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The Holy Bible - यिर्मयाह (Jeremiah)

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यिर्मयाह (Jeremiah)

Chapter 1

1. हिल्किय्याह का पुत्र यिर्मयाह जो बिन्यामीन देश के अनातोत में रहनेवाले याजकोंमें से या, उसी के थे वचन हैं। 
2. यहोवा का वचन उसके पास आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनोंमें उसके राज्य के तेरहवें वर्ष में पहुंचा। 
3. इसके बाद योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के दिनोंमें, और योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के ग्यारहवें वर्ष के अन्त तक भी प्रगट होता रहा जब तक उसी वर्ष के पांचवें महीने में यरूशलेम के निवासी बंधुआई में न चले गए। 
4. तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 
5. गर्भ में रचने से पहिले ही मैं ने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहिले ही मैं ने तुझे अभिषेक किया; मैं ने तुझे जातियोंका भविष्यद्वक्ता ठहराया। 
6. तब मैं ने कहा, हाथ, प्रभु यहोवा ! देख, मैं तो बोलना ही नहीं जानता, क्योंकि मैं लड़का ही हूँ। 
7. परन्तु यहोवा ने मुझ से कहा, मत कह कि मैं लड़का हूँ; क्योंकि जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूं वहां तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आजा दूं वही तू कहेगा। 
8. तू उनके मुख को देखकर मत डर, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिथे मैं तेरे साय हूँ, यहोवा की यही वाणी है। 
9. तब यहोवा ने हाथ बढ़ाकर मेरे मुंह को छुआ; और यहोवा ने मुझ से कहा, देख, मैं ने अपके वचन तेरे मुंह में डाल दिथे हैं। 
10. सुन, मैं ने आज के दिन तुझे जातियोंऔर राज्योंपर अधिक्कारनेी ठहराया है; अन्हें गिराने और ढा देने के लिथे, नाश करने और काट डालने के लिथे, या उन्हें बनाने और रोपके के लिथे। 
11. और यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, हे यिर्मयाह, तुझे क्या दिखाई पड़ता है? मैं ने कहा, मुझे बादाम की एक टहनी दिखाई पड़ती है। 
12. तब यहोवा ने मुझ से कहा, तुझे ठीक दिखाई पड़ता है, क्योंकि मैं अपके वचन को पूरा करने के लिथे जागृत हूँ। 
13. फिर यहोवा का वचन दूसरी बार मेरे पास पहंचा, और उस ने पूछा, तुझे क्या दिखाई पड़ता है? मैं ने कहा, मुझे उबलता हुआ एक हण्डा दिखाई पड़ता है जिसका मुंह उत्तर दिशा की ओर से है। 
14. तब यहोवा ने मुझ से कहा, इस देश के सब रहनेवालोंपर उत्तर दिशा से विपत्ति आ पकेगी। 
15. यहोवा की यह वाणी है, मैं उत्तर दिशा के राज्योंऔर कुलोंको बुलाऊंगा; और वे आकर यरूशलेम के फाटकोंमें और उसके चारोंओर की शहरपनाह, और यहूदा के और सब नगरोंके साम्हने अपना अपना सिंहासन लगाएंगे। 
16. और उनकी सारी बुराई के कारण मैं उन पर दण्ड की आज्ञा दूंगा; क्योंकि उन्होंने मुझे त्यागकर दूसरे देवताओं के लिथे धूप जलाया और अपक्की बनाई हुई वस्तुओं को दण्डवत्‌ किया है। 
17. इसलिथे तू अपक्की कमर कसकर उठ; और जो कुछ कहने की मैं तुझे आज्ञा दूं वही उन से कह। तू उनके मुख को देखकर न घबराना, ऐसा न हो कि मैं तुझे उनके साम्हने घबरा दूं। 
18. क्योंकि सुन, मैं ने आज तुझे इस सारे देश और यहूद के राजाओं, हाकिमों, और याजकोंऔर साधारण लोगोंके विरुद्व गढ़वाला नगर, और लोहे का खम्भा, और पीतल की शहरपनाह बनाया है। 
19. वे तुझ से लड़ेंगे तो सही, परन्तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्योंकि बचाने के लिथे मैं तेरे साय हूँ, यहोवा की यही वाणी है।

Chapter 2

1. यहोवा का वह वचन मेरे पास पहुंचा, 
2. और यरूशलेम में पुकारकर यह सुना दे, यहोवा यह कहता है, तेरी जवानी का स्नेह और तेरे विवाह के समय का प्रेम मुझे स्मरण आता है कि तू कैसे जंगल में मेरे पीछे पीछे चक्की जहां भूमि जोती-बोई न गई यी। 
3. इस्राएल, यहोवा के लिथे पवित्र और उसकी पहली अपज यी। उसे खानेवाले सब दोषी ठहरेंगे और विपत्ति में पकेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
4. हे याकूब के घराने, हे इस्राएल के घराने के कुलोंके लोगो, यहोवा का वचन सुनो ! 
5. यहोवा योंकहता है, तुम्हारे पुरखाओं ने मुझ में कौन ऐसी कुटिलता पाई कि मुझ से दूर हट गए और निकम्मी वस्तुओं के पीछे होकर स्वयं निकम्मे हो गए? 
6. उन्होंने इतना भी न कहा कि जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया वह यहोवा कहां है? जो हमें जंगल में से ओर रेत और गड़होंसे भरे हुए निर्जल और घोर अन्धकार के देश से जिस में होकर कोई नहीं चलता, और जिस में कोई मनुष्य नहीं रहता, हमें निकाल ले आया। 
7. और मैं तुम को इस उपजाऊ देश में ले आया कि उसका फल और उत्तम उपज खाओ; परन्तु मेरे इस देश में आकर तुम ने इसे अशुद्ध किया, और मेरे इस निज भाग को घृणाित कर दिया है। 
8. याजकोंने भी नहीं पूछा कि यहोवा कहां है; जो व्यवस्या सिखाते थे वे भी मुझ को न जानते थे; चरवाहोंने भी मुझ से बलवा किया; भविष्यद्वक्ताओं ने बाल देवता के नाम से भविष्यद्वाणी की और निष्फल बातोंके पीछे चले। 
9. इस कारण यहोवा यह कहता है, मैं फिर तुम से विवाद, और तुम्हारे बेटे और पोतोंसे भी प्रश्न करूंगा। 
10. कित्तियोंके द्वीपोंमें पार जाकर देखो, या केदार में दूत भेजकर भली भांति विचार करो और देखो; देखो, कि ऐसा काम कहीं और भी हुआ है? क्या किसी जाति ने अपके देवताओं को बदल दिया जो परमेश्वर भी नहीं हैं? 
11. परन्तु मेरी प्रजा ने अपक्की महिमा को निकम्मी वस्तु से बदल दिया है। 
12. हे आकाश, चकित हो, बहुत ही यरयरा और सुनसान हो जा, यहोवा की यह वाणी है। 
13. क्योंकि मेरी प्रजा ने दो बुराइयां की हैं : उन्होंने मुझ बहते जल के सोते को त्याग दिया है, और, अन्होंने हौद बना लिए, वरन बेसे हौद जो टूट गए हैं, और जिन में जल नहीं रह सकता। 
14. क्या इस्राएल दास है? क्या वह घर में जन्मा हुआ दांस है? फिर वह क्योंशिकार बना? 
15. जवान सिंहोंने उसके विरुद्ध गरजकर नाद किया। उन्होंने उसके देश को उजाड़ दिया; उन्होंने उसके नगरोंको ऐसा उजाड़ दिया कि उन में कोई बसनेवाला ही न रहा।
16. और नोप और तहपत्हेस के निवासी भी तेरे देश की उपज चट कर गए हैं। 
17. क्या यह तेरी ही करनी का फल नहीं, जो तू ने अपके परमेश्वर यहोवा को छोड़ दिया जो तुझे मार्ग में लिए चला? 
18. और अब तुझे मिस्र के मार्ग से क्या लाभ है कि तू सीहोर का जल पीए? अयवा अश्शूर के मार्ग से भी तुझे क्या लाभ कि तू महानद का जल पीए? 
19. तेरी बुराई ही तेरी ताड़ना करेगी, और तेरा भटक जाना तुझे उलाहना देगा। जान ले और देख कि अपके परमेश्वर यहोवा को त्यागना, यह बुरी और कड़वी बात है; तुझे मेरा भय ही नहीं रहा, प्रभु सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है। 
20. क्योंकि बहुत समय पहिले मैं ने तेरा जूआ तोड़ डाला और तेरे बन्धन खोल दिए; परन्तु तू ने कहा, मैं सेवा न करूंगी। और सब ऊंचे-ऊंचे टीलोंपर और सब हरे पेड़ोंके नीचे तू व्यभिचारिण का सा काम करती रही। 
21. मैं ने तो तुझे उत्तम जाति की दाखलता और उत्तम बीज करके लगाया या, फिर तू क्योंमेरे लिथे जंगली दाखलता बन गई? 
22. चाहे तू अपके को सज्जी से धोए और बहुत सा साबुन भी प्रयोग करे, तौभी तेरे अधर्म का धब्बा मेरे साम्हने बना रहेगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है। 
23. तू क्योंकर कह सकती है कि मैं अशुद्ध नहीं, मैं बाल देवताओं के पीछे नहीं चक्की? तराई में की अपक्की चाल देख और जान ले कि तू ने क्या किया है? तू वेग से चलनेवाली और इधर उधर फिरनेवाली सांड़नी है, 
24. जंगल में पक्की हुई जंगली गदही जो कामातुर होकर वायु सूंधती फिरती है तब कौन उसे वश में कर सकता है? जितने उसको ढूंढ़ते हैं वे व्यर्य परिश्र्म न करें; क्योंकि वे उसे उसकी ॠतु में पाएंगे। 
25. अपके पांव नंगे और गला सुखाए न रह। परन्तु तू ने कहा, नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि मेरा प्रेम दूसरोंसे लग गया है और मैं उनके पीछे चलती रहूंगी। 
26. जैसे चोर पकड़े जाने पर लज्जित होता है, वैसे ही इस्राएल का घराना राजाओं, हाकिमों, याजकोंऔर भविष्यद्वक्ताओं समेत लज्जित होगा। 
27. वे काठ से कहते हैं, तू मेरा बाप है, और पत्यर से कहते हैं, तू ने मुझे जन्म दिया है। इस प्रकार उन्होंने मेरी ओर मुंह नहीं पीठ ही फेरी है; परन्तु विपत्ति के समय वे कहते हैं, उठकर हमें बचा ! 
28. परन्तु जो देवता तू ने बना लिए हैं, वे कहां रहे? यदि वे तेरी विपत्ति के समय तुझे बचा सकते हैं तो अभी उठें; क्योंकि हे यहूदा, तेरे नगरोंके बराबर तेरे देवता भी बहुत हैं। 
29. तुम क्योंमुझ से वादविवाद करते हो? तुम सभोंने मुझ से बलवा किया है, यहोवा की यही वाणी है। 
30. मैं ने व्यर्य ही तुम्हारे बेटोंकी ताड़ना की, उन्होंने कुछ भी नहीं माना; तुम ने अपके भविष्यद्वक्ताओं को अपक्की ही तलवार से ऐसा काट डाला है जैसा सिंह फाड़ता है। 
31. हे लोगो, यहोवा के वचन पर ध्यान दो ! क्या मैं इस्राएल के लिथे जंगल वा घोर अन्धकार का देश बना? तब मेरी प्रजा क्योंकहती है कि हम तो आजाद हो गए हैं सो तेरे पास फिर न आएंगे? 
32. क्या कुमारी अपके मिड़गार वा दुल्हिन अपक्की सजावट भूल सकती है? तौभी मेरी प्रजा ने युगोंसे मुझे बिसरा दिया है। 
33. प्रेम लगाने के लिथे तू कैसी सुन्दर चाल चलती है ! बुरी स्त्रियोंको भी तू ने अपक्की सी चाल सिखाई है। 
34. तेरे घांघरे में निदॉष और दरिद्र लोगोंके लोहू का चिन्ह पाया जाता है; तू ने उन्हें सेंध लगाते नहीं पकड़ा। परन्तु इन सब के होते हुए भी तू कहती है, मैं निदॉष हूं; 
35. निश्चय उसका क्रोध मुझ पर से हट जाएगा। देख, तू जो कहती है कि मैं ने पाप नहीं किया, इसलिथे मैं तेरा न्याय कराऊंगा। 
36. तू क्योंनया मार्ग पकड़ने के लिथे इतनी डांवाडोल फिरती है? जैसे अश्शूरियोंसे तू लज्जित हुई वैसे ही मिस्रियोंसे भी होगी। 
37. वहां से भी तू सिर पर हाथ रखे हुए योंही चक्की आएगी, क्योंकि जिन पर तू ने भरोसा रखा है उनको यहोवा ने निकम्मा ठहराया है, और उसके कारण तू सफल न होगी।

Chapter 3

1. वे कहते हैं, यदि कोई अपक्की पत्नी को त्याग दे, और वह उसके पास से जाकर दूसरे पुरुष की हो जाए, तो वह पहिला क्या उसके पास फिर जाएगा? क्या वह देश अति अशुद्ध न हो जाएगा? यहोवा की यह वाणी है कि तू ने बहुत से प्रेमियोंके साय व्यभिचार किया है, क्या तू अब मेरी ओर फिरेगी? 
2. मुण्डे टीलोंकी ओर आंखें उठाकर देख ! ऐसा कौन सा स्यान है जहां तू ने कुकर्म न किया हो? मागॉं में तू ऐसी बैठी जैसे एक अरबी जंगल में। तू ने देश को अपके व्यभिचार से अशुद्ध कर दिया है। 
3. इसी कारण फडिय़ां और बरसात की पिछली वर्षा नहीं होती; तौभी तेरा माया वेश्या का सा है, तू लज्जित होना ही नहीं जानती। 
4. क्या तू अब मुझे पुकारकर कहेगी, हे मेरे पिता, तू ही मेरी जवानी का सायी है? 
5. क्या वह मन में सदा क्रोध रखे रहेगा? क्या वह उसको सदा बनाए रहेगा? तू ने ऐसा कहा तो है, परन्तु तू ने बुरे काम प्रबलता के साय किए हैं। 
6. फिर योशिय्याह राजा के दिनोंमें यहोवा ने मुझ से यह भी कहा, क्या तू ने देखा कि भटकनेवाली इस्राएल ने क्या किया है? उस ने सब ऊंचे पहाड़ोंपर और सब हरे पेड़ोंके तले जा जाकर व्यभिचार किया है। 
7. तब मैं ने सोवा, जब थे सब काम वह कर चुके तब मेरी ओर फिरेगी; परन्तु वह न फिरी, और उसकी विश्वासघाती बहिन यहूदा ने यह देखा। 
8. फिर मैं ने देखा, जब मैं ने भटकनेवाली इस्राएल को उसके व्यभिचार करने के कारण त्यागकर उसे त्यागपत्र दे दिया; तौभी उसकी विश्वासघाती बहिन यहूदा न डरी, वरन जाकर वह भी व्यभिचारिणी बन गई। 
9. उसके निर्लज्ज-व्यभिचारिणी होने के कारण देश भी अशुद्ध हो गया, उस ने पत्यर और काठ के साय भी व्यभिचार किया। 
10. इतने पर भी उसकी विश्वासघाती बहिन यहूदा पूर्ण मन से मेरी ओर नहीं फिरी, परन्तु कपट से, यहोवा की यही वाणी है। 
11. और यहोवा ने मुझ से कहा, भटकनेवाली इस्राएल, विश्वासघातिन यहूदा से कम दोषी निकली है। 
12. तू जाकर उत्तर दिशा में थे बातें प्रचार कर, यहोवा की यह वाणी है, हे भटकनेवाली इस्राएल लौट आ, मैं तुझ पर क्रोध की दृष्टि न करूंगा; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, मैं करुणामय हूँ; मैं सर्वदा क्रोध न रखे रहूंगा। 
13. केवल अपना यह अधर्म मान ले कि तू अपके परमेश्वर यहोवा से फिर गई और सब हरे पेड़ोंके तले इधर उधर दूसरोंके पास गई, और मेरी बातोंको नहीं माना, यहोवा की यह वाणी है। 
14. हे भटकनेवाले लड़को लौट आओ, क्योंकि मैं तुम्हरा स्वामी हूँ; यहोवा की यह वाणी है। तुम्हारे प्रत्थेक नगर पीछे एक, और प्रत्थेक कुल पीछे दो को लेकर मैं सिय्योन में पहुंचा दूंगा। 
15. और मैं तुम्हें अपके मन के अनुकूल चरवाहे दूंगा, जो ज्ञान और बुद्धि से तुम्हें चराएंगे। 
16. उन दिनोंमें जब तुम इस देश में बढ़ो, और फूलो-फलो, तब लोग फिर ऐसा न कहेंगे, “यहोवा की वाचा का सन्दूक”; यहोवा की यह भी वाणी हे। उसका विचार भी उनके मन में न आएगा, न लोग उसके न रहने से चिन्ता करेंगे; और न उसकी मरम्मत होगी। 
17. उस समय सरूशलेम यहोवा का सिंहासन कहलाएगा, और सब जातियां उसी यरूशलेम में मेरे नाम के निमित्त इकट्ठी हुआ करेंगी, और, वे फिर अपके बुरे मन के हठ पर न चलेंगी। 
18. उन दिनोंमें यहूदा का घराना इस्राएल के घराने के साय चलेगा और वे दोनोंमिलकर उत्तर के देश से इस देश में आएंगे जिसे मैं ने उनके पूर्वजोंको निज भाग करके दिया या। 
19. मैं ने सोचा या, मैं कैसे तुझे लड़कोंमें गिनकर वह मनभावना देश दूं जो सब जातियोंके देशोंका शिरोमणि है। और मैं ने सोचा कि तू मुझे पिता कहेगी, और मुझ से फिर न भटकेगी। 
20. इस में तो सन्देह नहीं कि जैसे विश्वासघाती स्त्री अपके प्रिय से मन फेर लेती है, वैसे ही हे इस्राएल के घराने, तू मुझ से फिर गया है, यहोवा की यही वाणी है। 
21. मुण्डे टीलोंपर से इस्राएलियोंके रोने और गिड़गिड़ाने का शब्द सुनाई दे रहा है, क्योंकि वे टेढ़ी चाल चलते रहे हैं और अपके परमेश्वर यहोवा को भूल गए हैं। 
22. हे भटकनेवाले लड़को, लौट आओ, मैं तुम्हारा भटकना सुधार दूंगा। देख, हम तेरे पास आए हैं; क्योंकि तू ही हमारा परमेश्वर यहोवा है। 
23. निश्ख्य पहाड़ोंऔर पहाडिय़ोंपर का कोलाहल व्यर्य ही है। इस्राएल का उद्धार निश्चय हमारे परमेश्वर यहोवा ही के द्वारा है। 
24. परन्तु हमारी जवानी ही से उस बदनामी की वस्तु ने हमारे पुरखाओं की कमाई अर्यात्‌ उनकी भेड़-बकरी और गाय-बैल और उनके बेटे-बेटियोंको निगल लिया है। 
25. हम लज्जित होकर लेट जाएं, और हमारा संकोच हमारी ओढ़नी बन जाए; क्योंकि हमारे पुरखा और हम भी युवा अवस्या से लेकर आज के दिन तक अपके परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप करते आए हैं; और हम ने अपके परमेश्वर यहोवा की बातोंको नहीं माना है।

Chapter 4

1. यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल यदि तू लौट आथे, तो मेरे पास लौट आ। यदि तू घिनौनी वस्तुओं को मेरे साम्हने से दूर करे, तो तुझे अवारा फिरना न पकेगा, 
2. और यदि तू सच्चाई और न्याय और धर्म से यहोवा के जीवन की शपय खाए, तो अन्यजातियां उसके कारण अपके आपको धन्य कहेंगी, और उसी पर घमण्ड करेंगी। 
3. क्योंकि यहूदा और यरूशलेम के लोगोंसे यहोवा ने योंकहा है, अपक्की पड़ती भूमि को जोतो, और कटीले फाड़ोंमें बीज मत बोओ। 
4. हे यहूदा के लोगो और यरूशलेम के निवासियो, यहोवा के लिथे अपना खतना करो; हां, अपके मन का खतना करो; नहीं तो तुम्हारे बुरे कामोंके कारण मेरा क्रोध आग की नाई भड़केगा, और ऐसा होगा की कोई उसे बुफा न सकेगा। 
5. यहूदा में प्रचार करो और यरूशलेम में यह सुनाओ; पूरे देश में नरसिंगा फूंको; गला खोलकर ललकारो और कहो, आओ, हम इकट्ठे होंओर गढ़वाले नगरोंमें जाएं ! 
6. सिय्योन के मार्ग में फण्डा खड़ा करो, अपना सामान बटोरके भागो, खड़े मत रहो, क्योंकि मैं उत्तर की दिशा से विपत्ति और सत्यानाश ले आया चाहता हूँ। 
7. एक सिंह अपक्की फाड़ी से निकला, जाति जाति का नाश करनेवाला चढ़ाई करके आ रहा है; वह कूच करके अपके स्यान से इसलिथे निकला है कि तुम्हारे देश को उजाड़ दे और तुम्हारे नगरोंको ऐसा सुनसान कर दे कि उन में कोई बसनेवाला न रहने पाए। 
8. इसलिथे कमर में टाट बान्धो, विलाप और हाथ हाथ करो; क्योंकि यहोवा का भड़का हुआ कोप हम पर से टला नहीं है। 
9. उस समय राजा और हाकिमोंका कलेजा कांप उठेगा; याजक चकित होंगे और नबी अचम्भित हो जाएंगे, यहोवा की यह वाणी है। 
10. तब मैं ने कहा, हाथ, प्रभु यहोवा, तू ने तो यह कहकर कि तुम को शान्ति मिलेगी निश्चय अपक्की इस प्रजा को और यरूशलेम को भी बड़ा धोखा दिया है; क्योंकि तलवार प्राणोंको मिटाने पर है। 
11. उस समय तेरी इस प्रजा से और यरूशलेम सें भी कहा जाएगा, जंगल के मुण्डे टीलोंपर से प्रजा के लोगोंकी ओर लू बह रही है, वह ऐसी वायु नहीं जिस से ओसाना वा फरछाना हो, 
12. परन्तु मेरी ओर से ऐसे कामोंके लिथे अधिक प्रचण्ड वायु बहेगी। अब मैं उनको दण्ड की आज्ञा दूंगा। 
13. देखो, वह बादलोंकी नाई चढ़ाई करके आ रहा है, उसके रय बवण्डर के समान और उसके घोड़े उकाबोंसे भी अधिक वेग से चलते हैं। हम पर हाथ, हम नाश हुए ! 
14. हे यरूशलेम, अपना ह्रृदय बुराई से धो, कि, तुम्हारा उद्धार हो जाए। तुम कब तक व्यर्य कल्पनाएं करते रहोगे? 
15. क्योंकि दान से शब्द सुन पड़ रहा है और एप्रैम के पहाड़ी देश से विपत्ति का समाचार आ रहा है। 
16. अन्यजातियोंमें सुना दो, यरूशलेम को भी इसका समाचार दो, पहरुए दूर देश से आकर यहूदा के नगरोंके विरुद्ध ललकार रहे हैं। 
17. वे खेत के रखवालोंकी नाई उसको चारोंओर से घेर रहे हैं, क्योंकि उस ने मुझ से बलवा किया है, यहोवा की यही वाणी है। 
18. यह तेरी चाल और तेरे कामोंही का फल हैं। यह तेरी दुष्टता है और अति दुखदाई है; इस से तेरा ह्रृदय छिद जाता है। 
19. हाथ ! हाथ ! मेरा ह्रृदय भीतर ही भीतर तड़पता है ! और मेरा मन घबराता है ! मैं चुप नहीं रह सकता; क्योंकि हे मेरे प्राण, नरसिंगे का शब्द और युद्ध की ललकार तुझ तक पहुंची है। 
20. नाश पर नाश का समाचार आ रहा है, सारा देश लूट लिया गया है। मेरे डेरे अचानक ओर मेरे तम्बू एकाएक लूटे गए हैं। 
21. और कितने दिन तक मुझे उनका फगडा देखना और नरसिंगे का शब्द सुनना पकेगा? 
22. क्योंकि मेरी प्रजा मूढ़ है, वे मुझे नहीं जानते; वे ऐसे मूर्ख लड़के हैं जिन में कुछ भी समझ नहीं। बुराई करने को तो वे बुद्धिमान हैं, परन्तु भलाई करना वे नहीं जानते। 
23. मैं ने पृय्वी पर देखा, वह सूनी और सुनसान पक्की यी; और आकाश को, और उस में कोई ज्योति नहीं यी। 
24. मैं ने पहाड़ोंको देखा, मे हिल रहे थे, और सब पहाडिय़ोंको कि वे डोल रही यीं। 
25. फिर मैं ने क्या देखा कि कोई पनुष्य भी न या और सब पक्की भी उड़ गए थे। 
26. फिर मैं क्या देखता हूँ कि यहोवा के प्रताप और उस भड़के हुए प्रकोप के कारण उपजाऊ देश जंगल, और उसके सारे नगर खण्डहर हो गए थे। 
27. क्योंकि यहोवा ने यह बताया कि सारा देश उजाड़ हो जाएगा; तौभी मैं उसका अन्त न कर डालूंगा। 
28. इस कारण पृय्वी विलाप करेगी, और आकाश शोक का काला वस्त्र पहिनेगा; क्योंकि मैं ने ऐसा ही करते को ठाना और कहा भी है; मैं इस से नहीं पछताऊंगा और न अपके प्रण को छोड़ूंगा। 
29. नगर के सारे लोग सवारोंऔर धनुर्धारियोंका कोलाहल ससुनकर भागे जाते हैं; वे फाडिय़ोंमें घुसते और चट्टानोंपर चढ़े जाते हैं; सब नगर निर्जन हो गए, और उन में कोई बाकी न रहा। 
30. और तू जब उजड़ेगी तब क्या करेगी? चाहे तू लाल रड़ग के वस्त्र पहिने और सोने के आभूषण धारण करे और अपक्की आंखोंमें अंजन लगाए, परन्तु व्यर्य ही तू अपना शृंगार करेगी। क्योंकि तेरे मित्र तुझे निकम्मी जानते हैं; वे तेरे प्राणोंके खोजी हैं। 
31. क्योंकि मैं ने ज़च्चा का शब्द, पहिलौठा जनती हुई स्त्री की सी चिल्लाहट सुनी है, यह सिय्योन की बेटी का शब्द है, जो हांफती और हाथ फैलाए हुए योंकहती है, हाथ मुझ पर, मैं हत्यारोंके हाथ पड़कर मूछिर्त हो चक्की हूँ।

Chapter 5

1. यरूशलेम की सड़कोंमें इधर उधर दौड़कर देखो ! उसके चौकोंमें ढूंढ़ो यदि कोई ऐसा मिल सके जो त्याय से काम करे और सच्चाई का खोजी हो; तो मैं उसका पाप झमा करूंगा। 
2. यद्यमि उसके निवासी यहोवा के जीवन की शपय भी खाएं, तौभी निश्चय वे फूठी शपय खाते हैं। 
3. हे यहोवा, क्या तेरी दृष्टि सच्चाई पर नहीं है? तू ने उनको दु:ख दिया, परन्तु वे शोकित नहीं हुए; तू ने उनको नाश किया, परन्तु उन्होंने ताड़ना से भी नहीं माना। उन्होंने अपना मन चट्टान से भी अधिक कठोर किया है; उन्होंने पश्चात्ताप करने से इनकार किया है। 
4. फिर मैं ने सोचा, थे लोग तो कड़गाल और अबोध ही हैं; क्योंकि थे यहोवा का मार्ग और अपके परमेश्वर का नियम नहीं जानते। 
5. इसलिथे मैं बड़े लोगोंके पास जाकर उनको सुनाऊंगा; क्योंकि वे तो यहोवा का मार्ग और अपके परमेश्वर का नियम जानते हैं। परन्तु उन सभोंने मिलकर जूए को तोड़ दिया है और बन्धनोंको खोल डाला है। 
6. इस कारण वन में से एक सिंह आकर उनहें मार डालेगा, निर्जल देश का एक भेडिय़ा उनको नाश करेगा। और एक चीता उनके नगरोंके पास घात लगाए रहेगा, और जो कोई उन में से निकले वह फाडा जाएगा; क्योंकि उनके अपराध बहुत बढ़ गए हैं और वे मुझ से बहुत ही दूर हट गए हैं। 
7. मैं क्योंकर तेरा पाप झमा करूं? तेरे लड़कोंने मुझ को छोड़कर उनकी शपय खाई है जो परमेश्वर नहीं है। जब मैं ने उनका पेट भर दिया, तब उन्होंने व्यभिचार किया और वेश्याओं के घरोंमें भीड़ की भीड़ जाते थे। 
8. वे खिलाए-पिलाए बे-लगाम घेड़ोंके समान हो गए, वे अपके अपके पड़ोसी की स्त्री पर हिनहिनाने लगे। 
9. क्या मैं ऐसे कामोंका उन्हें दण्ड न दूं? यहोवा की यह वाणी है; क्या मैं ऐसी जाति से अपना पलटा न लूं? 
10. शहरपनाह पर चढ़के उसका नाश तो करो, तौभी उसका अन्त मत कर डालो; उसकी जड़ रहने दो परन्तु उसकी डालियोंको तोड़कर फेंक दो, क्योंकि वे यहोवा की नहीं हैं। 
11. यहोवा की यह वाणी है कि इस्राएल और यहूदा के घरानोंने मुझ से बड़ा विश्वासघात किया है। 
12. उन्होंने यहोवा की बातें फुठलाकर कहा, वह ऐसा नहीं है; विपत्ति हम पर न पकेगी, न हम तलवार को और न महंगी को देखेंगे। 
13. भविष्यद्वक्ता हवा हो जाएंगे; उन में ईश्वर का वचन नहीं है। उनके साय ऐसा ही किया जाएगा ! 
14. इस कारण सेनाओं का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, थे लोग जो ऐसा कहते हैं, इसलिथे देख, मैं अपना वचन तेरे मुंह में आग, और इस प्रजा को काठ बनाऊंगा, और वह उनको भस्म करेगी। 
15. यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, देख, मैं तुम्हारे विरुद्ध दूर से ऐसी जाति को चढ़ा लाऊंगा जो सामयीं और प्राचीन है, उसकी भाषा तुम न समझोगे, और न यह जानोगे कि वे लोग क्या कह रहे हैं। 
16. उनका तर्कश खुली क़ब्र है और वे सब के सब शूरवीर हैं। 
17. तुम्हारे पक्के खेत और भोजनवस्तुएं जो तुम्हारे बेटे-बेटियोंके खाने के लिथे हैं उन्हें वे खा जाएंगे। वे तुम्हारी भ्ोड़-बकरियोंऔर गाय-बैलोंको खा डालेंगे; वे तुम्हारी दाखोंऔर अंजीरोंको खा जाएंगे; और जिन गढ़वाले नगरोंपर तुम भरोसा रखते हो उन्हें वे तलवार के बल से नाश कर देंगे। 
18. तौभी, यहोवा की यह वाणी है, उन दिनोंमें भी मैं तुम्हारा अन्त न कर डालूंगा। 
19. और जब तुम पूछोगे कि हमारे परमेश्वर यहोवा ने हम से थे सब काम किस लिथे किए हैं, तब तुम उन से कहना, जिस प्रकार से तुम ने मुझ को त्यागकर अपके देश में दूसरे देवताओं की सेवा की है, उसी प्रकार से तुम को पराथे देश में परदेशियोंकी सेवा करनी पकेगी। 
20. याकूब के घराने में यह प्रचार करो, और यहूदा में यह सुनाओ: 
21. हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगो, तुम जो आंखें रहते हुए नहीं देखते, जो कान रहते हुए नहीं सुनते, यह सुनो। 
22. यहोवा की यह वाणी है, क्या तुम लोग मेरा भय नहीं मानते? क्या तुम मेरे सम्मुख नहीं यरयराते? मैं ने बालू को समुद्र का सिवाना ठहराकर युग युग का ऐसा बान्ध ठहराया कि वह उसे लांध न सके; और चाहे उसकी लहरें भी उठें, तौभी वे प्रबल न हो सकें, या जब वे गरजें तौभी उसको न लांध सकें। 
23. पर इस प्रजा का हठीला और बलवा करनेवाला मन है; इन्होंने बलवा किया और दूर हो गए हैं। 
24. वे मन में इतना भी नहीं सोचते कि हमारा परमेश्वर यहोवा तो बरसात के आरम्भ और अन्त दोनोंसमयोंका जल समय पर बरसाता है, और कटनी के नियत सप्ताहोंको हमारे लिथे रखता है, इसलिथे हम उसका भय मानें। 
25. परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामोंही के कारण वे रुक गए, और तुम्हारे पापोंही के कारण तुम्हारी भलाई नहीं होती। 
26. मेरी प्रजा में दुष्ट लोग पाए जाते हैं; जैसे चिड़ीमार ताक में रहते हैं, वैसे ही वे भी घात लगाए रहते हैं। वे फन्दा लगाकर मनुष्योंको अपके वश में कर लेते हैं। 
27. जैसा पिंजड़ा चिडिय़ोंसे भरा हो, वैसे ही उनके घर छल से भरे रहते हैं; इसी प्रकार वे बढ़ गए और धनी हो गए हैं। 
28. वे मोटे और चिकने हो गए हैं। बुरे कामोंमें वे सीमा को लांध गए हैं; वे न्याय, विशेष करके अनायोंका न्याय नहीं चुकाते; इस से उनका काम सफल नहीं होता : वे कंगालोंका हक़ भी नहीं दिलाते। 
29. इसलिथे, यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं इन बातोंका दण्ड न दूं? क्या मैं ऐसी जाति से पलटा न लूं? 
30. देश में ऐसा काम होता है जिस से चकित और रोमांचित होना चाहिथे। 
31. भचिष्यद्वक्ता फूठमूठ भविष्यद्वाणी करते हैं; और याजक उनके सहारे से प्रभुता करते हैं; मेरी प्रजा को यह भाता भी है, परन्तु अन्त के समय तुम क्या करोगे?

Chapter 6

1. हे बिन्यामीनियो, यरूशलेम में से अपना अपना सामान लेकर भागो ! तकोआ में नरसिंगा फूंको, और बेय्क्केरेम पर फण्डा ऊंचा करो; क्योंकि उत्तर की दिशा से आनेवाली विपत्ति बड़ी और विनाश लानेवाली है। 
2. सिय्योन की सुन्दर और सुकुमार बेटी को मैं नाश करने पर हूँ। 
3. चरवाहे अपक्की अपक्की भेड़-बकरियां संग लिए हुए उस पर चढ़कर उसके चारोंओर अपके तम्बू खड़े करेंगे, वे अपके अपके पास की घास चरा लेंगे। 
4. आओ, उसके विरुद्ध युद्ध की तैयारी करो; उठो, हम दो पहर को चढ़ाई करें ! हाथ, हाथ, दिन ढलता जाता है, और सांफ की परछाई लम्बी हो चक्की है ! 
5. उठो, हम रात ही रात चढ़ाई करें और उसके महलोंको ढा दें। 
6. सेनाओं का यहोवा तुम से कहता है, वृझ काट काटकर यरूशलेम के विरुद्व दमदमा बान्धो ! यह वही नगर है जो दणड के योग्य है; इस में अन्धेर ही अनधेर भरा हुआ है। 
7. जैसा कूएं में से नित्य नया जल निकला करता है, वैसा ही इस नगर में से नित्य नई बुराई निकलती है; इस में उत्पात और उपद्रव का कोलाहल मचा रहता है; चोट और मारपीट मेरे देखने में निरन्तर आती है। 
8. हे यरूशलेम, ताड़ना से ही मान ले, नहीं तो तू मेरे मन से भी उतर जाएगी; और, मैं तुझ को उजाड़कर निर्जन कर डालूंगा। 
9. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, इस्राएल के सब बचे हुए दाखलता की नाई ढूंढ़कर तोड़े जाएंगे; दाखके तोड़नेवाले की नाई उस लता की डालियोंपर फिर अपना हाथ लगा। 
10. मैं किस से बोलूं और किसको चिताकर कहूं कि वे मानें? देख, थे ऊंचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं। 
11. इस कारण यहोवा का कोप मेरे मन में भर गया हे; मैं उसे रोकते रोकते उकता गया हूँ। बाज़ारोंमें बच्चोंपर और जवानोंकी सभा में भी उसे उंडेल दे; क्योंकि पति अपक्की पत्नी के साय और अधेड़ बूढ़े के साय पकड़ा जाएगा। 
12. उन लोगोंके घर और खेत और स्त्रियां सब औरोंको हो जाएंगीं; क्योंकि मैं इस देश के रहनेवालोंपर हाथ बढ़ाऊंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
13. क्योंकि उन में छोटे से लेकर बड़े तक सब के सब लालची हैं; और क्या भविष्यद्वक्ता क्या याजक सब के सब छल से काम करते हैं। 
14. वे, “शान्ति है, शान्ति,” ऐसा कह कहकर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा करते हैं, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं। 
15. क्या वे कभी अपके घृणित कामोंके कारण लज्जित हुए? नहीं, वे कुछ भी लज्जित नहीं हुए; वे लज्जित होना जानते ही नहीं; इस कारण जब और लोग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे, और जब मैं उनको दणड देने लगूंगा, तब वे ठोकर खाकर गिरेंगे, यहोवा का यही वचन है। 
16. यहोवा योंभी कहता है, सड़कोंपर खडे होकर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपके अपके मन में चैन पाओगे। पर उन्होंने कहा, हम उस पर न चलेंगे। 
17. मैं ने तुम्हारे लिथे पहरुए बैठाकर कहा, नरसिंगे का शब्द ध्यान से सुनना ! पर उन्होंने कहा, हम न सुनेंगे। 
18. इसलिथे, हे जातियो, सुनो, और हे मण्डली, देख, कि इन लोगोंमें क्या हो रहा है। 
19. हे पृय्वी, सुन; देख, कि मैं इस जाति पर वह विपत्ति ले आऊंगा जो उनकी कल्पनाओं का फल है, क्योंकि इन्होंने मेरे वचनोंपर ध्यान नहीं लगाया, और मेरी शिझा को इन्होंने निकम्मी जाना है। 
20. मेरे लिथे जो लोबान शबा से, और सुगन्धित नरकट जो दूर देश से आता है, इसका क्या प्रयोजन है? तुम्हारे होमबलियोंसे मैं प्रसन्न नहीं हूँ, और न तुम्हारे मेलबलि मुझे मीठे लगते हैं। 
21. इस कारण यहोवा ने योंकहा है, देखो, मैं इस प्रजा के आगे ठोकर खाऊंगा, और बाप और बेटा, पड़ोसी और मित्र, सब के सब ठोकर खाकर नाश होंगे। 
22. यहोवा योंकहता है, देखो, उत्तर से वरन पृय्वी की छोर से एक बड़ी जाति के लोग इस देश के विरोध में उभारे जाएंगे। 
23. वे धनुष और बछीं धारण किए हुए आएंगे, वे क्रूर और निर्दय हैं, और जब वे बोलते हैं तब मानो समुद्र गरजता है; वे घोड़ोंपर चढ़े हुए आएंगे, हे सिय्योन, वे वीर की नाई सशस्त्र होकर तुझ पर चढ़ाई करेंगे। 
24. इसका समाचार सुनते ही हमारे हाथ ढीले पड़ गए हैं; हम संकट में पके हैं; जच्चा की सी पीड़ा हम को उठी है। 
25. मैदान में मत निकलो, मार्ग में भी न चलो; क्योंकि वहां शत्रु की तलवार और चारोंओर भय देख पड़ता है। 
26. हे मेरी प्रजा कमर में टाट बान्ध, और राख में लोट; जैसा एकलौते पुत्र के लिथे विलाप होता है वैसा ही बड़ा शोकमय विलाप कर; क्योंकि नाश करनेवाला हम पर अचानक आ पकेगा। 
27. मैं ने इसलिथे तुझे अपक्की प्रजा के बीच गुम्मट वा गढ़ ठहरा दिया कि तू उनकी चाल परखे और जान ले। 
28. वे सब बहुत ही हटी हैं, वे लुतराई करते फिरते हैं; उन सभोंकी चाल बिगड़ी है, वे निरा ताम्बा और लोहा ही हैं। 
29. घैंकनी जल गई, शीशा आग में जल गया; ढालनेवाले ने व्यर्य ही ढाला है; क्योंकि बुरे लोग नहीं निकाले गए। 
30. उनका नाम खोटी चान्दी पकेगा, क्योंकि यहोवा ने उनको खोटा पाया है।

Chapter 7

1. जो वचन यहोवा की ओर से यिर्मयाह के पास पहुंचा वह यह है: 
2. यहोवा के भवन के फाटक में खड़ा हो, और यह वचन प्रचार कर, ओर कह, हे सब यहूदियो, तुम जो यहोवा को दण्डवत्‌ करने के लिथे इन फाटकोंसे प्रवेश करते हो, यहोवा का वचन सुनो। 
3. सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, योंकहता है, अपक्की अपक्की चाल और काम सुधारो, तब मैं तुम को इस स्यान में बसे रहने दूंगा। 
4. तुम लोग यह कहकर फूठी बातोंपर भरोसा मत रखो, कि यही यहोवा का मन्दिर है; यही यहोवा का मन्दिर, यहोवा का मन्दिर। 
5. यदि तुम सचमुच अपक्की अपक्की चाल और काम सुधारो, और सचमुच मनुष्य-मनुष्य के बीच न्याय करो, 
6. परदेशी और अनाय और विधवा पर अन्धेर न करो; इस स्यान में निदॉष की हत्या न करो, और दूसरे देवताओं के पीछे न चलो जिस से तुम्हारी हानि होती है, 
7. तो मैं तुम को इस नगर में, और इस देश में जो मैं ने तुम्हारे पूर्वजोंको दिया या, युग युग के लिथे रहने दूंगा। 
8. देखो, तुम फूठी बातोंपर भरोसा रखते हो जिन से कुछ लाभ नहीं हो सकता। 
9. तुम जो चोरी, हत्या और व्यभिचार करते, फूठी शपय खाते, बाल देवता के लिथे धूप जलाते, और दूसरे देवताओं के पीछे जिन्हें तुम पहिले नहीं जानते थे चलते हो, 
10. तो क्या यह उचित है कि तुम इस भवन में आओ जो मेरा कहलाता है, और मेरे साम्हने खड़े होकर यह कहो कि हम इसलिथे छूट गए हैं कि थे सब घृणित काम करें? 
11. क्या यह भवन जो मेरा कहलाता है, तुम्हारी दृष्टि में डाकुओं की गुफ़ा हो गया है? मैं ने स्वयं यह देखा है, यहोवा की यह वाणी है। 
12. मेरा जो स्यान शीलो में या, जहां मैं ने पहिले अपके नाम का निवास ठहराया या, वहां जाकर देखो कि मैं ने अपक्की प्रजा इस्राएल की बुराई के कारण उसकी क्या दशा कर दी है? 
13. अब यहोवा की यह वाणी है, कि तुम जो थे सब काम करते आए हो, और यद्यपि मैं तुम से बड़े यत्न से बातें करता रहा हूँ, तौभी तुम ने नहीं सुना, और तुम्हें बुलाता आया परन्तु तुम नहीं बोले, 
14. इसलिथे यह भवन जो मेरा कहलाता है, जिस पर तुम भरोसा रखते हो, और यह स्यान जो मैं ने तुम को और तुम्हारे पूर्वजोंको दिया या, इसकी दशा मैं शीलो की सी कर दूंगा। 
15. और जैसा मैं ने तुम्हारे सब भाइयोंको अर्यात सारे एप्रैमियोंको अपके साम्हने से दूर कर दिया है, वैसा ही तुम को भी दूर कर दूंगा। 
16. इस प्रजा के लिथे तू प्रार्यना मत कर, न इन लोगोंके लिथे ऊंचे स्वर से पुकार न मुझ से बिनती कर, क्योंकि मैं तेरी नहीं सुनूंगा। 
17. क्या तू नहीं देखता कि थे लोग यहूदा के नगरोंऔर यरूशलेम की सड़कोंमें क्या कर रहे हैं? 
18. देख, लड़के बाले तो ईधन बटोरते, बाप आग सुलगाते और स्त्रियां आटा गूंधती हैं, कि स्वर्ग की रानी के लिथे रोटियां चढ़ाए; और मुझे क्रोधित करने के लिथे दूसरे देवताओं के लिथे तपावन दें। 
19. यहोवा की यह वाणी है, क्या वे मुझी को क्रोध दिलाते हैं? क्या वे अपके ही को नहीं जिस से उनके मुंह पर सियाही छाए? 
20. सो प्रभु यहोवा ने योंकहा है, क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या मैदान के वृझ, क्या भूमि की उपज, उन सब पर जो इस स्यान में हैं, मेरे कोप की आग भड़कने पर है; वह नित्य जलती रहेगी और कभी न बुफेगी। 
21. सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, योंकहता है, अपके मेलबलियोंके साय अपके होमबलि भी चढ़ाओ और मांस खाओ। 
22. क्योंकि जिस समय मैं ने तुम्हारे पूर्वजोंको मिस्र देश में से निकाला, उस समय मैं ने उन्हें होमबलि और मेलबलि के विष्य कुछ आज्ञा न दी यी। 
23. परन्तु मैं ने तो उनको यह आज्ञा दी कि मेरे वचन को मानो, तब मैं तुम्हारा परमेश्वर हूंगा, और तुम मेरी प्रजा ठहरोगे; और जिस मार्ग की मैं तुम्हें आज्ञा दूं उसी में चलो, तब तुम्हारा भला होगा। 
24. पर उन्होंने मेरी न सुनी और न मेरी बातोंपर कान लगाया; वे अपक्की ही युक्तियोंऔर अपके बुरे मन के हठ पर चलते रहे और पीछे हट गए पर आगे न बढ़े। 
25. जिस दिन तुम्हारे पुरखा मिस्र देश से निकले, उस दिन से आज तक मैं तो अपके सारे दासों, भविष्यद्वक्ताओं को, तुम्हारे पास बड़े यत्न से लगातार भेजता रहा; 
26. परन्तु उन्होंने मेरी नहीं सुनी, न अपना कान लगाया; उन्होंने हठ किया, और अपके पुरखाओं से बढ़कर बुराइयां की हैं। 
27. तू सब बातें उन से कहेगा पर वे तेरी न सुनेंगे; तू उनको बुलाएगा, पर वे न बोलेंगे। 
28. तब तू उन से कह देना, यह वही जाति है जो अपके परमेश्वर यहोवा की नहीं सुनती, और ताड़ना से भी नहीं मानती; सच्चाई नाश हो गई, और उनके मुंह से दूर हो गई है। 
29. अपके बाल मुंड़ाकर फेंक दे; मुण्डे टीलोंपर चढ़कर विलाप का गीत गा, क्योंकि यहोवा ने इस समय के निवासियोंपर क्रोध किया और उन्हें निकम्मा जानकर त्याग दिया है। 
30. यहोवा की यह वाणी है, इसका कारण यह है कि यहूदियोंने वह काम किया है, जो मेरी दृष्टि में बुरा है; उन्होंने उस भवन में जो मेरा कहलाता है, अपक्की घृणित वस्तुएं रखकर उसे अशुद्ध कर दिया है। 
31. और उन्होंने हिन्नोमवंशियोंकी तराई में तोपेत नाम ऊंचे स्यान बनाकर, अपके बेटे-बेटियोंको आग में जलाया है; जिसकी आज्ञा मैं ने कभी नहीं दी और न मेरे मन में वह कभी आया। 
32. यहोवा की यह वाणी है, इसलिथे ऐसे दिन आते हैं कि वह तराई फिर न तो तोपेत की और न हिन्नोमवंशियोंकी कहलाएगी, वरन घात की तराई कहलाएगी; और तोपेत में इतनी क़ब्रें होंगी कि और स्यान न रहेगा। 
33. इसलिथे इन लोगोंकी लोथें आकाश के पझियोंऔर पृय्वी के पशुओं का आहार होंगी, और उनको भगानेवाला कोई न रहेगा। 
34. उस समय मैं ऐसा करूंगा कि यहूदा के नगरोंऔर यरूशलेम की सड़कोंमें न तो हर्ष और आनन्द का शब्द सुन पकेगा, और न दुल्हे वा दुल्हिन का; क्योंकि देश उजाड़ ही उजाड़ हो जाएगा।

Chapter 8

1. यहोवा की यह वाणी है, उस समय यहूदा के राजाओं, हाकिमों, याजकों, भविष्यद्वक्ताओं और यरूशलेम के रहनेवालोंकी हड्डियां क़ब्रोंमें से निकालकर, 
2. सूर्य, चन्द्रमा और आकाश के सारे गणोंके साम्हने फैलाई जाएंगी; क्योंकि वे उन्हीं से प्रेम रखते, उन्हीं की सेवा करते, उन्हीं के पीछे चलते, और उन्हीं के पास जाया करते और उन्हीं को दण्डवत्‌ करते थे; और न वे इकट्ठी की जाएंगी न क़ब्र में रखी जाएंगी; वे भूमि के ऊपर खाद के समान पक्की रहेंगी। 
3. तब इस बुरे कुल के बचे हुए लोग उन सब स्यानोंमें जिस में मैं ने उन्हें निकाल दिया है, जीवन से मृत्यु ही को अधिक चाहेंगे, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है। 
4. तू उन से यह भी कह, यहोवा योंकहता है कि जब मनुष्य गिरते हैं तो क्या फिर नहीं उठते? 
5. जब कोई। भटक जाता है तो क्या वह लौट नहीं आता? फिर क्या कारण है कि थे यरूशलेमी सदा दूर ही दूर भटकते जाते हैं? थे छल नहीं छोड़ते, और फिर लौटने से इनकार करते हैं। 
6. मैं ने ध्यान देकर सुना, परन्तु थे ठीक नहीं बोलते; इन में से किसी ने अपक्की बुराई से पछताकर नहीं कहा, हाथ ! मैं ने यह क्या किया है? जैसा घोड़ा लड़ाई में वेग से दौड़ता है, वैसे ही इन में से हर एक जन अपक्की ही दौड़ में दौड़ता है। 
7. आकाश में लगलग भी अपके नियत समयोंको जानता है, और पणडुकी, सूपाबेनी, और सारस भी अपके आने का समय रखते हैं; परन्तु मेरी प्रजा यहोवा का नियम नहीं जानती। 
8. तुम क्योंकर कह सकते हो कि हम बुद्धिमान हैं, और यहोवा की दी हुई व्यपस्या हमारे साय है? परन्तु उनके शास्त्रियोंने उसका फूठा विवरण लिखकर उसको फूठ बना दिया है। 
9. बुद्धिमान लज्जित हो गए, वे विस्मित हुए और पकड़े गए; देखो, उन्होंने यहोवा के वचन को निकम्मा जाना है, उन में बुद्धि कहां रही? 
10. इस कारण मैं उनकी स्त्रियोंको दूसरे पुरुषोंको और उनके खेत दूसरे अधिक्कारनेियोंके वश में कर दूंगा, क्योंकि छोटे से लेकर बड़े तक वे सब के सब लालची हैं; क्या भविष्यद्वक्ता क्या याजक, वे सब के छल से काम करते हैं। 
11. उन्होंने, “शान्ति है, शान्ति” ऐसा कह कहकर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा किया, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं है। 
12. कया वे घृणित काम करके लज्जित हुए? नहीं, वे कुछ भी लज्जित नहीं हुए, वे लज्जित होना जानते ही नहीं। इस कारण जब और लेग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे; जब उनके दण्ड का समय आएगा, तब वे भी ठोकर खाकर गिरेंगे, यहोवा का यही वचन है। 
13. यहोवा की सह भी वाण्री है, मैं उन सभोंका अन्त कर दूंगा। न तो उनकी दाखलताओं में दाख पाई जाएंगी, और न अंजीर के पृझ में अंजीर वरन उनके पत्ते भी सूख जाएंगे, और जो कुछ मैं ने उन्हें दिया है वह उनके पास से जाता रहेगा। 
14. हम क्योंचुप-चाप बैठे हैं? आओ, हम चलकर गढ़वाले नगरोंमें इकट्ठे नाश हो जाएं; क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा हम को नाश करना चाहता है, और हमें विष पीने को दिया है; क्योंकि हम ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। 
15. हम शान्ति की बाट जोहते थे, परन्तु कुछ कल्याण नहीं मिला, और चंगाई की आशा करते थे, परन्तु घबराना ही पड़ा है। 
16. उनके घोड़ोंका फुर्राना दान से सुन पड़ता है, और बलवन्त घोड़ोंके हिनहिनाने के शब्द से सारा देश कांप उठा है। उन्होंने आकर हमारे देश को और जो कुछ उस में है, और हमारे नगर को निवासियोंसमेत नाश किया है। 
17. क्योंकि देखो, मैं तुम्हारे बीच में ऐसे सांप और नाग भेजूंगा जिन पर मंत्र न चलेगा, और वे तुम को डसेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
18. हाथ ! हाथ ! इस शोक की दशा में मुझे शान्ति कहां से मिलेगी? मेरा ह्रृदय भीतर ही भीतर तड़पता है ! 
19. मुझे अपके लोगोंकी चिल्लाहट दूर के देश से सुनाई देती है : क्या यहोवा सिय्योन में नहीं हैं? क्या उसका राजा उस में नहीं? उन्होंने क्योंमुझ को अपक्की खोदी हुई मूरतोंऔर परदेश की व्यर्य वस्तुओं के द्वारा क्योंक्रोध दिलाया है? 
20. कटनी का समय बीत गया, फल तोड़ने की ॠतु भी समाप्त हो गई, और हमारा उद्धार नहीं हुआ। 
21. अपके लोगोंके दु:ख से मैं भी दु:खित हुआ, मैं शोक का पहिरावा पहिने अति अचम्भे में डूबा हूँ। 
22. क्या गिलाद देश में कुछ बलसान की औषधि नहीं? क्या उस में कोई वैद्य नहीं? यदि है, तो मेरे लोगोंके घाव क्योंचंगे नहीं हुए?

Chapter 9

1. भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपके मारे हुए लोगोंके लिथे रोता रहता। 
2. भला होता कि मुझे जंगल में बटोहियोंका कोई टिकाब मिलता कि मैं अपके लोगोंको छोड़कर वहीं चला जाता ! क्योंकि वे सब व्यभिचारी हैं, वे विश्वासघातियोंका समाज हैं। 
3. अपक्की अपक्की जीभ को वे धनुष की नाई फूठ होलने के लिथे तैयार करते हैं, और देश में बलवन्त तो हो गए, परन्तु सच्चाई के लिथे नहीं; वे बुराई पर बुराई बढ़ाते जाते हैं, और वे मुझ को जानते ही नहीं, यहोवा की यही वाणी है। 
4. अपके अपके संगी से चौकस रहो, अपके भाई पर भी भरोसा न रखो; क्योंकि सब भाई निश्चय अड़ंगा मारेंगे, और हर एक पड़ोसी लुतराई करते फिरेंगे। 
5. वे एक दूसरे को ठगेंगे और सच नहीं बोलेंगे; उन्होंने फूठ ही बोलना सीखा है; और कुटिलता ही में परिश्र्म करते हैं। 
6. तेरा निवास छल के बीच है; छल ही के कारण वे मेरा ज्ञान नहीं चाहते, यहोवा की यही वाणी है। 
7. इसलिथे सेनाओं का यहोवा योंकहता है, देख, मैं उनको तपाकर परखूंगा, क्योंकि अपक्की प्रजा के कारण मैं उन से और क्या कर सकता हूं? 
8. उनकी जीभ काल के तीर के समान बेधनेवाली है, उस से छल की बातें निकलती हैं; वे मुंह से तो एक दूसरे से मेल की बात बोलते हैं पर मन ही मन एक दूसरे की घात में लगे रहते हैं। 
9. क्या मैं ऐसी बातोंका दणड न दूं? यहोवा की सह वाणी है, क्या मैं ऐसी जाति से अपना पलटा न लूं? 
10. मैं पहाड़ोंके लिथे रो उठूंगा और शोक का गीत गाऊंगा, और जंगल की चराइयोंके लिथे विलाप का गीत गाऊंगा, क्योंकि वे ऐसे जल गए हैं कि कोई उन में से होकर नहीं चलता, और उन में ढोर का शब्द भी नहीं सुनाई पड़ता; पशु-पक्की सब भाग गए हैं। 
11. मैं यरूशलेम को डीह ही डीह करके गीदड़ोंका स्यान बनाऊंगा; और यहूदा के नगरोंको ऐसा उजाड़ दूंगा कि उन में कोई न बसेगा। 
12. जो बुद्धिमान मुरुष हो वह इसका भेद समझ ले, और जिस ने यहोवा के मुख से इसका कारण सुना हो वह बता दे। देश का नाश क्योंहुआ? क्योंवह जंगल की नाई ऐसा जल गया कि उस में से होकर कोई नहीं चलता? 
13. और यहोवा ने कहा, क्योंकि उन्होंने मेरी व्यवस्या को जो मैं ने उनके आगे रखी यी छोड़ दिया; और न मेरी बात मानी और न उसके अनुसार चले हैं, 
14. वरन वे उपके हठ पर बाल नाम देवताओं के पीछे चले, जैसा उनके पुरखाओं ने उनको सिखलाया। 
15. इस कारण, सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर योंकहता है, सुन, मैं अपक्की इस प्रजा को कड़वी वस्तु खिलाऊंगा और विष पिलाऊंगा। 
16. और मैं उन लोगोंको ऐसी जातियोंमें तितर बितर करूंगा जिन्हें न तो वे न उनके पुरखा जानते थे; और जब तक उनका अन्त न हो जाए तब तक मेरी ओर से तलवार उनके पीछे पकेगी। 
17. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, सोचो, और विलाप करनेवालियोंको बुलाओ; बुद्धिमान स्त्रियोंको बतलवा भेजो; 
18. वे फुतीं करके हम लोगोंके लिथे शोक का गीत गाएं कि हमारी आंखोंसे आंसू बह चलें और हमारी पलकें जल बहाए। 
19. सिय्योन से शोक का यह गीत सुन पड़ता है, हम कैसे नाश हो गए ! हम क्योंलज्जा में पड़ गए हैं, क्योंकि हम को अपना देश छोड़ना पड़ा और हमारे घर गिरा दिए गए हैं। 
20. इसलिथे, हे स्त्रियो, यहोवा का यह वचन सुनो, और उसकी यह आज्ञा मानो; तुम अपक्की अपक्की बेटियोंको शोक का गीत, और अपक्की अपक्की पड़ोसिक्कों विलाप का गीत सिखाओ। 
21. क्योंकि मृत्यु हमारी खिड़कियोंसे होकर हमारे महलोंमें घुस आई है, कि, हमारी सड़कोंमें बच्चोंको और चौकोंमें जवानोंको मिटा दे। 
22. तू कह, यहोवा योंकहता है, मनुष्योंकी लोथें ऐसी पक्की रहेंगी जैसा खाद खेत के ऊपर, और पूलियां काटनेवाले के पीछे पक्की रहती हैं, और उनका कोई उठानेवाला न होगा। 
23. यहोवा योंकहता है, बुद्धिमान अपक्की बुद्धि पर घमणड न करे, न वीर अपक्की वीरता पर, त धनी अपके धन पर घमणड करे; 
24. परन्तु जो घमणड करे वह इसी बात पर घमणड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृय्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातोंसे प्रसन्न रहता हूँ। 
25. देखो, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आनेवाले हैं कि जिनका खतना हुआ हो, उनको खतनारहितोंके समान दणड दूंगा, 
26. अर्यात्‌ मिस्रियों, यहूदियों, एदोमियों, अम्मोनियों, मोआबियोंको, और उन रेगिस्तान के निवासियोंके समान जो अपके गाल के बालोंको मुंड़ा डालते हैं; क्योंकि थे सब जातिथें तो खतनारहित हैं, और इस्राएल का सारा घराना भी मन में खतनारहित है।

Chapter 10

1. यहोवा योंकहता है, हे इस्राएल के घराने जो वचन यहोवा तुम से कहता है उसे सुनो। 
2. अन्यजातियोंको चाल मत सीखो, न उनकी नाई आकाश के चिन्होंसे विस्मित हो, इसलिथे कि अन्यजाति लोग उन से विस्मित होते हैं। 
3. क्योंकि देशोंके लोगोंकी रीतियां तो निकम्मी हैं। मूरत तो बन में से किसी का काटा हुआ काठ है जिसे कारीगर ने बसूले से बनाया है। 
4. लोग उसको सोने-चान्दी से सजाते और हयैड़े से कील ठोंक ठोंककर दुढ़ करते हैं कि वह हिल-डुल न सके। 
5. वे खरादकर ताड़ के पेड़ के समान गोल बनाई जाती हैं, पर बोल नहीं सकतीं; उन्हें उठाए फिरना पड़ता है, क्योंकि वे चल नहीं सकतीं। उन से मत डरो, क्योंकि, न तो वे कुछ बुरा कर सकती हैं और न कुछ भला। 
6. हे यहोवा, तेरे समान कोई नहीं है; तू महान है, और तेरा नाम पराक्रम में बड़ा है। 
7. हे सब जातियोंके राजा, तुझ से कौन न डरेगा? क्योंकि यह तेरे योग्य है; अन्यजातियोंके सारे बुद्धिमानोंमें, और उनके सारे राज्योंमें तेरे समान कोई नहीं है। 
8. परन्तु वे पशु सरीखे निरे मूर्ख हैं; मूत्तिर्योंसे क्या शिझा? वे तो काठ ही हैं ! 
9. पत्तर बनाई हुई चान्दी तशींश से लाई जाती है, और उफाज से सोना। वे कारीगर और सुनार के हाथोंकी कारीगरी हैं; उनके पहिरावे नीले और बैंजनी रंग के वस्त्र हैं; उन में जो कुछ है वह निपुण कारीगरोंकी कारीगरी ही है। 
10. परन्तु यहोवा वास्तव में परमेश्वर है; जीवित परमेश्वर और सदा का राजा वही है। उसके प्रकोप से पृय्वी कांपक्की है, और जाति जाति के लोग उसके क्रोध को सह नहीं सकते। 
11. तुम उन से यह कहना, थे देवता जिन्होंने आकाश और पृय्वी को नहीं बनाया वे पृय्वी के ऊपर से और आकाश के नीचे से नष्ट हो जाएंगे। 
12. उसी ने पृय्वी को अपक्की सामर्य से बनाया, उस ने जगत को अपक्की बुद्धि से स्यिर किया, और आकाश को अपक्की प्रवीणता से तान दिया है। 
13. जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, और पृय्वी की छोर से वह कुहरे को उठाता है। वह वर्षा के लिथे बिजली चमकाता, और अपके भणडार में से पवन चलाता है। 
14. सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित हैं; अपक्की खोदी हुई मूरतोंके कारण सब सुनारोंकी आशा टूटती है; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें फूठी हैं, और उन में सांस ही नहीं है। 
15. वे व्यर्य और ठट्ठे ही के योग्य हैं; जब उनके दण्ड का समय आएगा तब वे नाश हो जाएंगीं। 
16. परन्तु याकूब का निज भाग उनके समान नहीं है, क्योंकि वह तो सब का सृजनहार है, और इस्राएल उसके निज भाग का गोत्र है; सेनाओं का यहोवा उसका नाम है।
17. हे घेरे हुए नगर की रहनेवाली, अपक्की गठरी भूमि पर से उठा ! 
18. क्योंकि यहोवा योंकहता है, मैं अब की बार इस देश के रहनेवालोंको मानो गोफ़न में धरके फेंक दूंगा, और उन्हें ऐसे ऐसे संकट में डालूंगा कि उनकी समझ में भी नहीं आएगा। 
19. मुझ पर हाथ ! मेरा घाव चंगा होने का नहीं। फिर मैं ने सोचा, यह तो रोग ही है, इसलिथे मुझ को इसे सहना चाहिथे। 
20. मेरा तम्बू लूटा गया, और सब रस्सियां टूट गई हैं; मेरे लड़केबाले मेरे पास से चले गए, और नहीं हैं; अब कोई नहीं रहा जो मेरे तम्बू को ताने और मेरी कनातें खड़ी करे। 
21. क्योंकि चरवाहे पशु सरीखे हैं, और वे यहोवा को नहीं पुकारते; इसी कारण वे बुद्धि से नहीं चलते, और उनकी सब भेड़ें तितर-बितर हो गई हैं। 
22. सुन, एक शब्द सुनाई देता है ! देख, वह आ रहा है ! उत्तर दिशा से बड़ा हुल्लड़ मच रहा है ताकि यहूदा के नगरोंको उजाड़कर गीदड़ोंका स्यान बना दे। 
23. हे यहोवा, मैं जान गया हूँ, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो हे, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं। 
24. हे यहोवा, मेरी ताड़ना कर, पर न्याय से; क्रोध में आकर नहीं, कहीं ऐसा न हो कि मैं नाश हो जाऊं। 
25. जो जाति तुझे नहीं जानती, और जो तुझ से प्रार्यना नहीं करते, उन्हीं पर अपक्की जलजलाहट उण्डेल; क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया, वरन, उसे खाकर अन्त कर दिया है, और उसके निवासस्यान को उजाड़ दिया है।

Chapter 11

1. यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा : 
2. इस वाचा के वचन सुनो, और यहूदा के पुरुषोंऔर यरूशलेम के रहनेवालोंसे कहो। 
3. उन से कहो, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, स्रापित है वह मनुष्य, जो इस वाचा के वचन न माने 
4. जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं के साय लोहे की भट्ठी अर्यात्‌ मिस्र देश में से निकालने के समय, यह कहके बान्धी यी, मेरी सुनो, और जितनी आज्ञाएं मैं तुम्हें देता हूँ उन सभोंका पालन करो। इस से तुम मेरी प्रजा ठहरोगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा; 
5. और जो शपय मैं ने तुम्हारे पितरोंसे खई यी कि जिस देश में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, उसे मैं तुम को दूंगा, उसे पूरी करूंगा; और देखो, वह पूरी हुई है। यह सुनकर मैं ने कहा, हे यहोवा, ऐसा ही हो। 
6. तब यहोवा ने मुझ से कहा, थे सब वचन यहूद के नगरोंऔर यरूशलेम की सड़कोंमें प्रचार करके कह, इस वाचा के वचन सुनो और उसके अनुसार चलो। 
7. क्योंकि जिस समय से मैं तुम्हारे पुरखाओं को मिस्र देश से छुड़ा ले आया तब से आज के दिन तक उनको दृढ़ता से चिताता आया हूँ, मेरी बात सुनो। 
8. परन्तु अन्होंने न सुनी और न मेरी बातोंपर कान लगाया, किन्तु अपके अपके बुरे मन के हठ पर चलते रहे। इसलिथे मैं ने उनके विषय इस वाचा की सब बातोंको पूर्ण किया है जिसके मानने की मैं ने उन्हें आज्ञा दी यी और उन्होंने न मानी। 
9. फिर यहोवा ने मुझ से कहा, यहूदियोंऔर यरूशलेम के निवासियोंमें विद्रोह पाया गया है। 
10. जैसे इनके पुरखा मेरे वचन सुनने से इनकार करते थे, वेसे ही थे भी उनके अधमॉं का अनुसरण करके दूसरे देवताओं के पीछे चलते और उनकी उपासना करते हैं; इस्राएल और यहूदा के घरानोंने उस वााचा को जो मैं ने उनके पूर्वजोंसे बान्धी यी, तोड़ दिया है। 
11. इसलिथे यहोवा योंकहता है, देख, मैं इन पर ऐसी विपत्ति डालने पर हूँ जिस से थे बच न सकेंगे; और चाहे थे मेरी दोहाई दें तौभी मैं इनकी न सुनूंगा। 
12. उस समय सरूशलेम और यहूदा के नगरोंके निवासी उन देवताओं की दोहाई देंगे जिनके लिथे वे धूप जलाते हैं, परन्तु वे उनकी विपत्ति के समय उनको कभी न बचा सकेंगे। 
13. हे यहूदा, जितने तेरे नगर हैं उतने ही तेरे देवता भी हैं; और यरूशलेम के निवासियोंने हर एक सड़क में उस लज्जापूर्ण बाल की वेदियां बना बनाकर उसके लिथे धूप जलाया है। 
14. इसलिथे तू मेरी इस प्रजा के लिथे प्रार्यना न करना, न कोई इन लोगोंके लिथे ऊंचे स्वर से बिनती करे, क्योंकि जिस समय थे अपक्की विपत्ति के मारे मेरी दोहाई देंगे, तब मैं उनकी न सुनूंगा। 
15. मेरी प्रिया को मेरे घर में क्या काम है? उस ने तो बहुतोंके साय कुकर्म किया, और तेरी पवित्रता पूरी रीति से जाती रही है। जब तू बुराई करती है, तब पुसन्न होती है। 
16. यहोवा ने तुझ को हरी, मनोहर, सुन्दर फलवाली जलपाई तो कहा या, परन्तु उस ने बड़े हुल्लड़ के शब्द होते ही उस में आग लगाई गई, और उसकी डालियां तोड़ डाली गई। 
17. सेनाओं का यहोवा, जिस ने तुझे लगाया, उस ने तुझ पर विपत्ति डालने के लिथे कहा है; इसका कारण इस्राएल और यहूदा के घरानोंकी यह बुराई है कि उन्होंने मुझे रिस दिलाने के लिथे बाल के निमित्त धूप जलाया। 
18. यहोवा ने मुझे बताया और यह बात मुझे मालूम हो गई; क्योंकि यहोवा ही ने उनकी युक्तियां मुझ पर प्रगट कीं। 
19. मैं तो वध होनेवाले भेड़ के बच्चे के समान अनजान या। मैं न जानता या कि वे लोग मेरी हानि की युक्तियां यह कहकर करते हैं, आओ, हम फल समेत इस वृझ को उखाड़ दें, और जीवितोंके बीच में से काट डालें, तब इसका नाम तक फिर स्मरण न रहे। 
20. परन्तु, अब हे सेनाओं के यहोवा, हे धमीं न्यायी, हे अन्त:करण की बातोंके ज्ञाता, तू उनका पलटा ले और मुझे दिखा, क्योंकि मैं ने अपना मुक़द्दमा तेरे हाथ में छोड़ दिया है। 
21. इसलिथे यहोवा ने मुझ से कहा, अनातोत के लोग जो तेरे प्राण के खोजी हैं और यह कहते हैं कि तू यहोवा का नाम लेकर भविष्यद्वाणी न कर, नहीं तो हमारे हाथोंसे मरेगा। 
22. इसलिथे सेनाओं का यहोवा उनके विषय योंकहता है, मैं उनको दणड दूंगा; उनके जवान तलवार से, और उनके लड़के-लड़कियां भूखोंमरेंगे; 
23. और उन में से कोई भी न बचेगा। मैं अनातोत के लोगोंपर यह विपत्ति डालूंगा; उनके दणड का दिन आनेवाला है।

Chapter 12

1. हे यहोवा, यदि मैं तुझ से मुक़द्दमा लड़ूं, तौभी तू धमीं है; मुझे अपके साय इस विषय पर वादविवाद करने दे। दुष्टोंकी चाल क्योंसफंल होती है? क्या कारण है कि विश्वासघाती बहुत सुख से रहते हैं? 
2. तू उनको बोता और वे जड़ भी पकड़ते; वे बढ़ते और फलते भी हैं; तू उनके मुंह के निकट है परन्तु उनके मनोंसे दूर है। 
3. हे यहोवा तू मुझे जानता है; तू मुझे देखता है, और तू ने मेरे मन की पक्कीझा करके देखा कि मैं तेरी ओर किस प्रकार रहता हूँ। जैसे भेड़-बकरियां घात होने के लिथे फुण्ड में से निकाली जाती हैं, वैसे ही उनको भी निकाल ले और वध के दिन के लिथे तैयार कर। 
4. कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियोंकी बुराई के कारण पशु-पक्की सब नाश हो गए हैं, क्योंकि उन लोगोंने कहा, वह हमारे अन्त को न देखेगा। 
5. तू जो प्यादोंही के संग दौड़कर यक गया है तो घेड़ोंके संग क्योंकर बराबरी कर सकेगा? और यद्यपि तू शान्ति के इस देश में निडर है, परन्तु यरदन के आसपास के धने जंगल में तू क्या करेगा? 
6. क्योंकि तेरे भाई और तेरे घराने के लोगोंने भी तेरा विश्वासघात किया है; वे तेरे पीछे ललकारते हैं, यदि वे तुझ से मीठी बातें भी कहें, तौभी उनकी प्रतीति न करना। 
7. मैं ने अपना घर छोड़ दिया, अपना निज भाग मैं ने त्याग दिया है; मैं ने अपक्की प्राणप्रिया को शत्रुओं के वश में कर दिया है। 
8. क्योंकि मेरा निज भाग मेरे देखने में वन के सिंह के समान हो गया और मेरे विरुद्ध गरजा है; इस कारण मैं ने उस से बैर किया है। 
9. क्या मेरा निज भाग मेरी दृष्टि में चित्तीवाले शिकारी पक्की के समान नहीं है? क्या शिकारी पक्की चारोंओर से उसे घेरे हुए हैं? जाओ सब जंगली पशुओं को इकट्ठा करो; उनको लाओ कि खा जाएं। 
10. बहुत से चरवाहोंने मेरी दाख की बारी को बिगाड़ कर दिया, उन्होंने मेरे भाग को लताड़ा, वरन मेरे मनोहर भाग के खेत को सुनसान जंगल बना दिया है। 
11. उन्होंने उसको उजाड़ दिया; वह उजड़कर मेरे साम्हने विलाप कर रहा है। सारा देश उजड़ गया है, तौभी कोई नहीं सोचता। 
12. जंगल के सब मुंडे टीलोंपर नाशक चढ़ आए हैं; क्योंकि यहोवा की तलवार देश के एक छोर से लेकर दूसरी छोर तक निगलती जाती है; किसी मनुष्य को शांन्ति नहीं मिलती। 
13. उन्होंने गेहूं तो बोया, परन्तु कटीले पेड़ काटे, उन्होंने कष्ट तो उठाया, परन्तु उस से कुछ लाभ न हुआ। यहोवा के क्रोध के भड़कने के कारण तुम अपके खेतोंकी उपज के विषय में लज्जित हो। 
14. मेरे दुष्ट पड़ोसी उस भाग पर हाथ लगाते हैं, जिसका भागी मैं ने अपक्की प्रजा इस्राएल को बनाया है। उनके विष्य यहोवा योंकहता है कि मैं उनको उनकी भूमि में से उखाड़ डालूंगा, और यहूदा के घराने को भी उनके बीच में से उखड़ूंगा। 
15. उन्हें उखाड़ने के बाद मैं फिर उन पर दया करूंगा, और उन में से हर एक को उसके निज़ भाग और भूमि में फिर से लगाऊंगा। 
16. और यदि वे मेरी प्रजा की चाल सीखकर मेरे ही नाम की सौगन्ध, यहोवा के जीवन की सौगन्ध, खाने लगें, जिस प्रकार से उन्होंने मेरी प्रजा को बाल की सौगन्ध खाना सिखलाया या, तब मेरी प्रजा के बीच उनका भी वंश बढ़ेगा। 
17. परन्तु यदि वे न मानें, तो मैं उस जाति को ऐसा उखाड़ूंगा कि वह फिर कभी न पनंपेगी, यहोवा की यही वाणी है।

Chapter 13

1. यहोवा ने मुझ से योंकहा, जाकर सनी की एक पेटी मोल ले, उसे कमर में बान्ध और जल में मत भीगने दे। 
2. तब मैं ने एक पेटी मोल लेकर यहोवा के वचन के अनुसार अपक्की कमर में बान्ध ली। 
3. तब तूसरी बार यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा कि 
4. जो पेटी तू ने मोल लेकर कटि में कस ली है, उसे परात के तीर पर ले जा और वहां उसे कड़ाड़े पर की एक दरार में छिपा दे। 
5. यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मैं ने उसको परात के तीर पर ले जाकर छिपा दिया। 
6. बहुत दिनोंके बाद यहोवा ने मुझ से कहा, उठ, फिर परात के पास जा, और जिस पेटी को मैं ने तुझे वहां छिपाने की आज्ञा दी उसे वहां से ले ले। 
7. तब मैं परात के पास गया ओर खोदकर जिस स्यान में मैं ने पेटी को छिपाया या, वहां से उसको निकाल लिया। और देखो, पेटी बिगड़ गई यी; वह किसी काम की न रही। 
8. तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुचा, यहोवा योंकहता है, 
9. इसी प्रकार से मैं यहूदियोंका गर्व, और यरूशलेम का बड़ा गर्व नष्ट कर दूंगा। 
10. इस दुष्ट जाति के लोग जो मेरे वचन सुनने से इनकार करते हैं जो अपके मन के हठ पर चलते, दूसरे देवताओं के पीछे चलकर उनकी उपासना करते ओर उनको दण्डवत्‌ करते हैं, वे इस पेटी के समान हो जाएंगे जो किसी काम की नहीं रही। 
11. यहोवा की यह वाणी है कि जिस प्रकार से पेटी मनुष्य की कमर में कसी जाती है, उसी प्रकार से मैं ने इस्राएल के सारे घराने और यहूदा के सारे घराने को अपक्की कटि में बान्ध लिया या कि वे मेरी प्रजा बनें और मेरे नाम और कीत्तिर् और शोभा का कारण हों, परन्तु उन्होंने न माना। 
12. इसलिथे तू उन से यह वचन कह, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, दाखमधु के सब कुप्पे दाखमधु से भर दिए जाएंगे। तब वे तुझ से कहेंगे, क्या हम नहीं जानते कि दाखमधु के सब कुप्पे दाखमधु से भर दिए जाएंगे? 
13. तब तू उन से कहना, यहोवा योंकहता है, देखो, मैं इस देश के सब रहनेवालोंको, विशेष करके दाऊदवंश की गद्दी पर विराजमान राजा और याजक और भविष्यद्वक्ता आदि यरूशलेम के सब निवासिक्कों अपक्की कोपरूपी मदिरा पिलाकर अचेत कर दूंगा। 
14. तब मैं उन्हें एक दूसरे से टकरा दूंगा; अर्यात्‌ बाप को बेटे से, और बेटे को बाप से, यहोवा की यह वाणी है। मैं उन पर कोमलता नहीं दिखाऊंगा, न तरस खऊंगा और न दया करके उनको नष्ट होने से बचाऊंगा। 
15. देखो, और कान लगाओ, गर्व मत करो, क्योंकि यहोवा ने योंकहा है। 
16. अपके परमेश्वर यहोवा की बड़ाई करो, इस से पहिले कि वह अन्धकार लाए और तुम्हारे पांव अन्धेरे पहाड़ोंपर ठोकर खाएं, और जब तुम प्रकाश का आसरा देखो, तब वह उसको मृत्यु की छाया से बदल और उसे घोर अन्धकार बना दे। 
17. और यदि तुम इसे न सुनो, तो मैं अकेले में तुम्हारे गर्व के कारण रोऊंगा, और मेरी आंखोंसे आंसुओं की धारा बहती रहेगी, क्योंकि यहोवा की भेड़ें बंधुआ कर ली गई हैं। 
18. राजा और राजमाता से कह, नीचे बैठ जाओ, क्योंकि तुम्हारे सिरोंके शोभायमान मुकुट उतार लिए गए हैं। 
19. दक्खिन देश के नगर घेरे गए हैं, कोई उन्हें बचा न सकेगा; सम्पूर्ण यहूदी जाति बन्दी हो गई है, वह पूरी रीति से बंधुआई में चक्की गई है। 
20. अपक्की ओखें उठाकर उनको देख जो उत्तर दिशा से आ रहे हैं। वह सुन्दर फुण्ड जो तुझे सौंपा गया या कहां है? 
21. जब वह तेरे उन मित्रोंको तेरे ऊपर प्रधान ठहराएगा जिन्हें तू ने अपक्की हानि करने की शिझा दी है, तब तू क्या कहेगी? क्या उस समय तुझे ज़च्चा की सी पीड़ाएं न उठेंगी? 
22. और यदि तू अपके मन में सोचे कि थे बातें किस कारण मुझ पर पक्की हैं, तो तेरे बड़े अधर्म के कारण तेरा आंचल उठाया गया है और तेरी एडिय़ां बरियाई से नंगी की गई हैं। 
23. क्या हबशी अपना चमड़ा, वा चीता अपके धब्बे बदल सकता है? यदि वे ऐसा कर सकें, तो तू भी, जो बुराई करना सीख गई है, भलाई कर सकेगी। 
24. इस कारण मैं उनको ऐसा तितर-बितर करूंगा, जैसा भूसा जंगल के पवन से तितर-बितर किया जाता है। 
25. यहोवा की यह वाणी है, तेरा हिस्सा और मुझ से ठहराया हुआ तेरा भाग यही है, क्योंकि तू ने मुझे भूलकर फूठ पर भरोसा रखा है। 
26. इसलिथे मैं भी तेरा आंचल तेरे मुंह तक उठाऊंगा, तब तेरी लाज जानी जाएगी। 
27. व्यभिचार और चोचला और छिनालपन आदि तेरे घिनौने काम जो तू ने मैदान और टीलोंपर किए हैं, वे सब मैं ने देखे हैं। हे यरूशलेम, तुझ पर हाथ ! तू अपके आप को कब तक शुद्ध न करेगी? और कितने दिन तक तू बनी रहेगी?

Chapter 14

1. यहोवा का वचन जो यिर्मयाह के पास सूखे वर्ष के विषय में पहुंचा: 
2. यहूदा विलाप करता और फाटकोंमें लोग शोक का पहिरावा पहिने हुए भूमि पर उदास बैठे हैं; और यरूशलेम की चिल्लाहट आकाश तक पहुंच गई है। 
3. और उनके बड़े लोग उनके छोटे लोगोंको पानी के लिथे भेजते हैं; वे गड़होंपर आकर पानी नहीं पाते इसलिथे छूछे बर्तन लिए हुए घर लौट जाते हैं; वे लज्जित और निराश होकर सिर ढांप लेते हैं। 
4. देश में पानी न बरसने से भूमि में दरार पड़ गए हैं, इस कारण किसान लोग निराश होकर सिर ढांप लेते हैं। 
5. हरिणी भी मैदान में बच्चा जनकर छोड़ जाती है क्योंकि हरी घास नहीं मिलती। 
6. जंगली गदहे भी मुंडे टीलोंपर खड़े हुए गीदड़ोंकी नाई हांफते हैं; उनकी आंखें धुंधला जाती हैं क्योंकि हरियाली कुछ भी नहीं है। 
7. हे यहोवा, हमारे अधर्म के काम हमारे विरुद्ध साझी दे रहे हैं, हम तेरा संग छोड़कर बहुत दूर भटक गए हैं, और हम ने तेरे विरुद्ध पाप किया है; तौभी, तू अपके नाम के निमित्त कुछ कर। 
8. हे इस्राएल के आधार, संकट के समय उसका बचानेवाला तू ही है, तू क्योंइस देश में परदेशी की नाई है? तू क्योंउस बटोही के समान है जो रात भर रहने के लिथे कहीं टिकता हो? 
9. तू क्योंएक विस्मित पुरुष या ऐसे वीर के समान है जो बचा न सके? तौभी हे यहोवा तू हमारे बीच में है, और हम तेरे कहलाते हैं; इसलिथे हमको न तज। 
10. यहोवा ने इन लोगोंके विषय योंकहा : इनको ऐसा भटकना अच्छा लगता है; थे कुकर्म में चलने से नहीं रुके; इसलिथे यहोवा इन से प्रसन्न नहीं है, वह इनका अधर्म स्मरण करेगा और उनके पाप का दण्ड देगा। 
11. फिर यहोवा ने मुझ से कहा, इस प्रजा की भलाई के लिथे प्रार्यना मत कर। 
12. चाहे वे उपवास भी करें, तौभी मैं इनकी दुहाई न सुनूंगा, और चाहे वे होमबलि और अन्नबलि चढ़ाएं, तौभी मैं उन से प्रसन्न न होऊंगा; मैं तलवार, महंगी और मरी के द्वारा इनका अन्त कर डालूंगा। 
13. तब मैं ने कहा, हाथ, प्रभु यहोवा, देख, भविष्यद्वक्ता इन से कहते हैं कि न तो तुम पर तलवार चलेगी और न महंगी होगी, यहोवा तुम को इस स्यान में सदा की शान्ति देगा। 
14. और यहोवा ने मुझ से कहा, थे भविष्यद्वक्ता मेरा नाम लेकर फूठी भविष्यद्वाणी करते हैं, मैं ने उनको न तो भेजा और न कुछ आज्ञा दी और न उन से कोई भी बात कही। वे तुम लोगोंसे दर्शन का फूठा दावा करके अपके ही मन से व्यर्य और धोखे की भविष्यद्वाणी करते हैं। 
15. इस कारण जो भविष्यद्वक्ता मेरे बिना भेजे मेरा नाम लेकर भविष्यद्वाणी करते हैं कि उस देश में न तो तलवार चलेगी और न महंगी होगी, उनके विषय यहोवा योंकहता है, कि, वे भविष्यद्वक्ता आप तलवार और महंगी के द्वारा नाश किए जाएंगे। 
16. और जिन लोगोंसे वे भविष्यद्वाणी कहते हैं, वे महंगी और तलवार के द्वारा मर जाने पर इस प्रकार यरूशलेम की सड़कोंमें फेंक दिए जाएंगे, कि न तो उनका, न उनकी स्त्रियोंका और न उनके बेटे-बेटियोंका कोई मिट्टी देनेवाला रहेगा। क्योंकि मैं उनकी बुराई उन्हीं के ऊपर उण्डेलूंगा। 
17. तू उन से यह बात कह, मेरी ओखोंसे दिन रात आंसू लगातार बहते रहें, वे न रुकें क्योंकि मेरे लोगोंकी कुंवारी बेटी बहुत ही कुचक्की गई और घायल हुई है। 
18. यदि मैं मैदान में जाऊं, तो देखो, तलवार के मारे हुए पके हैं ! और यदि मैं नगर के भीतर आऊं, तो देखो, भूख से अध्मूए पके हैं ! क्योंकि भविष्यद्वक्ता और याजक देश में कमाई करते फिरते और समझ नहीं रखते हैं। 
19. क्या तू ने यहूदा से बिलकुल हाथ उठा लिया? क्या तू सिय्योन से घिन करता है? नहीं, तू ने क्योंहम को ऐसा मारा है कि हम चंगे हो ही नहीं सकते? हम शान्ति की बाट जोहते रहे, तौभी कुछ कल्याण नहीं हुआ; और यद्यपि हम अच्छे हो जाने की आशा करते रहे, तौभी घबराना ही पड़ा है। 
20. हे यहोवा, हम अपक्की दुष्टता और अपके पुरखाओं के अधर्म को भी मान लेते हैं, क्योंकि हम ने तेरे विरुद्ध पाप किया है। 
21. अपके नाम के निमित्त हमें न ठुकरा; अपके तेजोमय सिंहासन का अपमान न कर; जो वाचा तू ने हमारे साय बान्धी, उसे स्मरण कर और उसे न तोड़। 
22. क्या अन्यजातियोंकी मूरतोंमें से कोई वर्षा कर सकता है? क्या आकाश फडिय़ां लगा सकता है? हे हमारे परमेश्वर यहोवा, क्या तू ही इन सब बातोंका करनेवाला नहीं है? हम तेरा ही आसरा देखते रहेंगे, क्योंकि इन सारी वस्तुओं का सृजनहार तू ही है।

Chapter 15

1. फिर यहोवा ने मुझ से कहा, यदि मूसा और शमूएल भी मेरे साम्हने खड़े होते, तौभी मेरा मन इन लोगोंकी ओर न फिरता। इनको मेरे साम्हने से निकाल दो कि वे निकल जाएं! 
2. और यदि वे तुझ से पूछें कि हम कहां निकल जाएं? तो कहना कि यहोवा योंकहता है, जो मरनेवाले हैं, वे मरने को चले जाएं, जो तलवार से मरनेवाले हैं, वे तलवार से मरने को; जो आकाल से मरनेवाले हैं, वे आकाल से मरने को, और जो बंधुए होनेवाले हैं, वे बंधुआई में चले जाऐं। 
3. मैं उनके विरुद्ध चार प्रकार के विनाश ठहराऊंगा : मार डालने के लिथे तलवार, फाड़ डालने के लिथे कुत्ते, नोच डालने के लिथे आकाश के पक्की, और फाड़कर खाने के लिथे मैदान के हिंसक जन्तु, यहोवा की यह वाणी है। 
4. यह हिजकिय्याह के पुत्र, यहूदा के राजा मनश्शे के उन कामोंके कारण होगा जो उस ने यरूशलेम में किए हैं, और मैं उन्हें ऐसा करूंगा कि वे पृय्वी के राज्य राज्य में मारे मारे फिरेंगे। 
5. हे यरूशलेम, तुझ पर कौन तरस खाएगा, और कौन तेरे लिथे शोक करेगा? कौन तेरा कुशल पूछने को तेरी ओर मुड़ेगा? 
6. यहोवा की यह वाणी है कि तू मुझ को त्यागकर पीछे हट गई है, इसलिथे मैं तुझ पर हाथ बढ़ाकर तेरा नाश करूंगा; क्योंकि, मैं तरस खाते खाते उकता गया हूँ। 
7. मैं ने उनको देश के फाटकोंमें सूप से फटक दिया है; उन्होंने कुमार्ग को नहीं छोड़ा, इस कारण मैं ने अपक्की प्रजा को निर्वश कर दिया, और नाश भी किया है। 
8. उनकी विधवाए मेरे देखने में समुद्र की बालू के किनकोंसे अधिक हो गई हैं; उनके जवानोंकी माताओं के विरुद्ध दुपहरी ही को मैं ने लुटेरोंको ठहराया है; मैं ने उनको अचानक संकट में डाल दिया और घबरा दिया है। 
9. सात लड़कोंकी माता भी बेहाल हो गई और प्राण भी छोड़ दिया; उसका सूर्य दोपहर ही को अस्त हो गया; उसकी आशा टूट गई और उसका मुंह काला हो गया। और जो रह गए हैं उनको भी मैं शत्रुओं की तलवार से मरवा डालूंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
10. हे मेरी माता, मुझ पर हाथ, कि तू ने मुझ ऐसे मनुष्य को उत्पन्न किया जो संसार भर से फगड़ा और वादविवाद करनेवाला ठहरा है ! न तो मैं ने व्याज के लिथे रुपके दिए, और न किसी से उधार लिए हैं, तौभी लोग मुझे कोसते हैं। 
11. यहोवा ने कहा, निश्चय मैं तेरी भलाई के लिथे तुझे दृढ़ करूंगा; विपत्ति और कष्ट के समय मैं शत्रु से भी तेरी बिनती कराऊंगा। 
12. क्या कोई पीतल वा लोहा, उत्तर दिशा का लोहा तोड़ सकता है? 
13. तेरे सब पापोंके कारण जो सर्वत्र देश में हुए हैं मैं तेरी धन-सम्पत्ति और खजाने, बिना दाम दिए लुट जाने दूंगा। 
14. मैं ऐसा करूंगा कि वह शत्रुओं के हाथ ऐसे देश में चला जाएगा जिसे तू नहीं जानती है, क्योंकि मेरे क्रोध की आग भड़क उठी है, और वह तुम को जलाएगी। 
15. हे यहोवा, तू तो जानता है; मुझे स्मरण कर और मेरी सुधि लेकर मेरे सतानेवालोंसे मेरा पलटा ले। तू धीरज के साय क्रोध करनेवाला है, इसलिथे मुझे न उठा ले; तेरे ही निमित्त मेरी नामधराई हुई है। 
16. जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ। 
17. तेरी छाया मुझ पर इुई; मैं मन बहलानेवालोंके बीच बैठकर प्रसन्न नहीं हुआ; तेरे हाथ के दबाव से मैं अकेला बैठा, क्योंकि तू ने मुझे क्रोध से भर दिया या। 
18. मेरी पीड़ा क्योंलगातार बनी रहती है? मेरी चोट की क्योंकोई औषधि नहीं है? क्या तू सचमुच मेरे लिथे धोखा देनेवाली नदी और सूखनेवाले जल के समान होगा? 
19. यह सुनकर यहोवा ने योंकहा, यदि तू फिरे, तो मैं फिरसे तुझे अपके साम्हने खड़ा करूंगा। यदि तू अनमोल को कहे और निकम्मे को न कहे, तब तू मेरे मुख के समान होगा। वे लोग तेरी ओर फिरेंगे, परन्तु तू उनकी ओर न फिरना। 
20. और मैं तुझ को उन लोगोंके साम्हने पीतल की दृढ़ शहरपनाह बनाऊंगा; वे तुझ से लड़ेंगे, परन्तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्योंकि मैं तुझे बचाने और तेरा उद्धार करने के लिथे तेरे साय हूँ, यहोवा की यह वाणी है। मैं तुझे दुष्ट लोगोंके हाथ से बचाऊंगा, 
21. और उपद्रवी लोगोंके पंजे से छुड़ा लूंगा।

Chapter 16

1. यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 
2. इस स्यान में विवाह करके बेटे-बेटियां मत जन्मा। 
3. क्योंकि जो बेटे-बेटियां इस स्यन में उत्पन्न होंऔर जो माताएं उन्हें जनें और जो पिता उन्हें इस देश में जन्माएं, 
4. उनके विषय यहोवा योंकहता है, वे बुरी बुरी बीमारियोंसे मरेंगे। उनके लिथे कोई छाती न पीटेगा, न उनको मिट्टी देगा; वे भूमि के ऊपर खाद की नाई पके रहेंगे। वे तलवार और महंगी से मर मिटेंगे, और उनकी लोथें आकाश के पझियोंऔर मैदान के पशुओं का आहार होंगी। 
5. यहोवा ने कहा, जिस घर में रोनापीटना हो उस में न जाना, न छाती पीटने के लिथे कहीं जाना और न इन लोगोंके लिथे शोक करना; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैं ने अपक्की शान्ति और करुणा और दया इन लोगोंपर से उठा ली है। 
6. इस कारण इस देश के छोटे-बड़े सब मरेंगे, न तो इनको मिट्टी दी जाएगी, न लोग छाती पीटेंगे, न अपना शरीर चीरेंगे, और न सिर मुंड़ाएंगे। इनके लिथे कोई शोक करनेवालोंको रोटी न बाटेंगे कि शोक में उन्हें शान्ति दें; 
7. और न लोग पिता वा माता के मरने पर किसी को शान्ति के लिथे कटोरे में दाखमधु पिलाएंगे। 
8. तू जेवनार के घर में इनके साय खाने-पीने के लिथे न जाना। 
9. क्योंकि सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर योंकहता है, देख, तुम लोगोंके देखते और तुम्हारे ही दिनोंमें मैं ऐसा करूंगा कि इस स्यान में न तो हर्ष और न आनन्द का शब्द सुनाई पकेगा, न दुल्हे और न दुल्हिन का शब्द। 
10. और जब तू इन लोगोंसे थे सब बातें कहे, और वे तुझ से पूछें कि यहोवा ने हमारे ऊपर यह सारी बड़ी विपत्ति डालने के लिथे क्योंकहा है? हमारा अधर्म क्या है और हम ने अपके परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध कौन सा पाप किया है? 
11. तो तू इन लोगोंसे कहना, यहोवा की यह वाणी है, क्योंकि तुम्हारे पुरखा मुझे त्यागकर दूसरे देवताओं के पीछे चले, और उनकी उपासना करके उनको दण्डवत्‌ की, और मुझ को त्याग दिया और मेरी व्यवस्या का पालन नहीं किया, 
12. ओर जितनी बुराई तुम्हारे पुरखाओं ने की यी, उस से भी अधिक तुम करते हो, क्योंकि तुम अपके बुरे मन के हठ पर चलते हो और मेरी नहीं सुनते; 
13. इस कारण मैं तुम को इस देश से उखाड़कर ऐसे देश में फेंक दूंगा, जिसको न तो तुम जानते हो और न तुम्हारे पुरखा जानते थे; और वहां तुम रात-दिन दूसरे देवताओं की उपासना करते रहोगे, क्योंकि वहां मैं तुम पर कुछ अनुग्रह न करूंगा। 
14. फिर यहोवा की यह वाणी हुई, देखो, ऐसे दिन आनेवाले हैं जिन में फिर यह न कहा जाएगा कि यहोवा जो इस्राएलियोंको मिस्र देश से छुड़ा ले आया उसके जीवन की सौगन्ध, 
15. वरन यह कहा जाएगा कि यहोवा जो इस्राएलियोंको उत्तर के देश से और उन सब देशोंसे जहां उस ने उनको बरबस कर दिया या छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध। क्योंकि मैं उनको उनके निज देश में जो मैं ने उनके पूर्वजोंको दिया या, लौटा ले आऊंगा। 
16. देखो, यहोवा की यह वाणी है कि मै बहुत से मछुओं को बुलवा भेजूंगा कि वे इन लोगोंको पकड़ लें, और, फिर मैं बहुत से बहेलियोंको बुलवा भेजूंगा कि वे इनको अहेर करके सब पहाड़ोंऔर पहाडिय़ोंपर से और चट्टानोंकी दरारोंमें से निकालें। 
17. क्योंकि उनका पूरा चाल-चलन मेरी आंखोंके साम्हने प्रगट है; वह मेरी दृष्टि से छिपा नहीं है, न उनका अधर्म मेरी आखोंसे गुप्त है। सो मैं उनके अधर्म और पाप का दूना दण्ड दूंगा, 
18. क्योंकि उन्होंने मेरे देश को अपक्की घृणित वस्तुओं की लोयोंसे अशुद्ध किया, और मेरे निज भाग को अपक्की अशुद्धता से भर दिया है। 
19. हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्यान, जातिजाति के लोग पृय्वी की चहुंओर से तेरे पास आकर कहेंगे, निश्चय हमारे पुरखा फूठी, व्यर्य और निष्फल वस्तुओं को अपनाते आए हैं। 
20. क्या मनुष्य ईश्वरोंको बनाए? नहीं, वे ईश्वर नहीं हो सकते ! 
21. इस कारण, एक इस बार, मैं इन लोगोंको अपना भुजबल और पराक्रम दिखाऊंगा, और वे जानेंगे कि मेरा नाम यहोवा है।

Chapter 17

1. यहूदा का पाप लोहे की टांकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; वह उनके ह्रृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियोंके सींगोंपर भी खुदा हुआ है। 
2. उनकी वेदियां और अशेरा नाम देवियां जो हरे पेड़ोंके पास और ऊंचे टीलोंके ऊपर हैं, वे उनके लड़कोंको भी स्मरण रहती हैं। 
3. हे मेरे पर्वत, तू जो मैदान में है, तेरी धन-सम्पत्ति और भण्डार मैं तेरे पाप के कारण लुट जाने दूंगा, और तेरे पूजा के ऊंचे स्यान भी जो तेरे देश में पाए जाते हैं। 
4. तू अपके ही दोष के कारण अपके उस भाग का अधिक्कारनेी न रहने पाएगा जो मैं ने तुझे दिया है, और मैं ऐसा करूंगा कि तू अनजाने देश में अपके शत्रुओं की सेवा करेगा, क्योंकि तू ने मेरे क्रोध की आग ऐसी भड़काई जो सर्वदा जलती रहेगी। 
5. यहोवा योंकहता है, स्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है। 
6. वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तया लोनछाई भूमि पर बसेगा। 
7. धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिस ने परमेश्वर को अपना आधार माना हो। 
8. वह उस वृझ के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा। 
9. मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोख देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? 
10. मैं यहोवा मन की खोजता और ह्रृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्थेक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्यात्‌ उसके कामोंका फल दूं। 
11. जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिडिय़ा के दिए हुए अंडोंको सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूढ़ ही ठहरता है। 
12. हमारा पवित्र आराधनालय आदि से ऊंचे स्यान पर रखे हुए एक तेजोमय सिंहासन के समान है। 
13. हे यहोवा, हे इस्राएल के आधार, जितने तुझे छोड देते हैं वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से भटक जाते हैं उनके नाम भूमि ही पर लिखे जाएंगे, क्योंकि उन्होंने बहते जल के सोते यहोवा को त्याग दिया है। 
14. हे यहोवा मुझे चंगा कर, तब मैं चंगा हो जाऊंगा; मुझे बचा, तब मैं बच जाऊंगा; क्योंकि मैं तेरी ही स्तुति करता हूँ। 
15. सुन, वे मुझ से कहते हैं, यहोवा का वचन कहां रहा? वह अभी पूरा हो जाए ! 
16. परन्तु तू मेरा हाल जानता है, मैं ने तेरे पीछे चलते हुए उतावली करके चरवाहे का काम नहीं छोड़ा; न मैं ने उस आनेवाली विपत्ति के दिन की लालसा की है; जो कुछ मैं बोला वह तुझ पर प्रगट या। 
17. मुझे न घबरा; संकट के दिन तू ही मेरा शरणस्यान है। 
18. हे यहोवा, मेरी आशा टूटने न दे, मेरे सतानेवालोंही की आशा टूटे; उन्हीं को विस्मित कर; परन्तु मुझे निराशा से बचा; उन पर विपत्ति डाल और उनको चकनाचूर कर दे ! 
19. यहोवा ने मुझ से योंकहा, जाकर सदर फाटक में खड़ा हो जिस से यहूदा के राजा वरन यरूशलेम के सब रहनेवाले भीतर-बाहर आया जाया करते हैं; 
20. और उन से कह, हे यहूदा के राजाओ और सब यहूदियो, हे यरूशलेम के सब निवासियो, और सब लोगो जो इन फाटकोंमें से होकर भीतर जाते हो, यहोवा का वचन सुनो। 
21. यहोवा योंकहता है, सावधान रहो, विश्रम के दिन कोई बोफ मत उठाओ; और न कोई बोफ यरूशलेम के फाटकोंके भीतर ले आओ। 
22. विश्रम के दिन अपके अपके घर से भी कोई बोफ बाहर मत लेओ और न किसी रीति का काम काज करो, वरन उस आज्ञा के अनुसार जो मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को दी यी, विश्रम के दिन को पवित्र माना करो। 
23. परन्तु उन्होंने न सुना और न कान लगाया, परन्तु इसके विपक्कीत हठ किया कि न सुनें और ताड़ना से भी न मानें। 
24. परन्तु यदि तुम सचमुच मेरी सुनो, यहोवा की यह वाणी है, और विश्रम के दिन इस नगर के फाटकोंके भीतर कोई बोफ न ले आओ और विश्रमदिन को पवित्र मानो, और उस में किसी रीति का काम काज न करो, 
25. तब तो दाऊद की गद्दी पर विराजमान राजा, रयोंऔर घोड़ोंपर चढ़े हुए हाकिम और यहूदा के लोग और यरूशलेम के निवासी इस नगर के फाटकोंसे होकर प्रवेश किया करेंगे और यह नगर सर्वदा बसा रहेगा। 
26. और लोग होमबलि, मेलबलि अन्नबलि, लोबान और धन्यवादबलि लिए हुए यहूदा के नगरोंसे और यरूशलेम के आसपास से, बिन्यामीन के देश और नीचे के देश से, पहाड़ी देश और दक्खिन देश से, यहोवा के भवन में आया करेंगे। 
27. परन्तु यदि तुम मेरी सुनकर विश्रम के दिन को पवित्र न मानो, और उस दिन यरूशलेम के फाटकोंसे बोफ लिए हुए प्रवेश करते रहो, तो मैं यरूशलेम के फाटकोंमें आग लगाऊंगा; और उस से यरूशलेम के महल भी भस्म हो जाएंगे और वह आग फिर न बुफेगी।

Chapter 18

1. यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, उठकर कुम्हार के घर जा, 
2. और वहां मैं तुझे अपके वचन सुनवाऊंगा। 
3. सो मैं कुम्हार के घर गया और क्या देखा कि वह चाक पर कुछ बना रहा है ! 
4. और जो मिट्टी का बासन वह बना रहा या वह बिगड़ गया, तब उस ने उसी का दूसरा बासन अपक्की समझ के अनुसार बना दिया। 
5. तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, हे इस्राएल के घराने, 
6. यहोवा की यह वाणी है कि इस कुम्हार की नाई तुम्हारे साय क्या मैं भी काम नहीं कर सकता? देख, जैसा मिट्टी कुम्हार के हाथ में रहती है, वैसा ही हे इस्राएल के घराने, तुम भी मेरे हाथ में हो। 
7. जब मैं किसी जाति वा राज्य के विषय कहूं कि उसे उखाड़ूंगा वा ढा दूंगा अयवा नाश करूंगा, 
8. तब यदि उस जाति के लोग जिसके विषय मैं ने कह बात कही हो अपक्की बुराई से फिरें, तो मैं उस विपत्ति के विषय जो मैं ने उन पर डालने को ठाना हो पछताऊंगा।
9. और जब मैं किसी जाति वा राज्य के विषय कहूं कि मैं उसे बनाऊंगा और रोपूंगा; 
10. तब यदि वे उस काम को करें जो मेरी दृष्टि में बुरा है और मेरी बात न मानें, तो मैं उस भलाई के विष्य जिसे मैं ने उनके लिथे करने को कहा हो, पछताऊंगा। 
11. इसलिथे अब तू यहूदा और यरूशलेम के निचसिक्कों यह कह, यहोवा योंकहता है, देखो, मैं तुम्हारी हानि की युक्ति और तुम्हारे विरुद्ध प्रबन्ध कर रहा हूँ। इसलिथे तुम अपके अपके बुरे मार्ग से फिरो और अपना अपना चालचलन और काम सुधारो। 
12. परन्तु वे कहते हैं, ऐसा नहीं होने का, हम तो अपक्की ही कल्पनाओं के अनुसार चलेंगे और अपके बुरे मन के हठ पर बने रहेंगे। 
13. इस कारण प्रभु यहोवा योंकहता है, अन्यजातियोंसे पूछ कि ऐसी बातें क्या कभी किसी के सुनने में आई है? इस्राएल की कुमारी ने जो काम किया है उसके सुनने से रोम रोम खड़े हो जाते हैं। 
14. क्या लबानोन का हिम जो चट्टान पर से मैदान में बहता है बन्द हो सकता है? क्या वह ठण्डा जल जो दूर से बहता है कभी सूख सकता है? 
15. परन्तु मेरी प्रजा मुझे भूल गई है; वे निकम्मी वस्तुओं के लिथे धूप जलाते हैं; उन्होंने अपके प्राचीनकाल के मागॉं में ठोकर खाई है, और पगडण्डियोंऔर बेहड़ मागॉं में भटक गए हैं। 
16. इस से उनका देश ऐसा उजाड़ हो गया है कि लोग उस पर सदा ताली बजाते रहेंगे; और जो कोई उसके पास से चले वह चकित होगा और सिर हिलाएगा। 
17. मैं उनको पुरवाई से उड़ाकर शत्रु के साम्हने से तितर-बितर कर दूंगा। उनकी विपत्ति के दिन मैं उनको मुंह नहीं परन्तु पीठ दिखाऊंगा। 
18. तब वे कहने लगे, चलो, यिर्मयाह के विरुद्ध युक्ति करें, क्योंकि न याजक से व्यवस्या, न ज्ञानी से सम्मति, न भविष्यद्वक्ता से वचन दूर होंगे। आओ, हम उसकी कोई बात पकड़कर उसको नाश कराएं और फिर उसकी किसी बात पर ध्यान न दें। 
19. हे यहोवा, मेरी ओर ध्यान दे, और जो लोग मेरे साय फगड़ते हैं उनकी बातें सुन। 
20. क्या भलाई के बदले में बुराई का व्यवहार किया जाए? तू इस बात का स्मरण कर कि मैं उनकी भलाई के लिथे तेरे साम्हने प्रार्यना करने को खड़ा हुआ जिस से तेरी जलजलाहट उन पर से उतर जाए, और अब उन्होंने मेरे प्राण लेने के लिथे गड़हा खोदा है। 
21. इसलिथे उनके लड़केबालोंको भूख से मरने दे, वे तलवार से कट मरें, और उनकी स्त्रियां निर्वश और विधवा हो जाएं। उनके पुरुष मरी से मरें, और उनके जवान लड़ाई में तलवार से मारे जाएं। 
22. जब तू उन पर अचानक शत्रुदल चढ़ाए, तब उनके घरोंसे चिल्लाहट सुनाई दे ! क्योंकि उन्होंने मेरे लिथे गड़हा खोदा और मेरे फंसाने को फन्दे लगाए हैं। 
23. हे यहोवा, तू उनकी सब युक्तियां जानता है जो वे मेरी मृत्यु के लिथे करते हैं। इस कारण तू उनके इस अधर्म को न ढांप, न उनके पाप को अपके साम्हने से मिटा। वे तेरे देखते ही ठोकर खाकर गिर जाएं, अपके क्रोध में आकर उन से इसी प्रकार का व्यवहार कर।

Chapter 19

1. यहोवा ने योंकहा, तू जाकर कुम्हार से मिट्टी की बनाई हुई एक सुराही मोल ले, और प्रजा के कुछ पुरनियोंमें से और याजकोंमें से भी कुछ प्राचीनोंको साय लेकर, 
2. हिन्नोमियोंकी तराई की ओर उस फाटक के निकट चला जा जहां ठीकरे फेंक दिए जाते हैं; और जो वचन मैं कहूं, उसे वहां प्रचार कर। 
3. तू यह कहना, हे यहूदा के राजाओ और यरूशलेम के सब निवासियो, यहोवा का वचन सुनो। इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है, इस स्यान पर मैं ऐसी विपत्ति डालने पर हूँ कि जो कोई उसका समाचार सुने, उस पर सन्नाटा छा जाएगा। 
4. क्योंकि यहां के लोगोंने मुझे त्याग दिया, और इस स्यान में दूसरे देवताओं के लिथे जिनको न तो वे जानते हैं, और न उनके पुरखा वा यहूदा के पुराने राजा जानते थे धूप जलाया है और इसको पराया कर दिया है; और उन्होंने इस स्यान को निदॉषोंके लोहू से भर दिया, 
5. और बाल की पूजा के ऊंचे स्यानोंको बनाकर अपके लड़केबालोंको बाल के लिथे होम कर दिया, यद्यपि मैं ने कभी भी जिसकी आज्ञा नहीं दी, न उसकी चर्चा की और न वह कभी मेरे मन में आया। 
6. इस कारण यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आते हैं कि यह स्यान फिर तोपेत वा हिन्नोमियोंकी तराई न कहलाएगा, वरन घात ही की तराई कहलाएगा। 
7. और मैं इस स्यान में यहूदा और यरूशलेम की युक्तियोंको निष्फल कर दूंगा; और उन्हें उनके प्राणोंके शत्रुओं के हाथ की तलवार चलवाकर गिरा दूंगा। उनकी लोयोंको मैं आकाश के पझियोंऔर भूमि के जीवजन्तुओं का आहार कर दूंगा। 
8. और मैं इस नगर को ऐसा उजाड़ दूंगा कि लोग इसे देखकर डरेंगे; जो कोई इसके पास से होकर जाए वह इसकी सब विपत्तियोंके कारण चकित होगा और घबराएगा। 
9. और घिर जाने और उस सकेती के समय जिस में उनके प्राण के शत्रु उन्हें डाल देंगे, मैं उनके बेटे-बेटियोंका मांस उन्हें खिलाऊंगा और एक दूसरे का भी मांस खिलाऊंगा। 
10. तब तू उस सुराही को उन मनुष्योंके साम्हने तोड़ देना जो तेरे संग जाएंगे, 
11. और उन से कहना, सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि जिस प्रकार यह मिट्टी का बासन जो टूट गया कि फिर बनाया न जा सके, इसी प्रकार मैं इस देश के लोगोंको और इस नगर को तोड़ डालूंगा। और तोपेत नाम तराई में इतनी कब्रें होंगी कि क़ब्र के लिथे और स्यान न रहेगा। 
12. यहोवा की यह वाणी है कि मैं इस स्यान और इसके रहनेवालोंके साय ऐसा ही काम करूंगा, मैं इस नगर को तोपेत के समान बना दूंगा। 
13. और यरूशलेम के घर और यहूदा के राजाओं के भवन, जिनकी छतोंपर आकाश की सारी सेना के लिथे धूप जलाया गया, और अन्य देवताओं के लिथे तपावन दिया गया है, वे सब तोपेत के समान अशुद्ध हो जाएंगे। 
14. तब यिर्मयाह तोपेत से लौटकर, जहां यहोवा ने उसे भविष्यद्वाणी करने को भेजा या, यहोवा के भवन के आंगन में खड़ा हुआ, और सब लोगोंसे कहने लगा; 
15. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता हे, देखो, सब गांवोंसमेत इस नगर पर वह सारी विपत्ति डालना चाहता हूँ जो मैं ने इस पर लाने को कहा है, क्योंकि उन्होंने हठ करके मेरे वचन को नहीं माना है।

Chapter 20

1. जब यिर्मयाह यह भविष्यद्वाणी कर रहा या, तब इम्मेर का पुत्र पशहूर ने जो याजक और यहोवा के भवन का प्रधान रखवाला या, वह सब सुना। 
2. सो पशहूर ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को मारा और उसे उस काठ में डाल दिया जो यहोवा के भवन के ऊपर बिन्यामीन के फाटक के पास है। 
3. बिहान को जब पशहूर ने यिर्मयाह को काठ में से निकलवाया, तब यिर्मयाह ने उस से कहा, यहोवा ने तेरा नाम पशहूर नहीं मागोमिर्स्साबीब रखा है। 
4. क्योंकि यहोवा ने योंकहा है, देख, मैं तुझे तेरे लिथे और तेरे सब मित्रोंके लिथे भी भय का कारण ठहराऊंगा। वे अपके शत्रुओं की तलवार से तेरे देखते ही वध किए जाएंगे। और मैं सब यहूदियोंको बाबुल के राजा के वश में कर दूंगा; वह उनको बंधुआ करके बाबुल में ले जाएगा, और तलवार से मार डालेगा। 
5. फिर मैं इस नगर के सारे धन को और इस में की कमाई और सब अनमोल वस्तुओं को और यहूदा के राजाओं का जितना रखा हुआ धन है, उस सब को उनके शत्रुओं के वश में कर दूंगा; और वे उसको लूटकर अपना कर लेंगे और बाबुल में ले जाएंगे। 
6. और, हे पशहूर, तू उन सब समेत जो तेरे घर में रहते हैं बंधुआई में चला जाएगा; अपके उन मित्रोंसमेत जिन से तू ने फूठी भविष्यद्वाणी की, तू बाबुल में जाएगा और वहीं मरेगा, और वहीं तुझे और उन्हें भी मिट्टी दी जाएगी। 
7. हे यहोवा, तू ने मुझे धोखा दिया, और मैं ने धोखा खाया; तू मुझ से बलवन्त है, इस कारण तू मुझ पर प्रबल हो गया। दिन भर मेरी हंसी होती है; सब कोई मुझ से ठट्ठा करते हैं। 
8. क्योंकि जब मैं बातें करता हूँ, तब मैं जोर से पुकार पुकारकर ललकारता हूँ कि उपद्रव और उत्पात हुआ, हां उत्पात ! क्योंकि यहोवा का वचन दिन भर मेरे लिथे निन्दा और ठट्ठा का कारण होता रहता है। 
9. यदि मैं कहूं, मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो मेरे ह्रृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियोंमें धधकती हुई आग हो, और मैं अपके को रोकते रोकते यक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता। 
10. मैं ने बहुतोंके मुंह से अपना अपवाद सुना है। चारोंओर भय ही भय है ! मेरी जान पहचान के सब जो मेरे ठोकर खाने की बाट जोहते हैं, वे कहते हैं, उसके दोष बताओ, तब हम उनकी चर्चा फैला देंगे। कदाचित वह धोखा खाए, तो हम उस पर प्रबल होकर, उस से बदला लेंगे। 
11. परन्तु यहोवा मेरे साय है, वह भयंकर वीर के समान है; इस कारण मेरे सतानेवाले प्रबल न होंगे, वे ठोकर खाकर गिरेंगे। वे बुद्धि से काम नहीं करते, इसलिथे उन्हें बहुत लज्जित होना पकेगा। उनका अपमान सदैव बना रहेगा और कभी भूला न जाएगा। 
12. हे सेनाओं के यहोवा, हे धमिर्योंके परखनेवाले और ह्रृदय और मन के ज्ञाता, जो बदला तू उन से लेगा, उसे मैं देखूं, क्योंकि मैं ने अपना मुक़द्दमा तेरे ऊपर छोड़ दिया है। 
13. यहोवा के लिथे गाओ; यहोवा की स्तुति करो ! क्योंकि वह दरिद्र जन के प्राण को कुकमिर्योंके हाथ से बचाता है। 
14. स्रापित हो वह दिन जिस में मैं उत्पन्न हुआ ! जिस दिन मेरी माता ने मुझ को जन्म दिया वह धन्य न हो ! 
15. स्रापित हो वह जन जिस ने मेरे पिता को यह समाचार देकर उसको बहुत आनन्दित किया कि तेरे लड़का उत्पन्न हुआ है। 
16. उस जन की दशा उन नगरोंकी सी हो जिन्हें यहोवा ने बिन दया ढा दिया; उसे सवेरे तो चिल्लाहट और दोपहर को युद्ध की ललकार सुनाई दिया करे, 
17. क्योंकि उस ने मुझे गर्भ ही में न मार डाला कि मेरी माता का गर्भाशय ही मेरी क़ब्र होती, और मैं उसी में सदा पड़ा रहता। 
18. मैं क्योंउत्पात और शोक भोगने के लिथे जन्मा और कि अपके जीवन में परिश्र्म और दु:चा देखूं, और उपके दिन नामधराई में व्यतीत करूं?

Chapter 21

1. यह वचन यहोवा की ओर से यिर्मयाह के पास उस समय पहुंचा जब सिदकिय्याह राजा ने उसके पास मल्किय्याह के पुत्र पशहूर और मासेयाह याजक के पुत्र सपन्याह के हाथ से यह कहला भेजा कि, 
2. हमारे लिथे यहोवा से पूछ, क्योंकि बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर हमारे विरुद्ध युद्ध कर रहा है; कदाचित यहोवा हम से अपके सब आश्चर्यकमॉं के अनुसार ऐसा व्यवहार करे कि वह हमारे पास से उठ जाए। 
3. तब यिर्मयाह ने उन से कहा, तुम सिदकिय्याह से योंकहो, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, 
4. देखो, युद्ध के जो हयियार तुम्हारे हाथोंमें है, जिन से तुम बाबुल के राजा और शहरपनाह के बाहर घेरनेवाले कसदियोंसे लड़ रहे हो, उनको मैं लौटाकर इस नगर के बीच में इकट्ठा करूंगा; 
5. और मैं स्वयं हाथ बढ़ाकर और बलवन्त भुजा से, और क्रोध और जलजलाहट और बड़े क्रोध में आकर तुम्हारे विरुद्ध लडूंगा। 
6. और मैं इस नगर के रहनेवालोंको क्या मनुष्य, क्या पशु सब को मार डालूंगा; वे बड़ी मरी से मरेंगे। 
7. और उसके बाद, यहोवा की यह वाणी है, हे यहूदा के राजा सिदकिय्याह, मैं तुझे, तेरे कर्मचारियोंऔर लोगोंको वरन जो लोग इस नगर में मरी, तलवार और महंगी से बचे रहेंगे उनको बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और उनके प्राण के शत्रुओं के वश में कर दूंगा। वह उनको तलवार से मार डालेगा; उन पर न तो वह तरस खाएगा, न कुछ कोमलता दिखाएगा और न कुछ दया करेगा। 
8. और इस प्रजा के लोगोंसे कह कि यहोवा योंकहता है, देखो, मैं तुम्हारे साम्हने जीवन का मार्ग और मृत्यु का मार्ग भी बताता हूँ। 
9. जो कोई इस नगर में रहे वह तलवार, महंगी और मरी से मरेगा; परन्तु जो कोई निकलकर उन कसदियोंके पास जो तुम को घेर रहे हैं भाग जाए वह जीवित रहेगा, और उसका प्राण बचेगा। 
10. क्योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैं ने इस नगर की ओर अपना मुख भलाई के लिथे नहीं, वरन बुराई ही के लिथे किया है; यह बाबुल के राजा के वश में पड़ जाएगा, और वह इसको फुंकवा देगा। 
11. ओर यहूदा के राजकुल के लोगोंसे कह, यहोवा का वचन सुनो, 
12. हे दाऊद के घराने ! यहोवा योंकहता है, भोर को न्याय चुकाओ, और लुटे हुए को अंधेर करनेवाले के हाथ से छुड़ाओ, नहीं तो तुम्हारे बुरे कामोंके कारण मेरे क्रोध की आग भड़केगी, और ऐसी जलती रहेगी कि कोई उसे बुफा न सकेगा। 
13. हे तराई में रहनेवाली और समयर देश की चट्टान; तुम जो कहते हो कि हम पर कौन चढ़ाई कर सकेगा, और हमारे वासस्यान में कौन पकेश कर सकेगा? यहोवा कहता है कि मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ। 
14. और यहोवा की वाणी है कि मैं तुम्हें दण्ड देकर तुम्हारे कामोंका फल तुम्हें भुगताऊंगा। मैं उसके वन में आग लगाऊंगा, और उसके चारोंओर सब कुछ भस्म हो जाएगा।

Chapter 22

1. यहोवा ने योंकहा, यहूदा के राजा के भवन में उतरकर यह वचन कह, 
2. हे दाऊद की गद्दी पर विराजमान यहूदा के राजा, तू अपके कर्मचारियोंऔर अपक्की प्रजा के लोगोंसमेत जो इन फाटकोंसे आया करते हैं, यहोवा का वचन सुन। 
3. यहोवा योंकहता है, न्याय और धर्म के काम करो; और लुटे हुए को अन्धेर करनेवाले के हाथ से छुड़ाओ। और परदेशी, अनाय और विधवा पर अन्धेर व उपद्रव मत करो, न इस स्यान में निदॉषोंका लोहू बहाओ। 
4. देखो, यदि तुम ऐसा करोगे, तो इस भवन के फाटकोंसे होकर दाऊद की गद्दी पर विराजमान राजा रयोंऔर घोड़ोंपर चढ़े हुए अपके अपके कर्मचारियोंऔर प्रजा समेत प्रवेश किया करेंगे। 
5. परन्तु, यदि तुम इन बातोंको न मानो तो, मैं अपक्की ही सौगन्ध खाकर कहता हूँ, यहोवा की यह वाणी है, कि यह भवन उजाड़ हो जाएगा। 
6. क्योंकि यहोवा यहूदा के राजा के इस भवन के विषय में योंकहता है, तू मुझे गिलाद देश सा और लबानोन के शिखर सा दिखाई पड़ता है, परन्तु निश्चय मैं तुझे मरुस्यल व एक निर्जन नगर बनाऊंगा। 
7. मैं नाश करनेवालोंको हयियार देकर तेरे विरुद्ध भेजूंगा; वे तेरे सुन्दर देवदारोंको काटकर आग में फोंक देंगे। 
8. और जाति जाति के लोग जब इस नगर के पास से निकलेंगे तब एक दूसरे से पूछेंगे, यहोवा ने इस बड़े नगर की ऐसी दशा क्योंकी है? 
9. तब लोग कहेंगे, इसका कारण यह हे कि उन्होंने अपके परमेश्वर यहोवा की वाचा को तोड़कर दूसरे देवताओं को दण्डवत्‌ की और उनकी उपासना भी की। 
10. मरे हुओं के लिथे मत रोओ, उसके लिथे विलाप मत करो। उसी के लिथे फूट फूटकर रोओ जो परदेश चला गया है, क्योंकि वह लौटकर अपक्की जन्मभूमि को फिर कभी देखने न पाएगा। 
11. क्योंकि यहूदा के राजा योशिय्याह का पुत्र शल्लूम, जो अपके पिता योशिय्याह के स्यान पर राजा या और इस स्यान से निकल गया, उसके विषय में यहोवा योंकहता है कि वह फिर यहां लौटकर न आने पाएगा। 
12. वह जिस स्यान में बंधुआ होकर गया है उसी में मर जाएगा, और इस देश को फिर कभी देखने न पाएगा। 
13. उस पर हाथ जो अपके घर को अधर्म से और अपक्की उपरौठी कोठरियोंको अन्याय से बनवाता है; जो अपके पड़ोसी से बेगारी में काम कराता है और उसकी मज़दूरी नहीं देता। 
14. वह कहता है, मैं अपके लिथे लम्बा-चौड़ा घर और हवादार कोठा बना लूंगा, और वह खिड़कियां बनाकर उन्हें देवदार की लकड़ी से पाट लेता है, और सिन्दूर से रंग देता है। 
15. तू जो देवदार की लकड़ी का अभिलाषी है, क्या इस रीति से तेरा राज्य स्यिर रहेगा। देख, तेरा पिता न्याय और धर्म के काम करता या, और वह खाता पीता और सुख से भी रहता या ! 
16. वह इस कारण सुख से रहता या क्योंकि वह दीन और दरिद्र लोगोंका न्याय चुकाता या। क्या यही मेरा ज्ञान रखना नहीं है? यहोवा की यह वाणी है। 
17. परन्तु तू केवल अपना ही लाभ देखता है, और निदॉषोंकी हत्या करने और अन्धेर और उपद्रव करने में अपना मन और दृष्टि लगाता है। 
18. इसलिथे योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में यहोवा यह कहता है, कि जैसे लोग इस रीति से कहकर रोते हैं, हाथ मेरे भाई, हाथ मेरी बहिन ! इस प्रकार कोई हाथ मेरे प्रभु वा हाथ तेरा विभव कहकर उसके लिथे विलाप न करेगा। 
19. वरन उसको गदहे की नाई मिट्टी दी जाएगी, वह घसीटकर यरूशलेम के फाटकोंके बाहर फेंक दिया जाएगा। 
20. लबानोन पर चढ़कर हाथ हाथ कर, तब बाशान जाकर ऊंचे स्वर से चिल्ला; फिर अबारीम पहाड़ पर जाकर हाथ-हाथ कर, क्योंकि तेरे सब मित्र नाश हो गए हैं। 
21. तेरे सुख के समय मैं ने तुझ को चिताया या, परन्तु तू ने कहा, मैं तेरी न सुनूंगी। युवावस्या ही से तेरी चाल ऐसी है कि तू मेरी बात नहीं सुनती। 
22. तेरे सब चरवाहे वायु से उड़ाए जाएंगे, और तेरे मित्र बंधुआई में चले जाएंगे; निश्चय तू उस समय अपक्की सारी बुराइयोंके कारण लज्जित होगी और तेरा मुंह काला हो जाएगा। 
23. हे लबानोन की रहनेवाली, हे देवदार में अपना घोंसला बनानेवालो, जब तुझ को जच्चा की सी पीड़ाएं उठें तब तू व्याकुल हो जाएगी ! 
24. यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, चाहे यहोयाकीम का पुत्र यहूदा का राजा कोन्याह, मेरे दहिने हाथ की अंगूठी भी होता, तोभी मैं उसे उतार फेंकता। 
25. मैं तुझे तेरे प्राण के खोजियोंके हाथ, और जिन से तू डरता है उनके अर्यात्‌ बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और कसदियोंके हाथ में कर दूंगा। 
26. मैं तुझे तेरी जननी समेत एक पराए देश में जो तुम्हारी जन्मभूमि नहीं है फेंक दूंगा, और तुम वहीं मर जाओगे। 
27. परन्तु जिस देश में वे लौटने की बड़ी लालसा करते हैं, वहां कभी लौटने न पाएंगे। 
28. क्या, यह पुरुष कोन्याह तुच्छ और टूटा हुआ बर्तन है? क्या यह निकम्मा बर्तन है? फिर वह वंश समेत अनजाने देश में क्योंनिकालकर फेंक दिया जाएगा? 
29. हे पृय्वी, पृय्वी, हे पृय्वी, यहोवा का वचन सुन ! 
30. यहोवा योंकहता है कि इस पुरुष को निर्वश लिखो, उसका जीवनकाल कुशल से न बीतेगा; और न उसके वंश में से कोई भाग्यवान होकर दाऊद की गद्दी पर विराजमान वा यहूदियोंपर प्रभुता करनेवाला होगा।

Chapter 23

1. उन चरवाहोंपर हाथ जो मेरी चराई की भेड़-बकरियोंको तितर-बितर करते ओर नाश करते हैं, यहोवा यह कहता है। 
2. इसलिथे इस्राएल का परमेश्वर यहोवा अपक्की प्रजा के चरवाहोंसे योंकहता है, तुम ने मेरी भेड़-बकरियोंकी सुधि नहीं ली, वरन उनको तितर-बितर किया और बरबस निकाल दिया है, इस कारण यहोवा की यह वाणी है कि मैं तुम्हारे बुरे कामोंका दण्ड दूंगा। 
3. तब मेरी भेड़-बकरियां जो बची हैं, उनको मैं उन सब देशोंमें से जिन में मैं ने उन्हें बरबस भेज दिया है, स्वयं ही उन्हें लौटा लाकर उन्हीं की भेड़शाला में इकट्ठा करूंगा, और वे फिर फूलें-फलेंगी। 
4. मैं उनके लिथे ऐसे चरवाहे नियुक्त करूंगा जो उन्हें चराएंगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उन में से कोई खो जाएंगी, यहोवा की यह वाणी है। 
5. यहोवा की यह भी वाणी है, देख ऐसे दिन आते हैं जब मैं दाऊद के कुल में एक धमीं अंकुर उगाऊंगा, और वह राजा बनकर बुद्धि से राज्य करेगा, और अपके देश में न्याय और धर्म से प्रभुता करेगा। 
6. उसके दिनोंमें यहूदी लोग बचे रहेंगे, और इस्राएली लोग निडर बसे रहेंगे : और यहोवा उसका नाम यहोवा “हमारी धामिर्कता” रखेगा। 
7. सो देख, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आएंगे जिन में लोग फिर न कहेंगे, कि “यहोवा जो हम इस्राएलियोंको मिस्र देश से छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध,” 
8. परन्तु वे यह कहेंगे, “यहोवा जो इस्राएल के घराने को उत्तर देश से और उन सब देशोंसे भी जहां उस ने हमें बरबस निकाल दिया, छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध।” तब वे अपके ही देश में बसे रहेंगे। 
9. भविष्यद्वक्ताओं के विषय मेरा ह्रृदय भीतर ही भीतर फटा जाता है, मेरी सब हड्डियां यरयराती है; यहोवा ने जो पवित्र वचन कहे हैं, उन्हें सुनकर, मैं ऐसे मनुष्य के समान हो गया हूँ जो दाखमधु के नशे में चूर हो गया हो, 
10. क्योंकि यह देश व्यभिचारियोंसे भरा है; इस पर ऐसा शाप पड़ा है कि यह विलाप कर रहा है; वन की चराइयां भी सूख गई। लोग बड़ी दौड़ तो दौड़ते हैं, परन्तु बुराई ही की ओर; और वीरता तो करते हैं, परन्तु अन्याय ही के साय। 
11. क्योंकि भविष्यद्वक्ता और साजक दोनोंभक्तिहीन हो गए हैं; अपके भवन में भी मैं ने उनकी बुराई पाई है, यहोवा की यही वाणी है। 
12. इस कारण उनका मार्ग अन्धेरा और फिसलाहा होगा जिस में वे ढकेलकर गिरा दिए जाएंगे; क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि मैं उनके दण्ड के वर्ष में उन पर विपत्ति डालूंगा ! 
13. शोमरोन के भविष्यद्वक्ताओं में मैं ने यह मूर्खता देखी यी कि वे बाल के नाम से भविष्यद्वाणी करते और मेरी प्रजा इस्राएल को भटका देते थे। 
14. परन्तु यरूशलेम के नबियोंमें मैं ने ऐसे काम देखे हैं, जिन से रोंगटे खड़े हो जाते हैं, अर्यात्‌ व्यभिचार और पाखष्ड; वे कुकमिर्योंको ऐसा हियाव बन्धाते हैं कि वे अपक्की अपक्की बुराई से पश्चात्ताप भी नहीं करते; सब निवासी मेरी दृष्टि में सदोमियोंऔर अमोरियोंके समान हो गए हैं। 
15. इस कारण सेनाओं का यहोवा यरूशलेम के भविष्यद्वक्ताओं के विषय में योंकहता है, देख, मैं उनको कड़ुवी वस्तुएं खिलाऊंगा और विष पिलाऊंगा; क्योंकि उनके कारण सारे देश में भक्तिहीनता फैल गई है। 
16. सेनाओं के यहोवा ने तुम से योंकहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातोंकी ओर जो तुम से भविष्सद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि थे तुम को व्यर्य बातें सिखाते हैं; थे दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपके ही मन की बातें कहते हैं। 
17. जो लोग मेरा तिरस्कार करते हैं उन मे थे भविष्यद्वक्ता सदा कहते रहते हैं कि यहोवा कहता है, तुम्हारा कल्याण होगा; और जितने लोग अपके हठ ही पर चलते हैं, उन से थे कहते हैं, तुम पर कोई विपत्ति न पकेगी। 
18. भला कौन यहोवा की गुप्त सभा में खड़ा होकर उसका वचन सुनने और समझने पाया है? 
19. वा किस ने ध्यान देकर मेरा वचन सुना है? देखो, यहोवा की जलजलाहट का प्रचाण्ड बवण्डर और आंधी चलने लगी है; और उसका फोंका दुष्टोंके सिर पर जोर से लगेगा। 
20. जब तक यहोवा अपना काम और अपक्की युक्तियोंको पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनोंमें तुम इस बात को भली भांति समझ सकोगे। 
21. थे भविष्यद्वक्ता बिना मेरे भेजे दौड़ जाते और बिना मेरे कुछ कहे भविष्यद्वाणी करने लगते हैं। 
22. यदि थे मेरी शिझा में स्यिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगोंको मेरे वचन सुनाते; और वे अपक्की बुरी चाल और कामोंसे फिर जाते। 
23. यहोवा की यह वाणी है, कया मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ? 
24. फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्यानोंमें छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूं? क्या स्वर्ग और पृय्वी दोनोंमुझ से परिपूर्ण नहीं हैं? 
25. मैं ने इन भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी सुनीं हैं जो मेरे नाम से यह कहकर फूठी भविष्यद्वाणी करते हैं कि मैं ने स्वप्न देखा है, स्वप्न ! 
26. जो भविष्यद्वक्ता फूठमूठ भविष्यद्वाणी करते और अपके मन ही के छल के भविष्यद्वक्ता हैं, यह बात कब तक उनके मन में समाई रहेगी? 
27. जैसे मेरी प्रजा के लोगोंके पुरखा मेरा नाम भूलकर बाल का नाम लेने लगे थे, वैसे ही अब थे भविष्यद्वक्ता उन्हें अपके अपके स्वप्न बता बताकर मेरा नाम भुलाना चाहते हैं। 
28. यदि किसी भविष्यद्वक्ता ने स्वप्न देखा हो, तो वह उसे बताए, परन्तु जिस किसी ने मेरा वचन सुना हो तो वह मेरा वचन सच्चाई से सुनाए। यहोवा की यह वाणी है, कहां भूसा और कहां गेहूं? 
29. यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हयौड़ा नहीं जो पत्यर को फोड़ डाले? 
30. यहोवा की यह वाणी है, देखो, जो भविष्यद्वक्ता मेरे वचन औरोंसे चुरा चुराकर बोलते हैं, मैं उनके विरुद्ध हूँ। 
31. फिर यहोवा की यह भी वाणी है कि जो भविष्यद्वक्ता “उसकी यह वाणी है”, ऐसी फूठी वाणी कहकर अपक्की अपक्की जीभ डुलाते हैं, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ। 
32. यहावा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का फूठा दावा करके भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन करके मेरी प्रजा को फूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उन से मेरी प्रजा के लोगोंका कुछ लाभ न हेगा। 
33. यदि साधारण लोगोंमें से कोई जन वा कोई भविष्यद्वक्ता वा याजक तुम से पूछे कि यहोवा ने क्या प्रभवशाली वचन कहा है, तो उस से कहना, क्या प्रभवशाली वचन? यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूंगा। 
34. और जो भविष्यद्वक्ता वा याजक वा साधारण मनुष्य “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन” ऐसा कहता रहे, उसको घराने समेत मैं दण्ड दूंगा। 
35. तुम लोग एक दूसरे से और अपके अपके भाई से योंपुछना, यहोवा ने क्या उत्तर दिया? 
36. वा, यहोवा ने क्या कहा है? “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन”, इस प्रकार तुम भविष्य में न कहना नहीं तो तुम्हारा ऐसा कहना ही दण्ड का कारण हो जाएगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सेनाओं का यहोवा जो जीवित परमेश्वर है, तुम लोगोंने उसके वचन बिगाड़ दिए हैं। 
37. तू भविष्यद्वक्ता से यां पूछ कि यहोवा ने तुझे क्या उत्तर दिया? 
38. वा, यहोवा ने क्या कहा है? यदि तुम “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन”: इसी प्रकार कहोगे, तो यहोवा का यह वचन सुनो, मैं ने तो तुम्हारे पास कहला भेजा है, भविष्य में ऐसा न कहना कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” परन्तु तुम यह कहते ही रहते हो, कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” 
39. इस कारण देखो, मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊंगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है, 
40. त्यागकर अपके साम्हने से दूर कर दूंगा। और मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।

Chapter 24

1. जब बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर, यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा यकोन्याह को, और यहूदा के हाकिमोंऔर लोहारोंऔर और कारीगरोंको बंधुआ करके यरूशलेम से बाबुल को ले गया, तो उसके बाद यहोवा ने मुझ को अपके मन्दिर के सामहने रखे हुए अंजीरोंके दो टोकरे दिखाए। 
2. एक टोकरे में तो पहिले से पके अच्छे अच्छे अंजीर थे, और दूसरे टोकरे में बहुत निकम्मे अंजीर थे, वरन वे ऐसे निकम्मे थे कि खाने के योग्य भी न थे। 
3. फिर यहोवा ने मुझ से पूछा, हे यिर्मयाह, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, अंजीर; जो अंजीर अच्छे हैं सो तो बहुत ही अच्छे हैं, परन्तु जो निकम्मे हैं, सो बहुत ही निकम्मे हैं; वरन ऐसे निमम्मे हैं कि खाने के योग्य भी नहीं हैं। 
4. तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 
5. कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, जैसे अच्छे अंजीरोंको, वैसे ही मैं यहूदी बंधुओं को जिन्हें मैं ने इस स्यान से कसदियोंके देश में भेज दिया है, देखकर प्रसन्न हूंगा। 
6. मैं उन पर कृपादृष्टि रखूंगा और उनको इस देश में लौटा ले आऊंगा; और उन्हें नाश न करूंगा, परन्तु बनाऊंगा; उन्हें उखाड़ न डालूंगा, परन्तु लगाए रखूंगा। 
7. मैं उनका ऐसा मन कर दूंगा कि वे मुझे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, क्योंकि वे मेरी ओर सारे मन से फिरेंगे। 
8. परन्तु जेसे निकम्मे अंजीर, निकम्मे होने के कारण खाए नहीं जाते, उसी प्रकार से मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके हाकिमोंऔर बचे हुए यरूशलेमियोंको, जो इस देश में वा मिस्र में रह गए हैं, छोड़ दूंगा। 
9. इस कारण वे पृय्वी के राज्य राज्य में मारे मारे फिरते हुए हु:ख भोगते रहेंगे; और जितने स्यानोंमें मैं उन्हें बरबस निकाल दूंगा, उन सभोंमें वे नामधराई और दृष्टांत और स्राप का विषय होंगे। 
10. और मैं उन में तलवार चलाऊंगा, और महंगी और मरी फैलाऊंगा, और अन्त में इस देश में से जिसे मैं ने उनके पुरखाओं को और उनको दिया, वे मिट जाएंगे।

Chapter 25

1. योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में जो बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के राज्य का पहिला वर्ष या, 
2. यहोवा का जो वचन यिर्मयाह नबी के पास पहुंचा, और जिसे यिर्मयाह नबी ने सब यहूदियोंऔर यरूशलेम के सब निवासिक्कों कहा, वह यह है: 
3. आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के राज्य के तेरहवें वर्ष से लेकर आज के दिन तक अर्यात्‌ तेईस वर्ष से यहोवा का वचन मेरे पास पहुंचता आया हे; और मैं उसे बड़े यत्न के साय तुम से कहता आया हूँ; परन्तु तुम ने उसे नहीं सुना। 
4. और यद्यपि यहोवा तुम्हारे पास अपके सारे दासोंअयवा भविष्यद्वक्ताओं को भी यह कहने के लिथे बड़े यत्न से भेजता आया है 
5. कि अपक्की अपक्की बुरी चाल और अपके अपके बुरे कामोंसे फिरो : तब जो देश यहोवा ने प्राचीनकाल में तुम्हारे पितरोंको और तुम को भी सदा के लिथे दिया है उस पर बसे रहने पाओगे; परन्तु तुम ने न तो सुना और न कान लगाया है। 
6. और दूसरे देवताओं के पीछे होकर उनकी उपासना और उनको दण्डवत्‌ मत करो, और न अपक्की बनाई हुई वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाओ; तब मैं तुम्हारी कुछ हानि न करूंगा। 
7. यह सुनने पर भी तुम ने मेरी नहीं मानी, वरन अपक्की बनाई हुई वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाते आए हो जिस से तुम्हारी हानि ही हो सकती है, यहोवा की यही वाणी है। 
8. इसलिथे सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि तुम ने जो मेरे वचन नहीं माने, 
9. जसलिथे सुनो, मैं उत्तर में रहनेवाले सब कुलोंको बुलाऊंगा, और अपके दास बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को बुलवा भेजूंगा; और उन सभोंको इस देश और इसके निवासियोंके विरुद्ध और इसके आस पास की सब जातियोंके विरुद्ध भी ले आऊंगा; और इन सब देशोंका मैं सत्यानाश करके उन्हें ऐसा उजाड़ दूंगा कि लोग इन्हें देखकर ताली बजाएंगे; वरन थे सदा उजड़े ही रहेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
10. और मैं ऐसा करूंगा कि इन में न तो हर्ष और न आनन्द का शब्द सुनाई पकेगा, और न दुल्हे वा दुल्हिन का, और न चक्की का भी शब्द सुनाई पकेगा और न इन में दिया जलेगा। 
11. सारी जातियोंका यह देश उजाड़ ही उजाड़ होगा, और थे सब जातियां सत्तर वर्ष तक बाबुल के राजा के आधीन रहेंगी। 
12. जब सत्तर वर्ष बीत चुकें, तब मैं बाबुल के राजा और उस जाति के लोगोंऔर कसदियोंके देश के सब निवासिक्कों अर्ध्म का दण्ड दूंगा, यहोवा की यह वाणी है; और उस देश को सदा के लिथे उजाड़ दूंगा। 
13. मैं उस देश में अपके वे सब वचन पूरे करूंगा जो मैं ने उसके विषय में कहे हैं, और जितने वचन यिर्मयाह ने सारी जातियोंके विरुद्ध भविष्यद्वाणी करके पुस्तक में लिखे हैं। 
14. क्योंकि बहुत सी जातियोंके लोग और बड़े बड़े राजा भी उन से अपक्की सेवा कराएंगे; और मैं उनको उनकी करनी का फल भुगताऊंगा। 
15. इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मुझ से योंकहा, मेरे हाथ से इस जलजलाहट के दाखमधु का कटोरा लेकर उन सब जातियोंको पिला दे जिनके पास मैं तुझे भेजता हूँ। 
16. वे उसे पीकर उस तलवार के कारण जो मैं उनके बीच में चलाऊंगा लड़खड़ाएंगे और बावले हो जाएंगे। 
17. सो मैं ने यहोवा के हाथ से वह कटोरा लेकर उन सब जातियोंको जिनके पास यहोवा ने मुझे भेजा, पिला दिया। 
18. अर्यात्‌ यरूशलेम और यहूदा के नगरोंके निवासिक्कों, और उनके राजाओं और हाकिमोंको पिलाया, ताकि उनका देश उजाड़ हो जाए और लोग ताली बजाएं, और उसकी उपमा देकर शाप दिया करें; जैसा आजकल होता है। 
19. और मिस्र के राजा फिरौन और उसके कर्मचारियों, हाकिमों, और सारी प्रजा को; 
20. और सब दोगले मनुष्योंकी जातियोंको और उस देश के सब राजाओं को; और पलिश्तियोंके देश के सब राजाओं को और अश्कलोन अज्जा और एक्रोन के और अशदोद के बचे हुए लोगोंको; 
21. और एदोनियों, मोआबियोंऔर अम्मोनियोंको और सारे राजाओं को; 
22. और सीदोन के सब राजाओं को, और समुद्र पार के देशोंके राजाओं को; 
23. फिर ददानियों, तेमाइयोंऔर बूजियोंको और जितने अपके गाल के बालोंको मुंड़ा डालते हैं, उन सभोंको भी; 
24. और अरब के सब राजाओं को और जंगल में रहनेवाले दोगले मनुष्योंके सब राजाओं को; 
25. और जिम्री, एलाम और मादै के सब राजाओं को; 
26. और क्या निकट क्या दूर के उत्तर दिशा के सब राजाओं को एक संग पिलाया, निदान धरती भर में रहनेवाले जगत के राज्योंके सब लोगोंको मैं ने पिलाया। और इन सब के पीछे शेषक के राजा को भी पीना पकेगा। 
27. तब तू उन से यह कहना, सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, योंकहता है, पीओ, और मतवाले हो और छाँट करो, गिर पड़ो और फिर कभी न उठो, क्योंकि यह उस तलवार के कारण से होगा जो मैं तुम्हारे बीच में चलाऊंगा। 
28. और यदि वे तेरे हाथ से यह कटोरा लेकर पीने से इनकार करें तो उन से कहना, सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि तुम को निश्चय पीना पकेगा। 
29. देखो, जो नगर मेरा कहलाता है, मैं पहिले उसी में विपत्ति डालने लगूंगा, फिर क्या तुम लोग निदॉष ठहरके बचोगे? तुम निदॉष ठहरके न बचोगे, क्योंकि मैं पृय्वी के सब रहनेवालोंपर तलवार चलाने पर हूँ, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी हे। 
30. इतनी बातें भविष्यद्वाणी की रीति पर उन से कहकर यह भी कहना, यहोवा ऊपर से गरजेगा, और अपके उसी पवित्र धाम में से अपना शब्द सुनाएगा; वह अपक्की चराई के स्यान के विरुद्ध जोर से गरजेगा; वह पृय्वी के सारे निवासियोंके विरद्ध भी दाख लताड़नेवालोंकी नाई ललकारेगा। 
31. पृय्वी की छोर लोंभी कोलाहल होगा, क्योंकि सब जातियोंसे यहोवा का मुक़द्दमा है; वह सब मतुष्योंसे वादविवाद करेगा, और दुष्टोंको तलवार के वश में कर देगा। 
32. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, देखो, विपत्ति एक जाति से दूसरी जाति में फैलेगी, और बड़ी आंधी पृय्वी की छोर से उठेगी ! 
33. उस समय यहोवा के मारे हुओं की लोथें पृय्वी की एक छोर से दूसरी छोर तक पक्की रहेंगी। उनके लिथे कोई रोने-पीटनेवाला न रहेगा, और उनकी लोथें न तो बटोरी जाएंगी और न कबरोंमें रखी जाएंगी; वे भूमि के ऊपर खाद की नाई पक्की रहेंगी। 
34. हे चरवाहो, हाथ हाथ करो और चिल्लाओ, हे बलवन्त मेढ़ो और बकरो, राख में लोटो, क्योंकि तुम्हारे वध होने के दिन आ पहुंचे हैं, और मैं मनभाऊ बरतन की नाई तुम्हारा सत्यानाश करूंगा। 
35. उस समय न तो चरवाहोंके भागने के लिथे कोई स्यान रहेगा, और न बलवन्त मेढ़े और बकरे भागने पाएंगे। 
36. चरवाहोंकी चिल्लाहट और बलवन्त मेढ़ोंऔर बकरोंके मिमियाने का शब्द सुनाई पड़ता है ! क्योंकि यहोवा उनकी चराई को नाश करेगा, 
37. और यहोवा के क्रोध भड़कने के कारण शान्ति के स्यान नष्ट हो जाएंगे, जिन वासस्यानोंमें अब शान्ति है, वे नष्ट हो जाएंगे। 
38. युवा सिंह की नाई वह अपके ठौैर को छोड़कर निकलता है, क्योंकि अंधेर करनेहारी तलवार और उसके भड़के हुए कोप के कारण उनका देश उजाड़ हो गया है।

Chapter 26

1. योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राजय के आरम्भ में, यहोवा की ओर से यह वचन पहुंचा, यहोवा योंकहता है, 
2. यहोवा के भवन के आंगन में खड़ा होकर, यहूदा के सब नगरोंके लोगोंके साम्हने जो यहोवा के भवन में दण्डवत्‌ करने को आएं, थे वचन जिनके विषय उन से कहने की आज्ञा मैं तुझे देता हूँ कह दे; उन में से कोई वचन मत रख छोड़। 
3. सम्भव है कि वे सुनकर अपक्की अपक्की बुरी चाल से फिरें और मैं उनकी हानि करने से पछताऊं जो उनके बुरे कामोंके कारण मैं ने ठाना या। 
4. इसलिथे तू उन से कह, यहोवा योंकहता है, यदि तुम मेरी सुनकर मेरी व्यवस्या के अनुसार जो मैं ने तुम को सुनवा दी है न चलो, 
5. और न मेरे दास भविष्यद्वक्ताओं के वचनोंपर कान लगाओगे, (जिन्हें मैं तुम्हारे पास बड़ा यत्न करके भेजता आया हूँ, परन्तु तुम ने उनकी नहीं सुनी), 
6. तो मैं इस भवन को शीलो के समान उजाड़ दूंगा, और इस नगर का ऐसा सत्यानाश कर दूंगा कि पृय्वी की सारी जातियोंके लोग उसकी उपमा दे देकर शाप दिया करेंगे। 
7. जब यिर्मयाह थे वचन यहोवा के भवन में कह रहा या, तब याजक और भविष्यद्वक्ता और सब साधारण लोग सुन रहे थे। 
8. और जब यिर्मयाह सब कुछ जिसे सारी प्रजा से कहने की आज्ञा यहोवा ने दी यी कह चुका, तब याजकोंऔर भविष्यद्वक्ताओं और सब साधारण लोगोंने यह कहकर उसको पकड़ लिया, निश्चय तुझे प्राणदण्ड होगा। 
9. तू ने क्योंयहोवा के नाम से यह भविष्यद्वाणी की कि यह भवन शीलो के समान उजाड़ हो जाएगा, और यह नगर ऐसा उजड़ेगा कि उस में कोई न रह जाएगा? इतना कहकर सब साधारण लोगोंने यहोवा के भवन में यिर्मयाह के विरुद्ध भीड़ लगाई। 
10. यहूदा के हाकिम थे बातें सुनकर, राजा के भवन से यहोवा के भवन में चढ़ आए और उसके नथे फाटक में बैठ गए। 
11. तब याजकोंऔर भविष्यद्वक्ताओं ने हाकिमोंऔर सब लोगोंसे कहा, यह मनुष्य प्राणदण्ड के योग्य है, क्योंकि इस ने इस नगर के विरुद्ध ऐसी भविष्यद्वाणी की है जिसे तुम भी अपके कानोंसे सुन चुके हो। 
12. तब यिर्मयाह ने सब हाकिमोंऔर सब लोगोंसे कहा, जो वचन तुम ने सुने हैं, उसे यहोवा ही ने मुझे इस भवन और इस नगर के विरुद्ध भविष्यद्वाणी की रीति पर कहने के लिथे भेज दिया है। 
13. इसलिथे अब अपना चालचलन और अपके काम सुधारो, और अपके परमेश्वर यहोवा की बात मानो; तब यहोवा उस विपत्ति के विषय में जिसकी चर्चा उस ने तुम से की है, पछताएगा। 
14. देखो, मैं तुम्हारे वश में हूँ; जो कुछ तुम्हारी दृष्टि में भला और ठीक हो वही मेरे साय करो। 
15. पर यह निश्चय जानो, कि, यदि तुम मुझे मार डालोगे, तो अपके को और इस नगर को और इसके निवासिक्कों निदॉष के हत्यारे बनाओगे; क्योंकि सचमुच यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास थे सब वचन सुनाने के लिथे भेजा हे। 
16. तब हाकिमोंऔर सब लोगोंने याजकोंऔर नबियोंसे कहा, यह मनुष्य प्राणदण्ड के योग्य नहीं है क्योंकि उस ने हमारे परमेश्वर यहोवा के नाम से हम से कहा है। 
17. और देश के पुरनियोंमें से कितनोंने उठकर प्रजा की सारी मण्डली से कहा, 
18. यहूदा के राजा हिजकिय्याह के दिनोंमें मोरसेती मीकायाह भविष्यद्वाणी कहता या, उस ने यहूदा के सारे लोगोंसे कहा, सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि सिय्योन जोतकर खेत बनाया जाएगा और यरूशलेम खएडहर हो जाएगा, और भवनवाला पर्वत जंगली स्यान हो जाएगा। 
19. क्या यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने वा किसी यहूदी ने उसको कहीं मरवा डाला? क्या उस राजा ने यहोवा का भय न माना ओर उस से बिनती न की? और तब यहोवा ने जो विपत्ति उन पर डालने के लिथे कहा या, उसके विषय क्या वह न पछताया? ऐसा करके हम अपके प्राणोंकी बड़ी हानि करेंगे। 
20. फिर शमायाह का पुत्र ऊरिय्याह नाम किर्यत्यारीम का एक पुरुष जो यहोवा के नाम से भविष्यद्वाणी कहता या उस ने भी इस नगर और इस देश के विरुद्ध ठीक ऐसी ही भविष्यद्वाणी की जैसी यिर्मयाह ने अभी की है। 
21. और जब यहोयाकीम राजा और उसके सब वीरोंऔर सब हाकिमोंने उसके वचन सुने, तब राजा ने उसे मरवा डालने का यत्न किया; और ऊरिय्याह यह सुनकर डर के मारे मिस्र को भाग गया। 
22. तब यहोयाकीम राजा ने मिस्र को लोग भेजे अर्यात्‌ अकबोर के पुत्र एलनातान को कितने और पुरुषोंके साय मिस्र को भेजा। 
23. और वे ऊरिय्याह को मिस्र से निकालकर यहोयाकीम राजा के पास ले आए; और उस ने उसे तलवार से मरवाकर उसकी लोय को साधारण लोगोंकी कबरोंमें फिंकवा दिया। 
24. परन्तु शापान का पुत्र अहीकाम यिर्मयाह की सहाथता करने लगा और वह लोगोंके वश में वध होने के लिथे नहीं दिया गया।

Chapter 27

1. योशिय्याह के पुत्र, यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के आरम्भ में यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा। 
2. यहोवा ने मुझ से यह कहा, बन्धन और जूए बनवाकर अपक्की गर्दन पर रख। 
3. तब उन्हें एदोम और मोआब और अम्मोन और सोर और सीदोन के राजाओं के पास, उन दूतोंके हाथ भेजना जो यहूदा के राजा सिदकिय्याह के पास यरूशलेम में आए हैं। 
4. और उनको उनके स्वामियोंके लिथे यह कहकर आज्ञा देना, कि, इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है, 
5. अपके अपके स्वामी से योंकहो कि पृय्वी को और पृय्वी पर के मनुष्योंऔर पशुओं को अपक्की बड़ी शक्ति और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा मैं ने बनाया, और जिस किसी को मैं चाहता हूँ उसी को मैं उन्हें दिया करता हूँ। 
6. अब मैं ने थे सब देश, अपके दास बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को आप ही दे दिए हैं; और मैदान के जीवजन्तुओं को भी मैं ने उसे दिया है कि वे उसके आधीन रहें। 
7. थे सब जातियां उसके और उसके बाद उसके बेटे और पोते के आधीन उस समय तक रहेंगी जब तक उसके भी देश का दिन न आए; तब बहुत सी जातियां और बड़े बड़े राजा उस से भी अपक्की सेवा करवाएंगे। 
8. सो जो जाति वा राज्य बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के आधीन न हो और उसका जूआ अपक्की गर्दन पर न ले ले, उस जाति को मैं तलवार, महंगी और मरी का दण्ड उस समय तक देता रहूंगा जब तक उसको उसके हाथ के द्वारा मिटा न दूं यहोवा की यही वाणी है। 
9. इसलिथे तुम लोग अपके भविष्यद्वक्ताओं और भावी कहनेवालोंऔर टोनहोंऔर तांत्रिकोंकी ओर चित्त मत लगाओ जो तुम से कहते हैं कि तुम को बाबुल के राजा के आधीन नहीं होना पकेगा। 
10. क्योंकि वे तुम से फूठी भविष्यद्वाणी करते हैं, जिस से तुम अपके अपके देश से दूर हो जाओ और मैं आप तुम को दूर करके नष्ट कर दूं। 
11. परन्तु जो जाति बाबुल के राजा का जूआ अपक्की गर्दन पर लेकर उसके आधीन रहेगी उसको मैं उसी के देश में रहने दूंगा; और वह उस में खेती करती हुई बसी रहेगी, यहोवा की यही वाणी है। 
12. और यहूदा के राजा सिदकिय्याह से भी मैं ने थे बातें कहीं, अपक्की प्रजा समेत तू बाबुल के राजा का जूआ अपक्की गर्दन पर ले, और उसके और उसकी प्रजा के आधीन रहकर जीवित रह। 
13. जब यहोवा ने उस जाति के विषय जो बाबुल के राजा के आधीन न हो, यह कहा है कि वह तलवार, महंगी और मरी से नाश होगी; तो फिर तू क्योंअपक्की प्रजा समेत मरना चाहता है? 
14. जो भविष्यद्वक्ता तुझ से कहते हैं कि तुझ को बाबुल के राजा के आधीन न होना पकेगा, उनकी मत सुन; क्योंकि वे तुझ से फूठी भविष्यद्वाणी करते हैं। 
15. यहोवा की यह वाणी है कि मैं ने उन्हें नहीं भेजा, वे मेरे नाम से फूठी भ्किष्यद्वाणी करते हैं; और इसका फल यही होगा कि मैं तुझ को देश से निकाल दूंगा, और तू उन नबियोंसमेत जो तुझ से भविष्यद्वाणी करते हैं नष्ट हो जाएगा। 
16. तब याजकोंऔर साधारण लोगोंसे भी मैं ने कहा, यहोवा योंकहता है, तुम्हारे जो भविष्यद्वक्ता तुम से यह भविष्यद्वाणी करते हैं कि यहोवा के भवन के पात्र अब शीघ्र ही बाबुल से लौटा दिए जाएंगे, उनके वचनोंकी ओर कान मत धरो, क्योंकि वे तुम से फूठी भविष्यद्वाणी करते हैं। 
17. उनकी मत सुनो, बाबुल के राजा के आधीन होकर और उसकी सेवा करके जीवित रहो। 
18. यह नगर क्योंउजाड़ हो जाए? यदि वे भविष्यद्वक्ता भी हों, और यदि यहोवा का वचन उनके पास हो, तो वे सेनाओं के यहोवा से बिनती करें कि जो पात्र यहोवा के भवन में और यहूदा के राजा के भवन में और यरूशलेम में रह गए हैं, वे बाबुल न जाने पाएं। 
19. क्योंकि सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि जो खम्भे और पीतल की नान्द, गंगाल और कुसिर्यां और और पात्र इस नगर में रह गए हैं, 
20. जिन्हें बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर उस समय न ले गया जब वह यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा यकोन्याह को और यहूदा और यरूशलेम के सब कुलीनोंको बंधुआ करके यरूशलेम से बाबुल को ले गया या, 
21. जो पात्र यहोवा के भवन में और यहूदा के राजा के भवन में और यरूशलेम में रह गए हैं, उनके विषय में इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि वे भी बाबुल में पहुंचाए जाएंगे; 
22. और जब तक मैं उनकी सुधि न लूं तब तक वहीं रहेंगे, और तब मैं उन्हें लाकर इस स्यान में फिर रख दूंगा, यहोवा की यही वाणी है।

Chapter 28

1. फिर उसी वर्ष, अर्यात्‌ यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष के पांचवें महीने में, अज्जूर का पुत्र हनन्याह जो गिबोन का एक भविष्यद्वक्ता या, उस ने मुझ से यहोवा के भवन में, याजकोंऔर सब लोगोंके साम्हने कहा, 
2. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि मैं ने बाबुल के राजा के जूए को तोड़ डाला है। 
3. यहोवा के भवन के जितने पात्र बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर इस स्यान से उठाकर बाबुल ले गया, उन्हें मैं दो वर्ष के भीतर फिर इसी स्यान में ले आऊंगा। 
4. और मैं यहूदा के राजा यहोयाकीम का पुत्र यकोन्याह और सब यहूदी बंधुए जो बाबुल को गए हैं, उनको भी इस स्यान में लौटा ले आऊंगा; क्योंकि मैं ने बाबुल के राजा के जूए को तोड़ दिया है, यहोवा की यही वाणी है। 
5. तब यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से, याजकोंऔर उन सब लोगोंके साम्हने जो यहोवा के भवन में खड़े हुए थे कहा, 
6. आमीन ! यहोवा ऐसा ही करे; जो बातें तू ने भविष्यद्वाणी करके कही हैं कि यहोवा के भवन के पात्र और सब बंधुए बाबुल से इस स्यान में फिर आएंगे, अन्हें यहोवा पूरा करे। 
7. तौभी मेरा यह वचन सुन, जो मैं तुझे और सब लोगोंको कह सुनाता हूँ। 
8. जो भविष्यद्वक्ता प्राचीनकाल से मेरे और तेरे पहिले होते आए थे, उन्होंने तो बहुत से देशोंऔर बड़े राज्योंके विरुद्ध युद्ध और विपत्ति और मरी के विषय भविष्यद्वाणी की यी। 
9. परन्तु जो भविष्यद्वक्ता कुशल के विषय भविष्यद्वाणी करे, तो जब उसका वचन पूरा हो, तब ही उस भविष्यद्वक्ता के विष्य यह निश्चय हो जाएगा कि यह सचमुच यहोवा का भेजा हुआ है। 
10. तब हनन्याह भविष्यद्वक्ता ने उस जूए को जो यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की गर्दन पर या, उतारकर तोड़ दिया। 
11. और हनन्याह ने सब लोगोंके साम्हने कहा, यहोवा योंकहता है कि इसी प्रकार से मैं पूरे दो वर्ष के भीतर बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के जूए को सब जातियोंकी गर्दन पर से उतारकर तोड़ दूंगा। तब यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता चला गया। 
12. जब हनन्याह भविष्यद्वक्ता ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की गर्दन पर से जूआ उतारकर तोड़ दिया, उसके बाद यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा: 
13. जाकर हनन्याह से यह कह, यहोवा योंकहता है कि तू ने काठ का जूआ तो तोड़ दिया, परन्तु ऐसा करके तू ने उसकी सन्ती लोहे का जूआ बना लिया है। 
14. क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि मैं इन सब जातियोंकी गर्दन पर लोहे का जूआ रखता हूँ और वे बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के आधीन रहेंगे, और इनको उसके अधीन होना पकेगा, क्योंकि मैदान के जीवजन्तु भी मैं उसके वश में कर देता हूँ। 
15. और यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से यह भी कहा, हे हनन्याह, देख यहोवा ने तुझे नहीं भेजा, तू ने इन लोगोंको फूठी आशा दिलाई है। 
16. इसलिथे यहोवा तुझ से योंकहता है, कि देख, मैं तुझ को पृय्वी के ऊपर से उठा दूंगा, इसी वर्ष में तू मरेगा; क्योंकि तू ने यहोवा की ओर से फिरने की बातें कही हैं। 
17. इस वचन के अनुसार हनन्याह उसी वर्ष के सातवें महीने में मर गया।

Chapter 29

1. उसी वर्ष यिर्मयाह नबी ने इस आशय की पत्री, उन पुरनियोंऔर भविष्यद्वक्ताओं और साधारण लोगोंके पास भेजीं जो बंधुओं में से बचे थे, जिनको नबूकदनेस्सर यरूशलेम से बाबुल को ले गया या। 
2. यह पत्री उस समय भेजी गई, जब यकोन्याह राजा और राजमाता, खोजे, यहूदा और यरूशलेम के हाकिम, लोहार और अन्य कारीगर यरूशलेम से चले गए थे। 
3. यह पत्री शापान के पुत्र एलासा और हिल्किय्याह के पुत्र गमर्याह के हाथ भेजी गई, जिन्हें यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के पास बाबुल को भेजा। 
4. उस में लिखा या कि जितने लोगोंको मैं ने यरूशलेम से बंधुआ करके बाबुल में पहुंचवा दिया है, उन सभोंसे इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता हे: 
5. घर बनाकर उन में बस जाओ; बारियां लगाकर उनके फल खाओ। 
6. ब्याह करके बेटेबेटियां जन्माओ; और अपके बेटोंके लिथे स्त्रियां ब्याह लो और अपक्की बेटियां पुरुषोंको ब्याह दो, कि वे भी बेटे-बेटियां जन्माएं; और वहां घटो नहीं वरन बढ़ते जाओ। 
7. परन्तु जिस नगर में मैं ने तुम को बंधुआ कराके भेज दिया है, उसके कुशल का यत्न किया करो, और उसके हित के लिथे यहोवा से प्रार्यना किया करो। क्योंकि उसके कुशल से तुम भी कुशल के साय रहोगे। 
8. क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा तुम से योंकहता है कि तुम्हारे जो भविष्यद्वक्ता और भावी कहनेवाले तुम्हारे बीच में हैं, वे तुम को बहकाने न पाएं, और जो स्वप्न वे नुम्हारे निमित्त देखते हैं उनकी ओर कान मत धरो, 
9. क्योंकि वे मेरे नाम से तुम को फूठी भविष्यद्वाणी सुनाते हैं; मैं ने उन्हें नहीं भेजा, मुझ यहोवा की यह वाणी है। 
10. यहोवा योंकहता है कि वाबुल के सत्तर वर्ष पूरे होने पर मैं तुम्हारी सुधि लूंगा, और अपना यह मनभवना वचन कि मैं तुम्हें इस स्यान में लौटा ले आऊंगा, पूरा करूंगा। 
11. क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। 
12. तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से प्रार्यना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूंगा। 
13. तुम मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपके सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे। 
14. मैं तुम्हें मिलूंगा, यहोवा की यह वाणी है, और बंधुआई से लौटा ले आऊंगा; और तुम को उन सब जातियोंऔर स्यानोंमें से जिन में मैं ने तुम को बरबस निकाल दिया है, और तुम्हें इकट्ठा करके इस स्यान में लौटा ले आऊंगा जहां से मैं ने तुम्हें बंधुआ करवाके निकाल दिया या, यहोवा की यही वाणी है। 
15. तुम कहते तो हो कि यहोवा ने हमारे लिथे बाबुल में भविष्यद्वक्ता प्रगट किए हैं। 
16. परन्तु जो राजा दाऊद की बद्दी पर विराजमान है, और जो प्रजा इस नगर में रहती है, अर्यात्‌ तुम्हारे जो भाई तुम्हारे संग बंधुआई में नहीं गए, उन सभोंके विषय सेनाओं का यहोवा यह कहता है, 
17. सुनो, मैं उनके बीच तलवार चलाऊंगा और महंगी करूंगा, और मरी फैलाऊंगा; और उन्हें ऐसे घिनौने अंजीरोंके समान करूंगा जो निकम्मे होने के कारण खाए नहीं जाते। 
18. मैं तलवार, महंगी और मरी लिए हुए उनका पीछा करूंगा, और ऐसा करूंगा कि वे पृय्वी के राज्य राज्य में मारे मारे फिरेंगे, और उन सब जातियोंमें जिन के बीच मैं उन्हें बरबस कर दूंगा, उनकी ऐसी दशा करूंगा कि लोग उन्हें देशकर चकित होंगे और ताली बजाएंगे और उनका अपमान करेंगे, और उनकी उपमा देकर शाप दिया करेंगे। 
19. क्योंकि जो वचन मैं ने अपके दास भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा उनके पास बड़ा यत्न करके कहला भेजे हैं, उनको उन्होंने नहीं सुना, यहोवा की यही वाणी है। 
20. इसलिथे हे सारे बंधुओ, जिन्हें मैं ने यरूशलेम से बाबुल को भेजा है, तुम उसका यह वचन सुनो: 
21. कोलायाह का पुत्र अहाब और मासेयाह का पुत्र सिदकिय्याह जो मेरे नाम से तुम को फूठी भविष्यद्वाणी सुनाते हैं, उनके विषय इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि सुनो, मैं उनको बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दूंगा, और वह उनको तुम्हारे साम्हने मार डालेगा। 
22. और सब यहूदी बंधुए जो बाबुल में रहते हैं, उनकी उपमा देकर यह शाप दिया करेंगे: यहोवा तुझे सिदकिय्याह और अहाब के समान करे, जिन्हें बाबुल के राजा ने आग में भून डाला, 
23. क्योंकि उन्होंने इस्राएलियोंमें मूढ़ता के काम किए, अर्यात्‌ अपके पड़ोसियोंकी स्त्रियोंके साय व्यभिचार किया, और बिना मेरी आज्ञा पाए मेरे नाम से फूठे वचन कहे। इसका जाननेवाला और गवाह मैं आप ही हूं, यहोवा की यही वाणी है। 
24. और नेहेलामी शमायाह से तू यह कह, कि, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने योंकहा है, 
25. इसलिथे कि तू ने यरूशलेम के सब रहनेवालोंऔर सब याजकोंको और यासेयाह के पुत्र सपन्याह याजक को अपके ही नाम की इस आशय की पत्री भेजी, 
26. कि, यहावा ने यहोयादा याजक के स्यान पर तुझे याजक ठहरा दिया ताकि तू यहोवा के भवन में रखवाल होकर जितने वहां पागलपन करते और भविष्यद्वक्ता बन बैठे हैं उन्हें काठ में ठोंके और उनके गले में लोहे के पट्टे डाले। 
27. सो यिर्मयाह अनातोती जो तुम्हारा भविष्यद्वक्ता बन बैठा है, उसको तू ने क्योंनहीं घुड़का? 
28. उस ने तो हम लोगोंके पास बाबुल में यह कहला भेजा है कि बंधुआई तो बहुत काल तक रहेगी, सो घर बनाकर उन में रहो, और बारियां लगाकर उनके फल खाओ। 
29. यह पत्री सपन्याह याजक ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को पढ़ सुनाई। 
30. तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा कि सब बंधुओं के पास यह कहला भेज, 
31. यहोवा नेहेलामी शमायाह के विषय योंकहता है कि शमायाह ने मेरे बिना भेजे तुम से जो भविष्यद्वाणी की और तुम को फूठ पर भरोसा दिलाया है, 
32. इसलिथे यहोवा योंकहता है, कि सुनो, मैं उस नेहेलामी शमायाह और उसके वंश को दण्ड दिया चाहता हूँ; उसके घर में से कोई इन प्रजाओं में न रह जाएगा। (33) और जो भलाई मैं अपक्की प्रजा की करनेवाला हूँ, उसको वह देखने न पाएगा, क्योंकि उस ने यहोवा से फिर जाने की बातें कही हैं, यहोवा की यही वाणी है।

Chapter 30

1. यहोवा का जो वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा वह यह है: 
2. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा तुझ से योंकहता है, जो वचन मैं ने तुझ से कहे हैं उन सभोंको पुस्तक में लिख ले। 
3. क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आते हैं कि मैं अपक्की इस्राएली और यहूदी प्रजा को बंधुआई से लौटा लाऊंगा; और जो देश मैं ने उनके पितरोंको दिया या उस में उन्हें फेर ले आऊंगा, और वे फिर उसके अधिक्कारनेी होंगे, यहोवा का यही वचन हे। 
4. जो वचन यहोवा ने इस्राएलियोंऔर यहूदियोंके विषय कहे थे, वे थे हैं : 
5. यहोवा योंकहता है: यरयरा देनेवाला शब्द सुनाई दे रहा है, शान्ति नहीं, भय ही का है। 
6. पूछो तो भला, और देखो, क्या पुरुष को भी कहीं जनने की पीड़ा उठती है? फिर क्या कारण है कि सब पुरुष ज़च्चा की नाई अपक्की अपक्की कमर अपके हाथोंसे दबाए हुए देख पड़ते हैं? क्योंसब के मुख फीके रंग के हो गए हैं? 
7. हाथ, हाथ, वह दिन क्या ही भारी होगा ! उसके समान और कोई दिन नहीं; वह याकूब के संकट का समय होगा; परन्तु वह उस से भी छुड़ाया जाएगा। 
8. और सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, कि उस दिन मैं उसका रखा हुआ जूआ तुम्हारी गर्दन पर से तोड़ दूंगा, और तुम्हारे बन्धनोंको टुकड़े-टुकड़े कर डालूंगा; और परदेशी फिर उन से अपक्की सेवा न कराने पाएंगे। 
9. परन्तु वे अपके परमेश्वर यहोवा और अपके राजा दाऊद की सेवा करेंगे जिसको मैं उन पर राज्य करने के लिथे ठहराऊंगा। 
10. इसलिथे हे मेरे दास याकूब, तेरे लिथे यहोवा की यह वाणी है, मत डर; हे इस्राएल, विस्मित न हो; क्योंकि मैं दूर देश से तुझे और तेरे वंश को बंधुआई के देश से छुड़ा ले आऊंगा। तब याकूब लौटकर, चैन और सुख से रहेगा, और कोई उसको डराने न पाएगा। 
11. क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, तुम्हारा उद्धार करने के लिथे मैं तुम्हारे संग हूँ; इसलिथे मैं उन सब जातियोंका अन्त कर डालूंगा, जिन में मैं ने उन्हें तितर-बितर किया है, परन्तु तुम्हारा अन्त न करूंगा। तुम्हारी ताड़ना मैं विचार करके करूंगा, और तुम्हें किसी प्रकार से निदॉष न ठहराऊंगा। 
12. यहोवा योंकहता है: तेरे दु:ख की कोई औषध नहीं, और तेरी चोट गहिरी और दुखप्रद है। 
13. तेरा मुक़द्दमा लड़ने के लिथे कोई नहीं, तेरा घाव बान्धने के लिथे न पट्टी, न मलहम है। 
14. तेरे सब मित्र तुझे भूल गए; वे तुम्हारी सुधि नहीं लेते; क्योंकि तेरे बड़े अधर्म और भारी पापोंके कारण, मैं ने शत्रु बनकर तुझे मारा है; मैं ने क्रूर बनकर ताड़न दी है।
15. तू अपके घाव के मारे क्योंचिल्लाती है? तेरी पीड़ा की कोई औषध नहीं। तेरे बड़े अधर्म और भारी पापोंके कारण मैं ने तुझ से ऐसा व्यवहार किया है। 
16. परन्तु जितने तुझे अब खाए लेते हैं, वे आप ही खाए जाएंगे, और तेरे द्रोही आप सब के सब बंधुआई में जाएंगे; और तेरे लूटनेवाले आप लुटेंगे ओर जितने तेरा धन छीनते हैं, उनका धन मैं छिनवाऊंगा। 
17. मैं तेरा इलाज करके तेरे घावोंको चंगा करूंगा, यहोवा की यह वाणी है; क्योंकि तेरा नाम ठुकराई हुई पड़ा है: वह तो सिय्योन है, उसकी चिन्ता कौन करता है? 
18. यहोवा कहता है: मैं याकूब के तम्बू को बंधुआई से लौटाता हूँ और उसके घरोंपर दया करूंगा; ओर नगर अपके ही खण्डहर पर फिर बसेगा, और राजभवन पहिले के अनुसार फिर बन जाएगा। 
19. तब उन में से धन्य कहने, और आनन्द करने का शब्द सुनाई पकेगा। 
20. मैं उनका विभव बढ़ाऊंगा, और वे योड़े न होंगे। उनके लड़केवाले प्राचीनकाल के समान होंगे, और उनकी मण्डली मेरे साम्हने स्यिर रहेगी; और जितने उन पर अन्धेर करते हैं उनको मैं दण्ड दूंगा। 
21. उनका महापुरुष उन्हीं में से होगा, और जो उन पर प्रभुता करेगा, वह उन्हीं में से उत्पन्न होगा; मैं उसे अपके निकट बुलाऊंगा, और वह मेरे समीप आ भी जाएगा, क्योंकि कौन है जो अपके आप मेरे समीप आ सकता है? यहोवा की यही वाणी है। 
22. उस समय तुम मेरी प्रजा ठहरोगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा। 
23. देखो, यहोवा की जलजलाहट की आंधी चल रही है ! वह अति प्रचण्ड आंधी है; दुष्टोंके सिर पर वह जोर से लगेगी। 
24. जब तक यहोवा अपना काम न कर चुके और अपक्की युक्तियोंको पूरी न कर चुके, तब तक उसका भड़का हुआ क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनोंमें तुम इस बात को समझ सकोगे।

Chapter 31

1. उन दिनोंमें मैं सारे इस्राएली कुलोंका परमेश्वर ठहरूंगा और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
2. यहोवा योंकहता है: जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्रम देने के लिथे तैयार हुआ। 
3. यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपक्की करुणा बनाए रखी है। 
4. हे इस्राएली कुमारी कन्या ! मैं तुझे फिर बसाऊंगा; वहां तू फिर सिंगार करके डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करनेवालोंके बीच में नाचक्की हुई निकलेगी। 
5. तू शोमरोन के पहाड़ोंपर अंगूर की बारियं फिर लगाएगी; और जो उन्हें लगाएंगे, वे उनके फल भी खाने पाएंगे। 
6. क्योंकि ऐसा दिन आएगा, जिस में एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे: उठो, हम अपके परमेश्वर यहोवा के पास सिय्योन को चलें। 
7. क्योंकि यहोवा योंकहता है: याकूब के कारण आनन्द से जयजयकार करो: जातियोंमें जो श्रेष्ट है उसके लिथे ऊंचे शबद से स्तुति करो, और कहो, हे यहोवा, अपक्की प्रजा इस्राएल के बचे हुए लोगोंका भी उद्धार कर। 
8. देखो, मैं उनको उत्तर देश से ले आऊंगा, और पृय्वी के कोने कोने से इकट्ठे करूंगा, और उनके बीच अन्धे, लंगड़े, गर्भवती, और जच्चा स्त्रियां भी आएंगी; एक बड़ी मण्डली यहां लौट आएगी। 
9. वे आंसू बहाते हुए आएंगे और गिड़गिड़ाते हुए मेरे द्वारा पहुंचाए जाएंगे, मैं उन्हें नदियोंके किनारे किनारे से और ऐसे चौरस मार्ग से ले आऊंगा, जिस से वे ठोकर न खाने पाएंगे; क्योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ, और एप्रैम मेरा जेठा है। 
10. हे जाति जाति के लोगो, यहोवा का वचन सुनो, और दूर दूर के द्वीपोंमें भी इसका प्रचार करो; कहो, कि जिस ने इस्राएलियोंको तितर- बितर किया या, वही उन्हें इकट्ठे भी करेगा, और उनकी ऐसी रझा करेगा जैसी चरवाहा अपके फुण्ड की करता है। 
11. क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया, और उस शत्रु के पंजे से जो उस से अधिक बलवन्त है, उसे छुटकारा दिया है। 
12. इसलिथे वे सिय्योन की चोटी पर आकर जयजयकार करेंगे, और यहोवा से अनाज, नया दाखमधु, टटका तेल, भेड़-बकरियां और गाय-बैलोंके बच्चे आदि उत्तम उत्तम दान पाने के लिथे तांता बान्धकर चलेंगे; और उनका प्राण सींची हुई बारी के समान होगा, और वे फिर कभी उदास न होंगे। 
13. उस समय उनकी कुमारियां नाचक्की हुई हर्ष करेंगी, और जवान और बूढ़े एक संग आनन्द करेंगे। क्योंकि मैं उनके शोक को दूर करके उन्हें आनन्दित करूंगा, मैं उन्हें शान्ति दूंगा, और दु:ख के बदले आनन्द दूंगा। 
14. मैं याजकोंको चिकनी वस्तुओं से अति तृप्त करूंगा, और मेरी प्रजा मेरे उत्तम दानोंसे सन्तुष्ट होगी, यहोवा की यही वाणी है। 
15. यहोवा यह भी कहता है: सुन, रामा नगर में विलाप और बिलक बिलककर रोने का शब्द सुनने में आता है। राहेल अपके लड़कोंके लिथे रो रही है; और अपके लड़कोंके कारण शान्त नहीं होती, क्योंकि वे जाते रहे। 
16. यहोवा योंकहता हे: रोने-पीटने और आंसू बहाने से रुक जा; क्योंकि तेरे परिश्र्म का फल मिलनेवाला है, और वे शत्रुओं के देश से लौट आएंगे। 
17. अन्त में तेरी आशा पूरी होगी, यहोवा की यह वाणी है, तेरे वंश के लोग अपके देश में लौट आएंगे। 
18. निश्चय मैं ने एप्रैम को थे बातें कहकर विलाप करते सुना है कि तू ने मेरी ताड़ना की, और मेरी ताड़ना ऐसे बछड़े की सी हुई जो निकाला न गया हो; परन्तु अब तू मुझे फेर, तब मैं फिरूंगा, क्योंकि तू मेरा परमेश्वर है। 
19. भटक जाने के बाद मैं पछताया: और सिखाए जाने के बाद मैं ने छाती पीटी: पुराने पापोंको स्मसण कर मैं लज्जित हुआ और मेरा मुंह काला हो गया। 
20. क्या एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र नहीं है? क्या वह मेरा दुलारा लड़का नहीं है? जब जब मैं उसके विरुद्ध बातें करता हूं, तब तब मुझे उसका स्मरण हो आता है। इसलिथे मेरा मन उसके कारण भर आता है; और मैं निश्चय उस पर दया करूंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
21. हे इस्राएली कुमारी, जिस राजमार्ग से तू गई यी, उसी में खम्भे और फण्डे खड़े कर; और अपके इन नगरोंमें लौट आने पर मन लगा। 
22. हे भटकनेवाली कन्या, तू कब तक इधर उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्टि पृय्वी पर प्रगट होगी, अर्यात्‌ नारी पुरुष की सहाथता करेगी। 
23. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है: जब मैं यहूदी बंधुओं को उनके देश के नगरोंमें लौटाऊंगा, तब उन में यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगा: हे धर्मभरे वासस्यान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे ! 
24. और यहूदा और उसके सब नगरोंके लोग और किसान और चरवाहे भी उस में इकट्टे बसेंगे। 
25. क्योंकि मैं ने यके हुए लोगोंका प्राण तृप्त किया, और उदास लोगोंके प्राण को भर दिया है। 
26. इस पर मैं जाग उठा, और देखा, ओर मेरी नीन्द मुझे मीठी लगी। 
27. देख, यहोवा की यह वाणी है, कि ऐसे दिन आनेवाले हैं जिन में मैं इस्राएल और यहूदा के घरानोंके लड़केबाले और पशु दोनोंको बहुत बढ़ाऊंगा। 
28. और जिस प्रकार से मैं सोच सोचकर उनको गिराता और ढाता, नष्ट करता, काट डालता और सत्यानाश ही करता या, उसी प्रकार से मैं अब सोच सोचकर उनको रोपूंगा और बढ़ाऊंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
29. उन दिनोंमें वे फिर न कहेंगे कि पुरखा लोगोंने तो जंगली दाख खाई, परन्तु उनके वंश के दांत खट्टे हो गए हैं। 
30. क्योंकि जो कोई जंगली दाख खाए उसी के दांत खट्टे हो जाएंगे, और हर एक मनुष्य अपके ही अधर्म के कारण मारा जाएगा। 
31. फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानोंसे नई वाचा बान्धूंगा। 
32. वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी यी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति या, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली। 
33. परन्तु जो वाचा मैं उन दिनोंके बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपक्की व्यवस्या उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके ह्रृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। 
34. और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पकेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म झमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा। 
35. जिसने दिन को प्रकाश देने के लिथे सूर्य को और रात को प्रकाश देने के लिथे चन्द्रमा और तारागण के नियम ठहराए हैं, जो समुद्र को उछालता और उसकी लहरोंको गरजाता है, और जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, वही यहोवा योंकहता है: 
36. यदि थे नियम मेरे साम्हने से टल जाएं तब ही यह हो सकेगा कि इस्राएल का वंश मेरी दृष्टि में सदा के लिथे एक जाति ठहरने की अपेझा मिट सकेगा। 
37. यहोवा योंभी कहता है, यदि ऊपर से आकाश मापा जाए और नीचे से पुय्वी की नेव खोद खोदकर पता लगाया जाए, तब ही मैं इस्राएल के सारे वंश को अनके सब पापोंके कारण उन से हाथ उठाऊंगा। 
38. देख, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आ रहे हैं जिन में यह नगर हननेल के गुम्मट से लेकर कोने के फाटक तक यहोवा के लिथे बनाया जाएगा। 
39. और मापके की रस्सी फिर आगे बढ़कर सीधी गारेब पहाड़ी तक, और वहां से घूमकर गोआ को पहुंचेगी। 
40. और लोयोंऔर राख की सब तराई और किद्रोन नाले तक जितने खेत हैं, घोड़ोंके पूवीं फाटक के कोने तक जितनी भूमि है, वह सब यहोवा के लिथे पवित्र ठहरेगी। सदा तक वह नगर फिर कभी न तो गिराया जाएगा और न ढाया जाएगौ

Chapter 32

1. यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के दसवें वर्ष में जो नबूकदनेस्सर के राज्य का अठारहवां वर्ष या, यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा। 
2. उस समय बाबुल के राजा की सेना ने यरूशलेम को घेर लिया या और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता यहूदा के राजा के पहरे के भवन के आंगन में कैदी या। 
3. क्योंकि यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने यह कहकर उसे कैद किया या, कि, तू ऐसी भविष्यद्वाणी क्योंकरता है कि यहोवा योंकहता है: देखो, मैं यह नगर बाबुल के राजा के वश में कर दूंगा, वह इसको ले लेगा; 
4. और यहूदा का राजा सिदकिय्याह कसदियोंके हाथ से न बचेगा परन्तु वह बाबुल के राजा के वश में अवश्य ही पकेगा, और वह और बाबुल का राजा आपस में आम्हने-साम्हने बातें करेंगे; और अपक्की अपक्की आंखोंसे एक दूसरे को देखेंगे। 
5. और वह सिदकिय्याह को बाबुल में ले जाएगा, और जब तक मैं उसकी सुधि न लूं, तब तक वह वहीं रहेगा, यहोवा की यह वाणी है। चाहे तुम लोग कसदियोंसे लड़ो भी, तौभी तुम्हारे लड़ने से कुछ बन न पकेगा। 
6. यिर्मयाह ने कहा, यहोवा का वचन मेरे पास पहुंचा, 
7. देख, शल्लम का पुत्र हनमेल जो तेरा चचेरा भाई है, सो तेरे पास यह कहने को आने पर है कि मेरा खेत जो अनातोत में है उसे मोल ले, क्योंकि उसे मोल लेकर छुड़ाने का अधिक्कारने तेरा ही है। 
8. सो यहोवा के वचन के अनुसार मेरा चचेरा भाई हनमेल पहरे के आंगन में मेरे पास आकर कहने लगा, मेरा जो खेत बिन्यामीन देश के अनातोत में है उसे मोल ले, क्योंकि उसके स्वामी होने और उसके छुड़ा लेने का अधिक्कारने तेरा ही है; इसलिथे तू उसे मोल ले। तब मैं ने जान लिया कि वह यहोवा का वचन या। 
9. इसलिथे मैं ने उस अनातोत के खेत को अपके चचेरे भाई हनमेल से मोल ले लिया, और उसका दाम चान्दी के सत्तरह शेकेल तौलकर दे दिए। 
10. और मैं ने दस्तावेज़ में दस्तख़त और मुहर हो जाने पर, गवाहोंके साम्हने वह चान्दी कांटे में तौलकर उसे दे दी। 
11. तब मैं ने मोल लेने की दोनोंदस्ताबेजें जिन में सब शतं लिखी हुई यीं, और जिन में से एक पर मुहर यी और दूसरी खुली यी, 
12. उन्हें लेकर अपके चचेरे भाई हनमेल के और उन गवाहोंके साम्हने जिन्होंने दस्तावेज़ में दस्तख़त किए थे, और उन सब यहूदियोंके साम्हने भी जो पहरे के आंगन में बैठे हुए थे, नेरिय्याह के पुत्र बारूक को जो महसेयाह का पोता या, सौंप दिया। 
13. तब मैं ने उनके साम्हने बारूक को यह आज्ञा दी 
14. कि इस्राएल के परमेश्वर सेनाओं के यहोवा योंकहता है, इन मोल लेने की दस्तावेज़ोंको जिन पर मुहर की हुई है और जो खुली हुई है, इन्हें लेकर मिट्टी के बर्तन में रख, ताकि थे बहुत दिन तक रहें। 
15. क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है, इस देश में घर और खेत ओर दाख की बारियां फिर बेची और मोल ली जाएंगी। 
16. जब मैं ने मोल लेने की वह दस्तावेज़ नेरिय्याह के पुत्र बारूक के हाथ में दी, तब मैं ने यहोवा से यह प्रार्यना की, 
17. हे प्रभु यहोवा, तू ने बड़े सामर्य और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृय्वी को बनाया है ! तेरे लिथे कोई काम कठिन नहीं है। 
18. तू हजारोंपर करुणा करता रहता परन्तु पूर्वजोंके अधर्म का बदला उनके बाद उनके वंष के लोगोंको भी देता है, हे महान और पराक्रमी परमेश्वर, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, 
19. तू बड़ी युक्ति करनेवाला और सामर्य के काम करनेवाला है; तेरी दृष्टि मनुष्योंके सारे चालचलन पर लगी रहती है, और तू हर एक को उसके चालचलन और कर्म का फल भुगताता है। 
20. तू ने मिस्र देश में चिन्ह और चमत्कार किए, और आज तक इस्राएलियोंवरन सब मनुष्योंके बीच वैसा करता आया है, और इस प्रकार तू ने अपना ऐसा नाम किया है जो आज के दिन तक बना है। 
21. तू अपक्की प्रजा इस्राएल को मिस्र देश में से चिन्होंऔर चमत्कारोंऔर सामयीं हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा, और बड़े भयानक कामोंके साय निकाल लाया। 
22. फिर तू ने यह देश उन्हें दिया जिसके देने की शपय तू ने उनके पूर्वजोंसे खाई यी; जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और वे आकर इसके अधिक्कारनेी हुए। 
23. तौभी उन्होंने तेरी नहीं मानी, और न तेरी व्यवस्या पर चले; वरन जो कुछ तू ने उनको करने की आज्ञा दी यी, उस में से उन्होंने कुछ भी नहीं किया। इस कारण तू ने उन पर यह सब विपत्ति डाली है। 
24. अब इन दमदमोंको देख, वे लोग इस नगर को ले लेने के लिथे आ गए हैं, ओर यह नगर तलवार, महंगी और मरी के कारण इन चढ़े हुए कसदियोंके वश में किया गया है। जो तू ने कहा या वह अब पूरा हुआ है, और तू इसे देखता भी है। 
25. तौभी, हे प्रभु यहोवा, तू ने मुझ से कहा है कि गवाह बुलाकर उस खेत को मोल ले, यद्यपि कि यह नगर कसदियोंके वश में कर दिया गया है। 
26. तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, मैं तो सब प्राणियोंका परमेश्वर यहोवा हूँ; 
27. क्या मेरे लिथे कोई भी काम कठिन है? 
28. सो यहोवा योंकहता है, देख, मैं यह नगर कसदियोंऔर बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के वश में कर देने पर हूँ, और वह इसको ले लेगा। 
29. जो कसदी इस नगर से युद्ध कर रहे हैं, वे आकर इस में आग लगाकर फूंक देंगे, और जिन घरोंकी छतोंपर उन्होंने बाल के लिथे धूप जलाकर और दूसरे देवताओं को तपावन देकर मुझे रिस दिलाई है, वे घर जला दिए जाएंगे। 
30. क्योंकि इस्राएल और यहूदा, जो काम मुझे बुरा लगता है, वही लड़कपन से करते आए हैं; इस्राएली अपक्की बनाई हुई वस्तुओं से मुझ को रिस ही रिस दिलाते आए हैं, यहोवा की यह वाणी है। 
31. यह नगर जब से बसा है तब से आज के दिन तक मेरे क्रोध और जलजलाहट के भड़कने का कारण हुआ है, इसलिथे अब मैं इसको अपके साम्हने से इस कारण दूर करूंगा 
32. क्योंकि इस्राएल और यहूदा अपके राजाओं हाकिमों, याजकोंओर भविष्यद्वक्ताओं समेत, क्या यहूदा देश के, क्या यरूशललेम के निवासी, सब के सब बुराई पर बुराई करके मुझ को रिस दिलाते आए हें। 
33. उन्होंने मेरी ओर मुंह नहीं वरन पीठ ही फेर दी है; यद्यपि मैं उन्हें बड़े यत्न से सिखाता आया हूँ, तौभी उन्होंने मेरी शिझा को नहीं माना। 
34. वरन जो भवन मेरा कहलाता है, उस में भी उन्होंने अपक्की घृणित वस्तुएं स्यापन करके उसे अशुद्ध किया है। 
35. उन्होंने हिन्नोमियोंकी तराई में बाल के ऊंचे ऊंचे स्यान बनाकर अपके बेटे-बेटियोंको मोलक के लिथे होम किया, जिसकी आज्ञा मैं ने कभी नहीं दी, और न यह बात कभी मेरे मन में आई कि ऐसा घृणित काम किया जाए और जिस से यहूदी लोग पाप में फंसे। 
36. परन्तु अब इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस नगर के विषय में, जिसके लिथे तुम लोग कहते हो कि वह तलवार, महंगी और मरी के द्वारा बाबुल के राजा के वश में पड़ा हुआ है योंकहता है: 
37. देखो, मैं उनको उन सब देशोंसे जिन में मैं ने क्रोध और जलजलाहट में आकर उन्हें बरबस निकाल दिया या, लौटा ले आकर इसी नगर में इकट्ठे करूंगा, और निडर करके बसा दूंगा। 
38. और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, और मैं उनका परमेश्श्वर ठहरूंगा 
39. मैं उनको एक ही मन और एक ही चाल कर दूंगा कि वे सदा मेरा भय मानते रहें, जिस से उनका और उनके बाद उनके वंश का भी भला हो। 
40. मैं उन से यह वाचा बान्धूंगा, कि मैं कभी उनका संग छोड़कर उनका भला करना न छोड़ूंगा; और अपना भय मैं उनके मन से ऐसा उपजाऊंगा कि वे कभी मुझ से अलग होना न चाहेंगे। 
41. मैं बड़ी प्रसन्नता के साय उनका भला करता रहूंगा, और सचमुच उन्हें इस देश में अपके सारे मन ओर प्राण से बसा दूंगा। 
42. देख, यहोवा योंकहता है कि जैसे मैं ने अपक्की इस प्रजा पर यह सब बड़ी विपत्ति डाल दी, वैसे ही निश्चय इन से वह सब भलाई भी करूंगा जिसके करने का वचन मैं ने दिया हे। सो यह देश जिसके विषय तुम लोग कहते हो 
43. कि यह उजाड़ हो गया है, इस में न तो मनुष्य रह गए हैं और न पशु, यह तो कसदियोंके वश में पड़ चुका है, इसी में फिर से खेत मोल लिए जाएंगे, 
44. और बिन्यामीन के देश में, यरूशलेम के आस पास, और यहूदा देश के अर्यात्‌ पहाड़ी देश, नीचे के देश और दक्खिन देश के नगरोंमें लोग गवाह बुलाकर खेत मोल लेंगे, और दस्तावेज़ में दस्तखत और मुहर करेंगे; क्योंकि मैं उनके दिनोंको लौटा ले आऊंगा; यहोवा की यही वाणी है।

Chapter 33

1. जिस समय यिर्मयाह पहरे के आंगन में बन्द या, उस समय यहोवा का वचन दूसरी बार उसके पास पहुंचा, 
2. यहोवा जो पृय्वी का रचनेवाला है, जो उसको स्यिर करता है, उसका नाम यहोवा है; वह यह कहता है, 
3. मुझ से प्रार्यना कर और मैं तेरी सुनकर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता। 
4. क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस नगर के घरोंऔर यहूदा के राजाओं के भवनोंके विषय में जो इसलिथे गिराए जाते हैं कि दमदमोंऔर तलवार के साय सुभीते से लड़ सकें, योंकहता है, 
5. कसदियोंसे युद्ध करने को वे लोग आते तो हैं, परन्तु मैं क्रोध और जलजलाहट में आकर उनको मरवाऊंगा और उनकी लोथें उसी स्यान में भर दूंगा; क्योंकि उनकी दुष्टता के कारण मैं ने इस नगर से मुख फेर लिया है। 
6. देख, मैं इस नगर का इलाज करके इसके निवासिक्कों चंगा करूंगा; और उन पर पूरी शान्ति और सच्चाई प्रगट करूंगा। 
7. मैं यहूदा और इस्राएल के बंधुओं को लौटा ले आऊंगा, और उन्हें पहिले की नाई बसाऊंगा। 
8. मैं उनको उनके सारे अधर्म और पाप के काम से शुद्ध करूंगा जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किए हैं; और उन्होंने जितने अधर्म और अपराध के काम मेरे विरुद्ध किए हैं, उन सब को मैं झमा करूंगा। 
9. क्योंकि वे वह सब भलाई के काम सुनेंगे जो मैं उनके लिथे करूंगा और वे सब कल्याण और शान्ति की चर्चा सुनकर जो मैं उन से करूंगा, डरेंगे और यरयराएंगे; वे पृय्वी की उन जातियोंकी दृष्टि में मेरे लिथे हर्षानेवाले और स्तुति और शोभा का कारण हो जाएंगे। 
10. यहोवा योंकहता है, यह स्यान जिसके विषय तुम लोग कहते हो कि यह तो उजाड़ हो गया है, इस में न तो मनुष्य रह गया है और न पशु, अर्यात्‌ यहूदा देश के नगर और यरूशलेम की सड़कें जो ऐसी सुनसान पक्की हैं कि उन में न तो कोई मनुष्य रहता है और न कोई पशु, 
11. इन्हीं में हर्ष और आनन्द का शब्द, दुल्हे-दुल्हिन का शब्द, और इस बात के कहनेवालोंका शब्द फिर सुनाई पकेगा कि सेनाओं के यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि यहोवा भला है, और उसकी करुणा सदा की है। और यहोवा के भवन में धन्यवादबलि लानेवालोंका भी शब्द सुनाई देगा; क्योंकि मैं इस देश की दशा पहिले की नाई ज्योंकी त्योंकर दूंगा, यहोवा का यही वचन है। 
12. सेनाओं का यहोवा कहता है: सब गांवोंसमेत यह स्यान जो ऐसा उजाड़ है कि इस में न तो मनुष्य रह गया है और न पशु, इसी में भेड़-बकरियां बैठानेवाले चरवाहे फिर बसेंगे। 
13. पहाड़ी देश में और नीचे के देश में, दक्खिन देश के नगरोंमें, बिन्यामीन देश में, और यरूशलेम के आस पास, निदान यहूदा देश के सब नगरोंमें भेड़-बकरियां फिर गिन-गिनकर चराई जाएंगी, यहोवा का यही वचन हे। 
14. यहोवा की यह भी वाणी है, देख, ऐसे दिन आनेवाले हैं कि कल्याण का जो वचन मैं ने इस्राएल और यहूदा के घरानोंके विषय में कहा है, उसे पूरा करूंगा। 
15. उन दिनोंमें और उन समयोंमें मैं दाऊद के वंश में धर्म की एक डाल उगाऊंगा; और वह इस देश में न्याय और धर्म के काम करेगा। 
16. उन दिनोंमें यहूदा बचा रहेगा और यरूशलेम निडर बसा रहेगा; और उसका नाम यह रखा जाएगा अय्रात्‌ यहोवा हमारी धामिर्कता। 
17. यहोवा योंकहता है, दाऊद के कुल में इस्राएल के घराने की गद्दी पर विराजनेवाले सदैव बने रहेंगे, 
18. और लेवीय याजकोंके कुलोंमें प्रतिदिन मेरे लिथे होमबलि चढ़ानेवाले और अन्नबलि जलानेवाले और मेलबलि चढ़ानेवाले सदैव बने रहेंगे। 
19. फिर यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, यहोवा योंकहता है, 
20. मैं ने दिन और रात के विषय में जो वाचा बान्धी है, जब तुम उसको ऐसा तोड़ सको कि दिन और रात अपके अपके समय में न हों, 
21. तब ही जो वाचा मैं ने अपके दास दाऊद के संग बान्धी है टूट सकेगी, कि तेरे वंश की गद्दी पर विराजनेवाले सदैव बने रहेंगे, और मेरी वाचा मेरी सेवा टहल करतेवाले लेवीय याजकोंके संग बन्धी रहेगी। 
22. जैसा आकाश की सेना की गिनती और समुद्र की बालू के किनकोंका परिमाण नहीं हो सकता है उसी प्रकार मैं अपके दास दाऊद के वंश और अपके सेवक लेवियोंको बढ़ाकर अनगिनित कर दूंगा। 
23. यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुचा, क्या तू ने नहीं देखा 
24. कि थे लोग क्या कहते हैं, कि, जो दो कुल यहोवा ने चुन लिए थे उन दोनोंसे उस ने अब हाथ उठाया है? यह कहकर कि थे मेरी प्रजा को तुच्छ जानते हैं और कि यह जाति उनकी दृष्टि में गिर गई है। 
25. यहोवा योंकहता है, यदि दिन और रात के विषय मेरी वाचा अटल न रहे, और यदि आकाश और पृय्वी के नियम मेरे ठहराए हुए न रह जाएं, 
26. तब ही मैं याकूब के वंश से हाथ उठाऊंगा।,और इब्राहीम, इसहाक और याकूब के वंश पर प्रभुता करने के लिथे अपके दास दाऊद के वंश में से किसी को फिर न ठहराऊंगा। परन्तु इसके विपक्कीत मैं उन पर दया करके उनको बंधुआई से लौटा लाऊंगा।

Chapter 34

1. जब बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर अपक्की सारी सेना समेत और पृय्वी के जितने राज्य उसके वश में थे, उन सभोंके लोगोंसमेत यरूशलेम और उसके सब गांवोंसे लड़ रहा या, तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, 
2. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, जाकर यहूदा के राजा सिदकिय्याह से कह, यहोवा योंकहता है, कि देख, मैं इस नगर को बाबुल के राजा के वश में कर देने पर हूँ, और वह इसे फुंकवा देगा। 
3. और तू उसके हाथ से न बचेगा, निश्चय पकड़ा जाएगा और उसके वश में कर दिया जाएगा; और तेरी आंखें बाबुल के राजा को देखेंगी, और तुम आम्हने-साम्हने बातें करोगे; और तू बाबुल को जाएगा। 
4. तौभी हे यहूदा के राजा सिदकिय्याह, यहोवा का यह भी वचन तुन जिसे यहोवा तेरे विषय में कहता है, कि तू तलवार से मारा न जाएगा। 
5. तू शान्ति के साय मरेगा। और जैसा तेरे पितरोंके लिथे अर्यात्‌ जो तुझ से पहिले राजा थे, उनके लिथे सुगन्ध द्रव्य जलाया गया, वैसा ही तेरे लिथे भी जलाया जाएगा; और लोग यह कहकर, हाथ मेरे प्रभु ! तेरे लिथे छाती पीटेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
6. थे सब वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने यहूदा के राजा सिदकिय्याह से यरूशलेम में उस समय कहे, 
7. जब बाबुल के राजा की सेना यरूशलेम से और यहूदा के जितने नगर बच गए थे, उन से अर्यात्‌ लाकीश और अजेका से लड़ रही यी; क्योंकि यहूदा के जो गढ़वाले नगर थे उन में से केवल वे ही रह गए थे। 
8. यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास उस समय आया जब सिदकिय्याह राजा ने सारी प्रजा से जो यरूशलेम में यी यह वाचा बन्धाई कि दासोंके स्वाधीन होने का प्रचार किया जाए, 
9. कि सब लोग अपके अपके दास-दासी को जो इब्री वा इब्रिन होंस्वाधीन करके जाने दें, और कोई अपके यहुदी भाई से फिर अपक्की सेवा न कराए। 
10. तब सब हाकिमोंऔर सारी प्रजा ने यह प्रण किया कि हम अपके अपके दास-दासिक्कों स्वतंत्र कर देंगे और फिर उन से अपक्की सेवा न कराएंगे; सो उस प्रण के अनुसार उनको स्वतंत्र कर दिया। 
11. परन्तु इसके बाद वे फिर गए और जिन दास-दासिक्कों उन्होंने स्वतत्र करके जाने दिया या उनको फिर अपके वश में लाकर दास और दासी बना लिया। 
12. तब यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, 
13. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा तुम से योंकहता है, जिस समय मैं तुम्हारे पितरोंको दासत्व के घर अर्यात्‌ मिस्र देश से निकाल ले आया, उस समय मैं ने आप उन से यह कहकर वाचा बान्धी 
14. कि तुम्हारा जो इब्री भाई तुम्हारे हाथ में बेचा जाए उसको तुम सातवें बरस में छोड़ देना; छ: बरस तो वह तुम्हारी सेवा करे परन्तु इसके बाद तुम उसको स्वतंत्र करके अपके पास से जाने देना। परन्तु तुम्हारे पितरोंने मेरी न सुनी, न मेरी ओर कान लगाया। 
15. तुम अभी फिरे तो थे और अपके अपके भाई को स्वतंत्र कर देने का प्रचार कराके जो काम मेरी दृष्टि में भला हे उसे तुम ने किया भी या, और जो भवन मेरा कहलाता है उस में मेरे साम्हने वाचा भी बान्धी यी; 
16. पर तुम भटक गए और मेरा नाम इस रीति से अशुद्ध किया कि जिन दास-दासिक्कों तुम स्वतंत्र करके उनकी इच्छा पर छोड़ चुके थे उन्हें तुम ने फिर अपके वश में कर लिया है, और वे फिर तुम्हारे दास- दासियां बन गए हैं। 
17. इस कारण यहोवा योंकहता है कि तुम ने जो मेरी आज्ञा के अनुसार अपके अपके भाई के स्वतंत्र होने का प्रचार नहीं किया, सो यहोवा का यह वचन है, सुनो, मैं तुम्हारे इस प्रकार से स्वतंत्र होने का प्रचार करता हूँ कि तुम तलवार, मरी और महंगी में पड़ोगे; और मैं ऐसा करूंगा कि तुम पृय्वी के राज्य राज्य में मारे मारे फिरोगे। 
18. और जो लोग मेरी वाचा का उल्लंघन करते हैं और जो प्रण उन्होंने मेरे साम्हने और बछड़े को दो भाग करके उसके दोनोंभागोंके बीच होकर किया परन्तु उसे पूरा न किया, 
19. अर्यात्‌ यहूदा देश और यरूशलेम नगर के हाकिम, खोजे, याजक और साधारण लोग जो बछड़े के भागोंके बीच होकर गए थे, 
20. उनको मैं उनके शत्रुओं अर्यात्‌ उनके प्राण के खोजियोंके वश में कर दूंगा और उनकी लोय आकाश के पझियोंऔर मैदान के पशुओं का आहार हो जाएंगी। 
21. और मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके हाकिमोंको उनके शत्रुओं और उनके प्राण के खोजियोंअर्यात्‌ बाबुल के राजा की सेना के वश में कर दूंगा जो तुम्हारे साम्हने से चक्की गई है। 
22. यहोवा का यह वचन है कि देखो, मैं उनको आज्ञा देकर इस नगर के पास लौटा ले आऊंगा और वे लड़कर इसे ले लेंगे और फूंक देंगे; और यहूदा के नगरोंको मैं ऐसा उजाड़ दूंगा कि कोई उन में न रहेगा।

Chapter 35

1. योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य में यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा 
2. रेकाबियोंके घराने के पास जाकर उन से बातें कर और उन्हें यहोवा के भवन की एक कोठरी में ले जाकर दाखमधु पिला। 
3. तब मैं ने याजन्याह को जो हबस्सिन्याह का पोता और यिर्मयाह का पुत्र या, और उसके भाइयोंऔर सब पुत्रोंको, निदान रेकाबियोंके सारे घराने को साय लिया। 
4. और मैं उनको परमेश्वर के भवन में, यिग्दल्याह के पुत्र हानान, जो परमेश्वर का एक जन य, उसकी कोठरी में ले आया जो हाकिमोंकी उस कोठरी के पास यी और शल्लूम के प्रत्र डेवढ़ी के रखवाले मासेयाह की कोठरी के ऊपर यी। 
5. तब मैं ने रेकाबियोंके घराने को दाखमधु से भरे हुए हंडे और कटोरे देकर कहा, दाखमधु पीओ। 
6. उन्होंने कहा, हम दाखमधु न पीएंगे क्योंकि रेकाब के पुत्र योनादाब ने जो हमारा पुरखा या हम को यह आज्ञा दी यी कि तुम कभी दाखमधु न पीना; न तुम, न तुम्हारे पुत्र। 
7. न घर बनाना, न बीज बोना, न दाख की बारी लगाना, और न उनके अधिक्कारनेी होना; परन्तु जीवन भर तम्बुओं ही में रहना जिस से जिस देश में तुम परदेशी हो, उस में बहुत दिन तक जीते रहो। 
8. इसलिथे हम रेकाब के पुत्र अपके पुरखा योनादाब की बात मानकर, उसकी सारी आज्ञाओं के अनुसार चलते हैं, न हम और न हमारी स्त्रियां वा पुत्र-पुत्रियां कभी दाख मधु पीती हैं, 
9. और न हम घर बनाकर उन में रहते हैं। हम न दाख की बारी, न खेत, और न बीज रखते हैं; 
10. हम तम्बुओं ही में रहा करते हैं, और अपके पुरखा योनादाब की बात मानकर उसकी सारी आज्ञाओं के अनुसार काम करते हैं। 
11. परन्तु जब बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने इस देश पर चढ़ाई की, तब हम ने कहा, चलो, कसदियोंऔर अरामियोंके दलोंके डर के मारे यरूशलेम में जाएं। इस कारण हम अब यरूशलेम में रहते हैं। 
12. तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा। 
13. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि जाकर यहूदा देश के लोगोंऔर यरूशलेम नगर के निवासिक्कों कह, यहोवा की यह वाणी है, क्या तुम शिझा मानकर मेरी न सुदोगे? 
14. देखो, रेकाब के पुत्र योनादाब ने जो आज्ञा अपके वंश को दी यी कि तुम दाखमधु न पीना सो तो मानी गई है यहां तक कि आज के दिन भी वे लोग कुछ नहीं पीते, वे अपके पुरखा की आज्ञा मानते हैं; पर यद्यपि मैं तुम से बड़े यत्न से कहता आया हूँ, तैभी तुम ने मेरी नहीं सुनी। 
15. मैं तुम्हारे पास अपके सारे दास नबियोंको बड़ा यत्न करके यह कहने को भेजता आया हूँ कि अपक्की बुरी चाल से फिरो, और अपके काम सुधारो, और दूसरे देवताओं के पीछे जाकर उनकी उपासना मत करो तब ुतुम इस देश में जो मैं ने तुम्हारे पितरोंको दिया या और तुम को भी दिया है, बसने पाओगे। पर तुम ने मेरी ओर कान नहीं लगाया न मेरी सुनी है। 
16. देखो रेकाब के पुत्र योनादाब के वंश ने तो अपके पुरखा की आज्ञा को मान लिया पर तुम ने मेरी नहीं सुनी। 
17. इसलिथे सेनाओं का परमेश्वर यहोवा, जो इस्राएल का परमेश्वर है, योंकहता है कि देखो, यहूदा देश और यरूशलेम नगर के सारे निवासियोंपर जितनी विपत्ति डालने की मैं ने चर्चा की है वह उन पर अब डालता हूँ; क्योंकि मैं ने उनको सुनाया पर उन्होंने नहीं सुना, मैं ने उनको बुलाया पर उन्होंने उत्तर न दिया। 
18. और रेकाबियोंके घराने से यिर्मयाह ने कहा, इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा तुम से योंकहता है, इसलिथे कि तुम ने जो अपके पुरखा योनादाब की आज्ञा मानी, वरन उसकी सब आज्ञाओं को मान लिया और जो कुछ उस ने कहा उसके अनुसार काम किया है, 
19. इसलिथे इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है, रेकाब के पुत्र योनादाब के वंश में सदा ऐसा जन पाया जाएगा जो मेरे सम्मुख खड़ा रहे।

Chapter 36

1. फिर योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे बरस में यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, 
2. एक पुस्तक लेकर जितने वचन मैं ने तुझ से योशिय्याह के दिनोंसे लेकर अर्यात्‌ जब मैं तुझ से बातें करने लगा उस समय से आज के दिन तक इस्राएल और यहूदा और सब जातियोंके विषय में कहे हैं, सब को उस में लिख। 
3. क्या जाने यहूदा का घराना उस सारी विपत्ति का समाचार सुनकर जो मैं उन पर डालने की कल्पना कर रहा हूँ अपक्की बुरी चाल से फिरे और मैं उनके अधर्म और पाप को झमा करूं। 
4. तो यिर्मयाह ने नेरिय्याह के पुत्र बारूक को बुलाया, और बारूक ने यहोवा के सब वचन जो उस ने यिर्मयाह से कहे थे, उसके मुख से सुनकर पुस्तक में लिख दिए। 
5. फिर यिर्मयाह ने बारूक को आज्ञा दी और कहा, मैं तो बन्धा हुआ हूँ, मैं यहोवा के भवन में नहीं जा सकता। 
6. सो तु उपवास के दिन यहोवा के भवन में जाकर उसके जो वचन तू ने मुझ से सुनकर लिखे हैं, पुस्तक में से लोगोंको पढ़कर सुनाना, और जितने यहूदी लोग अपके अपके नगरोंसे आएंगे, उनको भी पढ़कर सुनाना। 
7. क्या जाने वे यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्यना करें और अपक्की अपक्की बुरी चाल से फिरें; क्योंकि जो क्रोध और जलजलाहट यहोवा ने अपक्की इस प्रजा पर भड़काने को कहा है, वह बड़ी है। 
8. यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की इस आज्ञा के अनुसार नेरिय्याह के पुत्र बारूक ने, यहोवा के भवन में उस पुस्तक में से उसके वचन पढ़कर सुनाए। 
9. और योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के पांचवें बरस के नौवें महीने में यरूशलेम में जितने लोग थे, और यहूदा के नगरोंसे जितने लोग यरूशलेम में आए थे, उन्होंने यहोवा के साम्हने उपवास करने का प्रचार किया। 
10. तब बारूक ने यहोवा के भवन में सब लोगोंको शापान के पुत्र गमर्याह जो प्रधान या, उसकी कोठरी में जो ऊपर के आंगन में यहोवा के भवन के नथे फाटक के पास यी, यिर्मयाह के सब वचन पुस्तक में से पढ़ सुनाए। 
11. तब शापान के पुत्र गमर्याह के बेटे मीकायाह ने यहोवा के सारे वचन पुस्तक में से सुने। 
12. और वह राजभवन के प्रधान की कोठरी में उतर गया, और क्या देखा कि वहां एलीशमा प्रधान और शमायाह का पुत्र दलायाह और अबबोर का पुत्र एलनातान और शापान का पुत्र गमर्याह और हनन्याह का पुत्र सिदकिय्याह और सब हाकिम बैठे हुए हैं। 
13. और मीकायाह ने जितने वचन उस समय सुने, जब बारूक ने पुस्तक में से लोगोंको पढ़ सुनाए थे, वे सब वर्णन किए। 
14. उन्हें सुनकर सब हाकिमोंने यहूदी की जो नतन्याह का पुत्र ओर शेलेम्याह का पोता और कूशी का परपोता या, बारूक के पास यह कहने को भेजा, कि जिस पुस्तक में से तू ने सब लोगोंको पढ़ सुनाया हे, उसे अपके हाथ में लेता आ। सो नेरिय्याह का पुत्र बारूक वह पुस्तक हाथ में लिए हुए उनके पास आया। 
15. तब उन्होंने उस से कहा, अब बैठ जा और हमें यह पढ़कर सुना। तब बारूक ने उनको पढ़कर सुना दिया। 
16. जब वे उन सब वचनोंको सुन चुके, तब यरयराते हुए एक दूसरे को देखने लगे; और उन्होंने बारूक से कहा, हम निश्चय राजा से इन सब वचनोंका वर्णन करेंगे। 
17. फिर उन्होंने बारूक से कहा, हम से कह, क्या तू ने थे सब वचन उसके मुख से सुनकर लिखे? 
18. बारूक ने उन से कहा, वह थे सब वचन अपके मुख से मुझे सुनाता गया ओर मैं इन्हें पुस्तक में स्याही से लिखता गया। 
19. तब हाकिमोंने बारूक से कहा, जा, तू अपके आपको और यिर्मयाह को छिपा, और कोई न जानने पाए कि तुम कहां हो। 
20. तब वे पुस्तक को एलीशमा प्रधान की कोठरी में रखकर राजा के पास आंगन में आए; और राजा को वे सब वचन कह सुनाए। 
21. तब राजा ने यहूदी को पुस्तक ले आने के लिथे भेजा, उस ने उसे एलीशामा प्रधान की कोठरी में से लेकर राजा को और जो हाकिम राजा के आस पास खड़े थे उनको भी पढ़ सुनाया। 
22. राजा शीतकाल के भवन में बैठा हुआ या, क्योंकि नौवां महीना या और उसके साम्हने अंगीठी जल रही यी। 
23. जब यहूदी तीन चार पृष्ठ पढ़ चुका, तब उस ने उसे चाकू से काटा और जो आग अंगीठी में यी उस में फेंक दिया; सो अंगीठी की आग में पूरी पूस्तक जलकर भस्म हो गई। 
24. परन्तु न कोई डरा और न किसी ने अपके कपके फाड़े, अर्यात्‌ न तो राजा ने और न उसके कम्रचारियोंमें से किसी ने ऐसा किया, जिन्होंने वे सब वचन सुने थे। 
25. एलनातान, और दलायाह, और गमर्याह ने तो राजा से बिनती भी की यी कि पुस्तक को न जलाए, परन्तु उस ने उनकी एक न सुनी। 
26. ओर राजा ने राजपुत्र यरहमेल को और अज्रीएल के पुत्र सरायाह को और अब्देल के पुत्र शेलेम्याह को आज्ञा दी कि बारूक लेखक और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को पकड़ लें, परन्तु यहोवा ने उनको छिपा रखा। 
27. जब राजा ने उन वचनोंकी पुस्तक को जो बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर लिखी यी, जला दिया, तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा कि 
28. फिर एक और पुस्तक लेकर उस में यहूदा के राजा यहोयाकीम की जलाई हई पहिली पुस्तक के सब वचन लिख दे। 
29. और यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में कह कि यहोवा योंकहता है, तू ने उस पुस्तक को यह कहकर जला दिया है कि तू ने उस में यह क्योंलिखा है कि बाबुल का राजा निश्चय आकर इस देश को नाश करेगा, और उस में न तो मनुष्य को छोड़ेगा और न पशु को। 
30. इसलिथे यहोवा यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में योंकहता है, कि उसका कोई दाऊद की गद्दी पर विराजमान न रहेगा; और उसकी लोय ऐसी फेंक दी जाएगी कि दिन को धाम में ओर रात को पाले में पक्की रहेगी। 
31. और मैं उसको और उसके वंश और कर्मचारियोंको उनके अधर्म का दण्ड दूंगा; और जितनी विपत्ति मैं ने उन पर और यरूशलेम के निवासियोंऔर यहूदा के सब लोगोंपर डालने को कहा है, और जिसको उन्होंने सच नहीं माना, उन सब को मैं उन पर डालूंगा। 
32. तब यिर्मयाह ने दूसरी पुस्तक लेकर नेरिय्याह के पुत्र बारूक लेखक को दी, और जो पुस्तक यहूदा के राजा यहोयाकीम ने आग में जला दी यी, उस में के सब वचनोंको बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर उस में लिख दिए; और उन वचनोंमें उनके समान और भी बहुत सी बातें बढ़ा दी गई।

Chapter 37

1. और यहोयाकीम के पुत्र कोन्याह के स्यान पर योशिय्याह का पुत्र सिदकिय्याह राज्य करने लगा, क्योंकि बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उसी को यहूदा देश में राजा ठहराया या। 
2. परन्तु न तो उस ने, न उसके कर्मचारियोंने, और न साधारण लोगोंने यहोवा के वचनोंको माना जो उस ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा या। 
3. सिदकिय्याह राजा ने शेलेम्याह के पुत्र यहूकल ओर मासेयाह के पुत्र समन्याह याजक को यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास यह कहला भेजा, कि, हमारे निमित्त हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्यना कर। 
4. उस समय यिर्मयाह बन्दीगृह में न डाला गया या, ओर लोगोंके बीच आया जाया करता या। 
5. उस समय फिरौन की सेना चढ़ाई के लिथे मिस्र से निकली; तब कसदी जो यरूशलेम को घेरे हुए थे, उसका समाचार सुनकर यरूश्लेम के पास से चले गए। 
6. तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास पहुंचा, 
7. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा योंकहता है, यहुदा के जिस राजा ने तुम को प्रार्यना करने के लिथे मेरे पास भेजा है, उस से योंकहो, कि देख, फिरौन की जो सेना तुम्हारी सहाथता के लिथे निकली है वह अपके देश मिस्र में लौट जाएगी। 
8. और कसदी फिर वापिस आकर इस नगर से लड़ेंगे; वे इसको ले लेंगे और फूंक देंगे। 
9. यहोवा योंकहता है, यह कहकर तुम अपके अपके मन में धोखा न खाओ कि कसदी हमारे पास से निश्चय चले गए हैं; क्योंकि वे नहीं चले गए। 
10. क्योंकि यदि तुम ने कसदियोंकी सारी सेना को जो तुम से लड़ती है, ऐसा मार भी लिया होता कि उन में से केवल घायल लोग रह जाते, तौभी वे अपके अपके तम्बू में से उठकर इस नगर को फूंक देते। 
11. जब कसदियोंकी सेना फिरौन की सेना के डर के मारे यरूशलेम के पास से कूच कर गई, 
12. तब यिर्मयाह यरूशलेम से निकलकर बिन्यामीन के देश की ओर इसलिथे जा निकला कि वहां से और लोगोंके संग अपना अंश ले। 
13. जब वह बिन्यामीन के फाटक में पहुंचा, तब यिरिय्याह नामक पहरुओं का एक सरदार वहां या जो शेलेम्याह का पुत्र और हनन्याह का पोता या, और उस ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को यह कहकर पकड़ लिया, तू कसदियोंके पास भागा जाता है। 
14. तब निर्मयाह ने कहा, यह फूठ है; मैं कसदियोंके पास नहीं भागा जाता हूँ। परन्तु यिरिय्याह ने उसकी एक न मुनी, सो वह उसे पकड़कर हाकिमोंके पास ले गया। 
15. तब हाकिमोंने यिर्मयाह से क्रोधित होकर उसे पिटवाया, और योनातान प्रधान के घर में बन्दी बनाकर डलवा दिया; क्योंकि उन्होंने उसको साधारण बन्दीगृह बना दिया या। 
16. यिर्मयाह उस तलघर में जिस में कई एक कोठरियां यीं, रहने लगा। 
17. उसके बहुत दिन बीतने पर सिदकिय्याह राजा ने उसको बुलवा भेजा, और अपके भवन में उस से छिपकर यह प्रश्न किया, क्या यहोवा की ओर से कोई वचन पइुंचा है? यिर्मयाह ने कहा, हां, पहुंचा है। वह यह है, कि तू बाबुल के राजा के वश में कर दिया जाएगा। 
18. फिर यिर्मयाह ने सिदकिय्याह राजा से कहा, मैं ने तेरा, तेरे कर्मचारियोंका, व तेरी प्रजा का क्या अपराध किया है, कि तुम लोगोंने मुझ को बन्दीगृह में डलवाया है?
19. तुम्हारे जो भविष्यद्वक्ता तुम से भविष्यद्वाणी करके कहा करते थे कि बाबुल का राजा तुम पर और इस देश पर चढ़ाई नहीं करेगा, वे अब कहां है? 
20. अब, हे मेरे पुभु, हे राजा, मेरी प्रार्यना ग्रहण कर कि मुझे योनातान प्रधान के घर में फिर न भेज, नहीं तो मैं वहां मर जाऊंगा। 
21. तब सिदकिय्याह राजा की आज्ञा से यिर्मयाह पहरे के आंगन में रखा गया, और जब तक नगर की सब रोटी न चुक गई, तब तक उसको रोटीवालोंकी दूकान में से प्रतिदिन एक रोटी दी जाती यी। ओर यिर्मयाह पहरे के आंगन में रहने लगा।

Chapter 38

1. फिर जो वचन यिर्मयाह सब लोगोंसे कहता या, उनको मत्तान के पुत्र शपन्याह, पशहूर के पुत्र गदल्याह, शेलेम्याह के पुत्र यूकल और मल्किय्याह के पुत्र पशहूर ने सुना, 
2. कि, यहोवा योंकहता है कि जो कोई इस नगर में रहेगा वह तलवार, पहंगी ओर मरी से मरेगा; परन्तु जो कोई कसदियोंके पास निकल भागे वह अपना प्राण बचाकर जीवित रहेगा। 
3. यहोवा योंकहता है, यह नगर बाबुल के राजा की सेना के वश में कर दिया जाएगा और वह इसको ले लेगा। 
4. इसलिथे उन हाकिमोंने राजा से कहा कि उस पुरुष को मरवा डाल, क्योंकि वह जो इस नगर में बचे हुए योद्वाओं और अन्य सब लोगोंसे ऐसे ऐसे वचन कहता है जिस से उनके हाथ पांव ढीले हो जाते हैं। क्योंकि वह पुरुष इस प्रजा के लोगोंकी भलाई नहीं वरन बुराई ही चाहता है। 
5. सिदकिय्याह राजा ने कहा, सुनो, वह तो तुम्हारे वश में हे; क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता कि राजा तुम्हारे विरुद्व कुछ कर सके। 
6. तब उन्होंने यिर्मयाह को लेकर राजपुत्र मल्किय्याह के उस गड़हे में जो पहरे के आंगन में या, रस्सिक्कों उतारकर डाल दिया। और उस गड़हे में पानी नहीं केवल दलदल या, और यिर्मयाह कीचड़ में धंस गया। 
7. उस समय राजा बिन्यामीन के फाटक के पास बैठा या सो जब एबेदमेलेक कूशी ने जो राजभवन में एक खोजा या, सुना, कि उन्होंने यिर्मयाह को गड़हे में डाल दिया है--- 
8. तब एबेदमेलेक राजभवन से निकलकर राजा से कहने लगा, 
9. हे मेरे स्वामी, हे राजा, उन लोगोंने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से जो कुछ किया है वह बुरा किया है, क्योंकि उन्होंने उसको गड़हे में डाल दिया है; वहां वह भूख से मर जाएगा क्योंकि नगर में कुछ रोटी नहीं रही है। 
10. तब राजा ने एबेदमेलेक कूशी को यह आज्ञा दी कि यहां से तीस पुरुष साय लेकर यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को मरने से पहिले गड़हे में से निकाल। 
11. सो एबेदमेलेक उतने पुरुषोंको साय लेकर राजभवन के भण्डार के तलघर में गया; और वहां से फटेपुराने कपके और चियड़े लेकर यिर्मयाह के पास उस गड़हे में रस्सिक्कों उतार दिए। 
12. और एबेदमेलेक कूशी ने यिर्मयाह से कहा, थे पुराने कपके और चियढ़े अपक्की कांखोंमें रस्सियोंके नीचे रख ले। सो यिर्मयाह ने वैसा ही किया। 
13. तब उन्होंने यिर्मयाह को रस्सिक्कों खींचकर, गड़हे में से निकाला। और यिर्मयाह पहरे के आंगन में रहने लगा। 
14. सिदकिय्याह राजा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को यहोवा के भवन के तीसरे द्वार में अपके पास बुलवा भेजा। और रजा ने यिर्मयाह से कहा, मैं तुझ से एक बात पुछता हूँ; मुझ से कुछ न छिपा। 
15. यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, यदि मैं तुझे बताऊं, तो क्या तू मुझे मरवा न डालेगा? और चाहे मैं तुझे सम्मति भी दूं, तौभी तू मेरी न मानेगा। 
16. तब सिदकिय्याह राजा ने अकेले में यिर्मयाह से शपय खाई, यहोवा जिस ने हमारा यह जीव रचा है, उसके जीवन की सौगन्ध न मैं तो तुझे मरवा डालूंगा, और न उन मनुष्योंके वश में कर दूंगा जो तेरे प्राण के खोजी हैं। 
17. यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, सेनाओं का परमेश्वर यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, वह योंकहता है, यदि तू बाबुल के राजा के हाकिमोंके पास सचमुच निकल जाए, तब तो तेरा प्राण बचेगा, और यह नगर फूंका न जाएगा, और तू अपके घराने समेत जीवित रहेगा। 
18. परन्तु, यदि तू बाबुल के राजा के हाकिमोंके पास न निकल जाए, तो यह नगर कसदियोंके वश में कर दिया जाएगा, ओर वे इसे फूंक देंगे, और तू उनके हाथ से बच न सकेगा। 
19. सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, जो यहूदी लोग कसदियोंके पास भाग गए हैं, मैं उन से डरता हूँ, ऐसा न हो कि मैं उनके वश में कर दिया जाऊं और वे मुझ से ठट्ठा करें। 
20. यिर्मयाह ने कहा, तू उनके वश में न कर दिया जाएगा; जो कुछ मैं तुझ से कहता हूँ उसे यहोवा की बात समझकर मान ले तब तेरा भला होगा, और तेरा प्राण बचेगा। 
21. और यदि तू निकल जाना स्वीकार न करे तो जो बात यहोवा ने मुझे दर्शन के द्वारा बताई है, वह यह है: 
22. देख, यहूदा के राजा के रनवास में जितनी स्त्रियां रह गई हैं, वे बाबुल के राजा के हाकिमोंके पास निकाल कर पहुंचाई जाएंगी, और वे तुझ से कहेंगी, तेरे मित्रोंने तुझे बहकाया, और उनकी इच्छा पूरी हो गई; और जब तेरे पांव कीच में धंस गए तो वे पीछे फिर गए हैं। 
23. तेरी सब स्त्रियां और लड़केबाले कसदियोंके पास निकाल कर पहुंचाए जाएंगे; और तू भी कसदियोंके हाथ से न बचेगा, वरन तू पकड़कर बाबुल के राजा के वश में कर दिया जाएगा ओर इस नगर के फूंके जाने का कारण तू ही होगा। 
24. तब सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, इन बातोंको कोई न जानने पाए, तो तू मारा न जाएगा। 
25. यदि हाकिम लोग यह सुनकर कि मैं ने तुझ से बातचीत की है तेरे पास आकर कहने लगें, हमें बता कि तू ने राजा से क्या कहा, हम से कोई बात न छिपा, और हम तुझे न मरवा डालेंगे; और यह भी बता, कि राजा ने तुझ से क्या कहा, 
26. तो तू उन से कहना, कि मैं ने राजा से गिड़गिड़ाकर बिनती की यी कि मुझे योनातान के घर में फिर बापिस न भेज नहीं तो वहां मर जाऊंगा। 
27. फिर सब हाकिमोंने यिर्मयाह के पास आकर पूछा, और जैसा राजा ने उसको आज्ञा दी यी, ठीक वैसा ही उस ने उनको उत्तर दिया। सो वे उस से और कुछ न बोले और न वह भेद खुला। 
28. इस प्रकार जिस दिन यरूशलेम ले लिया गया उस दिन तक वह पहरे के आंगन ही में रहा।

Chapter 39

1. यहूदा के राजा सिदकिय्साह के राज्य के नौवें वर्ष के दसवें महीने में, बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने अपक्की सारी सेना समेत यरूशलेम पर चढ़ाई करके उसे घेर लिया। 
2. और सिदकिय्याह के राज्य के ग्यारहवें वर्ष के चौथे महीने के नौवें दिन को उस नगर की शहरपनाह तोड़ी गई। 
3. सो जब यरूशलेम ले लिया गया, तब नेर्गलसरेसेर, और समगर्नबो, और खेजोंका प्रधान सर्सकीम, और मगोंका प्रधान नेर्गलसरेसेर आदि, बाबुल के राजा के सब हाकिम बीच के फाटक में प्रवेश करके बैठ गए। 
4. जब यहूदा के राजा सिदकिय्याह और सब योद्वाओं ने उन्हें देखा तब रात ही रात राजा की बारी के मार्ग से दोनोंभीतोंके बीच के फाटक से होकर नगर से निकलकर भाग चले और अराबा का मार्ग लिया। 
5. परन्तु कसदियोंकी सेना ने उनको खदेड़कर सिदकिय्याह को यरीहो के अराबा में जा लिया और उनको बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के पास हमात देश के रिबला में ले गए; और उस ने वहां उसके दण्ड की आज्ञा दी। 
6. तब बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रोंको उसकी आंखोंके साम्हने रिबला में घात किया; और सब कुलीन यहूदियोंको भी घात किया। 
7. उस ने सिदकिय्याह की आंखोंको फुड़वा डाला और उसको बाबुल ले जाने के लिथे बेडिय़ोंसे जकड़वा रखा। 
8. कसदियोंने राजभवन और प्रजा के घरोंको आग लगाकर फूंक दिया, ओर यरूशलेम की शहरपनाह को ढा दिया। 
9. तब जल्लादोंका प्रधान नबूजरदान प्रजा के बचे हुओं को जो नगर में रह गए थे, और जो लोग उसके पास भाग आए थे उनको अर्यात्‌ प्रजा में से जितने रह गए उन सब को बंधुआ करके बाबुल को ले गया। 
10. परन्तु प्रजा में से जो ऐसे कंगाल थे जिनके पास कुछ न या, उनको जल्लादोंका प्रधान नबूजरदान यहूदा देश में छोड़ गया, और जाते समय उनको दाख की बारियां और खेत दे दिए। 
11. बाबुल के राजा नगूकदनेस्सर ने जल्लादोंके प्रधान नबूजरदान को यिर्मयाह के विषय में यह आज्ञा दी, 
12. कि उसको लेकर उस पर कृपादृष्टि बनाए रखना और उसकी कुछ हानि न करना; जैसा वह तुझ से कहे वैसा ही उस से व्यवहार करना। 
13. सो जल्लादोंके प्रधान नबूजरदान और खेजोंके प्रधान नबूसजबान और मगोंके प्रधान नेर्गलसरेसेर ज्योतिषियोंके सरदार, 
14. और बाबुल के राजा के सब प्रधानोंने, लोगोंको भेजकर यिर्मयाह को पहरे के आंगन में से बुलवा लिया और गदल्याह को जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता या सौंप दिया कि वह उसे घर पहुंचाए। तब से वह लोगोंके साय रहने लगा। 
15. जब यिर्मयाह पहरे के आंगन में कैद या, तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, 
16. कि, जाकर एबेदमेलेक कूशी से कह कि इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा तुझ से योंकहता है, देख, मैं अपके वे वचन जो मैं ने इस नगर के विषय में कहो हैं इस प्रकार पूरा करूंगा कि इसका कुशल न होगा, हानि ही होगी, ओर उस समय उनका पूरा होना तुझे दिखाई पकेगा। 
17. परन्तु यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं तुझे बचाऊंगा, और जिन मनुष्योंसे तू भय खाता है, तू उनके वश में नहीं किया जाएगा। 
18. क्योंकि मैं तुझे, निश्चय बचाऊंगा, और तू तलवार से न मरेगा, तेरा प्राण बचा रहेगा, यहोवा की यह वाणी है। यह इस कारण होगा, कि तू ने मुझ पर भरोसा रखा है।

Chapter 40

1. जब जल्लादोंके प्रधान नबूजरदान ने यिर्मयाह को रामा में उन सब यरूशलेमी और यहूदी बंधुओं के बीच हयकडिय़ोंसे बन्धा हुआ पाकर जो बाबुल जाने को थे छुड़ा लिया, उसके बाद यहोवा का वचन उसके पास पहुंचा। 
2. जल्लादोंके प्रधान नबूजरदान ने यिर्मयाह को उस समय अपके पास बुला लिया, ओर कहा, इस स्यान पर यह जो विपत्ति पक्की है वह तेरे परमेश्वर यहोवा की कही हुई यी। 
3. ओर जैसा यहोवा ने कहा या वैसा ही उस ने पूरा भी किया है। तुम लोगोंने जो यहोवा के विरुद्व पाप किया ओर उसकी आज्ञा नहीं मानी, इस कारण तुम्हारी यह दशा हुई है। 
4. अब मैं तेरी इन हयकडिय़ोंको काटे देता हूँ, और यदि मेरे संग बाबुल में जाना तुझे अच्छा लगे तो चल, वहां मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा; और यदि मेरे संग बाबुल जाना तुझे न भाए, तो यहीं रह जा। देख, सारा देश तेरे साम्हने पड़ा हे, जिधर जाना तुझे अच्छा और ठीक जंचे उधर ही चला जा। 
5. वह वहीं या कि नबूजरदान ने फिर उस से कहा, गदल्याह जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता है, जिसको बाबुल के राजा ने यहूदा के नगरोंपर अधिक्कारनेी ठहराया है, उसके पास लौट जा और उसके संग लोगोंके बीच रह, वा जहां कहीं तुझे जाना ठीक जान पके वहीं चला जा। से जल्लादोंके प्रधान ने उसको सीधा और कुछ द्रव्य भी देकर विदा किया। 
6. तब यिर्मयाह अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास मिस्पा को गया, और वहां उन लोगोंके बीच जो देश में रह गए थे, रहने लगा। 
7. योद्वाओं के जो दल दिहात में थे, जब उनके सब प्रधानोंने अपके जनोंसमेत सुना कि बाबुल के राजा ने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को देश का अधिक्कारनेी ठहराया है, और देश के जिन कंगाल लोगोंको वह बाबुल को नहीं ले गया, क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालबच्चे, उन सभोंको उसे सौंप दिया है, 
8. तब नतन्याह का पुत्र इश्माएल, कारेह के पुत्र योहानान, योनातान और तन्हूसेत का पुत्र सरायाह, एपै नतोपावासी के पुत्र और किसी माकावासी का पुत्र याजन्याह अपके जनोंसमेत गदल्याह के पास मिस्पा में आए। 
9. और गदल्याह जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता या, उस ने उन से और उनके जनोंसे शपय खाकर कहा, कसदियोंके आधीन रहने से मत डरो। इसी देश में रहते हुए बाबुल के राजा के आधीन रहो तब नुम्हारा भला होगा। 
10. मैं तो इसीलिथे मिस्पा में रहता हूं कि जो कसदी लोग हमारे यहां आएं, उनके साम्हने हाज़िर हुआ करूं; परन्तु तुम दाखमधु और धूपकाल के फल और तेल को बटोरके अपके बरतनोंमें रखो और अपके लिए हुए नगरोंमें बसे रहो। 
11. फिर जब मोआबियों, अम्मोनियों, एदोमियोंऔर अन्य सब जातियोंके बीच रहनेवाले सब यहूदियोंने सुना कि बाबुल के राजा ने यहूदियोंमें से कुछ लोगोंको बचा लिया और उन पर गदल्याह को जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता है अधिक्कारनेी नियुक्त किया है, 
12. तब सब यहूदी जिन जिन स्यानोंमें तितर-बितर हो गए थे, वहां से लौटकर यहूदा देश के मिस्पा नगर में गदल्याह के पास, और बहुत दाखमधु और धूपकाल के फल बटोरने लगे। 
13. तब कारेह का पुत्र योहानान और मैदान में रहनेवाले योद्वाओं के सब दलोंके प्रधान मिस्पा में गदल्याह के पास आकर कहने लगे, क्या तू जानता है 
14. कि अम्मोनियोंके राजा बालीस ने नतत्याह के पुत्र इश्माएल को तुझे जान से मारने के लिथे भेजा है? परन्तु अहीकाम के पुत्र गदल्याह ने उनकी प्रतीति न की। 
15. फिर कारेह के पुत्र योहानान ने गदल्याह से मिस्पा में छिपकर कहा, मुझे जाकर नतन्याह के पुत्र इश्माएल को मार डालने दे ओर कोई इसे न जानेगा। वह क्योंतुझे मार डाले, और जितने यहूदी लोग तेरे पास इकट्ठे हुए हैं वे क्योंतितर-बितर हो जाएं और बचे हुए यहूदी क्योंनाश हों? 
16. यहीकाम के पुत्र गदल्याह ने कारेह के पुत्र योहानान से कहा, ऐसा काम मत कर, तू इश्माएल के विषय में फूठ बोलता है।

Chapter 41

1. और सातवें महीने में ऐसा हुआ कि इश्माएल जो नतन्याह का पुत्र और एलीशामा का पोता और राजवंश का और राजा के प्रधान पुरुषोंमें से या, सो दस जन संग लेकर मिस्पा में अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास आया। वहां मिस्पा में उन्होंने एक संग भोजन किया। 
2. तब नतन्याह के पुत्र इश्माएल और उसके संग के दस जनोंने उठकर गदल्याह को, जो अहीकाम का पुत्र और शपान का पोता या, ओर जिसे बाबुल के राजा ने देश का अधिक्कारनेी ठहराया या, उसे तलवार से ऐसा मारा कि वह मर गया। 
3. और इश्माएल ने गदल्याह के संग जितने यहूदी मिस्पा में थे, और जो कसदी योद्वा वहां मिले, उन सभोंको मार डाला। 
4. गदल्याह के मार डालने के दूसरे दिन जब कोई इसे न जानता या, 
5. तब शकेम और शीलो और शोमरोन से अस्सी पुरुष डाढ़ी मुड़ाए, वस्त्र फाड़े, शरीर चीरे हुए और हाथ में अन्नबलि और लोबान लिए हुए, यहोवा के भवन में जाने को आते दिखाई दिए। 
6. तब नतन्याह का पुत्र इश्माएल उन से मिलने को मिस्पा से निकला, और रोता हुआ चला। जब वह उन से मिला, तब कहा, अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास चलो। 
7. जब वे उस नगर में आए तब नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने अपके संगी जनोंसमेत उनको घात करके गड़हे में फेंक दिया। 
8. परन्तु उन में से दस मनुष्य इश्माएल से कहने लगे, हम को न मार; क्योंकि हमारे पास मैदान में रखा हुआ गेहूं, जव, तेल और मधु है। सो उस ने उन्हें छोड़ दिया और उनके भाइयोंके साय नहीं मारा। 
9. जिस गड़हे में इश्माएल न उन लोगोंकी सब लोथें जिन्हें उस ने मारा या, गदल्याह की लोय के पास फेंक दी यी, (यह वही गड़हा है जिसे आसा राजा ने इस्राएल के राजा बाशा के डर के मारे खुदवाया या), उसको नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने मारे हुओं से भर दिया। 
10. तब जो लोग मिस्पा में बचे हुए थे, अर्यात्‌ राजकुमारियां और जितने और लोग मिस्पा में रह गए थे जिन्हें जल्लादोंके प्रधान नबूजरदान ने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को सौंप दिया या, उन सभोंको नतन्याह का पुत्र इश्माएल बंधुआ करके अम्मोनियोंके पास ले जाने को चला। 
11. जब कारेह के पुत्र योहानान ने और योद्वाओं के दलोंके उन सब प्रधानोंने जो उसके संग थे, सुना, कि नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने यह सब बुराई की है, 
12. तब वे सब जनोंको लेकर नतन्याह के पुत्र इश्माएल से लड़ने को निकले और उसको उस बड़े जलाशय के पास पाया जो गिबोन में है। 
13. कारेह के पुत्र योहानान को, और दलोंके सब प्रधानोंको देखकर जो उसके संग थे, इश्माएल के साय जो लोग थे, वे सब आनन्दित हुए। 
14. और जितने लोगोंको इश्माएल मिस्पा से बंधुआ करके लिए जाता या, वे पलटकर कारेह के पुत्र योहानान के पास चले आए। 
15. परन्तु नतन्याह का पुत्र इश्माएल आठ पुरुष समेत योहानान के हाथ से बचकर अम्मोनियोंके पास चला गया। 
16. तब प्रजा में से जितने बच गए थे, अर्यात्‌ जिन योद्वाओं, स्त्रियों, बालबच्चोंऔर खोजोंको कारेह का पुत्र योहानान, अहीकाम के पुत्र गदल्याह के मिस्पा में मारे जाने के बाद नतन्याह के पुत्र इश्माएल के पास से छुड़ाकर गिबोन से फेर ले आया या, उनको वह अपके सब संगी दलोंके प्रधानोंसमेत लेकर चल दिया। 
17. और बेतलेहेम के निकट जो किम्हाम की सराय है, उस में वे इसलिथे टिक गए कि मिस्र में जाएं। 
18. क्योंकि वे कसदियोंसे डरते थे; इसका कारण यह या कि अहीकाम का पुत्र गदल्याह जिसे बाबुल के राजा ने देश का अधिक्कारनेी ठहराया या, उसे नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने मार डाला या।

Chapter 42

1. तब कारेह का पुत्र योहानान, होशयाह का पुत्र याजन्याह, दलोंके सब प्रधान और छोटे से लेकर बड़े तक, सब लोग यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के निकट आकर कहने लगे, 
2. हमारी बिनती ग्रहण करके अपके परमेश्वर यहोवा से हम सब बचे हुओं के लिथे प्रार्यना कर, क्योंकि तू अपक्की आंखोंसे देख रहा है कि हम जो पहले बहुत थे, अब योड़े ही बच गए हैं। 
3. इसलिथे प्रार्यना कर कि तेरा परमेश्वर यहोवा हम को बताए कि हम किस मार्ग से चलें, और कौन सा काम करें? 
4. सो यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उन से कहा, मैं ने तुम्हारी सुनी है; देखो, मैं तुम्हारे वचनोंके अनुसार तुम्हारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्यना करूंगा ओर जो उत्तर यहोवा तुम्हारे लिथे देगा मैं तुम को बताऊंगा; मैं तुम से कोई बात न छिपाऊंगा। 
5. तब उन्होंने यिर्मयाह से कहा, यदि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे द्वारा हमारे पास कोई वचन पहुंचाए और हम उसके अनुसार न करें, तो यहोवा हमारे बीच में सच्चा और विश्वासयोग्य साझी ठहरे। 
6. चाहे वह भली बात हो, चाहे बुरी, तौभी हम अपके परमेश्वर यहोवा की आज्ञा, जिसके पास हम तुझे भेजते हैं, मानेंगे, क्योंकि जब हम अपके परमेश्वर यहोवा की बात मानें तब हमारा भला हो। 
7. दस दिन के बीतने पर यहोवा का वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा। 
8. तब उस ने कारेह के पुत्र योहानान को, उसके साय के दलोंके प्रधानोंको, और छोटे से लेकर बड़े तक जितने लोग थे, उन सभोंको बुलाकर उन से कहा, 
9. इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसके पास तुम ने मुझ को इसलिथे भेजा कि मैं तुम्हारी बिनती उसके आगे कह सुनाऊं, वह योंकहता है, 
10. यदि तुम इसी देश में रह जाओ, तब तो मैं तुम को नाश नहीं करूंगा वरन बनाए रखूंगा; और तुम्हें न उखाडूंगा, वरन रोपे रखूंगा; क्योंकि तुम्हारी जो हानि मैं ने की है उस से मैं पछताता हूँ। 
11. तुम बाबुल के राजा से डरते हो, सो उस से मत डरो; यहोवा की यह वाणी है, उस से मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारी रझा करने और तुम को उसके हाथ से बचाने के लिथे तुम्हारे साय हूँ। 
12. मैं तुम पर दया करूंगा, कि वह भी तुम पर दया करके तुम को तुम्हारी भूमि पर फिर से बसा देगा। 
13. परन्तु यदि तुम यह कहकर कि हम इस देश में न रहेंगे अपके परमेश्वर यहोवा की बात न मानो, और कहो कि हम तो मिस्र देश जाकर वहीं रहेंगे, 
14. क्योंकि वहां न हम युद्व देखेंगे, न नरसिंगे का शब्द सुनेंगे और न हम को भोजन की धटी होगा, तो, हे बचे हुए यहूदियो, यहोवा का यह वचन सुनो: 
15. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है, कि यदि तुम सचमुच मिस्र की ओर जाने का मुंह करो, और वहां रहने के लिथे जाओ, 
16. तो ऐसा होगा कि जिस तलवार से तुम डरते हो, वही वहां मिस्र देश में तुम को जा लेगी, और जिस महंगी का भय तुम खाते हो, वह मिस्र में तुम्हारा पीछा न छोड़ेगी; और वहीं तुम मरोगे। 
17. जितने मनुष्य मिस्र में रहने के लिथे उसकी ओर मुंह करें, वे सब तलवार, महंगी और मरी से मरेंगे, और जो विपत्ति मैं उनके बीच डालूंगा, उस से कोई बचा न रहेगा। 
18. इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है, कि जिस प्रकार से मेरा कोप और जलजलाहट यरूशलेम के निवासियोंपर भड़क उठी यी, उसी प्रकार से यदि तुम मिस्र में जाओ, तो मेरी जलजलाहट तुम्हारे ऊपर ऐसी भड़क उठेगी कि लोग चकित होंगे, और तुम्हारी उपमा देकर शाप दिया करेंगे और तुम्हारी निन्दा किया करेंगे। तुम उस स्यान को फिर न देखने पाओगे। 
19. हे बचे हुए यहूदियो, यहोवा ने तुम्हारे विषय में कहा है, मिस्र में मत जाओ। तुम निश्चय जानो कि मैं ने आज तुम को चिताकर यह बात बता दी है। 
20. क्योंकि जब तुम ने मुझ को यह कहकर अपके परमेश्वर यहोवा के पास भेज दिया कि हमारे निमित्त हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्यना कर और जो कुछ हमारा परमेश्वर यहोवा कहे उससी के अनुसार हम को बता और हम वैसा ही करेंगे, तब तुम जान बूफके अपके ही को धोखा देते थे। 
21. देखो, मैं आज तुम को बताए देता हूं, परन्तु, और जो कुछ तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम से कहने के लिथे मुझ को भेजा है, उस में से तुम कोई बात नहीं मानते। 
22. अब तुम निश्चय जानो, कि जिस स्यान में तुम परदेशी होके रहने की इच्छा करते हो, उस में तुम तलवार, महंगी और मरी से मर जाओगे।

Chapter 43

1. जब यिर्मयाह उनके परमेश्वर यहोवा के वे सब वचन कह चुका, जिनके कहने के लिथे उस ने उसको उन सब लोगोंके पास भेजा या, 
2. तब होशाया के पुत्र अजर्याह और कारेह के पुत्र योहानान और सब अभिमानी पुरुषोंने यिर्मयाह से कहा, तू फूठ बोलता है। हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुझे यह कहने के लिथे नहीं भेजा कि मिस्र में रहने के लिथे मत जाओ; 
3. परन्तु नेरिय्याह का पुत्र बारूक तुझ को हमारे विरुद्व उसकाता है कि हम कसदियोंके हाथ में पकें और वे हम को मार डालें वा बंधुआ करके बाबुल को ले जाएं। 
4. सो कारेह का पुत्र योहानान और दलोंके सब प्रधानोंऔर सब लोगोंने यहोवा की यह आज्ञा न मानी कि वे यहूदा के देश में ही रहें। 
5. और कारेह का पुत्र योहानान और दलोंके और सब प्रधान उन सब यहूदियोंको जो अन्यजातियोंके बीच तितरबितर हो गए थे, और उन में से लौटकर यहूदा देश में रहने लगे थे, वे उनको ले गए-- 
6. पुरुष, स्त्री, बालबच्चे, राजकुमारियां, और जितने प्राणियोंको जल्लादोंके प्रधान नबूजरदान ने गदल्याह को जो अहीकाम का पुत्र और शापान का मोता या, सौंप दिया या, उनको और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता और नेरिय्याह के पुत्र बारूक को वे ले गए; 
7. और यहोवा की आज्ञा न मानकर वे मिस्र देश में तहपन्हेस नगर तक आ गए। 
8. तब यहोवा का यह वचन तहपन्हेस में यिर्मयाह के पास पहुंचा: 
9. अपके हाथ से बड़े पत्यर ले, और यहूदी पुरुषोंके साम्हने उस ईट के चबूतरे में जो तहपन्हेस में फिरौन के भवन के द्वार के पास है, चूना फेर के छिपा दे, 
10. और उन पुरुषोंसे कह, कि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा, योंकहता है, देखो, मैं बाबुल के राजा अपके सेवक नबूकदनेस्सर को बुलवा भेजूंगा, और वह अपना सिंहासन इन पत्यरोंके ऊपर जो मैं ने छिपा रखे हैं, रखेगा; और अपना छत्र इनके ऊपर तनवाएगा। 
11. वह आके मिस्र देश को मारेगा, तब जो मरनेवाले होंवे मृत्यु के वश में, जो बंधुए होनेवाले होंवे बंधुआई में, और जो तलवार के लिथे हें वे तलवार के वश में कर दिए जाएंगे। 
12. मैं मिस्र के देवालयोंमें आग लगाऊंगा; और वह उन्हें फुंकवा देगा और बंधुआई में ले जाएगा; और जैसा कोई चरवाहा अपना वस्त्र ओढ़ता है, वैसा ही वह मिस्र देश को समेट लेगा; और तब बेखटके चला जाएगा। 
13. वह मिस्र देश के सूर्यगृह के खम्भोंको तुड़वा डालेगा; और मिस्र के देवालयोंको आग लगाकर फूंकवा देगा।

Chapter 44

1. जितने यहूदी लोग मिस्र देश में मिग्दोल, तहपन्हेस और नोप नगरोंऔर पत्रोस देश में रहते थे, उनके विषय यिर्मयाह के पास यह वचन पहुंचा, 
2. इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा योंकहता है कि जो विपत्ति मैं यरूशलेम और यहूदा के सब नगरोंपर डाल चुका हूँ, वह सब तुम लोगोंने देखी है। देखो, वे आज के दिन कैसे उजड़े हुए और निर्जन हैं, 
3. क्योंकि उनके निवासियोंने वह बुराई की जिस से उन्होंने मुझे रिस दिलाई यी वे जाकर दूसरे देवताओं के लिथे धूप जलाते थे और उनकी उपासना करते थे, जिन्हें न तो तुम और न तुम्हारे पुरखा जानते थे। 
4. तौभी मैं अपके सब दास भविष्यद्वक्ताओं को बड़े यत्न से यह कहने के लिथे तुम्हारे पास भेजता रहा कि यह घृणित काम मत करो, जिस से मैं घृणा रखता हूँ। 
5. पर उन्होंने मेरी न सुनी और न मेरी ओर कान लगाया कि अपक्की बुराई से फिरें और दूसरे देवताओं के लिथे धूम न जलाएं। 
6. इस कारण मेरी जलजलाहट और कोप की आग यहूदा के नगरोंऔर यरूशलेम की सड़कोंपर भड़क गई; और वे आज के दिन तक उजाड़ और सुनसान पके हैं। 
7. अब यहोवा, सेनाओं का परमेश्वर, जो इस्राएल का परमेश्वर है, योंकहता है, तुम लोग क्योंअपक्की यह बड़ी हानि करते हो, कि क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या दूधपिउवा बच्चा, तुम सब यहूदा के बीच से नाश किए जाओ, और कोइ न रहे? 
8. क्योंकि इस मिस्र देश में जहां तुम परदेशी होकर रहने के लिथे आए हो, तुम अपके कामोंके द्वारा, अर्यात्‌ दूसरे देवताओं के लिथे धूप जलाकर मुझे रिस दिलाते हो जिस से तुम नाश हो जाओगे ओर पृय्वी भर की सब जातियोंके लोग तुम्हारी जाति की नामधराई करेंगे और तुम्हारी उपमा देकर शाप दिया करेंगे। 
9. जो जो बुराइयां तुम्हारे पुरखा, यहूदा के राजा और उनकी स्त्रियां, और तुम्हारी स्त्रियां, वरन तुम आप यहूदा देश और यरूशलेम की सड़कोंमें करते थे, क्या उसे तुम भूल गए हो? 
10. आज के दिन तक उनका मन चूर नहीं हुआ ओर न वे डरते हैं; और न मेरी उस व्यवस्या और उन विधियोंपर चलते हैं जो मैं ने तुम्हारे पूर्वजोंको और तुम को भी सुनवाई हैं। 
11. इस कारण इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा, योंकहता है, देखो, मैं तुम्हारे विरुद्व होकर तुम्हारी हानि करूंगा, ताकि सब यहूदियोंका अन्त कर दूं। 
12. और बचे हुए यहूदी जो हठ करके मिस्र देश में आकर रहने लगे हैं, वे सब मिट जाएंगे; इस मिस्र देश में छोटे से लेकर बड़े तक वे तलवार और महंगी के द्वारा मरक मिट जाएंगे; और लोग उन्हें कोसेंगे और चकित होंगे; और उनकी उपमा देकर शाप दिया करेंगे और निन्दा भी करेंगे। 
13. सो जैसा मैं ने यरूशलेम को तलवार, महंगी और मरी के द्वारा दण्ड दिया है, वैसा ही मिस्र देश में रहनेवालोंको भी दण्ड दूंगा, 
14. कि जो बचे हुए यहूदी मिस्र देश में परदेशी होकर रहने के लिथे आए हैं, यद्यपि वे यहूदा देश में रहने के लिथे लौटने की बड़ी अभिलाषा रखते हैं, तौभी उन में से एक भी बचकर वहां न लौटने पाएगा; केवल कुछ ही भागे हुओं को छोड़ कोई भी वहां न लौटने पाएगा। 
15. तब मिस्र देश के पत्रोस में रहनेवाले जितने पुरुष जानते थे कि उनकी स्त्रियां दूसरे देवताओं के लिथे धूप जलाती हैं, और जितनी स्त्रियां बड़ी मण्डली में पास खड़ी यी, उन सभोंने यिर्मयाह को यह उत्तर दिया, 
16. जो वचन तू ने हम को यहोवा के नाम से सुनाया है, उसको हम नहीं सुनने की। 
17. जो जो मन्नतें हम मान चुके हैं उन्हें हम निश्चय पूरी करेंगी, हम स्वर्ग की रानी के लिथे धूप जलाएंगे और तपावन देंगे, जैसे कि हमारे पुरखा लोग और हम भी अपके राजाओं और और हाकिमोंसमेत यहूदा के नगरोंमें और यरूशलेम की सड़कोंमें करते थे; क्योंकि उस समय हम पेट भरके खाते और भले चंगे रहते और किसी विपत्ति में नहीं पड़ते थे। 
18. परन्तु जब से हम ने स्वर्ग की रानी के लिथे धूप जलाना और तपावन देना छोड़ दिया, तब से हम को सब वस्तुओं की घटी है; और हम तलवार और महंगी के द्वारा मिट चले हैं। 
19. और स्त्रियोंने कहा, जब हम स्वर्ग की रानी के लिथे धूप जलातीं और चन्द्राकार रोटियां बनाकर तपावन देती यीं, तब अपके अपके पति के बिन जाने ऐसा नहीं करती यीं। 
20. तब यिर्मयाह ने, क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने लोगोंने यह उत्तर दिया, उन सब से कहा, 
21. तुम्हारे पुरखा और तुम जो अपके राजाओं और हाकिमोंऔर लोगोंसमेत यहूदा देश के नगरोंऔर यरूशलेम की सड़कोंमें धूप जलाते थे, क्या वह यहोवा के ध्यान में नहीं आया? 
22. क्या उस ने उसको स्मरण न किया? सो जब यहोवा तुम्हारे बुरे और सब घृणित कामोंको और अधिक न सह सका, तब तुम्हारा देश उजड़कर निर्जन और सुनसान हो गया, यहां तक कि लोग उसकी उपमा देकर शाप दिया करते हैं, जैसे कि आज होता है। 
23. क्योंकि तुम धूप जलाकर यहोवा के विरुद्व पाप करते और उसकी नहीं सुनते थे, और उसकी व्यवस्या और विधियोंऔर चितौनियोंके अनुसार नहीं चले, इस कारण यह विपत्ति तुम पर आ पक्की है, जैसे कि आज है। 
24. फिर यिर्मयाह ने उन सब लोगोंसे और उन सब स्त्रियोंसे कहा, हे सारे मिस्र देश में रहनेवाले यहूदियो, यहोवा का वचन सुनो: 
25. इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा, योंकहता है, कि तुम ने और तुम्हारी स्त्रियोंने मन्नतें मानी और यह कहकर उन्हें पूरी करते हो कि हम ने स्वर्ग की रानी के लिथे धूप जलाने और तपावन देने की जो जो मन्नतें मानी हैं उन्हें हम अवश्य ही पूरी करेंगे; और तुम ने अपके हाथोंसे ऐसा ही किया। सो अब तुुम अपक्की अपक्की मन्नतोंको मानकर पूरी करो ! 
26. परन्तु हे मिस्र देश में रहनेवाले सारे यहूदियो यहोवा का वचन सुनो: सुनो, मैं ने अपके बड़े नाम की शपय खाई है कि अब पूरे मिस्र देश में कोई यहूदी मनुष्य मेरा नाम लेकर फिर कभी यह न कहने पाएगा कि “प्रभु यहोवा के जीवन की सौगन्ध”। 
27. सुनो, अब मैं उनकी भलाई नहीं, हानि ही की चिन्ता करूंगा; सो मिस्र देश में रहनेवाले सब यहूदी, तलवार और महंगी के द्वारा मिटकर नाश हो जाएंगे जब तक कि उनका सर्वनाश न हो जाए। 
28. और जो तलवार से बचकर और मिस्र देश से लौटकर यहूदा देश में पहुंचेंगे, वे योड़े ही होंगे; और मिस्र देश में रहने के लिथे आए हुए सब यहूदियोंमें से जो बच पाएंगे, वे जान लेंगे कि किसका वचन पूरा हुआ, मेरा वा उनका। 
29. इस बात का मैं यह चिन्ह देता हूं, यहोवा की यह वाणी है, कि मैं तुम्हें इसी स्यान में दण्ड दूंगा, जिस से तुम जान लोगे कि तुम्हारी हानि करने में मेरे वचन निश्चय पूरे होंगे। 
30. यहोवा योंकहता हे, देखो, जैसा मैं ने यहूदा के राजा सिदकिय्याह को उसके शत्रु अर्यात्‌ उसके प्राण के खोजी बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिया, वैसे ही मैं मिस्र के राजा फिरौन होप्रा को भी उसके शत्रुओं के, अर्यात्‌ उसके प्राण के खोजियोंके हाथ में कर दूंगा।

Chapter 45

1. योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में, जब नेरिय्याह का पुत्र बारूक यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से भविष्यद्वाणी के थे वचन सुनकर पुस्तक में लिख चुका या, 
2. तब उस ने उस से यह वचन कहा, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा,तुझ से योंकहता है, 
3. हे बारूक, तू ने कहा, हाथ मुझ पर ! क्योंकि यहोवा ने मुझे दु:ख पर दु:ख दिया है; मैं कराहते कराहते यक गया और मुझे कुछ चैन नहीं मिलता। 
4. तू योंकह, यहोवा योंकहता है, कि देख, इस सारे देश को जिसे मैं ने बनाया या, उसे मैं आप ढा दूंगा, और जिन को मैं ने रोपा या, उन्हें स्वयं उखाड़ फेंकूंगा। 
5. इसलिथे सुन, क्या तू अपके लिथे बड़ाई खोज रहा है? उसे मत खोज; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि मैं सारे मनुष्योंपर विपत्ति डालूंगा; परन्तु जहां कहीं तू जाएगा वहां मैं तेरा प्राण बचाकर तुझे जीवित रखूंगा।

Chapter 46

1. अन्यजातियोंके विषय यहोवा का जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास पहुंचा, वह यह है। 
2. मिस्र के विषय। मिस्र के राजा फिरौन निको की सेना जो परात महानद के तीर पर कर्कमीश में यी, और जिसे बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में जीत लिया या, 
3. उस सेना के विषय:--ढालें और फरियां तैयार करके लड़ने को निकट चले आओ। 
4. घोड़ोंको जुतवाओ; और हे सवारो, घोड़ोंपर चढ़कर टोप पहिने हुए खड़े हो जाओ; भालोंको पैना करो, फिलमोंको पहिन लो ! 
5. मैं क्योंउनको व्साकुल देखता हूँ? वे विस्मित होकर पीछे हट गए। उनके शूरवीर गिराए गए और उतावली करके भाग गए; वे पीछे देखते भी नहीं; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि चारोंओर भय ही भय हे ! 
6. न वेग चलनेवाला भागने पाएगा और न वीर बचने पाएगा; क्योंकि उत्तर दिशा में परात महानद के तीर पर वे सब ठोकर खाकर गिर पके। 
7. यह कौन है, जो नील नदी की नाई, जिसका जल महानदोंका सा उछलता है, बढ़ा चला आता है? 
8. मिस्र नील नदी की नाई बढ़ता है, उसका जल महानदोंका सा उछलता है। वह कहता है, मैं चढ़कर पृय्वी को भर दूंगा, मैं नगरोंको उनके निवासियोंसमेत नाश कर दूंगा। 
9. हे मिस्री सवारो आगे बढ़ो, हे रयियो बहुत ही वेग से चलाओ ! हे ढाल पकड़नेवाले कूशी और पूती वीरो, हे धनुर्धारी लूदियो चले आओ। 
10. क्योंकि वह दिन सेनाओं के यहोवा प्रभु के बदला लेने का दिन होगा जिस में वह अपके द्रोहियोंसे बदला लेगा। सो तलवार खाकर तृप्त होगी, और उनका लोहू पीकर छक जाएगी। क्योंकि, उत्तर के देश में परान महानद के तीर पर, सेनाओं के यहोवा प्रभु का यज्ञ है। 
11. हे मिस्र की कुमारी कन्या, गिलाद को जाकर बलसान औषधि ले; तू व्यर्य ही बहुत इलाज करती है, तू चंगी नहीं होगी ! 
12. क्योंकि सब जाति के लोगोंने सुना है कि तू नीच हो गई और पृय्वी तेरी चिल्लाहट से भर गई है; वीर से वीर ठोकर खाकर गिर पके; वे दोनोंएक संग गिर गए हैं। 
13. यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से यह वचन भी कहा कि बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर क्योंकर आकर मिस्र देश को मार लेगा: 
14. मिस्र में वर्णन करो, और मिग्दोल में सुनाओ; हां, ओर नोप और तहपन्हेस में सुनाकर यह कहो कि खड़े होकर तैयार हो जाओ; क्योंकि तुम्हारे चारोंओर सब कुछ तलवार खा गई है। 
15. तेरे बलवन्त जन क्योंबिलाय गए हैं? वे इस कारण खड़े न रह सके क्योंकि यहोवा ने उन्हें ढकेल दिया। 
16. उस ने बहुतोंको ठोकर खिलाई, वे एक दूसरे पर गिर पके; और वे कहने लगे, उठो, चलो, हम अन्धेर करनेवाले की तलवार के डर के मारे अपके अपके लोगोंओर अपक्की अपक्की जन्मभूमि में फिर लौट जाएं। 
17. वहां वे पुकार के कहते हैं, मिस्र का राजा फिरौन सत्यानाश हुआ; क्योंकि उस ने अपना बहुमूल्य अवसर खे दिया। 
18. वह राजाधिराज जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, उसकी यह वाणी है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, जैसा ताबोर अन्य पहाड़ोंमें, और जैसा कमल समुद्र के किनारे है, वैसा ही वह आएगा। 
19. हे मिस्र की रहनेवाली पुत्री ! बंधुआई में जाने का सामान तैयार कर, क्योंकि नोप नगर उजाड़ और ऐसा भस्म हो जाएगा कि उस में कोई भी न रहेगा। 
20. मिस्र बहुत ही सुन्दर बछिया तो है, परन्तु उत्तर दिशा से नाश चला आता है, वह आ ही गया है। 
21. उसके जो सिपाही किराथे पर आए हैं वह पोसे हुए बछड़ोंके समान हैं; उन्होंने मुंह मोड़ा, और एक संग भाग गए, वे खड़े नहीं रहे; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन और दण्ड पाने का समय आ गया। 
22. उसकी आहट सर्प के भागने की सी होगी; क्योंकि वे वृझोंके काटनेवालोंकी सेना और कुल्हाडिय़ां लिए हुए उसके विरुद्व चढ़ आएंगे। 
23. यहोवा की यह वाणी है, कि चाहे उसका वन बहुत ही घना हो, परन्तु वे उसको काट डालेंगे, क्योंकि वे टिड्डियोंसे भी अधिक अनगिनित हैं। 
24. मिस्री कन्या लज्जित होगी, वह उत्तर दिशा के लोगोंके वश में कर दी जाएगी। 
25. इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा कहता है, देखो, मैं नगरवासी आमोन और फिरौन राजा और मिस्र को उसके सब देवताओं और राजाओं समेत और फिरौन को उन समेत जो उस पर भरोसा रखते हैं दण्ड देने पर हूँ। 
26. मैं उनको बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और उसके कर्मचारियोंके वश में कर दूंगा जो उनके प्राण के खोजी हैं। उसके बाद वह प्राचीनकाल की नाई फिर बसाया जाएगा, यहोवा की यह वाणी है। 
27. परन्तु हे मेरे दास याकूब, तू मत डर, और हे इस्राएल, विस्मित न हो; क्योंकि मैं तुझे और तेरे वंश को बंधुआई के दूर देश से छुड़ा ले आऊंगा। याकूब लैटकर चैन और सुख से रहेगा, और कोई उसे डराने न पाएगा। 
28. हे मेरे दास याकूब, यहोवा की यह वाणी है, कि तू मत डर, क्योंकि मैं तेरे साय हूँ। ओर यद्यपि मैं उन सब जातियोंका अन्त कर डालूंगा जिन में मैं ने तुझे बरबस निकाल दिया है, तौभी तेरा अन्त न करूंगा। मैं तेरी ताड़ना विचार करके करूंगा, परन्तु तुझे किसी प्रकार से निदॉष न ठहराऊंगा।

Chapter 47

1. फिरोन के गज़्जा नगर को जीत लेने से पहिले यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास पलिश्तियोंके विषय यहोवा का यह वचन पहुंचा: 
2. यहोवा योंकहता है कि देखो, उत्तर दिशा से उमण्डनेवाली नदी देश को उस सब समेत जो उस में है, और निवासियोंसमेत नगर को डुबो लेगी। तब मनुष्य चिल्लाएंगे, वरन देश के सब रहनेवाले हाथ-हाथ करेंगे। 
3. शत्रुओं के बलवन्त घोड़ोंकी टाप, रयोंके वेग चलने और उनके पहियोंके चलने का कोलाहल सुनकर पिता के हाथ-पांव ऐसे ढीले पड़ जाएंगे, कि वह मुंह मोड़कर अपके लड़कोंको भी न देखेगा। 
4. क्योंकि सब पलिश्तियोंके नाश होने का दिन आता है; और सोर और सिदोन के सब बचे हुए सहाथक मिट जाएंगे। क्योंकि यहोवा पलिश्तियोंको जो कप्तोर नाम समुद्र तीर के बचे हुए रहनेवाले हैं, उनको भी नाश करने पर है। 
5. गज़्जा के लोग सिर मुड़ाए हैं, अश्कलोन जो पलिश्तियोंके नीचान में अकेला रह गया है, वह भी मिटाया गया है; तू कब तक अपक्की देह चीरता रहेगा? 
6. हे यहोवा की तलवार ! तू कब तक शान्त न होगी? तू अपक्की मियान में घुस जा, शान्त हो, और यमी रह ! 
7. तू क्योंकर यम सकती है? क्योंकि यहोवा ने तुझ को आज्ञा देकर अश्कलोन और समुद्रतीर के विरुद्व ठहराया है।

Chapter 48

1. मोआब के विषय इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा योंकहता है: नबू पर हाथ, क्योंकि वह नाश हो गया ! किर्यातैम की आशा टूट गई, वह ले लिया गया है; ऊंचा गढ़ निराश और विस्मित हो गया है। 
2. मोआब की प्रशंसा जाती रही। हेशबोन में उसकी हानि की कल्पना की गई है: आओ, हम उसको ऐसा नाश करें कि वह राज्य न रह जाए। हे मदमेन, तू भी सुनसान हो जाएगा; तलवार तेरे पीछे पकेगी। 
3. होरोनैम से चिल्लाहट का शब्द सुनो ! नाश और बड़े द:ख का शब्द सुनाई देता है ! 
4. मोआब का सत्यानाश हो रहा है; उसके नन्हे बच्चोंकी चिल्लाहट सुन पक्की। 
5. क्योंकि लूहीत की चढ़ाई में लोग लगातार रोते हुए चढ़ेंगे; और होरोनैम की उतार में नाश की चिल्लाहट का संकट हुआ है। 
6. भागो ! अपना अपना प्राण बचाओ ! उस अधमूए पेड़ के समान हो जाओ जंगल में होता है ! 
7. क्योंकि तू जो अपके कामोंऔर सम्पत्ति पर भरोसा रखता है, इस कारण तू भी पकड़ा जाएगा; और कमोश देवता भी अपके याजकोंऔर हाकिमोंसमेत बंधुआई में जाएगा। 
8. यहोवा के वचन के अनुसार नाश करनेवाले तुम्हारे हर एक नगर पर चढ़ाई करेंगे, और कोई नगर न बचेगा; नीचानवाले और पहाड़ पर की चौरस भूमिवाले दोनोंनाश किए जाएंगे। 
9. मोआब के पंख लगा दो ताकि वह उड़कर दूर हो जए; क्योंकि उसके नगर ऐसे उजाड़ हो जाएंगे कि उन में कोई भी न बसने पाएगा। 
10. शापित है वह जो यहोवा का काम आलस्य से करता है; और वह भी जो अपक्की तलवार लोहू बहाने से रोक रखता है। 
11. मोआब बचपन ही से सुखी है, उसके नीचे तलछट है, वह एक बरतन से दूसरे बरतन में उण्डेला नहीं गया और न बंधुआई में गया; इसलिथे उसका स्वाद उस में स्यिर है, और उसकी गन्ध ज्योंकी त्योंबनी रहती है। 
12. इस कारण यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आएंगे, कि मैं लोगोंको उसके उण्डेलने के लिथे भेजूंगा, और वे उसको उण्डेलेंगे, और जिन घड़ोंमें वह रखा हुआ है, उनको छूछे करके फोड़ डालेंगे। 
13. तब जैसे इस्राएल के घराने को बेतेल से लज्जित होना पड़ा, जिस पर वे भरोसा रखते थे, वैसे ही मोआबी लोग कमोश से लज्जित हांगे। 
14. तुम कैसे कह सकते हो कि हम वीर और पराक्रमी योद्वा हैं? 
15. मोआब तो नाश हुआ, उसके नगर भस्म हो गए और उसके चुने हुए जवान घात होने को उतर गए, राजाधिराज, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, उसकी यही वाणी है। 
16. मोआब की विपत्ति निकट आ गई, और उसके संकट में पड़ने का दिन बहुत ही वेग से आता है। 
17. उसके आस पास के सब रहनेवालो, और उसकी कीत्तिर् के सब जाननेवालो, उसके लिथे विलाप करो; कहो हाथ ! यह मजबूत सोंटा और सुन्दर छड़ी कैसे टूट गई है? 
18. हे दीबोन की रहनेवाली तू अपना विभव छोड़कर प्यासी बैठी रह ! क्योंकि मोआब के नाश करनेवाले ने तुझ पर चढ़ाई करके तेरे दृढ़ गढ़ोंको नाश किया है। 
19. हे अरोएर की रहनेवाली तू मार्ग में खड़ी होकर ताकती रह ! जो भागता है उस से, और जो बच निकलती है उस से पूछ, कि, क्या हुआ है? 
20. मोआब की आशा टूटेगी, वह विस्मित हो गया; तुम हाथ हाथ करो और चिल्लाओ; अनॉन में भी यह बताओ कि मोआब नाश हुआ है। 
21. चौरस भूमि के देश में होलोन, 
22. यहसा, मेपात, दीबोन, नबो, बेतदिबलातैम, 
23. और किर्य्यातैम, बेतगामूल, बेतमोन, 
24. और करिय्योत, बोस्रा, और क्या दूर क्या निकट, मोआब देश के सारे नगरोंमें दण्ड की आज्ञा पूरी हुई है। 
25. यहोवा की यह वाणी है, मोआब का सींग कट गया, और भुजा टूट गई है। 
26. उसको मतवाल करो, क्योंकि उस ने यहोवा के विरुद्व बड़ाई मारी है; इसलिथे मोआब अपक्की छांट में लोटेगा, और ठट्ठोंमें उड़ाया जाएगा। 
27. क्या तू ने भी इस्राएल को ठट्ठोंमें नहीं उड़ाय? क्या वह चोरोंके बीच पाड़ा गया या कि जब तू उसकी चर्चा करता तब तू सिर हिलाता या? 
28. हे मोआब के रहनेवालो अपके अपके नगर को छोड़कर ढांग की दरार में बसो ! उस पएडुकी के समान हो जो गुफा के मुंह की एक ओर घोंसला बनाती हो। 
29. हम ने मोआब के गर्व के विषय में सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी है; उसका गर्व, अभिमान और अहंकार, और उसका मन फूलना प्रसिद्व है। 
30. यहोवा की यह वाणी है, मैं उसके रोष को भी जानता हूँ कि वह व्यर्य ही है, उसके बड़े बोल से कुछ बन न पड़ा। 
31. इस कारण मैं मोआबियोंके लिथे हाथ-हाथ करूंगा; हां मैं सारे मोआबियोंके लिथे चिल्लाऊंगा; कीहरेस के लोगोंके लिथे विलाप किया जाएगा। 
32. हे सिबमा की दाखलता, मैं तुम्हारे लिथे याजेर से भी अधिक विलाप करूंगा ! तेरी डालियां तो ताल के पार बढ़ गई, वरन याजेर के ताल तक भी पहुंची यीं; पर नाश करनेवाला तेरे धूपकाल के फलोंपर, और तोड़ी हुई दाखोंपर भी टूट पड़ा है। 
33. फलवाली बारियोंसे और मोआब के देश से आनन्द और मगन होना उठ गया है; मैं ने ऐसा किया कि दाखरस के कुण्डोंमें कुछ दाखमधु न रहा; लोग फिर ललकारते हुए दाख न रौंदेंगे; जो ललकार होनेवाली है, वह अब नहीं होगी। 
34. हेशबोन की चिल्लाहट सुनकर लोग एलाले और यहस तक, और सोआर से होरोनैम और एग्लतशलीशिया तक भी चिल्लाते हुए भागे चले गए हैं। क्योंकि निम्रीम का जल भी सूख गया है। 
35. और यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ऊंचे स्यान पर चढ़ावा चढ़ाना, और देवताओं के लिथे धूप जलाना, दोनोंको मोआब में बन्द कर दूंगा। 
36. इस कारण मेरा मन मोआब और कीहरेस के लोगोंके लिथे बांसुली सा रो रोकर आलापता है, क्योंकि जो कुछ उन्होंने कमाकर बचाया है, वह नाश हो गया है। 
37. क्योंकि सब के सिर मुंड़े गए और सब की दाढिय़ां नोची गई; सब के हाथ चीरे हुए, और सब की कमरोंमें टाट बन्धा हुआ है। 
38. मोआब के सब घरोंकी छतोंपर और सब चौंकोंमें रोना पीटना हो रहा है; क्योंकि मैं ने मोआब को तुच्छ बरतन की नाई तोड़ डाला है यहोवा की यह वाणी है। 
39. मोआब कैसे विस्मित हो गया ! हाथ, हाथ, करो ! क्योंकि उस ने कैसे लज्जित होकर पीठ फेरी है ! इस प्रकार मोआब के चारोंओर के सब रहनेवाले उसका ठट्ठा करेंगे और विस्मित हो जाएंगे। 
40. क्योंकि यहोवा योंकहता है, देखो, वह उकाब सा उड़ेगा और मोआब के ऊपर अपके पंख फैलाएगा। 
41. करिय्योत ले लिया गया, और गढ़वाले नगर दूसरोंके वश में पड़ गए। उस दिन मोआबी वीरोंके मन जच्चा स्त्री के से हो जाएंगे; 
42. और मोआब ऐसा तितर-बितर हो जाएगा कि उसका दल टूट जाएगा, क्योंकि उस ने यहोवा के विरुद्व बड़ाई मारी है। 
43. यहोवा की यह वाणी है कि हे मोआब के रहनेवाले, तेरे लिथे भय और गड़हा और फन्दे ठहराए गए हैं। 
44. जो कोई भय से भागे वह गड़हे में गिरेगा, और जो कोई गड़हे में से निकले, वह फन्दे में फंसेगा। क्योंकि मैं मोआब के रण्ड का दिन उस पर ले आऊंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
45. जो भागे हुए हैं वह हेशबोन में शरण लेकर खड़े हो गए हैं; परन्तु हेशबोन से आग और सीहोन के बीच से लौ निकली, जिस से मोआब देश के कोने और बलवैयोंके चोण्डे भस्म हो गए हैं। 
46. हे मोआब तुझ पर हाथ ! कमोश की प्रजा नाश हो गई; क्योंकि तेरे स्त्री-पुरुष दोनोंबंधुआई में गए हैं। 
47. तौभी यहोवा की यह वाणी है, कि अन्त के दिनोंमें मैं मोआब को बंधुआई से लौटा ले आऊंगा। मोआब के दण्ड का वचन यहीं तक हुआ।

Chapter 49

1. अम्मोनियोंके विषय यहोवा योंकहता है, क्या इस्राएल के पुत्र नहीं हैं? क्या उसका कोई वारिस नहीं रहा? फिर मल्काम क्योंगाद के देश का अधिक्कारनेी हुआ? और उसकी प्रजा क्योंउसके नगरोंमें बसने पाई है? 
2. यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आनेवाले हैं, कि मैं अम्मोनियोंके रब्बा नाम नगर के विरुद्व युद्व की ललकार सुनवाऊंगा, और वह उजड़कर खण्डहर हो जाएगा, और उसकी बस्तियां फूंक दी जाएंगी; तब जिन लोगोंने इस्राएलियोंके देश को अपना लिया है, उनके देश को इस्राएली अपना लेंगे, यहोवा का यही वचन है। 
3. हे हेशबोन हाथ-हाथ कर; क्योंकि थे नगर नाश हो गया। हे रब्बा की बेटियो चिल्लाओ ! और कमर में टाट बान्धो, छाती पीटती हुई बाड़ोंमें इधर उधर दौड़ो ! क्योंकि मल्काम अपके याजकोंऔर हाकिमोंसमेत बंधुआई में जाएगा। 
4. हे भटकनेवाली बेटी ! तू अपके देश की तराइयोंपर, विशेष कर अपके बहुत ही अपजाऊ तराई पर क्योंफूलती है? तू क्योंयह कहकर अपके रखे हुए धन पर भरोसा रखती है, कि मेरे विरुद्व कौन चढ़ाई कर सकेगा? 
5. प्रभु सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, देख, मैं तेरे चारोंओर के सब रहनेवालोंकी ओर से तेरे मन में भय उपजाने पर हूँ, और तेरे लोग अपके अपके साम्हने की ओर ढकेल दिए जाएंगे; और जब वे मारे मारे फिरेंगे, तब कोई उन्हें इकट्ठा न करेगा। 
6. परन्तु उसके बाद मैं अम्मोनियोंको बंधुआई से लौटा लाऊंगा; यहोवा की यही वाणी है। 
7. एदोम के विषय, सेनाओं का यहोवा योंकहता है, क्या तेमान में अब कुछ बुद्वि नहीं रही? क्या वहां के ज्ञानियोंकी युक्ति निष्फल हो गई? क्या उनकी बुद्वि जाती रही है? 
8. हे ददान के रहनेवालो भागो, लौट जाओ, वहां छिपकर बसो ! क्योंकि जब मैं एसाव को दण्ड देने लगूंगा, तब उस पर भारी विपत्ति पकेगी। 
9. यदि दाख के तोड़नेवाले तेरे पास आते, तो क्या वे कहीं कहीं दाख न छोड़ जाते? और यदि चोर रात को आते तो क्या वे जितना चाहते उतना धन लूटकर न ले जाते? 
10. क्योंकि मैं ने एसाव को उधारा है, मैं ने उसके छिपके के स्यानोंको प्रगट किया है; यहां तक कि वह छिप न सका। उसके वंश और भाई और पड़ोसी सब नाश हो गए हैं और उसका अन्त हो गया। 
11. अपके अनाय बालकोंको छोड़ जाओ, मैं उनको जिलाऊंगा; और तुम्हारी विधवाएं मुझ पर भरोसा रखें। 
12. क्योंकि यहोवा योंकहता है, देखो, जो इसके योग्य न थे कि कटोरे में से पीएं, उनको तो निश्चय पीना पकेगा, फिर क्या तू किसी प्रकार से निदॉष ठहरकर बच जाएगा? तू निदॉष ठहरकर न बचेगा, तुझे अवश्य ही पीना पकेगा। 
13. क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, मैं ने अपक्की सौगन्ध खाई है, कि बोस्रा ऐसा उजड़ जाएगा कि लोग चकित होंगे, और उसकी उपमा देकर निन्दा किया करेंगे और शाप दिया करेंगे; और उसके सारे गांव सदा के लिथे उजाड़ हो जाएंगे। 
14. मैं ने यहोवा की ओर से समाचार सुना है, वरन जाति जाति में यह कहने को एक दूत भी भेजा गया है, इकट्ठे होकर एदोम पर चढ़ाई करो; और उस से लड़ने के लिथे उठो। 
15. क्योंकि मैं ने तुझे जातियोंमें छोटा, और मनुष्योंमें तुच्छ कर दिया है। 
16. हे चट्टान की दरारोंमें बसे हुए, हे पहाड़ी की चोटी पर किला बनानेवाले ! तेरे भयानक रूप और मन के अभिमान ने तुझे धोखा दिया है। चाहे तू उकाब की नाई। अपना बसेरा ऊंचे स्यान पर बनाए, तौभी मैं वहां से तुझे उतार लाऊंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
17. एदोम यहां तक उजड़ जाएगा कि जो कोई उसके पास से चले वह चकित होगा, और उसके सारे दु:खोंपर ताली बजाएगा। 
18. यहोवा का यह वचन है, कि जैसी सदोम बौर अमोरा और उनके आस पास के नगरोंके उलट जाने से उनकी दशा हुई यी, वैसी ही उसकी दशा होगी, वहां न कोई मनुष्य रहेगा, और न कोई आदमी उस में टिकेगा। 
19. देखो, वह सिंह की नाई यरदन के आस पास के घने जंगलोंसे सदा की चराई पर चढ़ेगा, और मैं उनको उसके साम्हने से फट भगा दूंगा; तब जिसको मैं चुन लूं, उसको उन पर अधिक्कारनेी ठहराऊंगा। मेरे तुल्य कौन है? और कौन मुझ पर मुक़द्दमा चलाएगा? वह चरवाहा कहां है जो मेरा साम्हना कर सकेगा? 
20. देखो, यहोवा ने एदोम के विरुद्व क्या युक्ति की है; और तेमान के रहनेवालोंके विरुद्व कैसी कल्पना की है? निश्चय वह भेड़-बकरियोंके बच्चोंको घसीट ले जाएगा; वह चराई को भेड़-बकरियोंसे निश्चय खाली कर देगा। 
21. उनके गिरने के शब्द से पृय्वी कांप उठेगी; और ऐसी चिल्लाहट मचेगी जो लाल समुद्र तक सुनाई पकेगी। 
22. देखो, वह उकाब की नाई निकलकर उड़ आएगा, ओर बोस्रा पर अपके पंख फैलाएगा, और उस दिन एदोमी शूरवीरोंका मन जच्चा स्त्री का सा हो जाएगा। 
23. दमिश्क के विषय, हमात और अर्पद की आश टूटी है, क्योंकि उन्होंने बुरा समाचार सुना है, वे गल गए हैं; समुद्र पर चिन्ता है, वह शान्त नहीं हो सकता। 
24. दमिश्क बलहीन होकर भागने को फिरती है, परन्तु कंपकंपी ने उसे पकड़ा है, जच्चा की सी पीडें उसे उठी हैं। 
25. हाथ, वह नगर, वह प्रशंसा योग्य पुरी, जो मेरे हर्ष का कारण है, वह छोड़ा जाएगा ! 
26. सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, कि उसके जवान चौकोंमें गिराए जाएंगे, और सब योद्वाओं का बोलना बन्द हो जाएगा। 
27. और मैं दमिश्क की शहरपनाह में आग लगाऊंगा जिस से बेन्हदद के राजभवन भस्म हो जाएंगे। 
28. केदार और हासोर के राज्योंके विषय जिन्हें बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने मार लिया। यहोवा योंकहता है, उठकर केदार पर चढ़ाई करो ! पूरबियोंको नाश करो ! 
29. वे उनके डेरे और भेड़-बकरियां ले जाएंगे, उनके तम्बू और सब बरतन उठाकर ऊंटोंको भी हांक ले जाएंगे, और उन लोगोंसे पुकारके कहेंगे, चारोंओर भय ही भय है।
30. यहोवा की यह वाणी है, हे हासोर के रहनेवालो भागो ! दूर दूर मारे मारे फिरो, कहीं जाकर छिपके बसो। क्योंकि बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने तुम्हारे विरुद्व युक्ति और कल्पना की है। 
31. यहोवा की यह वाणी है, उठकर उस चैन से रहनेवाली जाति के लोगोंपर चढ़ाई करो, जो निडर रहते हैं, और बिना किवाड़ और बेण्डे के योंहो बसे हुए हैं। 
32. उनके ऊंट और अनगिनित गाय-बैल और भेड़-बकरियां लूट में जाएंगी, क्योंकि मैं उनके गाल के बाल मुंड़ानेवालोंको उडाकर सब दिशाओं में तितर-बितर करूंगा; और चारोंओर से उन पर विपत्ति लाकर डालूंगा, यहोव की यह वाणी है। 
33. हासोर गीदड़ोंका वासस्यान होगा और सदा के लिथे उजाड़ हो जाएगा, वहां न कोई मनुष्य रहेगा, और न कोई आदमी उस में टिकेगा। 
34. यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के आरम्भ में यहोवा का यह वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास एलाम के विषय पहुंचा। 
35. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, कि मैं एलाम के धनुष को जो उनके पराक्रम का मुख्य कारण है, तोड़ूंगा; 
36. और मैं आकाश के चारोंओर से वायु बहाकर उन्हें चारोंदिशाओं की ओर यहां तक तितर-बितर करूंगा, कि ऐसी कोई जाति न रहेगी जिस में एलामी भागते हुए न आएं। 
37. मैं एलाम को उनके शत्रुओं और उनके प्राण के खोजियोंके साम्हने विस्मित करूंगा, और उन पर अपना कोप भड़काकर विपत्ति डालूंगा। और यहोवा की यह वाणी है, कि तलवार को उन पर चलवाते चलवाते मैं उनका अन्त कर डालूंगा; 
38. और मैं एलाम में अपना सिंहासन रखकर उनके राजा और हाकिमोंको नाश करूंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
39. परन्तु यहोवा की यह भी वाणी है, कि अन्त के दिनोंमें मैं एलाम को बंधुआई से लौटा ले आऊंगा।

Chapter 50

1. बाबुल और कसदियोंके देश के विषय में यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा यह वचन कहा: 
2. जातियोंमें बताओ, सुनाओ और फण्डा खड़ा करो; सुनाओ, मत छिपाओ कि बाबुल ले लिया गया, बेल का मुंह काला हो गया, मरोदक विस्मित हो गया। बाबुल की प्रतिमाएं लज्जित हुई और उसकी बेडौल मूरतें विस्मित हो गई। 
3. क्योंकि उत्तर दिशा से एक जाति उस पर चढ़ाई करके उसके देश को यहां तक उजाड़ कर देगी, कि क्या मनुष्य, क्या पशु, अस में कोई भी न रहेगा; सब भाग जाएंगे। 
4. यहोवा की यह वाणी है, कि उन दिनोंमें इस्राएली और यहूदा एक संग आएंगे, वे रोते हुए अपके परमेश्वर यहोवा को ढूंढ़ने के लिथे चले आएंगे। 
5. वे सिय्योन की ओर मुंह किए हुए उसका मार्ग पूछते और आपस में यह कहते आएंगे, कि आओ हम यहोवा से मेल कर लें, उसके साय ऐसी वाचा बान्धे जो कभी भूली न जाए, परन्तु सदा स्यिर रहे। 
6. मेरी प्रजा खोई हुई भेडें हैं; उनके चरवाहोंने उनको भटका दिया और पहाड़ोंपर भटकाया है; वे पहाड़-पहाड़ और पहाड़ी-पहाड़ी घूमते-घूमते अपके बैठने के स्यान को भूल गई हैं। 
7. जितनोंने उन्हें पाया वे उन्को खा गए; और उनके सतानेवालोंने कहा, इस में हमारा कुछ दोष नहीं, क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्व पाप किया है जो धर्म का आधार है, और उनके पूर्वजोंका आश्र्य या। 
8. बाबुल के बीच में से भागो, कसदियोंके देश से जैसे बकरे अपके फुण्ड के अगुवे होते हैं, वैसे ही निकल आओ। 
9. क्योंकि देखो, मैं उत्तर के देश से बड़ी जातियोंको उभारकर उनकी मण्डली बाबुल पर चढ़ा ले आऊंगा, और वे उसके विरुद्व पांति बान्धेंगे; और उसी दिशा से वह ले लिया जाएगा। उनके तीर चतुर वीर के से होंगे; उन में से कोई अकारय न जाएगा। 
10. और कसदियोंका देश ऐसा लुटेगा कि सब लूटनेवालोंका पेट भर जाएगा, यहोवा की यह वाणी है। 
11. हे मेरे भाग के लूटनेवालो, तुम जो मेरी प्रजा पर आनन्द करते और हुलसते हो, और घास चरनेवाली बछिया की नाई उछलते और बलवन्त घोड़ोंके समान हिनहिनाते हो, 
12. तुम्हारी माता अत्यन्त लज्जित होगी और तुम्हारी जननी का मुंह काला होगा। क्योंकि वह सब जातियोंमें नीच होगी, वह जंगल और मरु और निर्जल देश हो जाएगी। 
13. यहोवा के क्रोध के कारण, वह देश निर्जन रहेगा, वह उजाड़ ही उजाड़ होगा; जो कोई बाबुल के पास से चलेगा वह चकित होगा, और उसके सब दु:ख देखकर ताली बजाएगा। 
14. हे सब धनुर्धारियो, बाबुल के चारोंओर उसके विरुद्व पांति बान्धो; उस पर तीर चलाओ, उन्हें मत रख छोड़ो, क्योंकि उस ने यहोवा के विरुद्व पाप किया है। 
15. चारोंओर से उस पर ललकारो, उस ने हार मानी; उसके कोट गिराए गए, उसकी शहरपनाह ढाई गई। क्ययोंकि यहोवा उस से अपना बदला लेने पर है; सो तुम भी उस से अपना अपना बदला लो, जैसा उस ने किया है, वैसा ही तुम भी उस से करो। 
16. बाबुल में से बोनेवाले और काटनेवाले दोनोंको नाश करो, वे दुखदाई तलवार के डर के मारे अपके अपके लोगोंको ओर फिरें, और अपके अपके देश की भाग जाएं। 
17. इस्राएल भगाई हुई भेड़ है, सिंहोंने उसको भगा दिया है। पहिले तो अश्शूर के राजा ने उसको खा डाला, और तब बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उसकी हड्डियोंको तोड़ दिया है। 
18. इस कारण इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा योंकहता है, देखो, जैसे मैं ने अश्शूर के राजा को दण्ड दिया या, वैसे ही अब देश समेत बाबुल के राजा को दण्ड दूंगा। 
19. मैं इस्राएल को उसकी चराई में लौटा लाऊंगा, और वह कमल और बाशान में फिर चरेगा, और एप्रैम के पहाड़ोंपर और गिलाद में फिर भर पेट खाने पाएगा। 
20. यहोवा की यह वाणी है, कि उन दिनोंमें इस्राएल का अधर्म ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगा, और यहूदा के पाप खोजने पर भी नहीं मिलेंगे; क्योंकि जिन्हें मैं बचाऊं, उनके पाप भी झमा कर दूंगा। 
21. तू मरातैम देश और पकोद नगर के निवासियोंपर चढ़ाई कर। मनुष्योंको तो मार डाल, और धन का सत्यानाश कर; यहोवा की यह वाणी है, और जो जो आज्ञा मैं तुझे देता हूँ, उन सभोंके अनुसार कर। 
22. सुनो, उस देश में युद्व और सत्यानाश का सा शब्द हो रहा है। 
23. जो हयौड़ा सारी पृय्वी के लोगोंको चूर चूर करता या, वह कैसा काट डाला गया है ! बाबुल सब जातियोंके बीच में कैसा उजाड़ हो गया है! 
24. हे बाबुल, मैं ने तेरे लिथे फन्दा लगाया, और तू अनजाने उस में फँस भी गया; तू ढूंढ़कर पकड़ा गया है, क्योंकि तू यहोवा का विरोध करता या। 
25. प्रभु, सेनाओं के यहोवा ने अपके शस्त्रोंका घर खोलकर, अपके क्रोध प्रगट करने का सामान निकाला है; क्योंकि सेनाओं के प्रभु यहोवा को कसदियोंके देश में एक काम करना है। 
26. पृय्वी की छोर से आओ, और उसकी बखरियोंको खोलो; उसको ढेर ही ढेर बना दो; ऐसा सत्यानाश करो कि उस में कुछ भी न बचा रहें। 
27. उसके सब बैलोंको नाश करो, वे घात होने के स्यान में उतर जाएं। उन पर हाथ ! क्योंकि उनके दण्ड पाने का दिन आ पहुंचा है। 
28. सुनो, बाबुल के देश में से भागनेवालोंका सा बोल सुनाई पड़ता है जो सिय्योन में यह समाचार देने को दौड़े आते हैं, कि हमारा परमेश्वर यहोवा अपके मन्दिर का बदला ले रहा है। 
29. सब धनुर्धारियोंको बाबुल के विरुद्व इकट्ठे करो, उसके चारोंओर छावनी डालो, कोई जन भागकर निकलने न पाए। उसके काम का बदला उसे देओ, जैसा उस ने किया है, ठीक वैसा ही उसके साय करो; क्योंकि उस ने यहोवा इस्राएल के पवित्र के विरुद्व अभिमान किया है। 
30. इस कारण उसके जवान चौकोंमें गिराए जाएंगे, और सब योद्वाओं का बोल बन्द हो जाएगा, यहोवा की यही वाणी है। 
31. प्रभु सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे अभिमानी, मैं तेरे विरुद्व हूँ; तेरे दण्ड पाने का दिन आ गया है। 
32. अभिमानी ठोकर खाकर गिरेगा ओर कोई उसे फिर न उठाएगा; और मैं उसके नगरोंमें आग लगाऊंगा जिस से उसके चारोंओर सब कुछ भस्म हो जाएगा। 
33. सेनाओं का यहोवा योंकहता है, इस्राएल और यहूदा दोनोंबराबर पिसे हुए हैं; और जितनोंने उनको बंधुआ किया वे उन्हें पकड़े रहते हैं, और जाने नहीं देते। 
34. उनका छुड़ानेवाला सामयीं है; सेनाओं का यहोवा, यही उसका नाम हे। वह उनका मुक़द्दमा भली भांति लड़ेगा कि पृय्वी को चैन दे परन्तु बाबुल के निवासिक्कों व्याकुल करे। 
35. यहोवा की यह वाणी है, कसदियोंऔर बाबुल के हाकिम, पण्डित आदि सब निवासियोंपर तलवार चलेगी ! 
36. बड़ा बोल बोलनेवालोंपर तलवार चलेगी, और वे मूर्ख बनेंगे ! उसके शूरवीरोंपर भी तलवार चलेगी, और वे विस्मित हो जाएंगे ! 
37. उसके सवारोंऔर रयियोंपर और सब मिले जुले लोगोंपर भी तलवार चलेगी, और वे स्त्रिथें बन जाएंगे ! उसके भण्ड़ारोंपर तलवार चलेगी, और वे लुट जाएंगे ! 
38. उसके जलाशयोंपर सूखा पकेगा, और वे सूख जाएंगे ! क्योंकि वह खुदी हुई मूरतोंसे भरा हुआ देश है, और वे अपक्की भयानक प्रतिमाओं पर बावले हैं। 
39. इसलिथे निर्जल देश के जन्तु सियारोंके संग मिलकर वहां बसेंगे, और शुतुर्मुर्ग उस में वास करेंगे, और वह फिर सदा तक बसाया न जाएगा, न युग युग उस में कोई वास कर सकेगा। 
40. यहोवा की यह वाणी है, कि सदोम और अमोरा और उनके आस पास के नगरोंकी जैसी दशा उस समय हुई यी जब परमेश्वरने उनको उलट दिया या, वैसी ही दशा बाबुल की भी होगी, यहां तक कि कोई मनुष्य उस में न रह सकेगा, और न कोई आदमी उस में टिकेगा। 
41. सुनो, उत्तर दिशा से एक देश के लोग आते हैं, और पृय्वी की छोर से एक बड़ी जाति और बहुत से राजा उठकर चढ़ाई करेंगे। 
42. वे धनुष और बछीं पकड़े हुए हैं; वे क्रूर और निर्दय हैं; वे समुद्र की नाई गरजेंगे; और घोड़ोंपर चढ़े हुए तुझ बाबुल की बेटी के विरुद्व पांति बान्धे हुए युद्वा करनेवालोंकी नाई आएंगे। 
43. उनका समाचार सुनते ही बाबुल के राजा के हाथ पांव ढीले पड़ गए, और उसको ज़च्चा की सी पीड़ें उठीं। 
44. सुनो, वह सिंह की नाई आएगा जो यरदन के आस पास के घने जंगल से निकलकर दृढ़ भेड़शाले पर चढ़े, परन्तु मैं उनको उसके साम्हने से फट भगा दूंगा; तब जिसको मैं चुन लूं, उसी को उन पर अधिक्कारनेी ठहराऊंगा। देखो, मेरे तुल्य कौन हे? कौन मुझ पर मुक़द्दमा चलाएगा? वह चरवाहा कहां है जो मेरा साम्हना कर सकेगा? 
45. सो सुनो कि यहोवा ने बाबुल के विरुद्व क्या युक्ति की है और कसदियोंके देश के विरुद्व कौन सी कल्पना की है: निश्चय वह भेड़-बकरियोंके बच्चोंको घसीट ले जाएगा, निश्चय वह उनकी चराइयोंको भेड़-बकरियोंसे खाली कर देगा। 
46. बाबुल के लूट लिए जाने के शब्द से पृय्वी कांप उठी है, और उसकी चिल्लाहट जातियोंमें सुनाई पड़ती है।

Chapter 51

1. यहोवा योंकहता है, मैं बाबुल के और लेबकामै के रहनेवालोंके विरुद्व एक नाश करनेवाली वायु चलाऊंगा; 
2. और मैं बाबुल के पास ऐसे लोगोंको भेजूंगा जो उसको फटक-फटककर उड़ा देंगे, और इस रीति उसके देश को सुनसान करेंगे; और विपत्ति के दिन चारोंओर से उसके विरुद्व होंगे। 
3. धनुर्धारी के विरुद्व और जो अपना फिलम पहिने हैं धनुर्धारी धनुष चढ़ाए हुए उठे; उसके जवानोंसे कुछ कोमलता न करना; उसकी सारी सेना को सत्यानाश करो। 
4. कसदियोंके देश में मरे हुए और उसकी सड़कोंमें छिदे हुए लोग गिरेंगे। 
5. क्योंकि, यद्यपि इस्राएल और यहूदा के देश, इस्राएल के पवित्र के विरुद्व किए हुए पापोंसे भरपूर हो गए हैं, तौभी उनके परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा ने उनको त्याग नहीं दिया। 
6. बाबुल में से भागो, अपना अपना प्राण बचाओ ! उसके अधर्म में भागी होकर तुम भी न मिट जाओ; क्योंकि यह यहोवा के बदला लेने का समय है, वह उसको बदला देने पर है। 
7. बाबुल यहोवा के हाथ में सोने का कटोरा या, जिस से सारी पृय्वी के लोग मतवाले होते थे; जाति जाति के लोगोंने उसके दाखमधु में से पिया, इस कारण वे भी बावले हो गए। 
8. बाबुल अचानक ले ली गई और नाश की गई है। उसके लिथे हाथ-हाथ करो ! उसके घावोंके लिथे बलसान औषधि लाओ; सम्भव है वह चंगी हो सके। 
9. हम बाबुल का इलाज करते तो थे, परन्तु वह चंगी नहीं हुई। सो आओ, हम उसको तजकर उपके अपके देश को चले जाएं; क्योंकि उस पर किए हुए न्याय का निर्णय आकाश वरन स्वर्ग तक भी पहुंच गया है। 
10. यहोवा ने हमारे धर्म के काम प्रगट किए हैं; सो आओ, हम सिय्योन में अपके परमेश्वर यहोवा के काम का वर्णन करें। 
11. तीरोंको पैना करो ! ढालें यामे रहो ! क्योंकि यहोवा ने मादी राजाओं के मन को उभारा है, उस ने बाबुल को नाश करने की कल्पना की है, क्योंकि यहोवा अर्यात्‌ उसके मन्दिर का यही बदला है 
12. बाबुल की शहरपनाह के विरुद्व फण्डा खड़ा करो; बहुत पहरुए बैठाओ; घात लगानेवालोंको बैठाओ; क्योंकि यहोवा ने बाबुल के रहनेवालोंके विरुद्व जो कुछ कहा या, वह अब करने पर है वरन किया भी है। 
13. हे बहुत जलाशयोंके बीच बसी हुई और बहुत भण्डार रखनेवाली, तेरा अन्त आ गया, तेरे लोभ की सीमा पहंच गई है। 
14. सेनाओं के यहोवा ने अपक्की ही शपय खाई है, कि निश्चय मैं तुझ को टिड्डियोंके समान अनगिनित मनुष्योंसे भर दूंगा, और वे तेरे विरुद्व ललकारेंगे। 
15. उसी ने पृय्वी को अपके सामर्य से बनाया, और जगत को अपक्की बुद्वि से स्यिर किया; और आकाश को अपक्की प्रवीणता से तान दिया है। 
16. जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, वह पृय्वी की छोर से कुहरा उठाता है। वह वर्षा के लिथे बिजली बनाता, और अपके भण्डार में से पवन निकाल ले आता है। 
17. सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित है; सब सोनारोंको अपक्की खोदी हुई मूरतोंके कारण लज्जित होना पकेगा; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें धोखा देनेवाली हैं, और उनके कुछ भी सांस नहीं चलती। 
18. वे तो व्यर्य और ठट्ठे ही के योग्य है; जब उनके नाश किए जाने का समय आएगा, तब वे नाश ही होंगी। 
19. परन्तु जो याकूब का निज भाग है, वह उनके समान नहीं, वह तो सब का बनानेवाला है, और इस्राएल उसका निज भाग है; उसका नाम सेनाओं का यहोवा है। 
20. तू मेरा फरसा और युद्व के लिथे हयियार ठहराया गया है; तेरे द्वारा मैं जाति जाति को तितर-बितर करूंगा; और तेरे ही द्वारा राज्य राज्य को नाश करूंगा। 
21. तेरे ही द्वारा मैं सवार समेत घोड़ोंको टुकड़े टुकड़े करूंगा; 
22. तेरे ही द्वारा रयी समेत रय को भी टुकड़े टुकड़े करूंगा; तेरे ही द्वारा मैं स्त्री पुरुष दोनोंको टुकड़े टुकड़े करूंगा; तेरे ही द्वारा मैं बूढ़े और लड़के दोनोंको टुकढ़े टुकड़े करूंगा, और जवान पुरुष और जवन स्त्री दोनोंको मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े टुकड़े करूंगा; 
23. तेरे ही द्वारा मैं भेड़-बकरियोंसमेत चरवाहे को टुकड़े टुकड़े करूंगा; तेरे ही द्वारा मैं किसान और उसके जोड़े बैलोंको भी टुकड़े टुकड़े करूंगा; अधिपतियोंओर हाकिमोंको भी मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े टुकड़े करूंगा। 
24. मैं बाबुल को और सारे कसदियोंको भी उन सब बुराइयोंका बदला दूंगा, जो उन्होंने तुम लोगोंके साम्हने सिय्योन में की है; यहोवा की यही वाणी है। 
25. हे नाश करनेवाले पहाड़ जिसके द्वारा सारी पृय्वी नाश हुई है, यहोवा की यह वाणी है कि मैं तेरे विरुद्व हूँ और हाथ बढ़ाकर तुझे ढांगोंपर से लुढ़का दूंगा और जला हुआ पहाड़ बनाऊंगा। 
26. लोग तुझ से न तो घर के कोने के लिथे पत्यर लेंगे, और न नेव के लिथे, क्योंकि तू सदा उजाड़ रहेगा, यहोवा की यही वाणी है। 
27. देश में फण्डा खड़ा करो, जाति जाति में नरसिंगा फूंको; उसके विरुद्व जाति जाति को तैयार करो; अरारात, मिन्नी और अश्कनज नाम राज्योंको उसके विरुद्व बुललाओ, उसके विरुद्व सेनापति भी ठहराओ; घोड़ोंको शिखरवाली टिड्डियोंके समान अनगिनित चढ़ा ले आओ। 
28. उसके विरुद्व जातियोंको तैयार करो; मादी राजाओं को उनके अधिपतियोंसब हाकिमोंसहित और उस राज्य के सारे देश को तैयार करो। 
29. यहोवा ने विचारा है कि वह बाबुल के देश को ऐसा उजाड़ करे कि उस में कोई भी न रहे; इसलिथे पृय्वी कांपक्की है और दु:खित होती है 
30. बाबुल के शूरवीर गढ़ोंमें रहकर लड़ने से इनकार करते हैं, उनकी वीरता जाती रही है; और यह देखकर कि उनके वासस्यानोंमें आग लग गई वे स्त्री बन गए हैं; उसके फाटकोंके बेण्डे तोड़े गए हैं। 
31. एक हरकारा दूसरे हरकारे से और एक समाचार देनेवाला दूसरे समाचार देनेवाले से मिलने और बाबुल के राजा को यह समाचार देने के लिथे दौड़ेगा कि तेरा नगर चारोंओर से ले लिया गया है; 
32. और घाट शत्रुओं के वश में हो गए हैं, ताल भी सुखाथे गए, ओर योद्वा घबरा उठे हैं। 
33. क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा योंकहता है: बाबुल की बेटी दांवते समय के खलिहान के समान है, योड़े ही दिनोंमें उसकी कटनी का समय आएगा। 
34. बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने मुझ को खा लिया, मुझ को पीस डाला; उस ने मुझे छूछे बर्तन के समान कर दिया, उस ने मगरमच्छ की नाई मुझ को निगल लिया है; और मुझ को स्वादिष्ट भेजन जानकर अपना पेट मुझ से भर लिया है, उस ने मुझ को बरबस निकाल दिया हे। 
35. सिय्योन की रहनेवाली कहेगी, कि जो उपद्रव मुझ पर और मेरे शरीर पर हुआ है, वह बाबुल पर पलट जाए। और यरूशलेम कहेगी कि मुझ में की हुई हत्याओं का दोष कसदियोंके देश के रहनेवालोंपर लगे। 
36. इसलिथे यहोवा कहता है, मैं तेरा कुक़द्दमा लड़ूंगा और तेरा बदला लूंगा। मैं उसके ताल को और उसके सोतोंको सुखा दूंगा; 
37. और बाबुल खण्डहर, और गीदड़ोंका वासस्यान होगा; और लोग उसे देखकर चकित होंगे और ताली बजाएंगे, और उस में कोई न रहेगा। 
38. लोग एक संग ऐसे गरजेंगे और गुर्राएंगे, जैसे युवा सिंह व सिंह के बच्चे आहेर पर करते हैं। 
39. परन्तु जब जब वे उत्तेजित हों, तब मैं जेवनार तैयार करके उन्हें ऐसा मतवाला करूंगा, कि वे हुलसकर सदा की नींद में पकेंगे और कभी न जागेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
40. मैं उनको, भेड़ोंके बच्चों, और मेढ़ोंऔर बकरोंकी नाई घात करा दूंगा। 
41. शेशक, जिसकी प्रशंसा सारे पृय्वी पर होती यी कैसे ले लिया गया? वह कैसे पकड़ा गया? बाबुल जातियोंके बीच कैसे सुनसान हो गया है? 
42. बाबुल के ऊपर समुद्र चढ़ आया है, वह उसकी बहुत सी लहरोंमें डूब गया है। 
43. उसके नगर उजड़ गए, उसका देश निर्जन और निर्जल हो गया है, उस में कोई मनुष्य नहीं रहता, और उस से होकर कोई आदमी नहीं चलता। 
44. मैं बाबुल में बेल को दण्ड दूंगा, और उस ने जो कुछ निगल लिया है, वह उसके मुंह से उगलवाऊंगा। जातियोंके लोग फिर उसकी ओर तांता बान्धे हुए न चलेंगे; बाबुल की शहरपनाह गिराई जाएगी। 
45. हे मेरी प्रजा, उस में से निकल आओ ! अपके अपके प्राण को यहोवा के भड़के हुए कोप से बचाओ ! 
46. जब उड़ती हुई बात उस देश में सुनी जाए, तब तुम्हारा मन न धबराए; और जो उड़ती हुई चर्चा पृय्वी पर सुनी जाएगी तुम उस से न डरना: उसके एक वर्ष बाद एक और बात उड़ती हुई आएगी, तब उसके बाद दूसरे वर्ष में एक और बात उड़ती हुई आएगी, और उस देश में उपद्रव होगा, और एक हाकिम दूसरे के विरुद्व होगा। 
47. इसलिथे देख, वे दिन आते हैं जब मैं बाबुल की खुदी हुई मूरतोंपर दण्ड की आज्ञा करूंगा; उस सारे देश के लोगोंका मुंह काला हो जाएगा, और उसके सब मारे हुए लोग उसी में पके रहेंगे। 
48. तब स्वर्ग और पृय्वी के सारे निवासी बाबुल पर जयजयकार करेंगे; क्योंकि उत्तर दिशा से नाश करनेवाले उस पर चढ़ाई करेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
49. जैसे बाबुल ने इस्राएल के लोगोंको मारा, वैसे ही सारे देश के लोग उसी में मार डाले जाएंगे। 
50. हे तलवार से बचे हुओ, भगो, खड़े मत रहो ! यहोवा को दूर से स्मरण करो, और यरूशलेम की भी सुधि लो: 
51. हम व्याकुल हैं, क्योंकि हम ने अपक्की नामधराई सुनी है; यहोवा के पवित्र भवन में विधमीं घुस आए हैं, इस कारण हम लज्जित हैं। 
52. सो देखो, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आनेवाले हैं कि मैं उसकी खुदी हुई मूरतोंपर दण्ड भेजूंगा, और उसके सारे देश में लोग घायल होकर कराहते रहेंगे। 
53. चाहे बाबुल ऐसा ऊंचा बन जाए कि आकाश से बातें करे और उसके ऊंचे गढ़ और भी दृढ़ किए जाएं, तौभी मैं उसे नाश करने के लिथे, लोगोंको भेजूंगा, यहोवा की यह बाणी है। 
54. बाबुल से चिल्लाहट का शब्द सुनाई पड़ता है ! कसदियोंके देश से सत्यानाश का बड़ा कोलाहल सुनाइ्र देता है। 
55. क्योंकि यहोवा बाबुल को नाश कर रहा है और उसके बड़े कोलाहल को बन्द कर रहा है। इस से उनका कोलाहल महासागर का सा सुनाई देता है। 
56. बाबुल पर भी नाश करनेवाले चढ़ आए हैं, और उसके शूरवीर पकड़े गए हैं और उनके धनुष तोड़ डाले गए; क्योंकि यहोवा बदला देनेवाला परमेश्वर है, वह अवश्य ही बदला लेगा। 
57. मैं उसके हाकिमों, पण्डितों, अधिपतियों, रईसों, और शूरवीरोंको ऐसा मतवाला करूंगा कि वे सदा की नींद में पकेंगे और फिर न जागेंगे, सेनाओं के यहोवा, जिसका नाम राजाधिराज है, उसकी यही वाणी है 
58. सेनाओं का यहोवा योंभी कहता है, बाबुल की चौड़ी शहरपनाह नेव से ढाई जाएगी, और उसके ऊंचे फाटक आग लगाकर जलाए जाएंगे। और उस में राज्य राज्य के लोगोंका परिश्र्म व्यर्य ठहरेगा, और जातियोंका परिश्र्म आग का कौर हो जाएगा और वे यक जाएंगे। 
59. यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष में जब उसके साय सरायाह भी बाबुल को गया या, जो नेरिय्याह का पुत्र और महसेयाह का पोता और राजभवन का अधिक्कारनेी भी या, 
60. तब यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उसको थे बातें बताई अर्यात्‌ वे सब बातें जो बाबुल पर पड़नेवाली विपत्ति के विषय लिखी हुई हैं, उन्हें यिर्मयाह ने पुस्तक में लिख दिया। 
61. और यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, जब तू बाबुल में पहुंचे , तब अपश्य ही थे सब वचन पड़ना, 
62. और यह कहना, हे यहोवा तू ने तो इस स्यान के विषय में यह कहा है कि मैं इसे ऐसा मिटा दूंगा कि इस में क्या मनुष्य, क्या पशु, कोई भी न रहेगा, वरन यह सदा उजाड़ पड़ा रहेगा। 
63. और जब तू इस पुस्तक को पढ़ चुके, तब इसे एक पत्यर के संग बान्धकर परात महानद के बीच में फेंक देना, 
64. और यह कहना, योंही बाबुल डूब जाएगा और मैं उस पर ऐसी विपत्ति डालूंगा कि वह फिर कभी न उठेगा। योंउसका सारा परिश्र्म व्यर्य ही ठहरेगा और वे यके रहेंगे। यहां तक यिर्मयाह के वचन हैं।

Chapter 52

1. जब सिदकिय्याह राज्य करने लगा, तब वह इक्कीस वर्ष का या; और यरूशलेम में ग्यारह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम हमूतल या जो लिब्नावासी यिर्मयाह की बेटी यी। 
2. और उस ने यहोयाकीम के सब कामोंके अनुसार वही किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है। 
3. निश्चय यहोवा के कोप के कारण यरूशलेम और यहूदा की ऐसी दशा हुई कि अन्त में उस ने उनको अपके साम्हने से दूर कर दिया। और सिदकिय्याह ने बाबुल के राजा से बलवा किया। 
4. और उसके राजय के नौवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने अपक्की सारी सेना लेकर यरूशलेम पर चढ़ाई की, और उस ने उसके पास छावनी करके उसके चारोंओर क़िला बनाया। 
5. योंनगर घेरा गया, और सिदकिय्याह राजा के ग्यारहवें वर्ष तक घिरा रहा। 
6. चौथे महीने के नौवें दिन से नगर में महंगी यहां तक बढ़ गई, कि लोगोंके लिथे कुछ रोटी न रही। 
7. तब नगर की शहरपनाह में दरार की गई, और दोनोंभीतोंके बीच जो फाटक राजा की बारी के निकट या, उस से सब योद्वा भागकर रात ही रात नगर से निकल गए, और अराबा का मार्ग लिया। (उस समय कसदी लोग नगर को घेरे हुए थे)। 
8. परन्तु उनकी सेना ने राजा का पीछा किया, और उसको यरीहो के पास के अराबा में जा पकड़ा; तब उसकी सारी सेना उसके पास से तितर-बितर हो गई। 
9. सो वे राजा को पकड़कर हमात देश के रिबला में बाबुल के राजा के पास ले गए, और वहां उस ने उसके दण्ड की आज्ञा दी। 
10. बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रोंको उसके साम्हने घात किया, और यहूदा के सारे हाकिमोंको भी रिबला में घात किया। 
11. फिर बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह की आंखोंको फुड़वा डाला, और उसको बेडिय़ोंसे जकड़कर बाबुल तक ले गया, और उसको बन्दीगृह में डाल दिया। सो वह मृत्यु के दिन तक वहीं रहा। 
12. फिर उसी वर्ष अर्यात्‌ बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के राज्य के उन्नीसवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन को जल्लादोंका प्रधान नबूजरदान जो बाबुल के राजा के सम्मुख खड़ा रहता या यरूशलेम में आया। 
13. और उस ने यहोवा के भवन और राजभवन और यरूशलेम के सब बड़े बड़े घरोंको आग लगवाकर फुंकवा दिया। 
14. और कसदियोंकी सारी सेना ने जो जल्लादोंके प्रधान के संग यी, यरूशलेम के चारोंओर की सब शहरपनाह को ढा दिश। 
15. और जल्लादोंका प्रधान नबूजरदान कंगाल लोगोंमें से कितनोंको, और जो लोग नगर में रह गए थे, और जो लोग बाबुल के राजा के पास भाग गए थे, और जो कारीगर रह गए थे, उन सब को बंधुआ करके ले गया। 
16. परन्तु, दिहात के कंगाल लोगोंमें से कितनोंको जल्लादोंके प्रधान नबूजरदान ने दाख की बारियोंकी सेवा और किसानी करने को छोड़ दिया। 
17. और यहोवा के भवन में जो पीतल के खम्भे थे, और कुसिर्योंऔर पीतल के हौज जो यहोवा के भवन में थे, उन सभोंको कसदी लोग लोड़कर उनका पीतल बाबुल को ले गए। 
18. और हांडिय़ों, फावडिय़ों, कैंचियों, कटोरों, घूपदानों, निदान पीतल के और सब पात्रोंको, जिन से लोग सेवा टहल करते थे, वे ले गए। 
19. और तसलों, करछों, कटोरियों, हांडिय़ों, दीवटों, धूपदानों, और कटोरोंमें से जो कुछ सोने का या, उनके सोने को, और जो कुछ चान्दी का या उनकी चान्दी को भी जल्लादोंका प्रधान ले गया। 
20. दोनोंखम्भे, एक हौज और पीतल के बारहोंबैल जो पायोंके नीचे थे, इन सब को तो सुलैमान राजा ने यहोवा के भवन के लिथे बनवाया या, और इन सब का पीतल तौल से बाहर या। 
21. जो खम्भे थे, उन में से एक एक की ऊंचाई अठारह हाथ, और घेरा बारह हाथ, और मोटाई चार अंगुल की यी, और वे खोखले थे। 
22. एक एक की कंगनी पीतल की यी, और एक एक कंगनी की ऊंचाई पांच हाथ की यी; और उस पर चारोंओर जो जाली और अनार बने थे वे सब पीतल के थे। 
23. कंगनियोंके चारोंअलंगोंपर छियानवे अनार बने थे, और जाली के ऊपर चारोंओर एक सौ अनार थे। 
24. और जल्लादोंके प्रधान ने सरायाह महाथाजक और उसके नीचे के सपन्याह याजक, और तीनोंडेवढ़ीदारोंको पकड़ लिया; 
25. और नगर में से उस ने एक खोजा पकड़ लिया, जो योद्वाओं के ऊपर ठहरा या; और जो पुरुष राजा के सम्मुख रहा करते थे, उन में से सात जन जो नगर में मिले; और सेनापति का मुन्शी जो साधारण लोगोंको सेना में भरती करता या; और साधारण लोगोंमें से साठ पुरुष जो नगर में मिले, 
26. इन सब को जल्लादोंका प्रधान नबूजरदान रिबला में बाबुल के राजा के पास ले गया। 
27. तब बाबुल के राजा ने उन्हें हमात देश के रिबला में ऐसा मारा कि वे मर गए। 
28. यो यहूदी अपके देश से बंधुए होकर चले गए। जिन लोगोंको नबूकदनेस्सर बंधुआ करके ले गया, सो थे हैं, अर्यत्‌ उसके राज्य के सातवें वर्ष में तीन हजार तेईस यहूदी; 
29. फिर अपके राज्य के अठारहवें वर्ष में नबूकदनेस्सर यरूशलेम से आठ सौ बत्तीस प्राणिीयोंको बंधुआ करके ले गया; 
30. फिर नबूकदनेस्सर के राज्य के तेईसवें वर्ष में जल्लादोंका प्रधान नबूजरदान सात सौ पैंतालीस यहूदी जनोंको बंधुए करके ले गया; सब प्राणी मिलकर चार हाजार छ:सौ हुए। 
31. फिर यहूदा के राजा यहोयाकीन की बंधुआई के सैंतीसवें वर्ष में अर्यात्‌ जिस वर्ष बाबुल का राजा एबीलमरोदक राजगद्दी पर विराजमान हुआ, उसी के बारहवें महीने के पक्कीसवें दिन को उस ने यहूदा के राजा यहोयाकीन को बन्दीगृह से निकालकर बड़ा पद दिया; 
32. और उस से मधुर मधुर वचन कहकर, जो राजा उसके साय बाबुल में बंधुए थे, उनके सिंहासनोंसे उसके सिंहासन को अधीक ऊंचा किया। 
33. और उसके बन्दीगृह के वस्त्र बदल दिए; और वह जीवन भर नित्य राजा के सम्मुख भोजन करता रहा; 

34. और प्रति दिन के खर्च के लिथे बाबुल के राजा के यहां से उसको नित्य कुछ मिलने का प्रबन्ध हुआ। यह प्रबन्ध उसकी मृत्यु के दिन तक उसके जीवन भर लगातार बना रहा।
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