के दास को फगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साय कोमल और शिझा में निपुण, और सहनशील हो।
25. और विरोधियोंको नम्रता से समझाए, क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें।
26. और इस के द्वारा उस की इच्छा पूरी करने के लिथे सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाए।।
Chapter 3
1. पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनोंमें किठन समय आएंगे।
2. क्योंकि मनुष्य अपस्वार्यी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र।
3. मयारिहत, झमारिहत, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी।
4. विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे।
5. वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसोंसे पके रहता।
6. इन्हीं में से वे लोग हैं, जो घरोंमें दबे पांव घुस आते हैं और छिछौरी स्त्रियोंको वश में कर लेते हैं, जो पापोंसे दबी और हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं।
7. और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचक्कीं।
8. और जैसे यन्नेस और यम्ब्रेस ने मूसा का विरोध किया या वैसे ही थे भी सत्य का विरोध करते हैं: थे तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है और वे विश्वास के विषय में निकम्मे हैं।
9. पर वे इस से आगे नहीं बढ़ सकते, क्योंकि जैसे उन की अज्ञानता सब मनुष्योंपर प्रगट हो गई यी, वैसे ही इन की भी हो जाएगी।
10. पर तू ने उपकेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साय दिया।
11. और ऐसे दुखोंमें भी जो अन्ताकिया और इकुनियुम और लुस्त्रा में मुझ पर पके थे और और दुखोंमें भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
12. पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साय जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
13. और दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
14. पर तू इन बातोंपर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की यी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगोंसे सीखा या
15. और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिथे बुद्धिमान बना सकता है।
16. हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपकेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिझा के लिथे लाभदायक है।
17. ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिथे तत्पर हो जाए।।
Chapter 4
1. परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतोंऔर मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूं।
2. कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिझा के साय उलाहना दे, और डांट, और समझा।
3. क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपकेश न सह सकेंगे पर कानोंकी खुजली के कारण अपक्की अभिलाषाओं के अनुसार अपके लिथे बहुतेरे उपकेशक बटोर लेंगे।
4. और अपके कान सत्य से फेरकर कया-कहानियोंपर लगाएंगे।
5. पर तू सब बातोंमें सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपक्की सेवा को पूरा कर।
6. क्योंकि अब मैं अर्ध की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
7. मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं मैं ने अपक्की दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
8. भविष्य में मेरे लिथे धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, बरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।।
9. मेरे पास शीघ्र आने का प्रयत्न कर।
10. क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जानकर मुझे छोड़ दिया है, और यिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है।
11. केवल लूका मेरे साय है: मरकुस को लेकर चला आ; क्योंकि सेवा के लिथे वह मेरे बहुत काम का है।
12. तुखिकुस को मैं ने इफिसुस को भेजा है।
13. जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहां छोड़ आया हूं, जब तू आए, तो उसे और पुस्तकें विशेष करके चर्म्मपत्रोंको लेते आना।
14. सिकन्दर ठठेरे ने मुझ से बहुत बुराइयां की हैं प्रभु उसे उसके कामोंके अनुसार बदला देगा।
15. तू भी उस से सावधान रह, क्योंकि उस ने हमारी बातोंका बहुत ही विरोध किया।
16. मेरे पहिले प्रत्युत्तर करने के समय में किसी ने भी मेरा साय नहीं दिया, बरन सब ने मुझे छोड़ दिया या: भला हो, कि इस का उनको लेखा देना न पके।
17. परन्तु प्रभु मेरा सहाथक रहा, और मुझे सामर्य दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।
18. और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपके स्वर्गीय राज्य में उद्धार करके पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।।
19. प्रिसका और अक्विला को, और उनेसिफुरूस के घराने को नमस्कार।
20. इरास्तुस कुरिन्युस में रह गया, और त्रुफिमुस को मैं ने मीलेतुस में बीमार छोड़ा है।
21. जाड़े से पहिले चले आने का प्रयत्न कर: यूबूलुस, और पूदेंस, और लीनुस और क्लौदिया, और सब भाइयोंका तुझे नमस्कार।।
22. प्रभु तेरी आत्क़ा के साय रहे: तुम पर अनुग्रह होता रहे।।
Chapter 1
1. पौलुस की ओर से जो उस जीवन की प्रतिज्ञा के अनुसार जो मसीह यीशु में है, परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित है।
2. प्रिय पुत्र तीमुयियुस के नाम।। परमेश्वर पिता और हमारे प्रभु मसीह यीशु की ओर से तुझे अनुग्रह और दया और शान्ति मिलती रहे।।
3. जिस परमेश्वर की सेवा मैं अपके बापदादोंकी रीति पर शुद्ध विवेक से करता हूं, उसका धन्यवाद हो कि अपक्की प्रार्यनाओं में तुझे लगातार स्क़रण करता हूं।
4. और तेरे आंसुओं की सुधि कर करके रात दिन तुझ से भेंट करने की लालसा रखता हूं कि आनन्द से भर जाऊं।
5. और मुझे तेरे उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है, जो पहिले तेरी नानी लोइस, और तेरी माता यूनीके में यी, और मुझे निश्चय हुआ है, कि तुम में भी है।
6. इसी कारण मैं तुझे सुधि दिलाता हूं, कि तू परमेश्वर के उस वरदान को जो मेरे हाथ रखने के द्वारा तुझे मिला है चमका दे।
7. क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्य, और प्रेम, और संयम की आत्क़ा दी है।
8. इसलिथे हमारे प्रभु की गवाही से, और मुझ से जो उसका कैदी हूं, लज्ज़ित न हो, पर उस परमेश्वर की सामर्य के अनुसार सुसमाचार के लिथे मेरे साय दुख उठा।
9. जिस ने हमारा उद्धार किया, और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामोंके अनुसार नहीं; पर अपक्की मनसा और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है।
10. पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के द्वारा प्रकाश हुआ, जिस ने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया।
11. जिस के लिथे मैं प्रचारक, और प्रेरित, और उपकेशक भी ठहरा।
12. इस कारण मैं इन दुखोंको भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्चय है, कि वह मेरी याती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है।
13. जो खरी बातें तू ने मुझ से सुनी हैं उन को उस विश्वास और प्रेम के साय जो मसीह यीशु में है, अपना आदर्श बनाकर रख।
14. और पवित्र आत्क़ा के द्वारा जो हम में बसा हुआ है, इस अच्छी याती की रखवाली कर।।
15. तू जानता है, कि आसियावाले सब मुझ से फिर गए हैं, जिन में फूगिलुस और हिरमुगिनेस हैं।
16. उनेसिफुरूस के घराने पर प्रभु दया करे, क्योंकि उस ने बहुत बार मेरे जी को ठंडा किया, और मेरी जंजीरोंसे लज्ज़ित न हुआ।
17. पर जब वह रोमा में आया, तो बड़े यत्न से ढूंढकर मुझ से भेंट की।
18. (प्रभु करे, कि उस दिन उस पर प्रभु की दया हो)। और जो जो सेवा उस ने इफिसुस में की है उन्हें भी तू भली भांति जानता है।।
Chapter 2
1. इसलिथे हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्त हो जा।
2. और जो बातें तू ने बहुत गवाहोंके साम्हने मुझ से सुनी है, उन्हें विश्वासी मनुष्योंको सौंप दे; जो औरोंको भी सिखाने के योग्य हों।
3. मसीह यीशु के अच्छे योद्धा की नाई मेरे साय दुख उठा।
4. जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिथे कि अपके भरती करनेवाले को प्रसन्न करे, अपके आप को संसार के कामोंमें नहीं फंसाता
5. फिर अखाड़े में लडनेवाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता।
6. जो गृहस्य परिश्र्म करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए।
7. जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातोंकी समझ देगा।
8. यीशु मसीह को स्क़रण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मरे सुसमाचार के अनुसार है।
9. जिस के लिथे मैं कुकर्मी की नाई दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं।
10. इस कारण मैं चुने हुए लोगोंके लिथे सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साय पाएं।
11. यह बात सच है, कि यदि हम उसके साय मर गए हैं तो उसके साय जीएंगे भी।
12. यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साय राज्य भी करेंगे : यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा।
13. यदि हम अविश्वासी भी होंतौभी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता।।
14. इन बातोंकी सुधि उन्हें दिला, और प्रभु के साम्हने चिता दे, कि शब्दोंपर तर्क-वितर्क न किया करें, जिन से कुछ लाभ नहीं होता; बरन सुननेवाले बिगड़ जाते हैं।
15. अपके आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।
16. पर अशुद्ध बकवाद से बचा रह; क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएंगे।
17. और उन का वचन सड़े-घाव की नाईं फैलता जाएगा: हुमिनयुस और फिलेतुस उन्हीं में से हैं।
18. जो यह कहकर कि पुनरूत्यान हो चुका है सत्य से भटक गए हैं, और कितनोंके विश्वास को उलट पुलट कर देते हैं।
19. तौभी परमेश्वर की पक्की नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनोंको पहिचानता है; और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।
20. बड़े घर में न केवल सोने-चान्दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिथे।
21. यदि कोई अपके आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिथे तैयार होगा।
22. जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साय धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
23. पर मूर्खता, और अविद्या के विवादोंसे अलग रह; क्योंकि तू जानता है, कि उन से फगड़े होते हैं।
24. और प्रभु के दास को फगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साय कोमल और शिझा में निपुण, और सहनशील हो।
25. और विरोधियोंको नम्रता से समझाए, क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें।
26. और इस के द्वारा उस की इच्छा पूरी करने के लिथे सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाए।।
Chapter 3
1. पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनोंमें किठन समय आएंगे।
2. क्योंकि मनुष्य अपस्वार्यी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र।
3. मयारिहत, झमारिहत, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी।
4. विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे।
5. वे भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसोंसे पके रहता।
6. इन्हीं में से वे लोग हैं, जो घरोंमें दबे पांव घुस आते हैं और छिछौरी स्त्रियोंको वश में कर लेते हैं, जो पापोंसे दबी और हर प्रकार की अभिलाषाओं के वश में हैं।
7. और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचक्कीं।
8. और जैसे यन्नेस और यम्ब्रेस ने मूसा का विरोध किया या वैसे ही थे भी सत्य का विरोध करते हैं: थे तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है और वे विश्वास के विषय में निकम्मे हैं।
9. पर वे इस से आगे नहीं बढ़ सकते, क्योंकि जैसे उन की अज्ञानता सब मनुष्योंपर प्रगट हो गई यी, वैसे ही इन की भी हो जाएगी।
10. पर तू ने उपकेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साय दिया।
11. और ऐसे दुखोंमें भी जो अन्ताकिया और इकुनियुम और लुस्त्रा में मुझ पर पके थे और और दुखोंमें भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
12. पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साय जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
13. और दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
14. पर तू इन बातोंपर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की यी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगोंसे सीखा या
15. और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिथे बुद्धिमान बना सकता है।
16. हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपकेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिझा के लिथे लाभदायक है।
17. ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिथे तत्पर हो जाए।।
Chapter 4
1. परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतोंऔर मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूं।
2. कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिझा के साय उलाहना दे, और डांट, और समझा।
3. क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपकेश न सह सकेंगे पर कानोंकी खुजली के कारण अपक्की अभिलाषाओं के अनुसार अपके लिथे बहुतेरे उपकेशक बटोर लेंगे।
4. और अपके कान सत्य से फेरकर कया-कहानियोंपर लगाएंगे।
5. पर तू सब बातोंमें सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपक्की सेवा को पूरा कर।
6. क्योंकि अब मैं अर्ध की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
7. मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं मैं ने अपक्की दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
8. भविष्य में मेरे लिथे धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, बरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।।
9. मेरे पास शीघ्र आने का प्रयत्न कर।
10. क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जानकर मुझे छोड़ दिया है, और यिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है।
11. केवल लूका मेरे साय है: मरकुस को लेकर चला आ; क्योंकि सेवा के लिथे वह मेरे बहुत काम का है।
12. तुखिकुस को मैं ने इफिसुस को भेजा है।
13. जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहां छोड़ आया हूं, जब तू आए, तो उसे और पुस्तकें विशेष करके चर्म्मपत्रोंको लेते आना।
14. सिकन्दर ठठेरे ने मुझ से बहुत बुराइयां की हैं प्रभु उसे उसके कामोंके अनुसार बदला देगा।
15. तू भी उस से सावधान रह, क्योंकि उस ने हमारी बातोंका बहुत ही विरोध किया।
16. मेरे पहिले प्रत्युत्तर करने के समय में किसी ने भी मेरा साय नहीं दिया, बरन सब ने मुझे छोड़ दिया या: भला हो, कि इस का उनको लेखा देना न पके।
17. परन्तु प्रभु मेरा सहाथक रहा, और मुझे सामर्य दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।
18. और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपके स्वर्गीय राज्य में उद्धार करके पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।।
19. प्रिसका और अक्विला को, और उनेसिफुरूस के घराने को नमस्कार।
20. इरास्तुस कुरिन्युस में रह गया, और त्रुफिमुस को मैं ने मीलेतुस में बीमार छोड़ा है।
21. जाड़े से पहिले चले आने का प्रयत्न कर: यूबूलुस, और पूदेंस, और लीनुस और क्लौदिया, और सब भाइयोंका तुझे नमस्कार।।
22. प्रभु तेरी आत्क़ा के साय रहे: तुम पर अनुग्रह होता रहे।।
Post a Comment