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The Holy Bible - तीतुस (Titus)

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तीतुस (Titus)

Chapter 1

1. पौलुस की ओर से जो परमेश्वर का दास और यीशु मसीह का प्रेरित है, परमेश्वर के चुने हुए लोगोंके विश्वास, और भक्ति के अनुसार है। 
2. उस अनन्‍त जीवन की आशा पर, जिस की प्रतिज्ञा परमेश्वर ने जो फूठ बोल नहीं सकता सनातन से की है। 
3. पर ठीक समय पर अपके वचन को उस प्रचार के द्वारा प्रगट किया, जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार मुझे सौंपा गया। 
4. तीतुस के नाम जो विश्वास की सहभागिता के विचार से मेरा सच्‍चा पुत्र है: परमेश्वर पिता और हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु से अनुग्रह और शान्‍ति होती रहे।। 
5. मैं इसलिथे तुझे क्रेते में छोड़ आया या, कि तू शेष रही हुई बातोंको सुधारे, और मेरी आज्ञा के अनुसार नगर नगर प्राचीनोंको नियुक्त करे। 
6. जो निर्दोष और एक ही पत्‍नी के पति हों, जिन के लड़केबाले विश्वासी हो, और जिन्‍हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं। 
7. क्‍योंकि अध्यझ को परमेश्वर का भण्‍डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए; न हठी, न क्रोधी, न पिय?ड़, न मारपीट करनेवाला, और न नीच कमाई का लोभी। 
8. पर पहुनाई करनेवाला, भलाई का चाहनेवाला, संयमी, न्यायी, पवित्र और जितेन्‍द्रिय हो। 
9. और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपकेश के अनुसार है, स्यिर रहे; कि खरी शिझा से उपकेश दे सके; और विवादियोंका मुंह भी बन्‍द कर सके।। 
10. क्‍योंकि बहुत से लोग निरंकुश बकवादी और धोखा देनेवाले हैं; विशेष करके खतनावालोंमें से। 
11. इन का मुंह बन्‍द करना चाहिए: थे लोग नीच कमाई के लिथे अनुचित बातें सिखाकर घर के घर बिगाड़ देते हैं। 
12. उन्‍हीं में से एक जन ने जो उन्‍हीं भविष्यद्क्ता हैं, कहा है, कि क्रेती लोग सदा फूठे, दुष्‍ट पशु और आलसी पेटू होते हैं। 
13. यह गवाही सच है, इसलिथे उनहें कड़ाई से चितौनी दिया कर, कि वे विश्वास में पके हो जाएं। 
14. और वे यहूदियोंकी कया कहानियोंऔर उन मनुष्योंकी आज्ञाओं पर मन न लगाएं, जो सत्य से भटक जाते हैं। 
15. शुद्ध लोगोंके लिथे सब वस्‍तु शुद्ध हैं, पर अशुद्ध और अविश्वासियोंके लिथे कुछ भी शुद्ध नहीं: बरन उन की बुद्धि और विवेक दोनोंअशुद्ध हैं। 
16. वे कहते हैं, कि हम परमेश्वर को जानते हैं: पर अपके कामोंसे उसका इन्‍कार करते हैं, क्‍योंकि वे घृणित और आज्ञा न माननेवाले हैं: और किसी अच्‍छे काम के योग्य नहीं।।

Chapter 2

1. पर तू ऐसी बातें कहा कर, जो खरे उपकेश के योग्य हैं। 
2. अर्यात्‍ बूढ़े पुरूष, सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और प्रेम और धीरज प?ा हो। 
3. इसी प्रकार बूढ़ी स्‍त्रियोंका चाल चलन पवित्र लोगोंसा हो, दोष लगानेवाली और पिय?ड़ नहीं; पर अच्‍छी बातें सिखानेवाली हों। 
4. ताकि वे जवान स्‍त्रियोंको चितौनी देती रहें, कि अपके पतियोंऔर बच्‍चोंसे प्रीति रखें। 
5. और संयमी, पतिव्रता, घर का कारबार करनेवाली, भली और अपके अपके पति के आधीन रहनेवाली हों, ताकि परमेश्वर के वचन की निन्‍दा न होने पाए। 
6. ऐसे ही जवान पुरूषोंको भी समझाया कर, कि संयमी हों। 
7. सब बातोंमें अपके आम को भले कामोंका नमूना बना: तेरे उपकेश में सफाई, गम्भीरता। 
8. और ऐसी खराई पाई जाए, कि कोई उसे बुरा न कह सके; जिस से विरोधी हम पर कोई दोष लगाने की गौं न पाकर लज्ज़ित हों। 
9. दासोंको समझा, कि अपके अपके स्‍वामी के आधीन रहें, और सब बातोंमें उन्‍हें प्रसन्न रखें, और उलटकर जवाब न दें। 
10. चोरी चालाकी न करें; पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें, कि वे सब बातोंमें हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपकेश की शोभा दें। 
11. क्‍योंकि परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्योंके उद्धार का कारण है। 
12. और हमें चिताता है, कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएं। 
13. और उस धन्य आशा की अर्यात्‍ अपके महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। 
14. जिस ने अपके आप को हमारे लिथे दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपके लिथे एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामोंमें सरगर्म हो।। 
15. पूरे अधिक्कारने के साय थे बातें कह और समझा और सिखाता रह: कोई तुझे तुच्‍द न जानने पाए।।

Chapter 3

1. लोगोंको सुधि दिला, कि हाकिमोंऔर अधिक्कारनेियोंके आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्‍छे काम के लिथे तैयार रह। 
2. किसी को बदनाम न करें; फगडालू न हों: पर कोमल स्‍वभाव के हों, और सब मनुष्योंके साय बड़ी नम्रता के साय रहें। 
3. क्‍योंकि हम भी पहिले, निर्बुद्धि, और आज्ञा न माननेवाले, और भ्रम में पके हुए, और रंग रंग के अभिलाषाओं और सुखविलास के दासत्‍व में थे, और बैरभाव, और डाह करने में जीवन निर्वाह करते थे, और घृणित थे, और एक दूसरे से बैर रखते थे। 
4. पर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा, और मनुष्योंपर उसकी प्रीति प्रगट हुई। 
5. तो उस ने हमारा उद्धार किया: और यह धर्म के कामोंके कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपक्की दया के अनुसार, नए जन्क़ के स्‍नान, और पवित्र आत्क़ा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ। 
6. जिसे उस ने हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला। 
7. जिस से हम उसके अनुग्रह से धर्मी ठहरकर, अनन्‍त जीवन की आशा के अनुसार वारिस बनें। 
8. यह बात सच है, और मैं चाहता हूं, कि तू इन बातोंके विषय में दृढ़ता से बोले इसलिथे कि जिन्‍होंने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले-भले कामोंमे लगे रहते का ध्यान रखें: थे बातें भली, और मनुष्योंके लाभ की हैं। 
9. पर मूर्खता के विवादों, और वंशावलियों, और बैर विरोध, और उन फगड़ोंसे, जो व्यवस्या के विषय में होंबचा रह; क्‍योंकि वे निष्‍फल और व्यर्य हैं। 
10. किसी पाखंडी को एक दो बार समझा बुफाकर उस से अलग रह। 
11. यह जानकर कि ऐसा मनुष्य भटक गया है, और अपके आप को दोषी ठहराकर पाप करता रहता है।। 
12. जब मैं तेरे पास अरितमास या तुखिकुस को भेजूं, तो मेरे पास नीकुपुलिस आने का यत्‍न करना: क्‍योंकि मैं ने वहीं जाड़ा काटने की ठानी है। 
13. जेनास व्यवस्यापक और अपुल्लोस को यत्‍न करके आगे पहुंचा दे, और देख, कि उन्‍हें किसी वस्‍तु की घटी न होने पाए। 
14. और हमारे लोग भी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिथे अच्‍छे कामोंमें लगे रहना सीखें ताकि निष्‍फल न रहें।। 

15. मेरे सब सायियोंका तुझे नमस्‍कार और जो विश्वास के कारण हम से प्रीति रखते हैं, उन को नमस्‍कार।। तुम सब पर अनुग्रह होता रहे।।
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